अपराध
विकास की मौत के बाद दफन हो गए खाकी खादी राज!

आठ पुलिस वालों की हत्या कर अपराध जगत में सुर्खियां बटोरने वाले विकास दुबे की मौत के बाद उसके साथ खाकी और खादी के कई राज दफन हो गए। तमाम नेताओं की सरपरस्ती में उसका सिक्का चमक रहा था।
उसके पकड़े जाने से उसके ऊपर हाथ रखने वालों को डर सताने लगा था कहीं यह उनके लिए भास्मासुर न बन जाए। उसके मरने के बाद उन्हें राहत की सांस मिली होगी।
अपराधी विकास के पकड़े जाने पर हर बड़े चेहरे बेनकाब हो सकते थे। वह अपने आकाओं के नाम न उगल दे यह डर भी सबको सता रहा था। इसमें खादी ही नहीं कई खाकी वालों को उसके पकड़े जाने का डर सता रहा था। अगर पूछताछ होती तो कई राजनीतिक रिश्ते और सामने आते जो इसे अपराध जगत में ताकत दे रहे थे।
वरिष्ठ पत्रकार अंकुर तिवारी ने कहा, “विकास दुबे के एनकांउटर के लिए काफी तेज लगी थी। लेकिन जब उसे पकड़ा गया तो एक उम्मीद जगी थी कि खाकी और खादी के सहारे वह अपराध का नेटवर्क चला रहा था। 2001 में राज्यमंत्री की हत्या के बाद वह बरी हो गया। 60 से ज्यादा मुकदमे, हत्या, लूट, डकैती जैसे आरोप होने के बावजूद 11 से ज्यादा असलहे 20 सालों से कभी निरस्त नहीं हुए। इससे उसके रसूख का पता चलता है। यह तो जाहिर है कि उसने अपने साक्षात्कारों में सत्तारूढ़ दलों के विधायकों समेत कई राजनेताओं का नाम लिया। बसपा में उसका काफी दखल था। सरकार के एक मंत्री का नाम आ रहा था। जिस प्रकार से उज्जैन में उसकी नाटकीय गिरफ्तारी हुई। वहां भी कई सवाल है। फरीदाबाद से उज्जैन कैसे पहुंचा। उसके अपराध को बढ़ाने में और कौन-कौन पुलिसकर्मी लगे थे। यह राज उसकी मौत के साथ दफन हो गए।”
उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी एके जैन ने कहा, “विकास दुबे जैसे अपराधी का एनकांउटर के अलावा कोई चारा नहीं था। इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है। ऐसे लोगों को जेल में रखने से भी उनका नेटवर्क काम करता है। सब हाथ जोड़ते, चढ़ावा चढ़ाते। आने वाले समय में व्यापरियों से फिरौती मांगता। अन्य घटनाएं होती। हिरासत में आने से क्या राज उगलता। सब नेताओं के चेहरे उजागर हैं। कौन सा राजनीतिक दल अपने नेताओं के ऊपर कार्रवाई करेगी। उनसे पूछने पर कहेंगे कि वोट मांगने जाते थे। ऐसे में कुछ होने वाला नहीं है। इस मामले में इसके टच में जितने भी पुलिस अधिकारी और कर्मचारी रहे हों। सब पर कार्रवाई होनी चाहिए। इसकी काल डिटेल्स देखकर जो पुलिस वाले इससे मिले हों सब पर कार्रवाई होनी चाहिए।”
रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने ट्वीट कर विकास दुबे के एनकाउंटर पर सवाल उठाए हैं। जयंत चौधरी ने कहा कि विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद देश के सारे न्यायाधीश को इस्तीफा दे देना चाहिए। अब तो भाजपा के ठोक दो राज में अदालत की जरूरत ही नहीं है। उन्होंने लिखा कि आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के असली अपराधियों को बचाने के लिए यह सब ड्रामा रचा गया है।
उधर, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने भी एनकांउटर को लेकर सवाल उठाए हैं और कहा, “शहीद पुलिसकर्मियों को न्याय मिला कहां? शहीदों को न्याय तब मिलता जब विकास दुबे से जुड़े पुलिस और नेताओं का पूरा सिंडिकेट बेनकाब होता। विकास दुबे के साथ न्याय की उम्मीद दफन हो गई। पहले चिट्ठियां गायब, सबूत दफन, विकास दुबे ने योगी सरकार का असली चेहरा जनता के सामने लाकर रख दिया।”
चौबेपुर के रहने वाले एक शख्स ने बताया कि विकास दुबे के अपराधिक इतिहास के चर्चे देश भले पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद जान पाया हो। लेकिन वह कानपुर के आस-पास के इलाके में बहुत पहले से प्रसिद्घ था। अपनी सत्ता को बचाने के लिए जिस दल की सरकार होती थी। उसके साथ वह सवार हो जाता था। कानपुर देहात में वह चुनाव के दौरान ब्राह्मण वोटों का ठेकेदार बन जात था। जमीनों पर कब्जे करना। डरा धमका कर जमीन अपने नाम कराना यह उसका शौक था। पुलिस से बहुत जल्दी सेटिंग कर लेता था। अपने ब्राह्मण वोटों की लालच में लोग इसे चुनाव प्रचार में ले जाते थे। प्रधानी और पंचायती में यह मजबूत टूल्स के रूप में प्रयोग होता रहा है। अब इसकी मौत के बाद बहुत सारी बातें हैं उन्हें कौन सामने लाएगा। यह भी बड़ा सवाल है।
अपराध
महाराष्ट्र : शिरडी साईं बाबा संस्थान में 76 लाख का विद्युत घोटाला, 47 अधिकारियों-कर्मचारियों पर एफआईआर

शिरडी, 18 अक्टूबर: देशभर के लाखों श्रद्धालुओं की आस्था के सबसे बड़े केंद्र शिरडी के श्री साईं बाबा संस्थान ट्रस्ट में एक बड़ा आर्थिक घोटाला सामने आया है। संस्थान के विद्युत विभाग में 76 लाख रुपए के विद्युत सामान के गबन का खुलासा लेखा परीक्षण (ऑडिट) के दौरान हुआ है। इस मामले में शिरडी पुलिस ने संस्थान के 47 अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ धोखाधड़ी और गबन का मामला दर्ज किया है।
न्यायालय के आदेश पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। जांच में खुलासा हुआ कि यह बात एक साल पहले हुए ऑडिट में सामने आई थी, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया था। प्रशासन की लापरवाही को देखते हुए सामाजिक कार्यकर्ता संजय बाबुताई काले ने न्याय के लिए औरंगाबाद हाई कोर्ट की खंडपीठ में क्रिमिनल रिट याचिका दायर की।
न्यायालय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए, दिनांक 15 अक्टूबर को शिरडी पुलिस को सभी 47 आरोपियों पर तत्काल एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। कोर्ट के इस सख्त रुख के बाद ही शिर्डी पुलिस ने मामला दर्ज करने की कार्रवाई पूरी की।
एक रिपोर्ट के अनुसार, विद्युत विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने मिलकर साजिश रची। उन्होंने अपने अधीनस्थ विद्युत सामग्री का सही पंजीकरण नहीं किया। कई कीमती वस्तुओं को जानबूझकर ‘डेड स्टॉक रजिस्टर’ में फर्जी तरीके से दर्ज कर दिया गया, जबकि हकीकत में वे सामग्री संस्थान से गायब थीं। इस तरह, अधिकारियों-कर्मचारियों ने संस्थान को करोड़ों का आर्थिक नुकसान पहुंचाया।
पुलिस जांच में सामने आया है कि 39 आरोपियों ने अपनी जिम्मेदारी की राशि संस्थान को चुका दी है, लेकिन 8 आरोपी पर अभी भी बकाया हैं।
फरियादी संजय काले ने इस पूरे घोटाले से जुड़े सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत हासिल किए थे। उनकी गहन छानबीन ने विद्युत विभाग में चल रही गैरव्यवस्था, फर्जी प्रविष्टियां और सामग्री की हेराफेरी का पूरा ब्यौरा सामने ला दिया। स्थानीय स्तर पर शिकायतों के बावजूद कार्रवाई न होने पर उन्हें अंततः उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
कोर्ट के आदेश पर एफआईआर दर्ज होने के बाद, शिरडी पुलिस ने दस्तावेजों, ऑडिट रिपोर्टों और जवाबदेही की समीक्षा के लिए एक टीम का गठन किया है।
इस घटना ने ट्रस्ट के वरिष्ठ अधिकारियों और उनकी निगरानी प्रणाली के लिए एक बड़ी चेतावनी जारी की है कि अब उन्हें आर्थिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने और कड़ाई से लेखापरीक्षण लागू करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
अपराध
मुंबई अपराध: फर्जी BARC पहचान पत्र रखने के आरोप में वर्सोवा में 60 वर्षीय व्यक्ति गिरफ्तार

CRIME
मुंबई: मुंबई अपराध शाखा ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) से जुड़े फर्जी पहचान दस्तावेज रखने के आरोप में मुंबई के वर्सोवा इलाके से एक 60 वर्षीय व्यक्ति को गिरफ्तार किया है।
अख्तर हुसैनी नामक इस व्यक्ति के पास से BARC के पहचान पत्र, जाली दस्तावेज और कई संदिग्ध कागजात मिले।
तलाशी के दौरान, अधिकारियों ने हुसैनी के कब्जे से नकली BARC पहचान पत्र, जाली दस्तावेज और कई संदिग्ध कागजात बरामद किए।
मुंबई अपराध शाखा के अनुसार, जालसाज फिलहाल हिरासत में है और फर्जी दस्तावेज बनाने के पीछे के मकसद का पता लगाने के लिए उससे पूछताछ की जा रही है।
यह पता लगाने के लिए आगे की जांच चल रही है कि क्या इसमें कोई बड़ा नेटवर्क या आपराधिक गतिविधि शामिल है।
एक दिन पहले एक अन्य मामले में, दिल्ली अपराध शाखा के साइबर सेल ने एक लक्षित ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया, जिसके परिणामस्वरूप 12 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया गया और कई राज्यों में संचालित सुव्यवस्थित साइबर घोटाला सिंडिकेट को ध्वस्त किया गया।
यह ऑपरेशन एसीपी अनिल शर्मा की देखरेख में किया गया, जिसमें इंस्पेक्टर संदीप सिंह, इंस्पेक्टर अशोक कुमार, इंस्पेक्टर शिवराम और इंस्पेक्टर सुभाष के नेतृत्व वाली टीमें शामिल थीं।
पुलिस ने बताया कि पहले ऑपरेशन में, दिल्ली की अपराध शाखा की साइबर सेल ने तीन आरोपियों को सफलतापूर्वक गिरफ्तार किया और राजस्थान तथा मध्य प्रदेश से संचालित एक डिजिटल गिरफ्तारी धोखाधड़ी मॉड्यूल को ध्वस्त किया।
5 जुलाई को धारा 308/318(4)/319/340 बीएनएस, पीएस साइबर साउथ, दिल्ली के तहत मामला एफआईआर, एक विस्तृत डिजिटल गिरफ्तारी घोटाले के माध्यम से 42.49 लाख रुपये की धोखाधड़ी के लिए दर्ज किया गया था।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि जालसाजों ने पुलिस अधिकारी बनकर बुजुर्ग पीड़ित पर धन शोधन के मामले में संलिप्त होने का झूठा आरोप लगाया और भय तथा मनोवैज्ञानिक हेरफेर के माध्यम से उसे राजस्थान और मध्य प्रदेश में स्थित कई खातों में धन हस्तांतरित करने के लिए प्रेरित किया।
अपराध
मुंबई: फर्जी पुलिस बनकर दीपावली पर गरीबों के नाम पर ठगी, दो गिरफ्तार

CRIME
मुंबई, 18 अक्टूबर: मुंबई की सांताक्रूज पुलिस ने एक सामाजिक कार्यकर्ता को ठगने के आरोप में दो जालसाजों को गिरफ्तार किया है। ये दोनों दीपावली के दौरान गरीबों को उपहार और खाना बांटने का दावा कर रहे थे और इसके लिए फर्जी तरीके से चंदा जमा कर रहे थे।
सांताक्रूज इलाके में रहने वाले 67 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता आनंद जोशी ने पुलिस को सूचना दी कि उसके घर कुछ लोग नकली पुलिसकर्मी बनकर आए और चंदा लेकर गए थे।
उन्होंने अपनी पहचान एक पुलिस स्टेशन में होने की दी और कहा कि ये लोग दीपावली पर गरीब लोगों के लिए कपड़े और खाना बांटने के लिए पैसा ले रहे हैं। जो भी सहायता करना चाहे वह कर सकता है।
इसके साथ ही उन्होंने एक रजिस्टर भी दिखाया जिसमें पहले से कुछ लोगों के पैसे देने की बात लिखी थी। रजिस्टर देखकर सामाजिक कार्यकर्ता आनंद जोशी ने भी दो हजार रुपए दे दिए, जिसके बाद उन्हें उनकी हरकतों पर शक हुआ और मामले की जानकारी पुलिस को दी।
सूचना मिलते ही वरिष्ठ निरीक्षक योगेश शिंदे के नेतृत्व में पुलिस टीम पहुंची और मौके पर सीसीटीवी फुटेज के आधार पर जालसाजों की पहचान की और कुछ ही घंटों में गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान मध्य प्रदेश निवासी दशरथ दीपनाथ व्यास (24) और राधेश्याम चौहान (38) के रूप में हुई है।
जांच के दौरान पुलिस को यह भी पता चला कि आरोपी व्यास पर मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन में भी धोखाधड़ी का एक मामला दर्ज है। पुलिस ने दोनों आरोपियों के पास से ठगी में इस्तेमाल की गई मोटरसाइकिल और कपड़े भी जब्त कर लिए हैं।
पुलिस इन जालसाजों से पूछताछ कर इनके गिरोह का पता लगाने में लगी है कि अभी इनके साथ के कितने लोग शहर में घूम-घूम कर इस तरह का काम कर रहे हैं। इसके लिए पुलिस एक टीम का भी गठन कर रही है।
पुलिस ने लोगों से अपील की है कि अगर इस तरह के कोई भी लोग किसी के पास आएं या दिखाई दें तो इसकी सूचना तुरंत पुलिस को दी जाए, जिससे इनको पकड़ा जा सके।
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