अंतरराष्ट्रीय
माइक्रोसॉफ्ट, एमएक्यू और पेप्सिको ने यूपी में रखा कदम, अमेरिकी कंपनियां सूबे में अपना उद्यम स्थापित करने को आतुर

उत्तर प्रदेश का औद्योगिक माहौल अब अमेरिका की विख्यात बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भाने लगा है। राज्य की इंवेस्टर फ्रेंडली नीतियों के चलते अमेरिकी कंपनियों सहित 40 से अधिक विदेशी कंपनियों ने करीब 17 हजार करोड़ रुपए का निवेश करने का प्रस्ताव किया। इनमें से अमेरिका की बहुराष्ट्रीय कंपनी माइक्रोसॉफ्ट, पेप्सिको और एमएक्यू सॉफ्टवेयर ने अपनी यूनिट लगाने के लिए प्रदेश सरकार से जमीन ली है। माइक्रोसॉफ्ट तथा एमएक्यू सॉफ्टवेयर नोएडा में अपनी यूनिट (उद्यम) लगाएंगे, जबकि पेप्सिको मथुरा में अपनी फैक्ट्री का निर्माण शुरू कर दिया है। अमेरिका की ये तीनों कंपनियां 2866 करोड़ रुपए का निवेश कर 7500 लोगों को स्थायी रोजगार मुहैया कराएंगी।
इन अमेरिकी कंपनियों के अलावा यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम से जुड़े कई अन्य बड़े अमेरिकी निवेशक राज्य में निवेश करने को इच्छुक हैं। ये अमेरिकी निवेशक भारत में अमेरिका के राजदूत के जरिए यहां पर निवेश करने के लिए वार्ता कर रही हैं। सरकार से भी फोरम से जुड़े अमेरिकी निवेशकों ने निवेश करने को लेकर संपर्क किया है।
कुछ दिनों पूर्व यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम से जुड़े उद्यमियों के साथ हुए वीडियो कांफ्रेंसिंग संवाद के दौरान अमेरिकी कंपनियों ने मेडिकल इक्यूपमेंट, डिजिटल पेमेंट तथा अन्य क्षेत्रों में निवेश करने में रूचि दिखाई। अधिकारियों के अनुसार, अमेरिका की एडोब, एमेजॉन, अमेरिकन टावर कापोर्रेशन, एपल, कैटरपिलर, डेल्फी, सिस्को, डेलॉयट, इमर्सन, अर्नस्ट एंड यंग, गूगल, जॉनसन एंड जॉनसन, जेपी मोर्गन एंड कंपनी, लॉकहीड मार्टिन, मैरियॉट इंटरनेशनल, मास्टर कार्ड, मोंडलेज इंटरनेशन, कार्लयिल ग्रुप, वालमार्ट, वारबर्ग पिंकस,आइएचएस मार्केट व यूएसआइबीसी जैसी बड़ी कंपनियां देश और प्रदेश में निवेश करने को इच्छुक हैं। इनमें एडोब, एमेजॉन, माइक्रोसाफ्ट, डेल्फी न्यू हॉलैंड, ग्लोबल लॉजिक, एक्सल, पेप्सिको, सिनोप्सिस तथा कारगिल जैसी कंपनियां पहले ही भारत में कार्य कर रही हैं।
अब माइक्रोसाफ्ट, एमएक्यू साफ्टवेयर नोएडा तथा पेप्सिको ने यूपी में अपनी यूनिट लगाने के लिए कदम बढ़ाए हैं। इन कंपनियों के राज्य में आने के बाद से अमेरिका की कई अन्य कंपनियों में यूपी में अपनी यूनिट लगाने के लिए तेजी दिखाना शुरू कर दिया है। जल्दी ही सरकार सूबे में निवेश को इच्छुक कई अन्य अमेरिकी कंपनियों के नामों का खुलासा करेगी।
दुनिया की सबसे नामी सॉफ्टवेयर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट नोएडा में देश का सबसे बड़ा सेंटर बनाएगी। ये कंपनी 3500 से अधिक लोगों को रोजगार देगी। नोएडा प्राधिकरण ने कंपनी को 60 हजार वर्ग मीटर जमीन बीते दिनों आवंटित की है। अभी तक माइक्रोसॉफ्ट का हैदराबाद के गाची बावली में सबसे बड़ा ऑफिस है। कंपनी ने प्राधिकरण के समक्ष दावा किया है कि तय समय यानि पांच साल से पहले ही यहां पर शुरूआत कर दी जाएगी ताकि एनसीआर में रहने वाले लोगों को इसका फायदा मिल सके। नोएडा प्राधिकरण ने सेक्टर-145 माइक्रोसॉफ्ट को जमीन आवंटित की है। इसी प्रकार दुनिया की अग्रणी आईटी-आईटीईएस कंपनी एमएक्यू इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को नोएडा के सेक्टर-145 में कुल 16350 वर्ग मीटर का प्लॉट दिया गया है। यह कंपनी यहां एक बड़ी आईटी फर्म स्थापित करेगी। इस प्रोजेक्ट में करीब 252 करोड़ रुपये का निवेश होगा और करीब 2500 लोगों को रोजगार मिलेगा, जबकि बहुराष्ट्रीय फूड एंड बेवरेज कंपनी पेप्सिको ने मथुरा के कोसीकलां में आलू चिप्स बनाने की फैक्ट्री लगा रही है। करीब 814 करोड़ रुपये का निवेश कर तैयार के जा रही पेप्सिको की फैक्ट्री में वर्ष 2021 के बीच उत्पादन शुरू होने की संभावना है। इस प्रोजेक्ट में प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से करीब पंद्रह सौ लोगों को रोजगार मिलेगा। आलू चिप्स तैयार करने के लिए कच्चा माल (आलू) स्थानीय स्रोतों से खरीदा जाएगा। स्थानीय किसानों को इस फैक्ट्री से लाभ होगा। जल्दी ही कई अन्य अमेरिकी कंपनियां भी राज्य में फूड प्रोसेसिंग, मेडिकल इक्यूपमेंट, ऑटोमोबाइल, आईटी तथा डिजिटल पेंमेट तथा अन्य क्षेत्रों में निवेश कर यूपी के युवाओं को रोजगार मुहैया कराएंगी।
अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल का कहना है कि यूपी सरकार की इंवेस्टर फ्रेंडली नीतियों के चलते यहां पर अमेरिकी कंपनियां निवेश के लिए आ रही है। इनके यहां निवेश से यूपी के युवाओं को बहुत संख्या में रोजगार मिलेगा।
व्यापार
जीएसटी डे : बीते 5 वर्षों में वस्तु एंव सेवा कर संग्रह बढ़कर दोगुना हुआ, सक्रिय करदाता 1.51 करोड़ के पार

नई दिल्ली, 30 जून। 1 जुलाई 2025 को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के आठ वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। जीएसटी को एक सशक्त और अधिक एकीकृत अर्थव्यवस्था की नींव रखने में महत्वपूर्ण मानते हुए वर्ष 2017 में शुरू किया गया था।
जीएसटी के साथ कर अनुपालन सरल होने के साथ कारोबारियों की लागत में कमी आई और माल को बिना किसी परेशानी के देश के एक राज्य से दूसरे में ले जाने की अनुमति मिली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जीएसटी का परिचय ‘नए भारत के एक मार्गदर्शक कानून’ के रूप में दिया था। बीते आठ वर्षों में जीएसटी को जबरदस्त सफलता मिली और जीएसटी कलेक्शन को लेकर लगातार वृद्धि दर्ज की गई।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जीएसटी कलेक्शन को लेकर बीते 5 वर्षों में लगभग दोगुना वृद्धि दर्ज की गई है, जो कि वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 11.37 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-2025 में 22.08 लाख करोड़ रुपए हो गया। जीएसटी कलेक्शन में यह तेजी अनुपालन और आर्थिक गतिविधि में निरंतर वृद्धि को दर्शाती है।
आधिकारिक डेटा के अनुसार, जीएसटी कलेक्शन के साथ-साथ सक्रिय जीएसटी करदाताओं की संख्या में भी जबरदस्त उछाल दर्ज किया गया है, जो कि 30 अप्रैल 2025 तक बढ़कर 1,51,80,087 हो गए हैं।
जीएसटी के वर्तमान स्ट्रक्चर में दरों के चार मुख्य स्लैब 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत हैं। ये दरें देशभर में अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं पर लागू होती हैं। हालांकि, मुख्य स्लैब के अलावा, तीन विशेष दरें भी तय की गई हैं। जीएसटी की दर सोना, चांदी, हीरा और आभूषण पर 3 प्रतिशत, कटे एवं पॉलिश किए गए हीरे पर 1.5 प्रतिशत और कच्चे हीरे पर 0.25 प्रतिशत लगती है।
जीएसटी को एक राष्ट्र, एक कर के उद्देश्य से पेश किया गया था। जीएसटी आने के साथ ही विभिन्न अप्रत्यक्ष करों की एक विस्तृत श्रृंखला को एक कर दिया गया। जीएसटी ने उत्पाद शुल्क, सेवा कर और वैट जैसे करों की जगह ले ली। इससे देश में कर प्रणाली में एकरूपता आई।
व्यापार
भारत के परिवहन, लॉजिस्टिक्स सेक्टर में डील वैल्यू 2025 की पहली छमाही में 85 प्रतिशत बढ़ी

नई दिल्ली, 27 जून। भारत के परिवहन और लॉजिस्टिक्स सेक्टर ने 2025 की पहली छमाही में शानदार वृद्धि हासिल की, जिसमें कुल डील वैल्यू बढ़कर 609.7 मिलियन डॉलर हो गई, जो कि 2024 की पहली छमाही से 85 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि को दर्शाता है।
ग्रांट थॉर्नटन भारत रिपोर्ट के अनुसार, डील वॉल्यूम में 16 से 25 तक की शानदार वृद्धि हुई, जो निवेशकों के मजबूत विश्वास और सेक्टर के परिवर्तन में निरंतर रुचि को दर्शाता है।
भारत का लॉजिस्टिक्स सेक्टर स्थिर मांग, विकसित होते कॉस्ट स्ट्रक्चर और सस्टेनेबिलिटी पर बढ़ते जोर के साथ एक गतिशील चरण से गुजर रहा है।
निष्कर्षों से पता चला कि माल ढुलाई और सर्विसिंग की बढ़ती लागत मार्जिन पर भार डाल रही है, बावजूद इसके इन्वेंट्री मूवमेंट मजबूत बना हुआ है।
यह सेक्टर डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और कम उत्सर्जन वाली सुविधाओं में महत्वपूर्ण निवेश के साथ-साथ लागत कम करने और टर्नअराउंड समय में सुधार करने के उद्देश्य से पॉलिसी टेलविंड के साथ सस्टेनेबिलिटी में भी प्रगति कर रहा है।
2025 की दूसरी तिमाही के लिए विलय और अधिग्रहण (एमएंडए) मूल्यों में उछाल डेल्हीवरी द्वारा ईकॉम एक्सप्रेस के अधिग्रहण जैसे ऐतिहासिक डील की वजह से देखा गया।
रिपोर्ट में बताया गया है कि प्राइवेट इक्विटी निवेशकों ने स्मार्टशिफ्ट (पोर्टर), रूटमैटिक और सेल्सियस लॉजिस्टिक्स जैसी डिजिटल-फर्स्ट लॉजिस्टिक्स कंपनियों का समर्थन करना जारी रखा, जो कि लास्ट-माइल और इंट्रा-सिटी डिलीवरी में दक्षता लाने वाले स्केलेबल, एसेट-लाइट मॉडल में विश्वास को दर्शाता है।
इस बीच, मुख्य रूप से चीन में बंदरगाह की भीड़ और कंटेनर की कमी के कारण प्रमुख ट्रांस-पैसिफिक और इंट्रा-एशिया मार्गों पर माल ढुलाई दरों में 28 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है।
पूर्वी एशिया में कंटेनरों की भरमार के कारण दक्षिण एशिया में उपलब्धता कम हो गई है, जिससे भारतीय निर्यातकों को गारंटीकृत स्लॉट के लिए प्रीमियम का भुगतान करना पड़ रहा है।
रिपोर्ट में जोर दिया गया है कि लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री जलवायु परिवर्तन से निपटने में सबसे आगे है, जिसमें सस्टेनेबिलिटी तेजी से नियामक आवश्यकता से व्यवसायिक अनिवार्यता में बदल रही है।
कॉर्पोरेट रणनीतियों में ईएसजी-से जुड़े लॉजिस्टिक्स को इंटीग्रेट करने से निवेशकों, उपभोक्ताओं और नियामकों के साथ सस्टेनेबिलिटी की साख बढ़ेगी। अगले पांच से सात वर्षों में, भारत के हेवी-ड्यूटी ट्रक बेड़े का एक-तिहाई हिस्सा एलएनजी में परिवर्तित होने की उम्मीद है और कई निजी कंपनियों ने पहले ही स्वच्छ विकल्प अपनाना शुरू कर दिया है।
व्यापार
दोपहिया वाहनों पर टोल लगने की रिपोर्ट का नितिन गडकरी ने किया खंडन, कहा- ऐसा कोई निर्णय प्रस्तावित नहीं

नई दिल्ली, 26 जून। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को दोपहिया वाहनों पर टोल लगने की रिपोर्ट्स का खंडन करते हुए कहा कि ऐसा कोई निर्णय प्रस्तावित नहीं है।
केंद्रीय मंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “कुछ मीडिया हाऊसेस द्वारा दोपहिया वाहनों पर टोल टैक्स लगाए जाने की भ्रामक खबर फैलाई जा रही हैं। ऐसा कोई निर्णय प्रस्तावित नहीं हैं। दोपहिया वाहन के टोल पर पूरी तरह से छूट जारी रहेगी। बिना सच्चाई जाने भ्रामक खबरें फैलाकर सनसनी निर्माण करना स्वस्थ पत्रकारिता के लक्षण नहीं है। मैं इसकी निंदा करता हूं।”
दरअसल, मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि राष्ट्रीय राजमार्ग के सभी टोल पर दोपहिया वाहनों को भी टैक्स देना होगा और यह नियम 15 जुलाई से लागू होगा।
रिपोर्ट में आगे कहा गया था कि टोल चुकाने के लिए दोपहिया वाहनों को भी गाड़ियों की तरह फास्टैग लेना होगा और जो वाहन इस नियम का उल्लंघन करेगा, उसे 2 हजार रुपए का जुर्माना देना होगा।
इससे पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 18 जून को वार्षिक फास्टैग का ऐलान किया था। सरकार की ओर से यह घोषणा निजी वाहन चालकों पर टोल के बोझ को कम करने के लिए की गई है।
इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने कहा, “एक ऐतिहासिक पहल के तहत, 15 अगस्त 2025 से 3,000 रुपए की कीमत वाला फास्टैग आधारित वार्षिक पास शुरू किया जा रहा है। यह पास सक्रिय होने की तिथि से एक वर्ष तक या 200 यात्राओं तक, जो भी पहले हो, वैध रहेगा।”
इस वार्षिक पास से निजी वाहन चालकों को बार-बार फास्टैग रिचार्ज से करने से छुटकारा मिल जाएगा और वे आसानी से बिना किसी रुकावट से यात्रा कर पाएंगे।
केंद्रीय मंत्री ने अनुसार, यह वार्षिक पास केवल गैर-व्यावसायिक निजी वाहनों (कार, जीप, वैन आदि) के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है और यह देशभर के राष्ट्रीय राजमार्गों पर निर्बाध यात्रा को संभव बनाएगा। वार्षिक पास को रिन्यू करने लिए जल्द ही राजमार्ग यात्रा ऐप और एनएचएआई / एमओआरटीएच की वेबसाइट्स पर एक अलग लिंक उपलब्ध करवाया जाएगा, जिससे प्रक्रिया सरल और सुगम होगी।
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