राजनीति
कन्हैया कुमार हुए कांग्रेस में शामिल, कहा, लोकतंत्र को बचाना है

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता कन्हैया कुमार और गुजरात से दलित नेता विधायक जिग्नेश मेवाणी मंगलवार को कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और बिहार प्रभारी भक्त चरणदास ने दोनों नेताओं को कांग्रेस का पट्टा पहना कर पार्टी में शामिल करवाया।
पार्टी में शामिल होने से पहले दोनों नेताओं ने कांग्रेस मुख्यालय में राहुल गांधी से करीब 30 मिनट मुलाकात की। इस दौरान कन्हैया कुमार ने कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता का पर्चा भरा और कन्हैया ने गांधी-अम्बेडकर और भगत सिंह की एक फोटो राहुल गांधी को भेंट की।
कन्हैया ने कांग्रेस में शामिल होने के बाद कहा, शहीद-ए-आजम भगतसिंह को मैं नमन करता हूं। कुछ लोग इस देश की संस्कृति और चरित्र को खत्म करना चाहते हैं। बस्ती में जब आग लग जाती है तो बेडरूम को नहीं बचाया जा सकता है। इस देश की सबसे लोकतांत्रिक पार्टी में शामिल होना चाहता हूं। इस देश के इतिहास को कांग्रेस पार्टी अपने में समेटे हुए है।
कन्हैया ने कहा, मैं जहां पैदा हुआ, जहां पला-बढ़ा उस पार्टी ने मुझे पढ़ाया है, इस काबिल बनाया है। कांग्रेस पार्टी एक बड़ा जहाज है, कांग्रेस पार्टी बचेगी तो भगतसिंह के सपने बचेंगे।
उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने पर कहा, संघ परिवार- जो परिवार छोड़कर बनने वाले परिवार हैं, उससे अलग मैं कांग्रेस परिवार में शामिल हुआ हूं। मैं पार्टी को बचाने नहीं आया हूं, लोकतंत्र को बचाने के लिए जो भी पार्टी काम करेगी, मैं उसके साथ काम करूंगा।
कन्हैया ने कहा, मैं जेएनयू के चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ लड़ा था। व्यक्ति आते हैं और जाते हैं संगठन से बड़ा नहीं होता। लेकिन जिस तरह से लेफ्ट पार्टी लड़ रही हैं, उसे स्पीड को बढ़ाना चाहिये।
वहीं जिग्नेश ने कहा, जो कहानी गुजरात से शुरू हुई, उस कहानी ने देशभर में जबरदस्त उत्पात मचाया। अंदर से मुझे यही आता है कि मुझे इस विचार से जुड़ना चाहिये। हालांकि टेक्निकली मैं इस पार्टी में शामिल नहीं हो सकता क्योंकि मैं एक निर्दलीय विधायक हूं, लोकतंत्र को बचाने के लिए हम साथ मिलकर लड़ेंगे। हजारों लाखों युवाओं को साथ में जोड़ेंगे। कांग्रेस के साथ जोड़ने का काम करेंगे।
रणदीप सुरजेवाला ने कहा, आज कांग्रेस पार्टी के लिये एक विशेष दिन है। कन्हैया और मेवाणी ने लगातार मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाई। मोदी सरकार के खिलाफ ये एक और एक ग्यारह बन कर काम करेंगे।
इस मौके पर कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा, देश में इन दोनों युवकों ने बेहद क्रीन्तिकारी अंदाज में काम किया। कांग्रेस पार्टी जिग्नेश और कन्हैया का तहे दिल से स्वागत करती है। इन नेताओं की विचारधारा कांग्रेस पार्टी और देश की युवा पीढ़ी को ऊर्जावान बनाएगी।
वहीं बिहार प्रभारी भक्त चरण दास ने कहा, शहीद भगत सिंह की जयंती पर राहुल गांधी के साथ दोनों नेताओं ने उन्हें माल्यार्पण किया। कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवाणी ने राहुल गांधी से कई बार मुलाकात की। उम्मीद है कि दोनों नेता कांग्रेस के साथ एक मजबूत कड़ी की तरह काम करेंगे। बिहार की धरती कन्हैया का इंतजार कर रही है।
गौरतलब है कि अगले साल 2022 में पांच राज्यों में चुनाव है। शुरूआत में यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा, मणिपुर में विधानसभा चुनाव होने हैं और फिर साल के अंत में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव हैं। ऐसे में कांग्रेस पार्टी को कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवाणी के शामिल होने से चुनाव प्रचार में काफी फायदा मिल सकता है।
जिग्नेश मेवाणी गुजरात में दलित आंदोलन का चेहरा रहे हैं। राजनीति में आने से पहले वह पत्रकार, वकील और दलित एक्टिविस्ट के तौर पर काम करते रहे हैं। वे अक्सर प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों की आलोचना करते रहे हैं।
वहीं छात्र आंदोलन से निकले कन्हैया ने बिहार लोकसभा चुनाव में बेगूसराय से चुनाव भी लड़ा था लेकिन बीजेपी के कद्दावर नेता गिरिराज सिंह से हार गए थे। हालांकि, कन्हैया ने अपने चुनाव प्रचार के दौरन पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींच लिया था।
महाराष्ट्र
नवी मुंबई हादसा: महापे में हाइड्रा क्रेन के कुचलने से ट्रैफिक पुलिसकर्मी की मौत

CRIME
नवी मुंबई: 24 जुलाई की दोपहर एक दुखद घटना घटी, जहाँ महापे सर्कल पर काम कर रहे 42 वर्षीय एक ट्रैफिक कांस्टेबल को हाइड्रा क्रेन ने टक्कर मार दी और वह उसके अगले पहिये के नीचे आ गया, जिससे उसकी मौत हो गई। यह घटना गुरुवार दोपहर की है। डीसीपी (ट्रैफिक) तिरुपति काकड़े ने बताया कि दिवंगत ट्रैफिक कांस्टेबल गणेश पाटिल महापे ट्रैफिक यूनिट में तैनात थे।
गुरुवार को, पाटिल और उनके सहयोगियों को महापे सर्कल में भारी ट्रैफिक जाम के कारण वाहनों के आवागमन को नियंत्रित करने के लिए तैनात किया गया था। मिडिया रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा प्रतीत होता है कि हाइड्रा क्रेन का मुख्य हुक ब्लॉक ड्राइवर की सीट के सामने खड़े पाटिल से टकराया, जिससे वह गिरकर चलती क्रेन के अगले पहिये के नीचे आ गए। फिर भी, हम सीसीटीवी रिकॉर्डिंग की जाँच करके इसकी पुष्टि करेंगे।
इससे पहले, वडगांव मावल पुलिस स्टेशन के 41 वर्षीय हेड कांस्टेबल मिथुन वसंत धेंडे की वडगांव फाटा के पास पुराने पुणे-मुंबई हाईवे पर एक तेज़ रफ़्तार ट्रक की चपेट में आने से मौत हो गई थी। पुलिस कार्रवाई के बाद ट्रक चालक रेहान इसब खान (24) और उसके सहायक उमर दीन मोहम्मद (19) को गिरफ्तार कर लिया गया। यह घटना रात करीब 9:35 बजे हुई जब ट्रक लापरवाही से चलाया जा रहा था, जिसके बाद कई राहगीरों ने अलर्ट जारी किया।
ट्रक को रोकने के बाद, वह पहले तो रुका, लेकिन जब धेंडे उसके पास पहुँचा, तो ड्राइवर ने गाड़ी तेज़ कर दी और उसे टक्कर मार दी। धेंडे की मौके पर ही मौत हो गई। महालुंगे में तलाशी अभियान के बाद गिरफ्तारियाँ हुईं और ट्रक ज़ब्त कर लिया गया। दोनों संदिग्धों पर हत्या का आरोप है। पुलिस ने धेंडे के परिवार के लिए अनुग्रह राशि और सरकारी नौकरी की व्यवस्था करने की पुष्टि की है। धेंडे इस दुखद क्षति के कारण अपने पीछे एक शोकाकुल परिवार छोड़ गए हैं।
महाराष्ट्र
महायोति मंत्रिमंडल में फेरबदल, विवादित मंत्रियों की कुर्सी खतरे में

मुंबई: महाराष्ट्र महायोति सरकार के मंत्रिमंडल में फेरबदल की संभावना अब स्पष्ट हो गई है। संजय गायकवाड़ द्वारा एमएएल छात्रावास में एक कर्मचारी पर की गई हिंसा, गोपीचंद्र पडलकर और जितेंद्र अहवत के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प और कृषि मंत्री कोकाटे द्वारा विधानसभा में जंगली रमी खेलने का वीडियो वायरल होने के बाद, कई मंत्रियों को आराम देने की योजना पर भी विचार किया जा रहा है। ऐसे में कई विवादास्पद मंत्रियों के विभाग छीने जाने की अटकलें शुरू हो गई हैं। महायोति में अजित पवार, राकांपा, शिंदे सेना और भाजपा के मंत्री शामिल हैं। ऐसे में कई मंत्रियों के खिलाफ जांच और उनके विवादास्पद बयानों से जनता के बीच सरकार की छवि धूमिल हुई है। इसे देखते हुए, महायोति मंत्रिमंडल में फेरबदल और बदलाव की संभावना अब स्पष्ट हो गई है। 100 दिनों में मंत्रियों के कामकाज का निरीक्षण और ऑडिट करने के बाद कई मंत्रियों को आराम देने की योजना है। कोकाटे पर लगे आरोपों के बाद अब एनसीपी अजित पवार गुट के धर्मराव उतरम को मंत्रालय दिए जाने की चर्चा और अफवाहें हैं। कई नए चेहरों को भी मंत्रालय में शामिल किए जाने की संभावना है।
कोकाटे ने उतरम की आलोचना करते हुए कहा है कि मेरे पास 30 से 35 साल का अनुभव है, मैंने कई मंत्रालय संभाले हैं, मुझे पता है कि लोगों से अच्छे संबंध कैसे बनाए रखने हैं। उन्होंने कहा कि मंत्रालय मिलने के बाद पाबंदियाँ लगती हैं और उसी के अनुसार विचार-विमर्श करना होता है और इन पाबंदियों का ध्यान रखना भी ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि उतरम के बारे में फैसला एनसीपी नेता अजित पवार लेंगे। स्थानीय निकाय चुनावों को देखते हुए महायोद्धा सरकार ने भी तैयारी शुरू कर दी है और अजित पवार अपने विदर्भ दौरे के दौरान उतरम के बारे में फैसला ले सकते हैं। विवादित मंत्रियों और माणिक राव कोकाटे की कुर्सी खतरे में है। स्थानीय निकाय चुनावों से पहले बदलाव तय है।
राष्ट्रीय समाचार
असम बुलडोजर एक्शन: सुप्रीम कोर्ट ने प्रमुख सचिव को जारी किया नोटिस

suprim court
नई दिल्ली, 24 जुलाई। सुप्रीम कोर्ट ने असम के हसीला बीला गांव में हुई ‘बुलडोजर कार्रवाई’ पर राज्य के प्रमुख सचिव को अवमानना का नोटिस जारी किया है। प्रशासन की कार्रवाई के खिलाफ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई की।
याचिकाकर्ताओं के वकील अदील अहमद ने बताया, “बिना नोटिस के प्रशासन ने बुलडोजर की कार्रवाई की थी। एक दिन की मोहलत भी नहीं दी गई। 650 से ज्यादा लोगों पर इसका असर पड़ा। इसी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई। नियमों का उल्लंघन हुआ है। चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विनोद चंद्रन की बेंच ने नोटिस जारी किया है।”
पूरा मामला असम के ग्वालपाड़ा जिले के हसीला बील गांव का है। यहां कथित तौर पर अवैध अतिक्रमण को लेकर कार्रवाई की गई थी। इसके बाद बुलडोजर एक्शन से प्रभावित लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना की याचिका दायर की।
याचिका में आरोप लगाया गया कि असम सरकार की कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के 13 नवंबर 2024 के आदेशों की अवहेलना है। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी, “पिछले 60 सालों से वो लोग हसीला बील इलाके में रह रहे हैं। वे विस्थापित लोग हैं, जिनके पूर्वज ब्रह्मपुत्र नदी के कटाव से अपनी जमीन खो चुके थे।”
प्रशासन ने 13 जून 2025 को बेदखली का नोटिस जारी किया और 15 जून तक घर खाली करने को कहा। याचिका में आरोप लगाया गया है कि बिना व्यक्तिगत नोटिस, सुनवाई या वैकल्पिक व्यवस्था दिए 667 परिवारों के घर और 5 स्कूल तोड़ दिए गए। याचिका में कहा गया कि स्कूलों को तोड़कर बच्चों के शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन किया गया। सरकार की तरफ से कोई पुनर्वास, मुआवजा या अस्थायी राहत भी नहीं दी गई।
याचिकाकर्ताओं ने अपील की थी कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। पीड़ित परिवारों के लिए मुआवजा, पुनर्वास और स्कूलों के पुनर्निर्माण का निर्देश दिया जाए।
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