बॉलीवुड
लता मंगेशकर ने सात दशकों के संगीत सफर से बनाई अपनी अमर पहचान
स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर ने सात दशकों से अधिक के संगीत करियर में अमर गीतों की ऐसी गायन शैली को विकसित किया है जो संगीत प्रेमियों की कई पीढ़ियों के जेहन में अभी भी तरोताजा हैं और हमेशा रहेंगी।
उन्होंने अपने करियर की शुरूआत सिनेमा के श्वेत-श्याम दौर में उस समय की थी जब फिल्मी गाने अक्सर भीड़भाड़ वाले स्टूडियो में या रात के अंधेरे में खुले में रिकॉर्ड किए जाते थे। इसके बाद आधुनिक दौर में लता मंगेशकर ने एक चमकदार धूमकेतु जैसी अपनी पहचान बनाई जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी।
उन्होंने अपने गायन में लोरी, प्रेम गीत, एकल और युगल, शास्त्रीय और व्यावसायिक, अनेक भाषाओं में अनगिनत गाने गाकर अपने स्वर की अमिट छाप छोड़ी है। उन्होंने गायन की एक अभूतपूर्व शैली विकसित की और अपनी आवाज को हर उसी अभिनेत्री के अनुरूप ढाला, जिस पर इसे स्क्रीन पर शूट किया गया था। उन्होंने अपने समकक्ष महान गायक प्रसिद्ध मोहम्मद रफी के साथ अनेक फिल्मों में नायिकाओं के लिए आवाज दी।
वह स्वर कोकिला ,मेलोडी क्वीन के नाम से मशहूर रही हैं और 1960 के दशक में भारतीय सैनिकों के लिए उनके गाए गाने .. ऐ मेरे वतन के लोगों..को सुनकर तत्कालीन प्रधानमंत्री पंड़ित जवाहर लाल नेहरू की आंखों में आंसू आ गए थे।
हिंदी फिल्म उद्योग के लिए 1945 में पाश्र्व गायन के साथ शुरू होने वाले उनके संघर्ष के शुरूआती दिनों में उन्हें नौशाद अली की रचना उठाये जा उनके सितम (अंदाज – 1949) गाने के बाद एक जबर्दस्त मुकाम हाासिल हुआ।
नौशाद के अलावा उस समय के मशहूर संगीतकार शंकर-जयकिशन, एस.डी. बर्मन, हुसैनलाल-भगतराम, सी. रामचंद्र, सालिक चौधरी, खय्याम, रवि, सज्जाद हुसैन, रोशन, कल्याणजी-आनंदजी, मदन मोहन, वसंत देसाई, सुधीर फड़के, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल, उषा खन्ना, अपने विविध संगीत के लिए उनकी मनोहारी आवाज के लिए लालायित रहते थे। उनकी आवाज शीर्ष नायिकाओं के अलावा खलनायिकाओं पर भी खूाब फबती थी।
जैसे-जैसे उनकी लोकप्रियता और शोहरत बढ़ती गई तो उन्होंने 1960 के दशक के मध्य तक कई पुरानी स्थापित महिला गायिकाओं से प्रतिस्पर्धा करनी बंद कर दी क्योंकि क्योंकि निर्माता-निर्देशक उनकी उस आवाज के मुरीद थे जो उस समय की हर अदाकारा पर फबती थी ।
उन्होंने भारतीय फिल्म संगीत के ‘स्वर्ण युग’ के रूप में पहचाने जाने वाले चार दशकों में नायिकाओं और संगीत-निर्देशकों की लगातार बढ़ती आकांक्षाओं के साथ पूर्ण न्याय किया।
उस दौर की विभिन्न प्रमुख नायिकाओं पर फिल्माए गए उनके मशहूर गीतों में शामिल हैं: हवा में उड़ता जाए (‘बरसात’), चले जाना नहीं नैन मिलाके (‘बड़ी बहन’ – दोनों 1949 ), राजा की आएगी बारात (‘आह’ – 1953), मन डोले मेरा तन डोले (‘नागिन’ – 1954), रसिक बलमा (‘चोरी चोरी’ – 1956), नगरी नगरी, द्ववारे द्ववारे (‘मदर इंडिया’ – 1957), आजा रे परदेसी (‘मधुमति’), उनको ये शिकायत है की हम (‘अदालत’ – दोनों 1958), तेरे सुर और मेरे गीत (‘गूंज उठी शहनाई’) ‘-1959), ‘मुगल-ए-आजम’ (1960) प्यार किया तो डरना क्या, मोहब्बत की झूठी कहानी पे रोये, हमें काश तुमसे मोहब्बत ना होती, खुदा निगहबान हो तुम्हारा, बेकस पे करम कीजे ; अजीब दास्तां है ये (‘दिल अपना और प्रीत परायी’), ओ सजना, बरखा बहार आई (‘परख’), तेरा मेरा प्यार अमर (असली नकली – सभी 1960), अल्लाह तेरो नाम, ईश्वर तेरो नाम (‘हम दोनो’), दो हंसों का जोड़ा (‘गंगा जमुना’), ज्योति कलश छलके. (‘भाभी की चूड़ियां’ – सभी 1961), तेरे प्यार में दिलदार (‘मेरे महबूब’) ‘ – 1963), आजा आई बहार (‘राजकुमार’), मैं क्या करू राम, मुझे बूढ़ा मिल गया (‘संगम’), लग जा गले से (‘वो कौन थी’ – सभी 1964), कांटो से खींच के ये आंचल (‘गाइड’), ये समा, समा है ये प्यार का (‘जब जब फूल खिले’ – दोनों 1965), तू जहां, जहां चलेगा, नैनों में बदरा छाए ( ‘मेरा साया’), रहे ना रहे हम (‘ममता’), नील गगन की छाँव में (‘आम्रपाली’ – सभी 1966), रात और दिन, दिया जले (‘रात और दिन’ – 1967) ), मैं तो भूल चली बाबुल का देश (‘सरस्वतीचंद्र’ – 1968), बिंदिया चमकेगी, चूड़ी खनकेगी (‘इंतकाम’ – 1969)।
इसके बाद 1970 और 1980 के दौर में गाए गए उनके मधुर गीतों में बाबुल प्यारे (‘जॉनी मेरा नाम’ – 1970), 1972 की ब्लॉकबस्टर ‘पाकीजा’ – चलते, चलते, इन्ही लोगों ने, मौसम है आशिकाना, ठाडे रहियो; आज सोचा तो आँसू भर आए (‘हंसते जख्म’ – 1973), ये रातें नई पुरानी (‘जूली’) जब तक है जान (‘शोले’), नहीं नहीं, जाना नहीं (‘) जिंदा दिल’ – सभी 1975), मेरे घर आई एक नन्ही परी (‘कभी कभी’), दिल में तुझे बिठाके (‘फकीरा’), हुस्न हाजिर है (‘लैला मजनू’ – सभी 1976), दिल तो है दिल (‘मुकद्दर का सिकंदर’), सत्यम शिवम सुंदरम (‘सत्यम शिवम सुंदरम’ – दोनों 1978), जाने क्यूं मुझे (‘एग्रीमेंट’ – 1980), मेरे नसीब में (‘नसीब’) ‘ – 1980), तूने ओ रंगीले कैसा जादू किया (‘कुदरत’ – 1981), दिखाई दिए यूं (‘बाजार’ – 1982), ऐ दिल-ए-नादान (‘रजिया सुल्तान’- 1983) , सुन साहिबा सुन (‘राम तेरी गंगा मैली’ – 1985), पतझर सावन, बसंत बहार (‘सिंदूर’ – 1987)शामिल है।
लता मंगेशकर ने एकल गीतों के अलावा जीएम दुर्रानी, मोहम्मद रफी, किशोर कुमार, मुकेश, महेंद्र कपूर, मन्ना डे, एसपी बालसुब्रमण्यम, शमशाद बेगम, नितिन मुकेश, अनवर, शब्बीर कुमार, आशा भोंसले आदि के साथ कई यादगार युगल गीत प्रस्तुत किए।
बॉलीवुड
बहोरनापुर गांव की दुर्दशा पर अभिनेता रितेश पांडे का वीडियो, पूछा- ‘बच्चों के लिए रास्ता क्यों नहीं?’

मुंबई, 6 नवंबर : भोजपुरी सिनेमा के जाने-माने गायक और अभिनेता रितेश पांडे करगहर सीट से प्रशांत किशोर के जनसुराज के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। गुरुवार को उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट कर कुछ सवाल खड़े किए।
इंस्टाग्राम पर पोस्ट किए गए वीडियो में अभिनेता ने गांव के लोगों से वहां के हालात के बारे में जानकारी की। साथ ही उनसे बदलाव के बारे में भी कुछ सवाल किए, जिसके जवाब में लोग कहते हैं कि अभी तक गांव में कोई भी खास बदलाव नहीं हुआ है।
अभिनेता ने वीडियो के कैप्शन में लिखा, “देखिए, यहां है मौजूदा हालात में सरकार की नाकामी, भ्रष्टाचार और शिक्षा के प्रति घोर उदासीनता का जीता-जागता उदाहरण। आज जब जनसंपर्क के दौरान करगहर विधानसभा के अंतर्गत बहोरनापुर पहुंचे तो वहां के छोटे-छोटे बच्चे दौड़कर आए और बड़े दुखी स्वर में बोले, ‘भइया, हम लोगों को स्कूल जाने के लिए रास्ता ही नहीं है।'”
उन्होंने वहां के बरसात के दिनों की स्थिति पर अपने विचार व्यक्त किए, जिसके बारे में उन्होंने लिखा, “अभी तो यहां का मौसम कुछ ठीक है, लेकिन बरसात के दिनों में यहां की स्थिति इतनी भयावह हो जाती है कि बच्चों को कमर तक पानी में उतरकर स्कूल जाना पड़ता है।”
उन्होंने लिखा, “यह सिर्फ एक गांव की कहानी नहीं है, बल्कि यह तस्वीर है हमारे सिस्टम की लापरवाही और सरकार की असंवेदनशीलता की। सरकार बस दावे करती रहती है कि शिक्षा पर सभी का अधिकार है, लेकिन हमारे बच्चों को स्कूल जाने के लिए रास्ते ही साफ नहीं होंगे, तो यह अधिकार सिर्फ कागजों में रह जाता है। बहोरनापुर जैसे सैकड़ों गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। अब समय आ गया है बदलाव का ताकि बिहार के हर बच्चे का रास्ता उज्जवल भविष्य की ओर खुले न कि कीचड़ और पानी की ओर।”
अभिनेता की बात करें तो वे भोजपुरी सिनेमा के जाने-माने गायक भी हैं। उनका सबसे लोकप्रिय गीत है, ‘हैलो कौन।’ ये गाना लॉकडाउन के दौरान वायरल हुआ था।
बॉलीवुड
दुलकर सलमान की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘कांथा’ का ट्रेलर रिलीज

मुंबई, 6 नवंबर : साउथ सिनेमा के सुपरस्टार दुलकर सलमान की बहुप्रतीक्षित पीरियड ड्रामा फिल्म ‘कांथा’ जल्द ही सिनेमाघरों में दस्तक देगी। गुरुवार को मेकर्स ने फिल्म का ट्रेलर रिलीज कर दिया।
अभिनेता दुलकर सलमान ने इंस्टाग्राम पर फिल्म के ट्रेलर की वीडियो को पोस्ट किया, जिसके साथ उन्होंने कैप्शन में लिखा, “कांथा की दुनिया आज खुल रही है! ट्रेलर जारी कर दिया गया है।”
फिल्म ‘कांथा’ तमिल सिनेमा के पहले सुपरस्टार एम.के. त्यागराज भगवतार के जीवन पर आधारित है। फिल्म में 1950 के समय में उनकी प्रसिद्धि और व्यक्तिगत संघर्षों को दिखाया गया है।
3 मिनट 10 सेकंड के ट्रेलर में सत्ता की भूख, वफादारी और प्यार पेश किए गए हैं। इसमें भव्य सेट, पुराने जमाने की ग्लैमरस दुनिया, डायलॉगबाजी और इमोशनल ड्रामा का परफेक्ट मिश्रण है। दुलकर की परफॉर्मेंस, समुथिरकानी की दमदार मौजूदगी और अभिनेत्री भाग्यश्री बोर्से की अदाकारी फिल्म को और खास बनाती है।
ट्रेलर की शुरुआत अय्या से होती है, जिसकी भूमिका समुथिरकानी निभा रहे हैं। वह टी.के. महादेवन (दुलकर सलमान) को बताते हैं कि उन्होंने निर्माताओं पर दबाव डालकर उन्हें हीरो बनवाया है। इसके बाद महादेवन उनके पैरों पर गिरकर शुक्रिया अदा करते हैं। कहानी तब मोड़ लेती है जब एक अखबार में छपी खबर और फोन कॉल दोनों के रिश्तों में दरार ला देती हैं। इसके बाद महादेवन अपने गुरु को छोड़कर फिल्म खुद बनाने लगते हैं और घोषणा करते हैं कि ‘फिल्म अब मेरे क्लाइमेक्स पर ही रिलीज होगी।’
इसमें सलमान का नया अंदाज देखने को मिल रहा है, जिसमें वे एम.के. त्यागराज भगवतार के किरदार में नजर आ रहे हैं। फिल्म में अभिनेत्री भाग्यश्री बोर्से और समुथिरकानी भी अहम किरदार में नजर आएंगी।
राणा दग्गुबाती की स्पिरिट मीडिया और दुलकर की वेफेयरर फिल्म्स मिलकर ‘कांथा’ को प्रोड्यूस कर रहे हैं। पहले इस फिल्म का नाम ‘सांथा’ था, लेकिन बाद में मेकर्स ने कुछ कारणों से फिल्म का नाम ‘कांथा’ रख दिया। इस फिल्म का निर्देशन सेल्वमणि सेल्वराज ने किया है, जो नेटफ्लिक्स डॉक्यूमेंट्री ‘द हंट फॉर वीरप्पन’ के लिए जाने जाते हैं। पहले दुलकर सलमान इससे बतौर अभिनेता जुड़े थे, लेकिन बाद में उन्होंने इसे प्रोड्यूस करने का भी फैसला किया।
बॉलीवुड
ऐश्वर्या राय के जन्मदिन पर रकुल प्रीत सिंह ने दी खास अंदाज में बधाई

मुंबई, 1 नवंबर: मंगलोर की साधारण लड़की से लेकर विश्व भर में अपनी अदाकारी का परचम लहराने वाली अभिनेत्री ऐश्वर्या राय शनिवार को अपना जन्मदिन मना रही हैं। इस मौके पर अभिनेत्री रकुल प्रीत सिंह ने उन्हें खास अंदाज में बधाई दी।
पूर्व मिस वर्ल्ड और अभिनेत्री ऐश्वर्या राय ने भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में अपना एक अलग नाम बनाया है। उन्होंने कई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में भारत का प्रतिनिधित्व किया और हॉलीवुड में ‘द मिस्ट्रेस ऑफ स्पाइसेज’ और ‘ब्राइड एंड प्रेजुडिस’ जैसी फिल्मों में अभिनय किया।
ऐश्वर्या राय की सेहत की कामना करते हुए अभिनेत्री रकुल प्रीत सिंह ने इंस्टाग्राम स्टोरीज सेक्शन पर ऐश्वर्या राय की तस्वीर पोस्ट की, जिसमें उन्होंने लिखा, “जन्मदिन की बहुत-बहुत शुभकामनाएं, ऐश्वर्या राय। आपका आने वाला साल खुशियों, अच्छी सेहत, हंसी और उन पलों से भरा हो जो सच में मायने रखते हैं।”
ऐश्वर्या राय ने बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक अपने अभिनय की छाप छोड़ी है। उन्होंने साल 1994 में मिस वर्ल्ड का खिताब जीतकर दुनियाभर में भारत का परचम लहराया, लेकिन उनका सफर यहीं तक सीमित नहीं था। मिस वर्ल्ड बनने के बाद भी उन्हें कई समय तक बॉलीवुड में संघर्ष करना पड़ा था।
अभिनेत्री ने अभिनय की शुरुआत 1997 में तमिल फिल्म ‘इरुवर’ से की थी और उसी साल उन्होंने फिल्म ‘और प्यार हो गया’ से बॉलीवुड में कदम रखा। शुरुआत में भले ही अभिनेत्री को संघर्ष करना पड़ा, लेकिन साल 1999 में ‘हम दिल दे चुके सनम’ ने ऐश्वर्या को सुपरस्टार बना दिया। नंदिनी के रोल में उनकी मासूमियत और भावुकता ने दर्शकों को मोहित कर लिया। दिलचस्प बात यह है कि निर्देशक संजय लीला भंसाली की पहली पसंद वे नहीं थीं, लेकिन यह फिल्म उनके करियर की सबसे बड़ी सफलता साबित हुई।
ऐश्वर्या को कई सम्मान मिले। 2009 में उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया, जो भारत का चौथा बड़ा नागरिक पुरस्कार है। मैडम तुसाद म्यूजियम में उनकी मोम की मूर्ति लगी। वे कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में भारत की नुमाइंदगी कर चुकी हैं।
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