अंतरराष्ट्रीय
कमशिर्यल पायलट लाइसेंस लेने का ख्वाब रखने वाले पायलटों को माईफ्लेज ‘हौसलों की उड़ान’ के लिए बनाता है सशक्त

देश में सबसे तेजी से बढ़ते उद्योगों में से एक नागरिक उड्डयन उद्योग है। यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा घरेलू विमानन बाजार बन गया है। अगले चार वर्षो में, हवाई अड्डे के बुनियादी ढांचे के विकास के साथ इस उद्योग में जबरदस्त वृद्धि होने जा रही है और 2026 तक विमानन नेविगेशन सेवाओं के कई गुना विकसित होने की उम्मीद है। मौजूदा आर्थिक स्थिति में, आपके करियर को गति देने वाली सही नौकरी ढूंढना एक चुनौती बन चुकी है। विमानन उद्योग शायद ही उत्साही लोगों को निराश करता है। अच्छे पायलटों की हमेशा मांग बनी रहती है, जिसके लिए पात्रता एक मामूली चुनौती है। पायलट विमानन क्षेत्र में सबसे अधिक वेतन पाने वाले कर्मचारी भी हैं। यहां सबसे बड़ा विरोधाभास है आसमान में उड़ने का सपना देखने वाले कई उत्साही उम्मीदवार पात्रता की चिंताओं के साथ इस सपने को पूरा करने से कतराते हैं। कुछ लोग यह सोचकर कतराते हैं कि उड़ान प्रशिक्षण लागत और तत्काल शुरुआती वेतन के बीच का समझौता उनके सपने जैसा फायदेमंद नहीं है। कुछ अपने सपने को छोड़ देते हैं क्योंकि विमानन पदानुक्रम के शीर्ष स्तर तक पहुंचने में बहुत अधिक समय लगता है। कुछ लोग स्थान की कमी बताते हैं, जबकि कुछ का कहना है कि इसके लिए अच्छे प्रशिक्षण की कमी है।
एविएशन मास्टर ट्रेनर पियाली चटर्जी घोष ने महत्वाकांक्षी पायलटों को अपने उत्साहजनक जवाब के साथ इन मिथकों का भंडाफोड़ करते हुए कहा, “विमानन एक ऐसा करियर है जहां आपको अगले 12 महीनों पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए, बल्कि अगले 40 वर्षों पर ध्यान देना चाहिए। संचयी पारिश्रमिक और विकास किसी भी अन्य कैरियर एवेन्यू से बेहतर है।” वह आगे कहती हैं, एक पायलट को प्रशिक्षित करने में कम से कम दो साल या संभवत: तीन साल लगते हैं। कई मील के पत्थर पर पुन: प्रशिक्षण के लिए निर्धारित आवश्यकताएं भी हैं। यही काम को और अधिक संतुष्टिदायक बनाता है। आप जो प्यार करते हैं, उसे सीखते रहने और उसमें बेहतर होते रहने का अवसर हमेशा बना रहता है।”
यह उद्योग भारत के साथ फल-फूल रहा है जिससे एयरलाइंस में कमी को दूर करने के लिए कमर्शियल पायलट लाइसेंस हासिल करना आसान और तेज हो गया है। भारत में 650 से अधिक कमर्शियल विमान बेड़े के लिए लगभग 8,000 पायलट होने का अनुमान है। कमर्शियल विमान बेड़े की वृद्धि दर ने अगले दो दशकों में 28,000 से अधिक पायलटों की मांग में वृद्धि की है। भारत में 400 से अधिक प्रवासी पायलट हैं। पायलट स्वयं मध्यम अवधि की नौकरी की संभावनाओं के बारे में काफी आशावादी प्रतीत होते हैं। फ्लाइट ग्लोबल पोल के साथ भर्ती एजेंसी गूस द्वारा पिछले अक्टूबर में 2,600 वाणिज्यिक पायलटों का एक सर्वेक्षण किया गया था, जिसमें संकेत दिया गया था कि 72 प्रतिशत को लगता है कि उद्योग तीन साल के भीतर 2019 के शिखर पर पहुंच जाएगा। तीन में से दो का मानना है कि दशक के मध्य तक पायलटों की कमी हो जाएगी।
फिर कुछ ऐसे हैं जो आश्चर्य करते हैं कि वे सबसे अधिक प्रतिस्पर्धी लागत पर अपने निकटतम स्थान पर गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण कैसे प्राप्त कर सकते हैं। ‘माईफ्लेज’ द्वारा संचालित फ्लेज इंस्टीट्यूट ऑफ एविएशन एंड हॉस्पिटैलिटी द्वारा वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस कार्यक्रम, उसी को संबोधित करता है और आपको विमानन उद्योग में सर्वश्रेष्ठ प्रदान करता है।
एक दशक तक उद्योग में काम करने के बाद, पियाली ने 2015 में फ्लेज इंस्टीट्यूट ऑफ एविएशन एंड हॉस्पिटैलिटी की शुरुआत की। तब से, ‘माईफ्लेज’ ने संस्थानों का एक बेड़ा बनाया है जो भारतीय युवाओं को विमानन उद्योग में एक स्थिर करियर बनाने के लिए कौशल के साथ सशक्त बनाता है। भारत के सिलिकॉन सिटी, बैंगलोर के केंद्र में अग्रणी, समूह ने विमानन और आतिथ्य कौशल सीखने में विशेषज्ञता हासिल की है। पिछले सात वर्षों में, माईफ्लेज ने विभिन्न एयरलाइन और हवाईअड्डा कंपनियों में एविएशन, हॉस्पिटैलिटी, केबिन क्रू और ग्राहक सेवा में 2,600 से अधिक छात्रों को सक्रिय रूप से प्रशिक्षित और नियुक्त किया है। ‘माईफ्लेज’ ने एक विश्व स्तरीय पाठ्यक्रम विकसित किया है जो एनएसडीसी के एयरोस्पेस और एविएशन सेक्टर स्किल काउंसिल (एएएसएससी) के समर्थन से विमानन क्षेत्र की वर्तमान मांग को पूरा करता है। जब कोचिंग और प्रशिक्षण की बात आती है, तो संस्थापक पियाली चटर्जी घोष ने विशेषज्ञता साबित की है। वह और उनकी सक्षम सलाहकारों की टीम सुनिश्चित करती है कि छात्रों को एक समग्र सीखने के माहौल का अनुभव हो जो उनकी अंतर्निहित प्रतिभा को पोषित करे।
एविएशन मास्टर ट्रेनर, पियाली चटर्जी घोष ने हाल ही में भारत सरकार द्वारा आयोजित 6 दिवसीय कार्यशाला में भारत भर में 60 से अधिक पायलट प्रशिक्षकों के लिए मास्टर ट्रेनर के रूप में अपना पहला प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया। यह एएएसएससी की एक पहल थी।
माईफ्लेज ने यूरोपीय और सिंगापुर के कौशल प्रशिक्षण संस्थानों से प्रेरित एक प्रशिक्षण पद्धति को अपनाया है। छात्रों को प्रतिकूलताओं का सामना करने और परिवर्तनों के अनुकूल होने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण दिया जाता है। अत्याधुनिक अध्ययन केंद्र गुवाहाटी, मैंगलोर, रायपुर, भोपाल, लखनऊ, बैंगलोर और मुंबई में हैं। संगठन का लक्ष्य अपने फ्रेंचाइजी मॉडल को सामने लाने के बाद 2022 की शुरुआत में 50 नए केंद्र खोलना है। इस आंदोलन का उद्देश्य भारत में हर सेवा क्षेत्र के इच्छुक लोगों तक उनके स्थान पर पहुंचना है।
अंतरराष्ट्रीय
अमेरिकी टैरिफ के बीच भारत ने शीर्ष 40 देशों में निर्यात बढ़ाने की कोशिशों को तेज किया

नई दिल्ली, 27 अगस्त : अमेरिका की ओर से भारतीय निर्यात पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के बाद, भारत ने 40 देशों में निर्यात बढ़ाने के लिए कोशिशों को तेज कर दिया है। इन देशों में यूके, स्पेन, फ्रांस, जर्मनी और इटली का नाम शामिल है। यह जानकारी एक वरिष्ठ अधिकारी की ओर से दी गई।
इन प्रयासों में ट्रेड फेयर, वायर-सेलर मीट्स और सेक्टर-विशेष प्रमोशन कैंपेन शामिल हैं।
अन्य देशों में नीदरलैंड, पोलैंड, कनाडा, मैक्सिको, रूस, बेल्जियम, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं।
वरिष्ठ अधिकारी ने आगे बताया कि वाणिज्य मंत्रालय भारत के निर्यात में विविधता लाने और वैश्विक बाजारों में अपनी उपस्थिति को मजबूत करने के लिए नए सिरे से प्रयास के तहत इस सप्ताह निर्यातकों के साथ परामर्श की एक श्रृंखला आयोजित करने वाला है।
सूत्रों ने कहा कि इन बैठकों में कपड़ा, केमिकल और जेम्स एवं ज्वेलरी सहित प्रमुख क्षेत्रों के उद्योग प्रतिनिधि एक साथ आएंगे।
इन बैठकों में चर्चाएं सीमित उत्पादों और बाजारों पर निर्भरता कम करने की रणनीतियों और नए भौगोलिक क्षेत्रों में प्रवेश के लिए एक रोडमैप तैयार करने पर केंद्रित रहने की उम्मीद है।
यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब सरकार प्रस्तावित एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन पर काम तेज कर रही है, जिसका उद्देश्य निर्यातकों को लक्षित समर्थन और बाजार संबंधी जानकारी प्रदान करना है।
वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि अमेरिका द्वारा घोषित शुल्कों में भारी वृद्धि के बाद, सरकार देश के निर्यात को अन्य देशों में विविधता लाने के प्रयास कर रही है।
सरकार मुक्त व्यापार समझौतों को तेजी से लागू करने और यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, ओमान, आसियान, न्यूजीलैंड, पेरू और चिली जैसे मौजूदा समझौतों की समीक्षा करने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने कहा कि एक्सपोर्ट प्रमोशन स्कीम के लिए विदेशों में मिशनों को संगठित करके शीर्ष 50 आयातक देशों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। आगे कहा कि विभिन्न एक्सपोर्ट प्रमोशन स्कीम्स पर भी प्रयास तेज किए जा रहे हैं।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने निर्यात केंद्रित उद्योगों की सहायता के लिए 25,000 करोड़ रुपए की योजानओं का प्रस्ताव तैयार किया है, जिसका मुख्य उद्देश्य छह वर्ष की अवधि के लिए एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन के तहत कपड़ा, रत्न एवं आभूषण और समुद्री उत्पादों जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों में छोटे निर्यातकों की फंडिंग करने में सहायता करना है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि की कि प्रस्ताव को मंजूरी के लिए वित्त मंत्रालय के पास भेज दिया गया है, जिसके बाद इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा और फिर यह लागू होगा।
इन योजनाओं को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों के अनुरूप तैयार किया गया है और यह ट्रे़ड फाइनेंस और निर्यातकों के लिए बाजार पहुंच में सुधार पर ध्यान केंद्रित करेंगी।
राजनीति
भारत की जीडीपी अगले तीन वर्षों में सालाना 6.8 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान : एसएंडपी ग्लोबल

नई दिल्ली, 14 अगस्त। एसएंडपी ग्लोबल ने गुरुवार को कहा कि भारत दुनिया की सबसे अच्छी प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना हुआ है और हमें उम्मीद है कि मध्यम अवधि में विकास की गतिशीलता जारी रहेगी। इसी के साथ, अगले तीन वर्षों में देश की जीडीपी में सालाना 6.8 प्रतिशत की वृद्धि होगी।
भारत राजकोषीय कंसोलिडेशन को प्राथमिकता दे रहा है, जो मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर को बनाए रखते हुए सस्टेनेबल पब्लिक फाइनेंस प्रदान करने के लिए सरकार की राजनीतिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
ग्लोबल रेटिंग एजेंसी ने एक नोट में कहा, “हमारा अनुमान है कि इस वर्ष भारत की रियल जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहेगी, जो व्यापक वैश्विक धीमी गति के बीच उभरते बाजारों के समकक्षों की तुलना में अनुकूल है।”
इसमें कहा गया है, “मजबूत आर्थिक विस्तार का भारत के क्रेडिट मेट्रिक्स पर सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है और हमें उम्मीद है कि मजबूत आर्थिक बुनियादी ढांचे अगले दो से तीन वर्षों में विकास की गति को सहारा देंगे। इसके अलावा, मौद्रिक नीति सेटिंग्स मुद्रास्फीति संबंधी अपेक्षाओं के प्रबंधन के लिए तेजी से अनुकूल हो गई हैं।”
पिछले पांच-छह वर्षों में सरकारी खर्च की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। वर्तमान प्रशासन ने बजट आवंटन को इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च करने के लिए तेजी से स्थानांतरित किया है। इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार का पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) वित्त वर्ष 2026 में बढ़कर 11.2 ट्रिलियन रुपए या सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 3.1 प्रतिशत हो जाएगा।
यह एक दशक पहले के सकल घरेलू उत्पाद के 2 प्रतिशत से ज्यादा है। राज्यों द्वारा किए गए पूंजीगत व्यय को जोड़ने पर इंफ्रास्ट्रक्चर में कुल सार्वजनिक निवेश सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 5.5 प्रतिशत होने का अनुमान है, जो अन्य संप्रभु समकक्षों के बराबर या उससे अधिक है।
ग्लोबल रेटिंग एजेंसी ने कहा, “हमारा मानना है कि भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी में सुधार से वे रुकावटें दूर होंगी, जो दीर्घकालिक आर्थिक विकास में बाधा बन रही हैं।”
पिछले तीन वर्षों में, वैश्विक ऊर्जा कीमतों में उतार-चढ़ाव और आपूर्ति-पक्ष के झटकों के बावजूद, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक की वृद्धि दर औसतन 5.5 प्रतिशत रही। हाल के महीनों में, यह भारतीय रिजर्व बैंक के 2 प्रतिशत-6 प्रतिशत के लक्ष्य की निचली सीमा पर रही।
ये घटनाक्रम, घरेलू पूंजी बाजार की मजबूती के साथ, मौद्रिक परिदृश्य के लिए एक अधिक स्थिर और सहायक वातावरण को दर्शाते हैं।
व्यापार
आरबीआई 2025 की चौथी तिमाही में रेपो रेट में कर सकता है 25 आधार अंक की कटौती: एचएसबीसी

नई दिल्ली, 13 अगस्त। जून से जारी हाई-फ्रीक्वेंसी डेटा में अगर नरमी कायम रहती है तो भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) इस वर्ष की चौथी तिमाही में रेपो रेट में 25 आधार अंक की कटौती कर सकता है। यह जानकारी बुधवार को जारी रिपोर्ट में दी गई।
एचएसबीसी ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार,अगर हाई-फ्रीक्वेंसी इंटीकेटर्स आने वाले महीनों में कमजोर रहते हैं तो आरबीआई विकास दर का अनुमान घटा सकता है। ऐसे में केंद्रीय बैंक द्वारा 2025 की चौथी तिमाही में रेपो रेट को 0.25 प्रतिशत घटाकर 5.25 प्रतिशत किया जा सकता है।
आरबीआई की ओर से अगस्त की मौद्रिक नीति में रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर रख गया था। इससे पहले जून की मौद्रिक नीति में केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में 0.50 प्रतिशत की कटौती की थी।
जुलाई में खुदरा महंगाई दर सालाना आधार पर 1.55 प्रतिशत रही है। यह महंगाई का आठ वर्ष का निचला स्तर था। खाद्य उत्पादों की कीमतों में मामूली बढ़ोतरी है, लेकिन ऊर्जा की कीमतों और मुख्य महंगाई दर में नरमी जारी है।
रिपोर्ट में बताया गया कि वित्त वर्ष 26 में महंगाई औसत 3.2 प्रतिशत पर रहने की उम्मीद है। इसकी वजह कम आधार होना, अनाज का अच्छा भंडार, खरीफ फसलों की अच्छी बुआई और कमोडिटी की कीमतों का कमजोर होना है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सब्जियों की कीमतें, जो पहले छह महीने तक अवस्फीति में थीं, उम्मीद से ज्यादा तेजी से बढ़ी हैं, जिसके कारण आंकड़े अप्रत्याशित रहे।
सब्जियों को छोड़कर, मुख्य महंगाई दर घटकर 3.6 प्रतिशत रह गई, जो पहले 3.8 प्रतिशत थी।
खाद्य पदार्थों की कीमतें छह महीने बाद अपस्फीति से उबरीं, जिनमें 0.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 9.7 प्रतिशत भार वाले भारी अनाजों में लगातार दूसरे महीने गिरावट जारी रही।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है, “दालों, चीनी और फलों की गिरती कीमतों ने खाद्य तेल, अंडे, मांस, मछली और सब्जियों की कीमतों में वृद्धि की आंशिक रूप से भरपाई कर दी। वार्षिक महंगाई लाल निशान में रही, जिससे मुख्य आंकड़े आठ साल के निचले स्तर पर आ गए।”
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