राष्ट्रीय समाचार
एलओसी पर घुसपैठ की कोशिश नाकाम, एक आतंकी ढेर

सेना ने शनिवार को जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर दिया, जिसमें एक आतंकवादी मारा गया। रक्षा सूत्रों ने यह जानकारी दी है। सूत्रों ने बताया कि नौशेरा सेक्टर के कलाल इलाके में आतंकवादियों ने भारतीय सीमा में घुसपैठ का प्रयास किया।
उन्होंने कहा, “सेना के सतर्क जवानों ने घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर दिया। इस अभियान में एक आतंकवादी मारा गया है। अभियान अभी भी जारी है।”
राजनीति
मानसून सत्र : लोकसभा में हंगामे के बीच 12 बजे तक कार्यवाही स्थगित

LOCKSABHA
नई दिल्ली, 28 जुलाई। संसद के मॉनसून सत्र का पहला सप्ताह हंगामे की भेंट चढ़ने के बाद सोमवार को भी लोकसभा में विपक्षी सांसदों के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही को दोपहर 12 बजे तक स्थगित करना पड़ा। बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर विपक्ष के तीखे विरोध ने सत्र को फिर से बाधित कर दिया।
सुबह 11 बजे जैसे ही लोकसभा की कार्यवाही शुरू हुई, विपक्षी सांसदों ने बिहार में एसआईआर (एसआईआर) से जुड़ी प्रक्रिया को लेकर नारेबाजी शुरू कर दी। विपक्ष का कहना है कि इस प्रक्रिया की वजह से बहुत सारे लोग वोट देने से वंचित हो सकते हैं। सदन को शांत कराने की कोशिश करते हुए स्पीकर ओम बिरला ने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से कहा कि हंगामा करने वालों को समझाइए कि इन्हें सदन में पर्चे फेंकने और तख्तियां लाने के लिए नहीं भेजा गया है।
बता दें कि मॉनसून सत्र के शुरुआती हफ्ते में कई बार सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद सोमवार को लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा होनी थी। जानकारी के अनुसार, लोकसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत की सैन्य कार्रवाई ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की शुरुआत करने वाले थे। यह 16 घंटे की महत्वपूर्ण बहस होगी, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी शामिल होंगे। वे पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के व्यापक प्रभावों पर सरकार का पक्ष रखेंगे। अनुराग ठाकुर और निशिकांत दुबे सहित भाजपा के प्रमुख सांसद भी इस बहस में हिस्सा लेंगे।
विपक्ष की ओर से कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और कई अन्य नेताओं के भी इस बैठक में भाग लेने की उम्मीद है। कांग्रेस पार्टी की ओर से एक व्हिप जारी कर अपने सभी लोकसभा सांसदों को अगले तीन दिनों तक सदन में उपस्थित रहने का निर्देश दिया है।
मानसून सत्र की शुरुआत हंगामेदार रही, क्योंकि विपक्ष ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) और अन्य मुद्दों पर कार्यवाही बाधित की।
इसके बाद, 25 जुलाई को संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि विपक्ष ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर चर्चा शुरू करने के लिए सहमति जताई है, जो सोमवार को लोकसभा में और मंगलवार को राज्यसभा में होगी।
मनोरंजन
गूगल और मेटा को पेशी के लिए ईडी ने फिर भेजा समन, 21 जुलाई को नहीं पहुंचे थे इनके प्रतिनिधि

नई दिल्ली, 28 जुलाई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अवैध ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप्स को बढ़ावा देने के मामले में टेक दिग्गज गूगल और मेटा को दोबारा 21 जुलाई को समन भेजा था। इन दोनों टेक कंपनियों के प्रतिनिधियों को 28 जुलाई (सोमवार) को ईडी मुख्यालय में पूछताछ के लिए बुलाया गया है। इससे पहले इन दोनों टेक कंपनियों को 21 जुलाई को दिल्ली स्थित ईडी मुख्यालय में पूछताछ के लिए बुलाया गया था, लेकिन वे पेश नहीं हो पाए थे।
ऐसे में ईडी ने दोनों कंपनियों को दोबारा समन भेज कर 28 जुलाई को पेश होने के लिए कहा। बता दें कि ईडी की जांच उन ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप्स पर केंद्रित है जो कथित तौर पर अवैध जुए और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल हैं। इनमें महादेव बेटिंग ऐप और फेयरप्ले आईपीएल जैसे ऐप्स शामिल हैं।
ईडी का आरोप है कि गूगल और मेटा ने अपने प्लेटफॉर्म्स पर इन अवैध सट्टेबाजी ऐप्स को विज्ञापनों के जरिए बढ़ावा दिया और इनकी पहुंच को व्यापक बनाने में मदद की। जांच में पाया गया कि ये ऐप्स स्किल-बेस्ड गेमिंग के नाम पर अवैध सट्टेबाजी को बढ़ावा देते हैं। इन प्लेटफॉर्म्स के जरिए करोड़ों रुपये की अवैध कमाई की गई, जिसे हवाला चैनलों के माध्यम से छिपाया गया ताकि जांच से बचा जा सके।
ईडी ने इन ऐप्स के विज्ञापनों को गूगल और मेटा के प्लेटफॉर्म्स पर प्रमुखता से प्रदर्शित होने का आरोप लगाया है, जिससे इनके यूजर्स बढ़े।
10 जुलाई को ईडी ने इस मामले में 29 मशहूर हस्तियों के खिलाफ कार्रवाई की थी। इनमें अभिनेता विजय देवरकोंडा, राणा दग्गुबाती, प्रकाश राज, निधि अग्रवाल, प्रणिता सुभाष, मंचू लक्ष्मी और अनन्या नगेला शामिल थें। इसके अलावा, टीवी कलाकार, होस्ट और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स जैसे श्रीमुखी, श्यामला, वर्षिणी सौंदर्यराजन, वसंती कृष्णन, शोभा शेट्टी, अमृता चौधरी, नयनी पावनी, नेहा पठान, पांडु, पद्मावती, हर्षा साय और बय्या सनी यादव के नाम भी जांच में हैं।
इन पर जंगली रम्मी, ए23, जीतविन, परिमैच और लोटस365 जैसे प्लेटफॉर्म्स के प्रचार का आरोप है, जो मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल हैं। यह जांच पब्लिक गैंबलिंग एक्ट, 1867 और मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत हो रही है। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में दर्ज पांच एफआईआर के आधार पर ईडी ने यह कार्रवाई शुरू की।
मार्च में, साइबराबाद पुलिस ने भी विजय देवरकोंडा, राणा दग्गुबाती और प्रकाश राज सहित कई हस्तियों के खिलाफ अवैध सट्टेबाजी ऐप्स के प्रचार का मामला दर्ज किया था। हालांकि, इन हस्तियों ने सफाई दी कि वे किसी अवैध ऐप का प्रचार नहीं कर रहे थे। ईडी अब इन सभी मामलों की गहन जांच कर रहा है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तैयारी में है।
राजनीति
बिहार में एसआईआर प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

suprim court
नई दिल्ली, 28 जुलाई। सुप्रीम कोर्ट सोमवार को बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा।
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया ने राजनीतिक और कानूनी बहस छेड़ दी है। विपक्ष का आरोप है कि इससे कई वैध मतदाताओं को वोट देने के अधिकार से वंचित किया जा सकता है।
जस्टिस सूर्य कांत और जॉयमाल्या बागची की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी। याचिकाकर्ताओं ने मतदाता सूची संशोधन की समय और वैधता पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि चुनाव आयोग ने बिना पर्याप्त सुरक्षा उपायों या जनता को स्पष्ट जानकारी दिए व्यापक संशोधन प्रक्रिया शुरू की।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि मतदाता सूची की संशोधन प्रक्रिया से कई वैध मतदाताओं के नाम हट सकते हैं। उन्होंने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया कि यह प्रक्रिया जल्दबाजी और पारदर्शिता के बिना शुरू की गई है। उनका तर्क है कि इससे मतदाताओं की भागीदारी और चुनाव की निष्पक्षता पर गंभीर असर पड़ सकता है।
चुनाव आयोग ने अपनी सफाई में कहा है कि विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) मतदाता सूची को साफ करने के लिए एक वैध और जरूरी कदम है। आयोग के हलफनामे के अनुसार, इस प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के 1.5 लाख से अधिक बूथ-स्तरीय एजेंटों को शामिल किया गया था।
आयोग का कहना है कि इस संशोधन का उद्देश्य अयोग्य या डुप्लिकेट नामों को हटाना है।
इससे पहले, एक सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को सलाह दी थी कि वह मतदाता सत्यापन के लिए आधार कार्ड, राशन कार्ड या पहले जारी किए गए वोटर आईडी कार्ड को वैध दस्तावेज के रूप में स्वीकार करने पर विचार करें। हालांकि, चुनाव आयोग ने अपने जवाब में स्पष्ट किया है कि केवल इन दस्तावेजों के आधार पर किसी को मतदाता सूची में शामिल नहीं किया जा सकता, क्योंकि सत्यापन के लिए कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना जरूरी है।
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