अंतरराष्ट्रीय
ऑफ फील्ड विवादों के बीच दक्षिण अफ्रीका दौरा कोच द्रविड़ के लिए चुनौतीपूर्ण

भारतीय क्रिकेट ने पिछले कुछ महीनों में अहंकार, महत्वाकांक्षाएं, सत्ता संघर्ष और चौंकाने वाले खुलासे, यह सब देखा है। इस संकट की स्थिति में भारत के नए कोच ‘क्राइसिस मैन’ राहुल द्रविड़ के लिए दक्षिण अफ्रीका दौरा और ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो गया है।
दक्षिण अफ्रीका के दौरे से पहले अपने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कोहली ने बुधवार को कहा था कि जब उन्होंने बोर्ड को टी20 कप्तान के रूप में पद छोड़ने के अपने फैसले के बारे में सूचित किया था, तब उन्हें पद पर बने रहने के लिए नहीं कहा गया था। उन्होंने गांगुली के उस बयान का भी खंडन किया, जिसमें कहा गया था कि स्टार बल्लेबाज को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।
गांगुली ने कहा था कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से कोहली से बात की थी जब वह टी20 कप्तान के रूप में पद छोड़ने का फैसला कर रहे थे और उनसे काम जारी रखने का आग्रह किया, लेकिन स्टार बल्लेबाज ने पद छोड़ने का फैसला किया।
टी20 कप्तानी पर भारत के टेस्ट कप्तान विराट कोहली के चौंकाने वाले खुलासे के एक दिन बाद, बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने गुरुवार को कहा कि वह इस मामले में कोई अतिरिक्त टिप्पणी नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को बोर्ड द्वारा निपटा जाएगा।
गांगुली ने कोलकाता में मीडियाकर्मियों से कहा था, “मेरे पास कहने के लिए कुछ नहीं है। हम इससे उचित तरीके से निपटेंगे, इसे बीसीसीआई पर छोड़ दें।”
कप्तानी के मुद्दे ने बीसीसीआई अध्यक्ष और भारत के टेस्ट कप्तान के बीच विवाद उत्पन्न कर दिया और इसके शुरू होते ही सोशल मीडिया पर पिछले दो दिनों से हैशटैग विराट बनाम बीसीसीआई ट्रेंड कर रहा है।
उस प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले विराट और रोहित शर्मा के रिश्तों को लेकर विवाद होने की संभावना जताई जा रही थी और अब यह विवाद कोहली बनाम गांगुली हो गया है और इसके बीच भारतीय टीम भले ही सीरीज के लिए दक्षिण अफ्रीका पहुंच गई हो, लेकिन विवादों ने अभी पीछा नहीं छोड़ा है।
पिछले एक हफ्ते में सामने आए सभी ड्रामे के बाद, भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों ने राहुल द्रविड़ के लिए खेद महसूस किया है। लेकिन, भारतीय क्रिकेट की राजनीति उनके लिए नई नहीं है। वास्तव में, गांगुली-ग्रेग चैपल के विवाद के दौरान द्रविड़ क्राइसिस मैन में से एक थे।
और अब नए कोच के कंधों पर टीम इंडिया को सभी ऑफ-फील्ड विवादों से उबारने और खिलाड़ियों को प्रोटियाज के खिलाफ मैदान पर अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करने की बड़ी जिम्मेदारी है।
विराट कोहली के नेतृत्व वाले भारत का 2021 टी20 विश्व कप के पहले दो मैचों में खराब प्रदर्शन रहा था और वे मेगा-इवेंट के अगले दौर से ही बाहर हो गए थे। कई क्रिकेट विशेषज्ञों का मानना है कि एक असुरक्षित ड्रेसिंग रूम का माहौल उस टूर्नामेंट में भारत की हार के प्रमुख कारकों में से एक था।
उनके अनुसार, एक बार जब कोहली ने आयोजन शुरू होने से पहले अपनी टी20 कप्तानी छोड़ने का फैसला किया, तो खिलाड़ी किसी तरह अपने काम पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहे थे।
द्रविड़, जो हमेशा काम की नैतिकता में विश्वास करते हैं और अपने खेल के दिनों में एक टीम मैन थे। वह चाहते हैं कि उनके खिलाड़ी अन्य मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय काम पर फोकस करें।
हालांकि, चोटों, चयन मुद्दों और नाजुक बल्लेबाजी क्रम, कठिन खेल परिस्थितियों और दक्षिण अफ्रीका में कोविड-19 के डर के कारण प्रमुख खिलाड़ियों की अनुपलब्धता को देखते हुए ‘मिस्टर डिपेंडेबल’ के लिए यह एक आसान काम नहीं होगा।
भारत के गौरवशाली क्रिकेट इतिहास में दक्षिण अफ्रीका एकमात्र देश बना हुआ है जहां ‘मेन इन ब्लू’ ने अभी तक एक भी टेस्ट सीरीज नहीं जीती है। हां, मौजूदा प्रोटियाज क्रिकेट टीम कुछ अनुभवहीन है, लेकिन वे अपने घरेलू मैदान पर मजबूती से मुकाबला करेंगे।
विराट कोहली, चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे टेस्ट क्रिकेट में भारतीय बल्लेबाजी के स्तंभ हैं, लेकिन पिछले दो वर्षों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं। वहीं, कगिसो रबाडा और एनरिक नॉर्टजे इन अनुभवी पेशेवरों खिलाड़ियों को चुनौती देते नजर आएंगे।
यह देखना भी दिलचस्प होगा कि क्या कोहली और द्रविड़ की जोड़ी में संघर्ष कर रहे रहाणे और पुजारा को प्लेइंग इलेवन में शामिल करते हैं या नहीं, खासकर तब जब श्रेयस अय्यर और हनुमा विहारी ने मौका मिलने पर अच्छा प्रदर्शन किया हो।
भारत को रोहित शर्मा, शुभमन गिल और रवींद्र जडेजा की भी कमी खलेगी, जो चोटों के कारण टेस्ट सीरीज से बाहर हो गए हैं और उनकी अनुपस्थिति में नए खिलाड़ियों को उनकी जगह भर पाना आसान नहीं होगा।
लेकिन, 48 वर्षीय कोच की सबसे बड़ी चुनौती आंतरिक संघर्षों को सुलझाना होगा। उनके के लिए रेनबो नेशन में जीतने के लिए एक खुश कप्तान और टीम में सकारात्मक माहौल को बनाना जरूरी होगा।
द्रविड़ ‘द वॉल ऑफ इंडियन टीम’ को सभी अनिश्चितताओं और विवादों के बीच दक्षिण अफ्रीका में अपने खिलाड़ियों से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की उम्मीद होगी।
अंतरराष्ट्रीय
ईरान में फंसी भारतीय पर्वतारोही फल्गुनी डे वीजा संबंधी उलझन के कारण अस्तारा सीमा पर फंसी

कोलकाता: संघर्ष प्रभावित तेहरान से 500 किलोमीटर की जोखिम भरी सड़क यात्रा के बाद फंसे हुए भारतीय पर्यटक फल्गुनी डे मंगलवार शाम को अजरबैजान से लगती ईरान की अस्तारा सीमा पर पहुंच गए, लेकिन उनकी परेशानी अभी खत्म नहीं हुई है।
डे अब अज़रबैजान पार करने और बाकू पहुंचने के लिए आवश्यक जटिल कागजी कार्रवाई के जाल में फंस गए हैं, जहां से वह घर लौटने की योजना बना रहे हैं।
डे ने पीटीआई को एक वॉयस मैसेज के जरिए बताया, “मैं इस यात्रा के जरिए तेहरान में बमों से बचने में कामयाब हो गया, लेकिन अब मैं ईरान की अस्तारा सीमा पर फंस गया हूं, क्योंकि अजरबैजान के अधिकारी मुझे उस सरकार द्वारा जारी विशेष माइग्रेशन कोड के बिना अपने देश में स्वीकार नहीं करेंगे और मेरा ई-वीजा काम नहीं करेगा।”
कोलकाता के इस कॉलेज प्रोफेसर ने कहा, “मेरे लाख समझाने के बावजूद मुझे बताया गया कि उस कोड को आने में कम से कम एक पखवाड़ा और लगेगा, और मुझे नहीं पता कि मैं ईरान में इतने लंबे समय तक कैसे जीवित रह पाऊंगा।”
वास्तविकता में इसका मतलब यह है कि उत्तर-पूर्वी ईरान में कैस्पियन सागर के पास अस्तारा से बाकू में एक होटल के कमरे की सुरक्षा तक 300 किलोमीटर की अतिरिक्त यात्रा अब डे के लिए एक दूर का सपना बनकर रह गई है।
पीटीआई ने मंगलवार को डे की दुर्दशा के बारे में रिपोर्ट की थी। डे भी एक शौकिया पर्वतारोही हैं। वे माउंट दामावंद के ज्वालामुखी शिखर पर चढ़ने के लिए 5 जून को तेहरान पहुंचे थे। वे इजरायली मिसाइलों के कारण 17 जून तक तेहरान में फंसे रहे। इसके बाद उन्होंने सड़क मार्ग से शहर से भागने और अजरबैजान सीमा तक पहुंचने का हताश प्रयास किया।
डे ने लगभग रोते हुए कहा, “मैं इस समय शारीरिक और भावनात्मक रूप से पूरी तरह से थक चुका हूँ। इसके अलावा, मैं पैसों की भारी कमी से जूझ रहा हूँ और घर पहुँचने की अनिश्चितता मुझे परेशान कर रही है। मुझे सुरक्षित निकालने के लिए मेरे सारे प्रयास और मेरे परिवार और दोस्तों द्वारा खर्च किया गया पैसा बेकार हो गया है।”
डे ने बताया कि कोलकाता से उनके परिवार द्वारा बाकू में होटल की बुकिंग की गई थी, जहां डे को बुधवार सुबह पहुंचना था, लेकिन सीमा चौकी पर जटिलताओं के कारण उन्हें सीमा पार नहीं कर पाने के कारण बुकिंग रद्द करनी पड़ी।
उन्होंने कहा, “यहां तक कि बाकू से मुंबई जाने वाली उड़ान, जिसके लिए मैंने टिकट बुक किया था, भी चारों ओर व्याप्त अनिश्चितताओं के कारण रद्द कर दी गई है।”
डे ने कहा, “तेहरान में किसी ने मुझे नहीं बताया कि मेरा ई-वीज़ा ज़मीन के रास्ते अज़रबैजान जाने के लिए पर्याप्त नहीं है और मुझे इस विशेष प्रवासन पास कोड की भी ज़रूरत है, ख़ास तौर पर इस तरह की युद्ध स्थिति में। मैंने उस कोड के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू करने में कोई समय बर्बाद नहीं किया, लेकिन अधिकारियों ने मुझे ई-मेल के ज़रिए जवाब दिया कि इस प्रक्रिया को पूरा होने में कम से कम 15 दिन लगेंगे।”
उन्होंने आगे कहा, “मैं ऐसी जगह पर इतना लंबा इंतजार कैसे कर सकता हूं? यहां विदेशियों की लंबी कतार है और उनके पास हर तरह के वीजा हैं। मैं उन्हें अपने-अपने वतन लौटने के लिए सीमा पार करते हुए देख सकता हूं। लेकिन मेरे जैसे भारतीयों को बताया गया है कि सीमा पार करने के लिए हमारे पास माइग्रेशन कोड होना अनिवार्य है।”
हालांकि, डे पर मंडरा रहे इस काले बादल के बीच अच्छी बात यह है कि उन्हें अपने देश में मित्रों और परिवार के सदस्यों तथा इस सुदूर देश में अजनबियों से भी निरंतर समर्थन मिल रहा है।
डे ने कहा, “कलकत्ता विश्वविद्यालय की कुलपति सांता दत्ता लगातार मेरे संपर्क में हैं। वह दूतावास से संपर्क करने और मेरे सुरक्षित बाहर निकलने के लिए अधिकारियों से संपर्क करने में मेरी मदद कर रही हैं। पर्वतारोही देबाशीष बिस्वास भी ऐसा ही कर रहे हैं। तेहरान में भारतीय दूतावास की सांस्कृतिक शाखा के एक वरिष्ठ अधिकारी बलराम शुक्ला भी मेरी मदद कर रहे हैं।”
उन्होंने पीटीआई को बताया कि तेहरान और बाकू दोनों स्थानों पर दूतावास के अधिकारी ईरान में फंसे भारतीयों की मदद के लिए युद्ध स्तर पर मिलकर काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “दूतावासों ने अब मेरे दस्तावेज अज़रबैजानी अधिकारियों को भेज दिए हैं ताकि मैं इस देश से बाहर निकल सकूं, क्योंकि मैं अभी भी विशेष स्थिति में फंसा हुआ हूं।”
डे ने बताया कि जिस कार से वे तेहरान से अस्तारा जा रहे थे, उसे भोजन, शौचालय और ईंधन भरने के लिए कई बार रुकना पड़ा।
डे ने कहा, “ईरान में फिलहाल कार ईंधन की सीमा तय है। एक निर्धारित सीमा से अधिक ईंधन भरना संभव नहीं है। इसलिए हमें ईंधन भरने के लिए कई बार रुकना पड़ा।”
हालांकि, परेशान पर्यटक ने अपनी स्थानीय ट्रैवल एजेंसी के ड्राइवर दम्पति के प्रति गहरा आभार व्यक्त किया, जो उसकी सुरक्षा का ख्याल रखने के लिए अस्तारा सीमा टर्मिनल तक उसके साथ आए, उसे भावनात्मक समर्थन दिया और यहां तक कि उसके लिए फल और चाय भी लाये।
वर्तमान अनिश्चितता को देखते हुए डे ने कहा कि अब वह अर्मेनिया सीमा तक आठ घंटे की अतिरिक्त यात्रा करने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं, ताकि वहां जाने के लिए अपनी किस्मत आजमा सकें।
इस बीच, डे को अपने शुभचिंतकों की प्रार्थनाओं पर ही भरोसा है।
अंतरराष्ट्रीय
जी-7 के लिए कनाडा की यात्रा का समापन, प्रधानमंत्री मोदी क्रोएशिया के लिए रवाना हुए

कनानास्किस, 18 जून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कनाडा दौरा सफल रहा है। अब पीएम मोदी अपनी तीन देशों की यात्रा के अंतिम पड़ाव में क्रोएशिया के लिए रवाना हो गए हैं। इसके पहले उन्होंने कनाडा के लोगों और सरकार को जी7 शिखर सम्मेलन की सफल मेजबानी के लिए धन्यवाद दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को जी-7 सम्मेलन में भाग लेने के लिए कनाडा की अपनी सफल यात्रा पूरी की। प्रधानमंत्री मोदी विशेष आमंत्रण पर कनाडा में आयोजित जी7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने गए। उन्होंने जी-7 शिखर सम्मेलन में वैश्विक नेताओं के साथ कई उच्च स्तरीय बैठकें की। पीएम मोदी की जी-7 शिखर सम्मेलन में लगातार ये छठी भागीदारी रही।
कनाडा दौरे को लेकर पीएम मोदी ने एक पोस्ट में लिखा, “कनाडा की एक सफल यात्रा का समापन। कनाडा के लोगों और सरकार को जी7 शिखर सम्मेलन की सफल मेजबानी के लिए धन्यवाद, जिसमें विविध वैश्विक मुद्दों पर सार्थक चर्चा हुई। हम वैश्विक शांति, समृद्धि और स्थिरता को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
पीएम मोदी ने अपनी यात्रा के दौरान जिन मुद्दों पर चर्चा की, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने उनके बारे में जानकारी दी। रणधीर जायसवाल ने “एक्स” पर लिखा, “प्रधानमंत्री मोदी ने कनाडा की अपनी बहुत ही सफल यात्रा पूरी की। जी7 शिखर सम्मेलन में ऊर्जा सुरक्षा, प्रौद्योगिकी और नवाचार जैसे वैश्विक संदर्भ में महत्वपूर्ण मुद्दों पर सार्थक बातचीत की। कई नेताओं से मुलाकात की और द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की।”
पीएम मोदी फिलहाल क्रोएशिया की आधिकारिक यात्रा के लिए रवाना हो चुके हैं। क्रोएशिया के प्रधानमंत्री आंद्रेज प्लेंकोविच के निमंत्रण पर पीएम मोदी इस यात्रा पर गए हैं। ये किसी भारतीय प्रधानमंत्री की क्रोएशिया की पहली यात्रा होगी, जो द्विपक्षीय संबंधों में महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी।
तय कार्यक्रम के मुताबिक, पीएम मोदी वहां प्रधानमंत्री प्लेंकोविच के साथ द्विपक्षीय चर्चा करेंगे और क्रोएशिया के राष्ट्रपति जोरान मिलनोविच से मिलेंगे। क्रोएशिया की ये यात्रा यूरोपीय संघ में भागीदारों के साथ संबंध को और मजबूत करने की भारत की प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है।
अंतरराष्ट्रीय
ईरानी हमले से इजरायल की सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी बंद

यरूशलम, 17 जून। ईरान के मिसाइल हमले के बाद इजरायल की सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी कंपनी बाजान ने घोषणा की है कि हाइफा बंदरगाह पर उसके सभी प्लांट्स पूरी तरह से बंद कर दिए गए हैं। इस हमले में रिफाइनरी को भारी नुकसान हुआ है।
सोमवार रात को हुए हमले में कंपनी के तीन कर्मचारी मारे गए, जिससे रणनीतिक परिसर में आग लग गई। मिडिया ने इजरायली दैनिक हारेत्ज के हवाले से बताया कि वीडियो फुटेज में आग की लपटें दिखाई दे रही हैं और अग्निशमन दल अभी भी आग बुझाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
कंपनी ने तेल अवीव स्टॉक एक्सचेंज को दी गई सूचना में कहा कि प्लांट्स में बिजली उत्पादन के लिए जिम्मेदार पावर स्टेशन को नुकसान पहुंचने के अलावा बाकी चीजें भी हमले में प्रभावित हुई हैं। इस स्तर पर, सभी रिफाइनरी और सहायक सुविधाएं बंद कर दी गई हैं।
बाजन ने कहा कि वे अभी भी क्षति की सीमा और परिचालन पर इसके प्रभाव का आकलन कर रहे हैं, साथ ही स्थिति से निपटने के सर्वोत्तम तरीके पर भी विचार कर रहे हैं।
ईरानी हमला इस्लामिक रिपब्लिक और इजरायल के बीच चार दिनों से चल रहे घातक हवाई युद्ध के बीच हुआ है, जिसमें ईरान में कम से कम 244 और इजरायल में 24 लोगों की जान चली गई है। शुक्रवार को इजरायल की ओर से ईरान पर अचानक किए गए हवाई हमलों के बाद इस क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है।
इजरायली अधिकारियों ने बताया कि ईरान ने सोमवार को सुबह से पहले इजराइल पर मिसाइल से नया हमला किया, जिसमें कम से कम आठ लोग मारे गए और दर्जनों घायल हो गए। इजरायली हमले से शुरू हुआ चार दिवसीय संघर्ष और भी तेज हो गया है।
मिसाइल हमले से पूरे इजरायल में हवाई हमले के सायरन बजने लगे। उत्तरी इजरायल के एक प्रमुख तटीय शहर हाइफ़ा के ऊपर काले धुएं का गुबार उठ रहा था और प्रत्यक्षदर्शियों ने देश के उत्तरी और मध्य क्षेत्रों में कई विस्फोटों की सूचना दी।
स्थानीय अधिकारियों ने कई स्थानों पर मौतों की पुष्टि की है। मेयर रामी ग्रीनबर्ग के अनुसार, तेल अवीव के पूर्व में स्थित शहर पेटाह टिकवा में एक रिहायशी इमारत पर मिसाइल गिरने से चार लोगों की मौत हो गई।
उन्होंने कहा कि क्षतिग्रस्त इमारत और तीन आस-पास की इमारतों से सैकड़ों निवासियों को निकाला गया। घटनास्थल से ली गई तस्वीरों में बहुमंजिला इमारतें दिखाई दे रही हैं, जिनमें विस्फोट से काफी नुकसान हुआ है और मलबा बिखरा हुआ है।
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