व्यापार
भारतीय शेयर बाजार सपाट खुला, मिडकैप और स्मॉलकैप में तेजी
मुंबई, 30 जनवरी। भारतीय शेयर बाजार गुरुवार के कारोबारी सत्र में सपाट खुला। बाजार के मुख्य सूचकांकों में मिलाजुला कारोबार हो रहा है। सुबह 9:26 पर सेंसेक्स 5 अंक की मामूली गिरावट के साथ 76,537 और निफ्टी 20 अंक की तेजी के साथ 23,183 पर था।
लार्जकैप की अपेक्षा मिडकैप और स्मॉलकैप में तेजी देखी जा रही है। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 120 अंक या 0.23 प्रतिशत की तेजी के साथ 52,838 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 36.20 अंक या 0.22 प्रतिशत की बढ़त के साथ 16,576 पर था।
ऑटो, आईटी और प्राइवेट बैंक इंडेक्स पर दबाव देखा जा रहा है। पीएसयू बैंक, फाइनेंशियल सर्विसेज, फार्मा, एफएमसीजी, मेटल, रियल्टी, मीडिया और एनर्जी इंडेक्स में तेजी बनी हुई है।
सेंसेक्स पैक में बजाज फाइनेंस, बजाज फिनसर्व, इंडसइंड बैंक, पावर ग्रिड, भारती एयरटेल, एनटीपीसी, कोटक महिंद्रा बैंक, मारुति सुजुकी, नेस्ले, एमएंडएम, टेक महिंद्रा, एलएंडटी, टाटा स्टील, एचसीएल टेक, एचडीएफसी बैंक और सनफार्मा टॉप गेनर्स थे।
वहीं, टाटा मोटर्स, जोमैटो, एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, टाइटन, एसबीआई, इन्फोसिस, अल्ट्राटेक सीमेंट और रिलायंस इंडस्ट्रीज टॉप लूजर्स थे।
चॉइस ब्रोकिंग का कहना है कि सपाट शुरुआत के बाद निफ्टी के लिए 23,050, फिर 22,950 और 22,800 एक अहम सपोर्ट होगा। वहीं, 23,250 एक अहम रुकावट का स्तर है। अगर यह ब्रेक होता है तो 23,400 और फिर 23,500 के भी स्तर देखने को मिल सकते हैं।
एशियाई बाजारों में मिलाजुला कारोबार हो रहा है। टोक्यो का बाजार हरे निशान में है। वहीं, बैंकॉक और जकार्ता के बाजारों में लाल निशान में कारोबार हो रहा है। बुधवार को अमेरिकी फेड रिजर्व के ब्याज दरों को स्थिर रखने के फैसले के बाद वहां के बाजारों में आधा प्रतिशत तक की गिरावट देखने को मिली।
कच्चे तेल भी सपाट बना हुआ है। डब्ल्यूटीआई क्रूड 72.62 डॉलर प्रति बैरल और ब्रेंट क्रूड 75.52 डॉलर प्रति बैरल पर है।
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बुधवार को 2,586 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची थी। घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने 1,792 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे थे।
व्यापार
भारतीय शेयर बाजार लाल निशान में बंद, सेंसेक्स 367 अंक फिसला

share market
मुंबई, 26 दिसंबर: भारतीय शेयर बाजार शुक्रवार के कारोबारी सत्र में लाल निशान में बंद हुआ। दिन के अंत में सेंसेक्स 367.25 अंक या 0.43 प्रतिशत की गिरावट के साथ 85,041.45 और निफ्टी 99.80 अंक या 0.38 प्रतिशत की गिरावट के साथ 26,042.30 पर था।
बाजार पर दबाव बनाने का काम आईटी शेयरों ने किया। निफ्टी आईटी इंडेक्स एक प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ। इसके अलावा, ऑटो, पीएसयू बैंक, फाइनेंशियल सर्विसेज, फार्मा, रियल्टी, एनर्जी, प्राइवेट बैंक, इन्फ्रा और कंजप्शन लाल निशान में बंद हुए। दूसरी तरफ एफएमसीजी, मेटल और कमोडिटीज हरे निशान में बंद हुए।
लार्जकैप के साथ मिडकैप और स्मॉलकैप में भी गिरावट देखी गई। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 136.90 अंक या 0.23 प्रतिशत की गिरावट के साथ 60,314.45 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 13.50 अंक की गिरावट के साथ 17,695.10 पर था।
सेंसेक्स पैक में टाइटन, एनटीपीसी, एचयूएल, एक्सिस बैंक और अल्ट्राटेक सीमेंट गेनर्स थे। बजाज फाइनेंस, एशियन पेंट्स, एचसीएल टेक, टीसीएस, इटरनल, टेक महिंद्रा, पावर ग्रिड, सन फार्मा, भारती एयरटेल, बजाज फिनसर्व, मारुति सुजुकी, आईटीसी, आईसीआईसीआई बैंक, टाटा स्टील, बीईएल, एमएंडएम और एचडीएफसी बैंक लूजर्स थे।
व्यापक बाजार में भी कमजोरी थी। चढ़ने वालों की अपेक्षा गिरने वाले शेयरों की संख्या अधिक थी।
बाजार के जानकारों ने कहा कि घरेलू इक्विटी बाजार गिरावट के साथ बंद हुआ। इसकी वजह साल के अंत में होने वाली कम ट्रेडिंग वॉल्यूम और हाल में आई तेजी के बाद मुनाफावसूली थी। बाजार पर विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली दबाव बना रही है। साथ ही, अमेरिका-भारत के बीच होने वाली ट्रेड डील का बढ़ता इंतजार भी अनिश्चितता पैदा कर रहा है।
भारतीय शेयर बाजार की शुरुआत लाल निशान में हुई थी। खबर लिखे जाने तक (करीब 9.20 बजे) 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 55 अंकों यानी 0.07 प्रतिशत की गिरावट के साथ 85,360 के स्तर पर कारोबार कर रहा था। तो वहीं एनएसई निफ्टी 12.60 अंकों यानी 0.05 प्रतिशत 26,126 के लेवल पर था।
व्यापार
क्रिसमस की छुट्टी के बाद सपाट खुला भारतीय शेयर बाजार, सेंसेक्स और निफ्टी में कारोबार सुस्त

मुंबई, 26 दिसंबर: सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन, शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार के प्रमुख बेंचमार्क सूचकांक मामूली गिरावट के साथ सपाट खुले। गुरुवार को क्रिसमस की छुट्टियों के चलते छोटा सप्ताह होने के कारण निवेशकों के लिए नए रुझान कम ही देखने को मिले।
शुरुआती सत्र में खबर लिखे जाने तक (करीब 9.20 बजे) 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 55 अंकों यानी 0.07 प्रतिशत की गिरावट के साथ 85,360 के स्तर पर कारोबार कर रहा था। तो वहीं एनएसई निफ्टी 12.60 अंकों यानी 0.05 प्रतिशत 26,126 के लेवल पर ट्रेड करता नजर आया।
इस दौरान बीईएल, कोल इंडिया, अदाणी इंटरप्राइजेज, आयशर मोटर, सिप्ला और टाइटन टॉप गेनर्स वाले शेयरों में शामिल थे, तो वहीं सन फार्मा, श्रीराम फाइनेंस, बजाज फाइनेंस, इटरनल और टाटा स्टील के शेयर टॉप लूजर्स शेयरों में शामिल रहे।
व्यापक बाजार में निफ्टी मिडकैप 0.21 प्रतिशत ऊपर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी स्मॉलकैप में 0.08 प्रतिशत की बढ़त दिखी।
सेक्टरवार देखें, तो निफ्टी कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, केमिकल्स और एफएमसीजी इंडेक्स सबसे ज्यादा मुनाफे वाले शेयरों में शामिल रहे, तो वहीं निफ्टी मीडिया (0.3 प्रतिशत की गिरावट) और निफ्टी प्राइवेट बैंक (0.2 प्रतिशत की गिरावट) सबसे ज्यादा नुकसान झेलने वाले क्षेत्र रहे।
बाजार के जानकारों का कहना है कि साल 2025 के खत्म होने में अब केवल चार ट्रेडिंग दिन बचे हैं। जो तेजी पहले सांता रैली जैसी लग रही थी, अब उसमें कमजोरी नजर आने लगी है। अमेरिका-भारत ट्रेड डील जैसे किसी नए बड़े संकेत (ट्रिगर) की कमी के कारण बाजार फिलहाल मौजूदा स्तरों के आसपास ही स्थिर (कंसॉलिडेट) रह सकता है।
एक्सपर्ट्स के अनुसार, अमेरिकी अर्थव्यवस्था ने 2025 की तीसरी तिमाही में 4.3 प्रतिशत की मजबूत जीडीपी ग्रोथ दिखाई है, जिससे वहां के शेयर बाजार को सहारा मिल रहा है। अमेरिकी कंपनियों, खासकर एआई से जुड़ी कंपनियों, की अच्छी और बढ़ती कमाई के कारण कुछ विदेशी निवेशक (एफएफआई), खासतौर पर हेज फंड, निकट समय में भारत में बिकवाली बढ़ा सकते हैं। हालांकि, देश के बड़े और नकदी से भरपूर घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) की लगातार खरीदारी बाजार को सहारा देगी और तेज गिरावट से बचाएगी।
निवेशकों के लिए इस समय सबसे बेहतर रणनीति यह है कि वे अच्छी गुणवत्ता वाली बड़ी कंपनियों (लार्ज कैप) में निवेश बनाए रखें और जब भी बाजार गिरे, तो धीरे-धीरे उनमें खरीदारी करें।
2026 की शुरुआत में बाजार में तेजी आने की पूरी संभावना है। इसलिए निवेशकों को निवेश करते समय वैल्यू (उचित कीमत) को ज्यादा महत्व देना चाहिए। कुछ आईपीओ में शेयरों की बहुत ज्यादा कीमत और नए निवेशकों द्वारा महंगे दाम पर शेयर खरीदना यह दिखाता है कि बाजार में इस समय जरूरत से ज्यादा उत्साह है।
राष्ट्रीय समाचार
जीएसटी 2.0 का असर, अर्थव्यवस्था को मिली मजबूती, बढ़ी खरीदारी : केंद्र

GST
नई दिल्ली, 25 दिसंबर: पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने कई बड़े सुधार किए हैं, जिससे एक आधुनिक, कुशल और नागरिक-हितैषी व्यवस्था का निर्माण हुआ है।
इसके तहत 40,000 से ज्यादा बेकार नियम हटाए गए और 1,500 से अधिक पुराने कानूनों को निरस्त किया गया, जिससे देश में काम करना आसान हुआ है। 22 सितंबर से लागू हुआ जीएसटी दरों में बदलाव भी ऐसा ही एक बड़ा सुधार है, जिसका मकसद ‘विकसित भारत’ के विजन को साकार करना है।
79वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि दीपावली तक नए जीएसटी सुधार लाए जाएंगे। इन सुधारों से रोजमर्रा की चीजों पर टैक्स कम होगा। उन्होंने कहा कि इससे आम लोगों पर टैक्स का बोझ कम होगा और यह दीपावली का तोहफा होगा।
वित्त मंत्रालय के अनुसार, जीएसटी 2.0 का असर अब दिखने लगा है। लोगों की खरीदारी बढ़ी है, खासकर गाड़ियों जैसे क्षेत्रों में बिक्री ज्यादा हुई है और लोगों का भरोसा भी बढ़ा है। इससे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है।
नवंबर महीने में यात्री वाहनों की बिक्री में अच्छी बढ़त देखी गई। त्योहारों के बाद की मांग, जीएसटी दरों में कटौती और शादी के सीजन की वजह से गाड़ियों की बिक्री बढ़ी। एक रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर में खुदरा बिक्री पिछले साल की तुलना में 22 प्रतिशत बढ़ी। वहीं, थोक बिक्री में पिछले वर्ष की तुलना में 19 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह 4.1 लाख यूनिट तक पहुंच गई।
इसके अलावा, जीएसटी दरों में बदलाव से राज्यों की कमाई भी बढ़ी है। सितंबर से नवंबर के बीच राज्यों को मिलने वाला जीएसटी राजस्व पिछले साल की तुलना में 5 प्रतिशत ज्यादा रहा।
हाल ही में समाप्त हुए शीतकालीन सत्र के दौरान वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा में कहा कि चालू वित्त वर्ष (2025-26) के सितंबर से नवंबर के दौरान जीएसटी संग्रह 2024-25 की इसी अवधि में 2,46,197 करोड़ रुपए से बढ़कर 2,59,202 करोड़ रुपए हो गया।
सरकार का मानना है कि जीएसटी सुधार और व्यापार को आसान बनाने की नीतियों से लोगों की खरीदारी और बढ़ेगी। इससे आने वाले समय में जीएसटी से होने वाली कमाई भी ज्यादा होगी।
जीएसटी सुधारों के बाद लोगों का भरोसा बढ़ा है और बैंक से लिए जाने वाले कर्ज में भी बढ़ोतरी हुई है। कई आंकड़े बताते हैं कि जीएसटी सुधारों के बाद देश की आर्थिक गतिविधियां तेज हुई हैं।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सितंबर और अक्टूबर 2025 के दौरान ई-वे बिल जनरेशन में वार्षिक आधार पर 14.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। वहीं अप्रैल से अक्टूबर 2025 के बीच कुल जीएसटी संग्रह में 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो बताती है कि मजबूत खपत और नियमों के बेहतर अनुपालन के चलते राजस्व का मूल स्रोत स्थिर बना हुआ है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अनुसार, अब सरकार का अगला लक्ष्य कस्टम टैक्स को आसान बनाना है।
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