राजनीति
महाराष्ट्र सरकार ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ कथित साजिश की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया
मुंबई: शुक्रवार को अचानक हुए घटनाक्रम में, महायुति सरकार ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को फंसाने की कथित साजिश की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) नियुक्त करने का फैसला किया, जो महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के सत्ता में रहने के दौरान विपक्ष के नेता और शहरी विकास मंत्री थे।
कथित षड्यंत्र के बारे में
कथित साजिश में दोनों के खिलाफ झूठे आपराधिक मामले दर्ज करना शामिल था। राज्य गृह विभाग द्वारा जारी एक सरकारी प्रस्ताव (जीआर) के अनुसार, एसआईटी का नेतृत्व सत्यनारायण चौधरी करेंगे, जो मुंबई पुलिस की कानून-व्यवस्था शाखा की देखरेख करते हैं। जीआर के अनुसार, एसआईटी के गठन का निर्णय दिसंबर 2024 में शीतकालीन सत्र के दौरान राज्य विधान परिषद में भाजपा एमएलसी प्रवीण दारेककर द्वारा साझा की गई जानकारी के बाद लिया गया है।
दारेकर के अनुसार, फडणवीस और शिंदे के खिलाफ झूठे मामले दर्ज करने की साजिश रची गई थी। उन्होंने कहा कि उनके पास ऑडियो क्लिप के रूप में सबूत हैं। यह भी महत्वपूर्ण है कि जब एमवीए सत्ता में थी, तब गृह विभाग राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अधीन था। जुलाई की शुरुआत तक इस विभाग का नेतृत्व अनिल देशमुख कर रहे थे, उसके बाद दिलीप वाल्से पाटिल थे। जबकि देशमुख एनसीपी के शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट के साथ हैं, वाल्से पाटिल अजीत पवार के नेतृत्व वाले समूह में शामिल हो गए, जिसने जुलाई 2023 में विद्रोह कर दिया।
एसआईटी में राज्य रिजर्व पुलिस बल के डीआईजी राजीव जैन, मुंबई पुलिस के डीसीपी नवनाथ धवले, मुंबई के एसीपी आदिकराव पोल और सत्यनारायण चौधरी शामिल हैं। एसआईटी को 30 दिनों के भीतर अपनी जांच पूरी करने का निर्देश दिया गया है।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
डेटा परिसंचरण सुरक्षा प्रशासन में सुधार कर रहा चीन
बीजिंग, 1 फरवरी। चीन राष्ट्रीय विकास एवं सुधार आयोग और केंद्रीय साइबरस्पेस मामलों के आयोग समेत छह विभागों ने हाल ही में संयुक्त रूप से “डेटा परिसंचरण सुरक्षा प्रशासन में सुधार और डेटा तत्वों के विपणन और मूल्य को बेहतर ढंग से बढ़ावा देने पर कार्यान्वयन योजना” जारी की।
इस योजना में उच्च गुणवत्ता वाले डेटा विकास और उच्च स्तरीय सुरक्षा के बीच सौम्य अंतःक्रिया को बढ़ावा देने, डेटा के मूल्य को पूरी तरह से मुक्त करने और डेटा विकास और उपयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
डेटा परिसंचरण सुरक्षा शासन नियम डेटा बुनियादी प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। योजना में सात भाग शामिल हैं: उद्यम डेटा संचलन सुरक्षा नियमों को स्पष्ट करना, सार्वजनिक डेटा संचलन सुरक्षा प्रबंधन को मजबूत करना, व्यक्तिगत डेटा संचलन सुरक्षा को मजबूत करना, डेटा संचलन सुरक्षा जिम्मेदारी परिभाषा तंत्र में सुधार करना, डेटा संचलन सुरक्षा प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग को मजबूत करना, डेटा संचलन सुरक्षा सेवा आपूर्ति को समृद्ध करना और डेटा दुरुपयोग के जोखिम की रोकथाम करना।
बताया जाता है कि अगले चरण में, चीनी राष्ट्रीय विकास एवं सुधार आयोग और राष्ट्रीय डेटा ब्यूरो समग्र समन्वय को मजबूत करेंगे, नियमों को सुधारने और परिष्कृत करने के लिए संबंधित विभागों के साथ काम करेंगे, विभागीय समन्वय को मजबूत करेंगे और पायलट परीक्षण करेंगे।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
चीन ने बुजुर्गों के लिए विशेष पर्यटक ट्रेन शुरू की
बीजिंग, 1 फरवरी। जैसे-जैसे चीन की आबादी बढ़ती जा रही है, बुजुर्ग अर्थव्यवस्था आर्थिक विकास का एक नया इंजन बनती जा रही है। यह अनुमान लगाया गया है कि चीन की बुजुर्ग अर्थव्यवस्था का पैमाना एक ट्रिलियन-स्तर के बाजार तक पहुंच गया है, जो व्यापक क्षेत्रों और विविध व्यावसायिक प्रारूपों को कवर करता है।
हाल ही में, कई स्थानों ने बुजुर्गों के यात्रा अनुभव को बेहतर बनाने के लिए उनके लिए उपयुक्त सांस्कृतिक और पर्यटन उत्पाद लॉन्च किए हैं। उदाहरण के लिए, “बुजुर्गों के लिए विशेष टूरिज्म ट्रेन” में बुजुर्गों के अनुकूल नवीनीकरण और सेवाएं उपलब्ध हैं।
ट्रेन में ज़्यादातर यात्री 65 साल से ज़्यादा उम्र के बुज़ुर्ग हैं। यात्रा के दौरान उनकी थकान को कम करने के लिए, ट्रेन में मैन्युअल तापमान नियंत्रण प्रणाली, कॉल बटन और एक विशेष दवा बॉक्स की व्यवस्था की गई है।
ट्रेन में सभी कर्मचारियों को रेड क्रॉस द्वारा पेशेवर रूप से प्रशिक्षित किया जाता है। यह ट्रेन सभी बुज़ुर्ग यात्रियों के लिए विभिन्न प्रकार की विशेष सेवाएं प्रदान करती है, ताकि वे अद्वितीय प्राकृतिक दृश्यों की सराहना करते हुए विचारशील सेवाओं का आनंद ले सकें।
राजनीति
कर छूट की सीमा में बड़ी छलांग : मोदी सरकार ने यूपीए की छोटी-छोटी राहतें देने की शैली को किया खत्म
नई दिल्ली, 1 फरवरी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3.0 सरकार ने 2014 में एनडीए सरकार द्वारा शुरू की गई सैलेरी वर्ग के लोगों को आयकर में राहत देने की व्यवस्था को जारी रखते हुए आयकर छूट की सीमा में बड़ी छलांग लगाई है। यह यूपीए की तरफ से करदाताओं को छोटी-छोटी राहत देने की प्रथा से बिल्कुल अलग नजर आ रही है।
दरअसल, केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा शनिवार को केंद्रीय बजट 2025-26 पेश किया गया और इसमें आयकर दाताओं को राहत देते हुए घोषणा की गई कि 12 लाख रुपये तक की कुल आय तक कोई आयकर देना नहीं होगा। नई कर व्यवस्था के तहत जो लोग अपने आयकर का भुगतान करते हैं, उनके लिए जो राहत दी गई, उसके अनुसार अब प्रति माह 1 लाख रुपये की औसत आय वाले लोगों को कोई कर नहीं देना पड़ेगा। वहीं, वेतनभोगी वर्ग को इसके अलावा 75 हजार रुपए का और अतिरिक्त लाभ कर सीमा की छूट में मिलेगा, मतलब वह 12.75 लाख तक अब कर नहीं देना होगा, यानी नई कर व्यवस्था के तहत आयकर छूट सीमा 7 लाख रुपये प्रति वर्ष से बढ़ाकर 12 रुपये प्रति वर्ष किया गया है।
यूपीए सरकार के तहत, 2005 में आयकर छूट सीमा 1 लाख रुपये थी और 2012 में इस छूट सीमा को दोगुना करके 2 लाख रुपये करने में मनमोहन सिंह सरकार को सात साल लग गए।
वेतनभोगी, मध्यम वर्ग के करदाताओं की लंबे समय से चली आ रही मांग को ध्यान में रखते हुए पीएम मोदी की सरकार ने 2014 में आयकर छूट सीमा को 25 प्रतिशत बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये कर दिया था।
मोदी 2.0 की शुरुआत 2019 में मध्यम वर्ग के करदाताओं के लिए एक और मेगा बोनस के साथ हुई, जिसमें आयकर छूट सीमा 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी गई।
वहीं, मोदी सरकार के प्रयास के तहत वित्त वर्ष 2020-21 में करदाताओं को बिना किसी सामान्य कटौती और छूट के कम कर दरों की पेशकश करने के लिए कम जटिल नई कर व्यवस्था की शुरुआत की गई।
इसके बाद इस व्यवस्था के तहत 2023 में, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने छूट की सीमा 2 लाख रुपये बढ़ा दी, जिससे नई व्यवस्था के तहत आयकर छूट सीमा प्रभावी रूप से 7 लाख रुपये हो गई।
अब इसको ऐसे समझते हैं कि नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद पहली बार वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश करते हुए व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा को 2 लाख रुपए से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपए कर दिया था। इसका मतलब यह था कि जो व्यक्ति 2.5 लाख तक की सालाना आय कमाते थे, उन्हें टैक्स नहीं देना पड़ेगा। वहीं, इसी बजट में वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा 2.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 3 लाख रुपए कर दी गई थी।
इसके अलावा, टैक्स में छूट प्राप्त करने के लिए सेक्शन 80सी की सीमा 1 लाख रुपए से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपए कर दी गई थी। इसके बाद मोदी सरकार का 2020 का बजट ऐतिहासिक था, क्योंकि इसमें सरकार एक नया आयकर स्लैब लेकर आई, इस स्लैब में करदाताओं को यह विकल्प दिया गया कि वे पुराने स्लैब में छूट और डिडक्शन के साथ रहें या नए स्लैब में कम कर दरों के साथ बिना छूट के रहें।
2023 में सरकार ने एक और महत्वपूर्ण बदलाव किया, जिसमें नए आयकर स्लैब के तहत 7 लाख रुपये तक के आय वाले करदाताओं के लिए टैक्स रिबेट की सीमा बढ़ा दी। इससे उन करदाताओं को राहत मिली, जिनकी आय 7 लाख रुपये तक थी। इसके साथ ही, नया टैक्स स्लैब लागू किया गया, जिसमें 50,000 रुपए की मानक कटौती भी लागू की गई।
वित्त वर्ष 2024-25 के लिए मोदी सरकार ने आयकर व्यवस्था में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए, नई कर व्यवस्था के तहत आयकर स्लैब में सुधार किया गया, जिसमें 7 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर कोई टैक्स नहीं लगाया गया, जबकि पहले यह सीमा 5 लाख रुपये थी। इसके अलावा, 10 लाख रुपये तक की आय पर 15 प्रतिशत, 12 लाख रुपये तक की आय पर 20 प्रतिशत और 15 लाख रुपये तक की आय पर 30 प्रतिशत टैक्स की व्यवस्था की।
इसके बाद निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए जो बजट पेश किया, उसमें नई कर व्यवस्था के तहत आयकर छूट सीमा 7 लाख रुपये प्रति वर्ष से बढ़ाकर 12 रुपये प्रति वर्ष करने का ऐलान कर दिया।
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