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Tuesday,28-October-2025
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हरे निशान में खुला भारतीय शेयर बाजार, पीएसयू बैंक शेयरों में तेजी

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मुंबई, 28 अक्टूबर: भारतीय शेयर बाजार मंगलवार के कारोबारी दिन हरे निशान में खुला। शुरुआती कारोबार में पीएसयू बैंक सेक्टर में बढ़त देखी जा रही थी, जो कि 1.01 प्रतिशत की तेजी के साथ कारोबार कर रहा था।

सुबह करीब 9 बजकर 35 मिनट पर सेंसेक्स 197.52अंक या 0.23 प्रतिशत की बढ़त के साथ 84,976.36 स्तर पर था। वहीं, निफ्टी 50 इंडेक्स 67.70 अंक या 0.26 प्रतिशत की तेजी के साथ 26,033.75 स्तर पर बना हुआ था।

वहीं, निफ्टी बैंक 0.06 प्रतिशत या 34.25 की बढ़त के साथ 58,148.50 पर कारोबार कर रहा था। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 0.07 प्रतिशत या 43.90 अंक की बढ़त के साथ 59,824.05 पर कारोबार कर रहा था और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 0.38 प्रतिशत या 70.60 अंक की बढ़त के साथ 18,473.65 पर कारोबार कर रहा था।

बाजार जानकारों के अनुसार, टेक्निकल फ्रंट पर निफ्टी 25,700–25,750 के अपने महत्वपूर्ण सपोर्ट जोन से ऊपर मजबूत बना हुआ है, जिससे साइडवेज-टू-बुलिश रुझान बना हुआ है। ऊपर की ओर रेजिस्टेंस 26,000–26,100 पर दिख रहा है और 26,000 से ऊपर की मूव रैली को 26,100–26,200 की ओर बढ़ा सकता है। जब तक इंडेक्स 25,750 से ऊपर बना रहता है, तब तक ट्रेंड पॉजिटिव रहेगा, जिसका मतलब है कि गिरावट पर खरीदारी का इंटरेस्ट बना रह सकता है।

इस बीच सेंसेक्स पैक में टाटा स्टील, एसबीआई, अदाणी पोर्ट्स और एलएंडटी टॉप गेनर्स थे। वहीं, आईसीआईसी बैंक, बजाज फाइनेंस और बजाज फिनसर्व टॉप लूजर्स थे।

उधर, एशियाई बाजार मिश्रित रूप से कारोबार कर रहे थे, जहां, बैंकॉक, सोल और जापान लाल निशान में कारोबार कर रहे थे। वहीं, जकार्ता, हांगकांग और चीन हरे निशान में कारोबार कर रहे थे।

अमेरिकी बाजार आखिरी कारोबारी दिन हरे निशान में तेजी के साथ बंद हुए। डाउ जोंस 0.71 प्रतिशत या 337.47 अंक की तेजी के साथ 47,544.59 पर बंद हुआ। वहीं, एसएंडपी 500 इंडेक्स 1.23 प्रतिशत या 83.47 अंक की बढ़त के साथ 6,875.16 स्तर पर और नैस्डेक 1.86 प्रतिशत या 432.59 अंक की बढ़त के बाद 23,637.46 स्तर पर बंद हुआ।

विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) 27 अक्टूबर को शुद्ध विक्रेता रहे और उन्होंने 55.58 करोड़ रुपए के भारतीय शेयर बेचे। वहीं, घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) इसी कारोबारी दिन शुद्ध खरीदार रहे और उन्होंने 2,492.12 करोड़ रुपए के शेयरों की खरीदारी की।

अंतरराष्ट्रीय समाचार

ट्रंप प्रशासन की नीतियों के बावजूद रिपब्लिकन और डेमोक्रेट सांसदों ने मिलकर किया भारत-अमेरिका संबंधों का समर्थन

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वाशिंगटन, 28 अक्टूबर: अमेरिका में रिपब्लिकन और डेमोक्रेट दोनों पार्टियों के सांसद मिलकर भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करने में जुट गए हैं। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जब कुछ महीने पहले ट्रंप प्रशासन ने भारत के हितों के खिलाफ कई नीतियां लागू की थीं। सांसदों का कहना है कि दोनों पार्टियों को मिलकर इस साझेदारी का समर्थन करना चाहिए और भारत-अमेरिका रिश्तों को मजबूत रखना चाहिए।

पिछले दस दिनों में कम से कम छह संयुक्त पत्र और प्रस्ताव तैयार किए गए हैं। इन पत्रों में भारतीय अमेरिकी समुदाय के हितों की सुरक्षा करने और भारत-अमेरिका के सहयोग को बनाए रखने पर जोर दिया गया है। इसके साथ ही ट्रंप प्रशासन से उन नीतियों के लिए जवाबदेही मांगी गई है।

पिछले हफ्ते अमेरिकी सांसदों ने रटगर्स यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम हिंदुओं के खिलाफ गलत धारणाओं और पूर्वाग्रह को बढ़ावा दे सकता है, खासकर तब जब अमेरिका में हिंदू मंदिरों पर हमले की घटनाएं बढ़ रही हैं।

इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में जॉर्जिया से डेमोक्रेट सैनफोर्ड बिशप, इलिनॉय से श्री थानेदार, वर्जीनिया से सुहास सुब्रमण्यम और जॉर्जिया से रिपब्लिकन रिच मैककॉर्मिक शामिल थे।

इसके दो दिन पहले छह सांसदों ने राष्ट्रपति ट्रंप और वाणिज्य सचिव हावर्ड लुटनिक को पत्र लिखा। इसमें उन्होंने एच-1बी वीजा नियमों को लेकर अपनी चिंता जताई।

पत्र में कहा गया कि यह नई नीतियां अमेरिकी नियोक्ताओं के लिए मुश्किलें बढ़ाएंगी और अमेरिका की वैश्विक प्रतिस्पर्धा को कमजोर करेंगी।

इस पत्र पर डेमोक्रेट सुहास सुब्रमण्यम और रिपब्लिकन सांसद जॉय ओबरनोल्टे और डॉन बेकन समेत अन्य सांसदों ने भी हस्ताक्षर किए।

17 अक्टूबर को चार अमेरिकी सांसदों ने राष्ट्रपति ट्रंप को पत्र लिखा और भारत में होने वाले क्वाड लीडर्स समिट और एशिया की अन्य बैठकों में हिस्सा लेने का आग्रह किया।

उसी दिन, प्रतिनिधि सभा में एक संयुक्त प्रस्ताव भी पेश किया गया। इसमें भारतीय अमेरिकी समुदाय के अमेरिका में योगदान को मान्यता देने और भारतीय अमेरिकियों के खिलाफ नस्लीय हमलों की निंदा करने की बात कही गई।

इस प्रस्ताव में भारत-अमेरिका के रिश्ते को दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक साझेदारियों में से एक बताया गया।

यह कदम पिछले दिनों 19 डेमोक्रेट सांसदों के पत्र से अलग था, जिसमें उन्होंने ट्रंप को भारत-अमेरिका संबंधों को सुधारने और फिर से मजबूत करने की सलाह दी थी। उस समय कोई रिपब्लिकन सांसद इसमें शामिल नहीं हुआ था।

डेमोक्रेट और रिपब्लिकन दोनों पार्टियों के नेताओं को आलोचना का सामना करना पड़ा, क्योंकि उन्होंने लंबे समय तक चुप्पी बनाए रखी थी। ट्रंप प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी जैसे ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो और वाणिज्य सचिव हावर्ड लुटनिक लगातार भारत के खिलाफ नीतियां बना रहे थे। ये नीतियां भारत के रूस से तेल खरीदने और व्यापार संतुलन को लेकर थीं।

अगस्त में ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाए। इसमें रूस से तेल आयात पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क भी शामिल था।

इसके बाद सितंबर में ट्रंप ने एच-1बी वीजा नियम में बदलाव किया और इसके लिए 100,000 डॉलर का आवेदन शुल्क लगाया। 2024 में एच-1बी वीजा पाने वाले 70 प्रतिशत से अधिक लोग भारतीय थे, जिससे भारत के हित सीधे प्रभावित हुए।

कुछ डेमोक्रेट सांसदों ने इस पर सार्वजनिक विरोध किया, लेकिन रिपब्लिकन सांसदों ने हाल तक चुप्पी बनाए रखी। अक्टूबर की शुरुआत में डेमोक्रेट सांसद अमी बेरा ने मिडिया से कहा कि कुछ रिपब्लिकन सांसद सिर्फ इसलिए चुप हैं क्योंकि वे राष्ट्रपति ट्रंप से डरते हैं। उन्होंने कहा कि सांसदों को भारत-अमेरिका संबंधों का समर्थन करने के लिए आगे आना चाहिए।

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व्यापार

सितंबर 2025 में स्मार्टफोन एक्सपोर्ट ने बनाया नया रिकॉर्ड, इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में रोजगार के बढ़ेंगे अवसर : अश्विनी वैष्णव

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नई दिल्ली, 28 अक्टूबर: केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को कहा कि भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग के विकास से इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में जानकारी देते हुए कहा, “सितंबर 2025 में स्मार्टफोन एक्सपोर्ट ने 1.8 अरब डॉलर का नया रिकॉर्ड बनाया।”

उन्होंने आगे कहा कि भारत से निर्यात होने वाले सभी सामानों की लिस्ट में इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम अब तीसरे स्थान पर हैं। भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग के बढ़ने से इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में ग्रोथ से हजारों नई नौकरियां पैदा होंगी।

इंडिया सेलुलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन की हालिया रिपोर्ट में जानकारी दी गई थी कि भारत का स्मार्टफोन निर्यात बीते वर्ष की समान अवधि की तुलना में 95 प्रतिशत बढ़कर 1.8 अरब डॉलर को पार कर गया है।

आईसीईए के चेयरमैन पंकज मोहिंद्रू ने निर्यात में हो रही इस लगातार बढ़ोतरी को लेकर कहा था कि यह प्रदर्शन दिखाता है कि भारत के मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम की नींव मजबूत हो रही है।

इससे पहले, केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने इलेक्ट्रॉनिक्स घटक विनिर्माण योजना (ईसीएमएस) के तहत 5,532 करोड़ रुपए की 7 परियोजनाओं के पहले चरण की मंजूरी की घोषणा की। योजना के तहत 36,559 करोड़ रुपए मूल्य के कलपुर्जों का उत्पादन होगा और 5,100 से अधिक प्रत्यक्ष नौकरियां सृजित होंगी।

इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, अब मल्टी-लेयर प्रिंटेड सर्किट बोर्ड (पीसीबी), एचडीआई पीसीबी, कैमरा मॉड्यूल, कॉपर क्लैड लैमिनेट और पॉलीप्रोपाइलीन फिल्म्स भारत में ही बनाई जाएंगी।

ईसीएमएस को घरेलू और वैश्विक दोनों कंपनियों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। 1.15 लाख करोड़ रुपए के निवेश भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में अब तक की सबसे बड़ी निवेश प्रतिबद्धता है।

आज 5,532 करोड़ रुपये की सात परियोजनाओं को मंज़ूरी दी गई है। इन परियोजनाओं से 36,559 करोड़ रुपये मूल्य के कलपुर्जों का उत्पादन होगा और 5,100 से ज़्यादा प्रत्यक्ष नौकरियां सृजित होंगी।

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राष्ट्रीय समाचार

एलआईसी-अदाणी रिपोर्ट के समय पर विशेषज्ञों ने उठाए सवाल, कहा- बिहार चुनाव से पहले विवाद पैदा करने की कोशिश

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नई दिल्ली, 27 अक्टूबर: अदाणी ग्रुप में एलआईसी के निवेश को लेकर हाल ही में आई ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ की रिपोर्ट पर विशेषज्ञों ने सवाल उठाए हैं और कहा है कि यह आने वाले बिहार विधानसभा चुनाव से पहले विवाद पैदा करने की कोशिश है।

जानकारों ने आगे कहा कि यह रिपोर्ट राजनीतिक रूप से प्रेरित लगती है,क्योंकि यह ऐसे समय पर आई है, जब भारत की अर्थव्यवस्था तेज गति से आगे बढ़ रही है और बाजार में निवेशकों का विश्वास बढ़ रहा है।

इस मुद्दे पर कमेंट करते हुए, इनगवर्न रिसर्च सर्विसेज के संस्थापक और प्रबंध निदेशक श्रीराम सुब्रमण्यन ने मिडिया को बताया कि भारत की सबसे बड़ी बीमा कंपनी द्वारा निवेश निर्णयों का राजनीतिकरण निवेशकों या व्यापक अर्थव्यवस्था के हितों में नहीं है।

उन्होंने पूछा, “जब विदेशी निवेशक भारतीय कंपनियों में निवेश कर सकते हैं और मुनाफा कमा सकते हैं, तो एलआईसी ऐसा क्यों नहीं कर सकती?”

अमेरिकी मीडिया आउटलेट की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि सरकार ने एलआईसी पर अदाणी ग्रुप में 3.9 अरब डॉलर निवेश करने का दबाव बनाया, जिसमें मई 2025 में किया गया 568 मिलियन डॉलर (5,000 करोड़ रुपए) का भी निवेश शामिल है।

विशेषज्ञों का कहना है कि विदेशी निवेशक भारतीय इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनियों से लगातार लाभ कमा रहे हैं, इसलिए एलआईसी के निवेश पर सवाल उठाना तर्कसंगत नहीं लगता है और इसका उद्देश्य संभवतः घरेलू संस्थानों को कमजोर करना है।

राजनीतिक विश्लेषक तहसीन पूनावाला ने अदाणी ग्रुप को टारगेट करने के विदेशी नैरेटिव की आलोचना की। उन्होंने आगे कहा कि कुछ समय पहले इस तरह के हमले शॉर्ट-सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग की ओर से किए गए थे, जो बाद में आधारहीन साबित हुए।

उन्होंने मिडिया से बातचीत करते हुए कहा, “भारतीय कंपनियों को हिट एंड रन करने की विदेशी नीति, देश की अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचा सकती है।”

पूनावाला ने कहा कि एलआईसी 57 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्तियों को मैनेज करता है, जिसमें से 14.5 लाख करोड़ रुपए इक्विटी में लगे हुए हैं।

वहीं, अदाणी ग्रुप में एलआईसी का एक्सपोजर करीब 56,000 करोड़ रुपए का है, जो कि उसके कुल पोर्टफोलियो का 1 प्रतिशत से भी कम है।

उन्होंने आगे कहा कि अदाणी ग्रुप के निवेश से एलआईसी को अब तक केवल फायदा हुआ है।

एलआईसी ने पहले ही वाशिंगटन पोस्ट के लेख का आधिकारिक खंडन जारी कर दिया है और स्पष्ट रूप से इसे “झूठा, निराधार और सच्चाई से कोसों दूर” बताया है।

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