अपराध
मालेगांव ब्लास्ट केस: बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा- बरी करने के फैसले के खिलाफ हर कोई अपील नहीं कर सकता
मुंबई, 16 सितंबर। महाराष्ट्र के मालेगांव में साल 2008 में हुए विस्फोट मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक अहम टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ अपील दाखिल करने का अधिकार हर किसी को नहीं है। यह अधिकार उन्हीं को है जो ट्रायल में गवाह रहे हों या सीधे तौर पर पीड़ित पक्ष से जुड़े हों।
दरअसल, मालेगांव ब्लास्ट में मारे गए छह लोगों के परिजनों ने एनआईए की विशेष अदालत द्वारा दिए गए बरी करने के आदेश को चुनौती दी है। परिजन हाईकोर्ट पहुंचे और 31 जुलाई को एनआईए कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले को कानून के खिलाफ बताते हुए रद्द करने की मांग की।
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सवाल उठाया कि क्या मृतकों के परिजनों को ट्रायल में गवाह बनाया गया था। अदालत ने विशेष रूप से अपीलकर्ता निसार अहमद के मामले का जिक्र किया, जिनके बेटे की मौत धमाके में हुई थी। पीड़ित पक्ष के वकील ने बताया कि निसार अहमद गवाह नहीं बने थे। इस पर अदालत ने कहा कि अगर बेटे की मौत हुई थी तो पिता को गवाह होना चाहिए था। कोर्ट ने निर्देश दिया कि बुधवार को अगली सुनवाई में इस बारे में पूरी जानकारी पेश की जाए।
अपीलकर्ताओं ने अपनी याचिका में कहा कि जांच एजेंसियों की खामियां या कमजोरियां किसी आरोपी को बरी करने का आधार नहीं हो सकतीं। उनका दावा है कि धमाके की साजिश गुप्त तरीके से रची गई थी, ऐसे में इसका प्रत्यक्ष सबूत मिलना संभव नहीं था।
परिजनों का आरोप है कि जब मामला एनआईए को सौंपा गया, तो एजेंसी ने आरोपियों के खिलाफ लगे गंभीर आरोपों को कमजोर कर दिया। अपील में कहा गया कि ट्रायल कोर्ट ने अभियोजन की कमियों को दूर करने की बजाय केवल पोस्ट ऑफिस की तरह काम किया और उसका फायदा आरोपियों को मिला।
दरअसल, 31 जुलाई को विशेष एनआईए कोर्ट ने मालेगांव ब्लास्ट मामले के सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया था। इनमें पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित भी शामिल थे।
अपीलकर्ताओं ने यह भी तर्क दिया कि अदालत को केवल मूक दर्शक नहीं बने रहना चाहिए था। जरूरत पड़ने पर उसे सवाल पूछने और अतिरिक्त गवाह बुलाने के अधिकार का इस्तेमाल करना चाहिए था। इस मामले पर बॉम्बे हाईकोर्ट में बुधवार को फिर से सुनवाई होगी, जिसमें यह तय किया जाएगा कि पीड़ित परिवारों की अपील सुनवाई योग्य है या नहीं और ट्रायल में उनकी भूमिका कितनी महत्वपूर्ण रही थी।
मालेगांव विस्फोट 29 सितंबर, 2008 की शाम को हुआ था, जब महाराष्ट्र के नासिक जिले के सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील शहर मालेगांव में भिक्कू चौक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल पर बंधे बम में विस्फोट हुआ था। रमजान के दौरान और नवरात्रि से कुछ दिन पहले हुए इस हमले में छह लोग मारे गए थे और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।
अपराध
दिल्ली: ज्वेलरी चमकाने का झांसा देकर धोखाधड़ी में दो आरोपी गिरफ्तार

नई दिल्ली, 26 दिसंबर: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के सरोजिनी नगर पुलिस स्टेशन पुलिस ने ज्वेलरी चमकाने का झांसा देकर धोखाधड़ी के मामले में दो अपराधियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस को उनके पास से 10,000 रुपए और अपराध में इस्तेमाल किया गया वाहन बरामद किया गया है।
दोनों बदमाश महिलाओं को निशाना बनाकर धोखाधड़ी करते थे। आरोपियों की पहचान हर्ष विहार दिल्ली निवासी विनोद प्रसाद साह और नंद नगरी निवासी मोहम्मद सत्तार के रूप में हुई।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि यह मामला 17 दिसंबर 2025 को सरोजिनी नगर पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था। महिला शिकायतकर्ता के अनुसार, आरोपियों ने उसे गहने पॉलिश करने का ऑफर दिया। उन्होंने महिला से एक सोने का पेंडेंट और एक अंगूठी ली और फिर उसे गर्म पानी लाने के लिए कहा। जैसे ही महिला ने पानी लाने के लिए रसोई में कदम रखा, आरोपी गहने लेकर भाग गए।
इंस्पेक्टर अतुल त्यागी और एसीपी मेल्विन वर्गीस की देखरेख में मुकेश कुमार के नेतृत्व में एक टीम बनाई गई। टीम ने आसपास लगे सीसीटीवी फुटेज, तकनीकी जांच और फोटोग्राफिक रेकग्निशन सिस्टम का उपयोग करके लगातार जांच की। इसके बाद दोनों आरोपियों का पता लगाया गया और 21 दिसंबर 2025 को उन्हें गिरफ्तार किया गया।
पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे अच्छे और सभ्य कपड़े पहनकर रिहायशी इलाकों में महिलाओं को गहने पॉलिश करने का झांसा देते थे। गहने लेने के बाद वे महिला से गर्म पानी लाने को कहते थे और फिर गहने लेकर फरार हो जाते थे। उन्होंने यह भी कबूल किया कि गहनों को बेच दिया गया था और कुछ पैसे जुए में खो दिए थे।
विनोद प्रसाद साह और मोहम्मद सत्तार पहले भी धोखाधड़ी के मामलों में शामिल थे।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आरोपियों से पूछताछ की जा रही है और पता लगाया जा रहा है कि इनके गिरोह में और कितने लोग शामिल थे और कहां-कहां इस तरह की घटना को अंजाम दिया है। पुलिस ने लोगों की सलाह दी है कि इस तरह लोगों के बहकावे में आकर अपने गहने न दें।
अपराध
मुंबई: फर्जी दस्तावेज के जरिए फ्लैट बेचने और बैंक धोखाधड़ी में आरोपी गिरफ्तार

crime
मुंबई, 26 दिसंबर: मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने हाई-वैल्यू प्रॉपर्टी धोखाधड़ी के मामले में आरोपी अख्तर शेख (60) को गिरफ्तार किया है। मामला बांद्रा स्थित एक महंगे फ्लैट से जुड़ा हुआ है, जहां फ्लैट मालिक की फर्जी पहचान से संपत्ति की अवैध बिक्री की गई। इस धोखाधड़ी के आधार पर 11.35 करोड़ रुपए का बैंक लोन भी प्राप्त किया गया था।
ईओडब्ल्यू ने मुखबिर की सूचना पर आरोपी को अंधेरी मेट्रो स्टेशन के नीचे से गिरफ्तार किया। जैन ने अपनी शिकायत में बताया कि उन्होंने मई 2023 में बांद्रा वेस्ट स्थित आइकोनिक टॉवर में 6.25 करोड़ रुपए में एक लग्जरी फ्लैट खरीदा था। जब हाउसिंग सोसायटी द्वारा दस्तावेज की जांच की गई तो पता चला कि फ्लैट की बिक्री फर्जी दस्तावेजों के जरिए की गई थी। इसके बाद मामले की सूचना ईओडब्ल्यू को दी गई।
ईओडब्ल्यू ने तकनीकी साक्ष्यों का विश्लेषण किया, जिसके बाद मामले का खुलासा हुआ। इसके बाद उच्च अधिकारियों को जानकारी दी गई और आरोपी की गिरफ्तारी के लिए टीम का गठन किया गया।
ईओडब्ल्यू के अधिकारियों का कहना है कि जांच में कई खुलासे होने के बाद ही आरोपी अख्तर शेख को गिरफ्तार किया गया। आरोपी से पूछताछ की जा रही है। इस धोखाधड़ी में और कौन-कौन लोग शामिल हैं, यह जांच की जा रही है। पुलिस को यह भी संदेह है कि यह एक संगठित गिरोह का काम हो सकता है, जिसमें दस्तावेज तैयार करने से लेकर बैंक लोन तक की साजिश रची गई थी।
उन्होंने बताया कि शिकायतकर्ता जैन से भी पूछताछ की जा रही है, जिससे मामले का जल्द से जल्द खुलासा किया जा सके।
फिलहाल, मामले में धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक साजिश सहित विभिन्न धाराओं में केस दर्ज कर जांच तेज कर दी है। आरोपी को शुक्रवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा, जहां से उसको रिमांड पर लेकर आगे की पूछताछ की जाएगी। मुंबई पुलिस का कहना है कि धोखाधड़ी मामले में शामिल सभी लोगों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाएगा।
अपराध
मुंबई अपराध: मालवानी के एक डॉक्टर को क्लिनिक में नाबालिग लड़की से छेड़छाड़ के आरोप में गिरफ्तार किया गया; अनधिकृत प्रैक्टिस का संदेह

मुंबई: मालवानी पुलिस ने साढ़े बारह साल की बच्ची के साथ यौन शोषण और छेड़छाड़ के आरोपों के बाद 44 वर्षीय डॉक्टर को गिरफ्तार किया है। बताया जाता है कि यह घटना डॉक्टर के क्लिनिक में एक मेडिकल जांच के दौरान घटी, जिससे मरीज की सुरक्षा और डॉक्टर की मेडिकल योग्यता की वैधता पर सवाल उठने लगे हैं।
पीड़िता, जो स्थानीय निवासी थी, होंठ में फ्रैक्चर के इलाज के लिए अकेले ही क्लिनिक गई थी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जिसमें पुलिस रिकॉर्ड का हवाला दिया गया है, मालवानी स्थित क्लिनिक को कई वर्षों से चला रहे कांदिवली निवासी डॉक्टर ने कथित तौर पर पीड़िता का फायदा उठाया।
नाबालिग ने आरोप लगाया कि प्रक्रिया के दौरान डॉक्टर ने उसे लेटने का निर्देश दिया और फिर उसे अनुचित तरीके से छुआ। पीड़िता ने बताया कि इस घटना के बाद उसे गंभीर मानसिक पीड़ा और शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा, जिसके कारण उसने औपचारिक शिकायत दर्ज कराई।
शिकायत मिलने पर पुलिस सब-इंस्पेक्टर शिवाजी मोहिते ने प्रारंभिक प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज की। बाद में मामला सहायक पुलिस इंस्पेक्टर प्रशांत मुंधे को सौंप दिया गया, जिन्होंने जांच का नेतृत्व किया और आरोपी को हिरासत में लेने की कार्रवाई की। रिपोर्ट के अनुसार, 44 वर्षीय आरोपी पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की संबंधित धाराओं और बाल यौन उत्पीड़न संरक्षण अधिनियम (POCSO) की धारा 10 और 12 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
मारपीट के आपराधिक आरोपों के अलावा, जांच डॉक्टर के पेशेवर पृष्ठभूमि तक भी पहुंच गई है। प्रारंभिक पूछताछ में पता चला कि आरोपी के पास एक्यूपंक्चर की डिग्री है, लेकिन वह कथित तौर पर कई तरह के चिकित्सा उपचार कर रहा था जिनके लिए शायद उसे अनुमति नहीं थी। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि वे वर्तमान में क्लिनिक में प्रदर्शित सभी डिग्रियों और प्रमाणपत्रों की जांच कर रहे हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या आरोपी अपने कानूनी दायरे से बाहर चिकित्सा का अभ्यास कर रहा था। आरोपी को 24 दिसंबर को सत्र न्यायालय में पेश किया गया।
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