राजनीति
सीएम नीतीश कुमार की बैठक में कई मुद्दों पर हुई चर्चाः मंत्री लेसी सिंह

LACEY SINGH
पटना, 5 मई। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को जदयू नेताओं की बैठक बुलाई। बताया गया कि मुख्यमंत्री आवास पर हुई इस बैठक में संगठनात्मक मामलों पर चर्चा हुई।
इस बैठक में बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी, संजय झा, श्रवण कुमार, लेसी सिंह, सुनील कुमार सहित कई नेता शामिल हुए। बैठक के बाद मंत्री लेसी सिंह ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि जदयू राजनीतिक पार्टी है, जिस वजह से हमेशा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ विचार-विमर्श होता है। यह बैठक भी उसी की एक कड़ी है। कोई नई बात नहीं है। इस साल चुनाव भी है।
लेसी सिंह ने कहा कि समय-समय पर हम लोग बैठते हैं और मुख्यमंत्री का जो दिशा-निर्देश प्राप्त होता है, उस पर आगे हम लोग कैसे काम करें, उसी पर चर्चा होती है। उन्होंने कहा कि बैठक में लोगों को सक्रिय करने को लेकर भी विचार किया गया। चुनाव के मद्देनजर प्रखंड, जिला और पंचायत स्तर पर संगठन की मजबूती और सरकार के कार्यों की जानकारी लोगों तक कैसे पहुंचे, इस पर चर्चा होती रहती है।
उन्होंने कहा कि जो रूटीन बैठक होती है, उसी का यह एक हिस्सा है, जो हमेशा होती रहती है। बताया गया कि बैठक में बोर्ड, निगम के रिक्त पदों के भरने को लेकर भी चर्चा की गई। बिहार में अभी कई बोर्ड और आयोग के अध्यक्ष पद भरे जाने हैं। ऐसे में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। चुनाव के मद्देनजर समीकरण बैठाने की भी रणनीति बनाई गई।
इधर, बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने इस बैठक को लेकर तंज कसते हुए कहा कि भ्रष्टाचार जिस तरफ से बिहार में बढ़ा हुआ है, भ्रष्टाचार में कितना कलेक्शन हुआ है, वह पूछ रहे होंगे, इसलिए तलब किया होगा। उन्होंने तो यहां तक कहा कि हमें नहीं लगता है कि मुख्यमंत्री को डिप्टी सीएम का भी नाम पता होगा।
राजनीति
सतलुज-यमुना लिंक नहर विवाद का समाधान मिलजुलकर निकालें पंजाब-हरियाणा सरकार : सुप्रीम कोर्ट

suprim court
नई दिल्ली, 6 मई। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को हरियाणा और पंजाब के बीच एसवाईएल (सतलुज-यमुना लिंक कैनाल) नहर विवाद को लेकर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से कहा कि दोनों राज्य सौहार्दपूर्ण समाधान तक पहुंचने के लिए केंद्र का सहयोग करें।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर समाधान नहीं निकला तो पीठ इस मामले पर 13 अगस्त को सुनवाई करेगी।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से एएसजी ने कहा कि जल शक्ति मंत्री ने बैठक की और जल बंटवारे पर विचार करने के लिए समिति गठित की गई है। दोनों राज्यों के मुख्य सचिव समिति के अध्यक्ष हैं और 1 अप्रैल 2025 को इस मामले में एक अतिरिक्त हलफनामा दाखिल किया गया है।
इस पर हरियाणा सरकार के वकील श्याम दीवान ने कहा कि बातचीत से कोई समाधान नहीं हो पा रहा है। जहां तक नहर के निर्माण की बात है, तो हरियाणा ने अपने इलाके का काम पूरा कर लिया है। एक अहम मुद्दा है कि पानी नहीं छोड़ा जा रहा है।
पंजाब सरकार के एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह ने कहा कि डिक्री अतिरिक्त पानी के लिए थी, लेकिन नहर का निर्माण अभी होना बाकी है। हरियाणा को अतिरिक्त पानी मिलना चाहिए या नहीं, यह मुद्दा ट्रिब्यूनल के समक्ष लंबित है।
इसके अलावा, केंद्र सरकार की तरफ से एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि हमने मध्यस्थता के लिए प्रयास किए थे। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हलफनामे में कहा गया है कि दोनों मध्यस्थता के लिए सहमत हो गए हैं।
वहीं, हरियाणा के वकील ने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री ने आधिकारिक तौर पर कहा है कि हम सहयोग नहीं करने जा रहे हैं, इसलिए वार्ता विफल हो गई है। साल 2016 से हम प्रयास कर रहे हैं, लेकिन आगे कुछ नहीं हुआ।
दरअसल, हरियाणा और पंजाब के बीच पानी का विवाद बहुत पुराना है। एसवाईएल विवाद 1966 में हरियाणा के पंजाब से अलग होने के बाद 1981 के जल-बंटवारे समझौते से जुड़ा है।
हरियाणा में खेतों की सिंचाई के लिए पानी की बेहद कमी थी। केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद सतलुज-यमुना लिंक नहर को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच जल संधि हुई थी।
दुर्घटना
बांद्रा लिंक स्क्वायर मॉल आग: बीएमसी का सतर्कता विभाग अवैध बदलावों और अग्निशमन चूक की जांच कर रहा है

मुंबई: बीएमसी के सतर्कता विभाग ने पिछले सप्ताह बांद्रा के लिंक स्क्वायर मॉल में लगी भीषण आग की जांच शुरू कर दी है, जिसमें करीब 200 दुकानें जलकर खाक हो गई थीं। जांच के हिस्से के रूप में, अधिकारियों ने विकास योजना (डीपी) विभाग से लेआउट विवरण मांगा है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या कोई अवैध बदलाव किया गया था। जांच का उद्देश्य अग्निशमन उपायों में खामियों की पहचान करना भी है, जिसकी वजह से आग तेजी से फैली।
मुंबई फायर ब्रिगेड (एमएफबी) के अधिकारी घटना की जांच और निरीक्षण कर रहे हैं, जिसमें इमारत की मंजूरी, अग्नि सुरक्षा मंजूरी और संबंधित दस्तावेजों की गहन समीक्षा शामिल है। एक अलग जांच में, नगर आयुक्त भूषण गगरानी ने संयुक्त आयुक्त डी. गंगाधरन को गहराई से जांच करने के लिए नियुक्त किया है ताकि यह पता लगाया जा सके कि आग बुझाने के प्रयासों के दौरान कोई परिचालन संबंधी चूक हुई थी या नहीं। गंगाधरन जो सतर्कता विभाग का भी नेतृत्व करते हैं, उनसे एक सप्ताह में जांच रिपोर्ट सौंपने की उम्मीद है।
नागरिक सूत्रों ने बताया कि जांच में सहायता के लिए डीपी विभाग से आग से प्रभावित संरचना की लेआउट योजनाएँ माँगी गई हैं। जांच में यह पता लगाया जाएगा कि अग्निशमन कार्यों में देरी किस कारण से हुई, आग के तेजी से बढ़ने के पीछे क्या कारण थे और क्या फायर ब्रिगेड की ओर से कोई चूक हुई थी। प्रारंभिक निष्कर्षों से पता चलता है कि आग का तेजी से फैलना एक गैर-कार्यात्मक अग्निशमन प्रणाली और इमारत में उचित वेंटिलेशन सिस्टम की अनुपस्थिति के कारण था।
29 अप्रैल को ग्राउंड प्लस तीन मंजिला इमारत के बेसमेंट-लेवल क्रोमा शोरूम में भीषण आग लग गई, जो जल्द ही लेवल 4 की आग (गंभीर आग) में बदल गई। एमएफबी को आग बुझाने में करीब 22 घंटे लग गए, जिससे इसकी प्रतिक्रिया की प्रभावशीलता पर गंभीर चिंताएं पैदा हो गईं। एनसीपी नेता जीशान सिद्दीकी ने एमएफबी की देरी और अपर्याप्त कार्रवाई की आलोचना की, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि इसने इमारत को पूरी तरह से नष्ट कर दिया।
राजनीति
मॉक ड्रिल को लेकर गृह मंत्रालय में उच्च स्तरीय बैठक शुरू, कई अधिकारी भी मौजूद

नई दिल्ली, 6 मई। 7 मई को होने वाली मॉक ड्रिल पर गृह मंत्रालय में उच्च स्तरीय बैठक शुरू हो गई है। गृह सचिव 244 सिविल डिफेंस जिलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक ले रहे हैं।
दरअसल, 7 मई को होने वाली मॉक ड्रिल को लेकर यह एक महत्वपूर्ण बैठक है, जो गृह सचिव गोविंद मोहन की अध्यक्षता में नॉर्थ ब्लॉक में आयोजित की गई है। बैठक में राज्यों के मुख्य सचिवों और वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति से यह स्पष्ट है कि सुरक्षा और आपदा प्रबंधन से जुड़ा यह एक राष्ट्रीय स्तर का समन्वय प्रयास है।
इस बैठक का उद्देश्य 7 मई को होने वाली मॉक ड्रिल की तैयारी और समन्वय को सुनिश्चित करना है। इसी के चलते एनडीआरएफ, सिविल डिफेंस डीजी, डीजी फायर और एयर डिफेंस के अधिकारियों के साथ ही राज्य सरकारों के प्रतिनिधि भी इसमें शामिल हुए हैं।
इसके अलावा, सीमावर्ती और संवेदनशील जिलों पर फोकस करना है। 244 सिविल डिफेंस जिलों और सीमावर्ती क्षेत्र के प्रतिनिधि इस मीटिंग के लिए खास तौर पर शामिल हुए हैं। साथ ही इस ड्रिल में रॉकेट, मिसाइल और हवाई हमले जैसे आपातकालीन परिदृश्यों की तैयारी पर भी फोकस किया जाएगा। इसके अलावा, सायरन और ब्लैकआउट की व्यवस्था को कैसे करना है, इस पर भी बैठक में चर्चा संभव है। यह बैठक देश की सुरक्षा और आपदा से निपटने की क्षमताओं को परखने और सुधारने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने सुरक्षा तैयारियों को लेकर बड़ा कदम उठाया है। गृह मंत्रालय ने देश के कई राज्यों को 7 मई को व्यापक नागरिक सुरक्षा (सिविल डिफेंस) मॉक ड्रिल आयोजित करने के निर्देश दिए हैं।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, मॉक ड्रिल के तहत महत्वपूर्ण गतिविधियां की जाएंगी। इस दौरान एयर रेड वार्निंग सायरनों का संचालन होगा। यह बड़े खतरे और दुश्मन की गतिविधियों को लेकर अलर्ट जारी करने से जुड़ा कदम है।
नागरिकों और छात्रों को संभावित हमलों की स्थिति में खुद को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक नागरिक सुरक्षा तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाएगा। क्रैश ब्लैकआउट की व्यवस्था की जाएगी। इसके तहत दुश्मन की हवाई निगरानी या हमले से शहरों और ढांचों को छिपाने के लिए आपातकालीन प्रोटोकॉल लागू किया जाएगा।
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