व्यापार
भारतीय निवेशकों को ग्लोबल म्यूचुअल फंड से मिला 72 प्रतिशत तक का तगड़ा रिटर्न

नई दिल्ली, 23 अक्टूबर : घरेलू इक्विटी से परे अवसरों की तलाश करने वाले भारतीय निवेशकों को पिछले एक वर्ष में महत्वपूर्ण लाभ प्राप्त हुए है, जिसमें कई अंतरराष्ट्रीय म्यूचुअल फंड और फंड-ऑफ-फंड (एफओएफ) ने 72 प्रतिशत तक का शानदार रिटर्न दिया है।
टेक्नोलॉजी, एआई, उपभोक्ता खर्च और कमोडिटीज द्वारा संचालित वैश्विक तेजी के कारण इन फंड ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली भारतीय इक्विटी कैटेगरी को भी पीछे छोड़ दिया।
एसीई म्यूचुअल फंड के 20 अक्टूबर तक के आंकड़ों के अनुसार, टॉप 10 अंतरराष्ट्रीय फंडों ने एक वर्ष का रिटर्न 33 प्रतिशत से 72 प्रतिशत के बीच दिया।
इसकी तुलना में, इसी अवधि के दौरान बेंचमार्क निफ्टी केवल 5.7 प्रतिशत बढ़ा।
मिराए एसेट एनवाईएसई फैंग प्लस ईटीएफ एफओएफ 71.78 प्रतिशत के शानदार एक साल के रिटर्न और 62.72 प्रतिशत के तीन साल के रिटर्न के साथ लिस्ट में टॉप पर रहा।
इसके बाद इन्वेस्को ग्लोबल कंज्यूमर ट्रेंड्स एफओएफ रहा, जो ग्लोबल कंज्यूमर ब्रांड और डिजिटल कॉमर्स कंपनियों के मजबूत प्रदर्शन का लाभ उठाते हुए 52.65 प्रतिशत बढ़ा।
अमेरिका-केंद्रित व्यापक रणनीतियों ने भी महत्वपूर्ण लाभ दर्ज किया। मिराए एसेट एसएंडपी 500 टॉप 50 ईटीएफ एफओएफ ने 49.91 प्रतिशत रिटर्न दिया, जबकि मोतीलाल ओसवाल नैस्डैक 100 एफओएफ ने एक वर्ष में 42.48 प्रतिशत रिटर्न दिया।
डीएसपी वर्ल्ड माइनिंग ओवरसीज इक्विटी एफओएफ में 32.83 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिसे ग्लोबल कमोडिटी की उच्च कीमतों और प्रमुख खनन कंपनियों के बीच बेहतर पूंजी अनुशासन का समर्थन मिला।
कुल मिलाकर, ग्लोबल डायवर्सिफिकेशन ने इस वर्ष भारतीय निवेशकों को स्पष्ट रूप से लाभ पहुंचाया है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजारों विशेष रूप से एआई, टेक्नोलॉजी और संसाधनों द्वारा संचालित बाजारों ने घरेलू इक्विटी की तुलना में कहीं अधिक मजबूत रिटर्न दिया है।
इस बीच, पिछले दो सत्रों में भारी गिरावट के बाद, सोमवार के रिकॉर्ड उच्च स्तर से निवेशकों द्वारा मुनाफावसूली के कारण सोने और चांदी की कीमतें क्रमशः 4,050 और 48 डॉलर प्रति औंस के आसपास स्थिर हो गईं।
विशेषज्ञों ने कहा, “यह गिरावट अमेरिका-भारत व्यापार संबंधों को लेकर आशावाद के बीच जोखिम वाली संपत्तियों की ओर रुझान को दर्शाती है, जिससे सोने की सुरक्षित निवेश मांग कमजोर हुई है। भारत में मौसमी मांग में भी कमी आई है, जिससे फिजिकल मार्केट पर दबाव बढ़ा है।”
राजनीति
यूपीआई ने बनाया रिकॉर्ड, एक दिन में हुआ 1.02 लाख करोड़ रुपए का लेनदेन

नई दिल्ली, 23 अक्टूबर : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) प्लेटफॉर्म से 18 अक्टूबर यानी धनतेरस के दिन 1.02 लाख करोड़ रुपए के लेनदेन हुए हैं और इस दौरान लेनदेन की संख्या 75.4 करोड़ रही है, जो कि एक दिन में लेनदेन का अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है।
वित्त मंत्री ने कहा कि धनतेरस से दीपावली के तीन दिनों के दौरान यूपीआई पर औसत लेनदेन की संख्या 73.69 करोड़ रही है, जो कि पिछले साल समान अवधि में 64.74 करोड़ थी।
उन्होंने आगे कहा कि इस साल खुदरा विक्रेताओं के लिए दीपावली धमाकेदार रही है और जीएसटी दरों में कटौती से खपत में बढ़ोतरी हुई है, जिससे मध्यम वर्ग को इस त्योहारी सीजन में अपने बजट में ही अधिक शॉपिंग करने का मौका मिला है।
वित्त मंत्री ने आगे कहा कि लैब में तैयार हीरों से लेकर कैजुअल वियर और घरों को सजाने वाले उत्पादों तक, बाजार के बड़े और प्रीमियम दोनों सेगमेंट में तेजी आई।
वित्त मंत्री ने आगे कहा, “इस सुधार ने स्लैब को युक्तिसंगत बनाकर और विभिन्न उपभोक्ता वस्तुओं पर दरें कम करके, परिवारों के लिए ठोस बचत प्रदान की है, जिससे खर्च योग्य आय बढ़ी है और मांग को प्रोत्साहित करने में मदद की है।”
अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ (कैट) के अनुसार, नवरात्री से लेकर दीपावली तक चलने वाले फेस्टिव सीजन में गुड्स की बिक्री रिकॉर्ड 5.40 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई है। इस दौरान करीब 65,000 करोड़ रुपए की सर्विसेज भी ग्राहकों की ओर से खरीदी गई हैं।
कैट की रिसर्च विंग, कैट रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसाइटी के अनुसार, यह पिछले साल नवरात्रि से दीपावली की अवधि में हुई 4.25 लाख करोड़ रुपए की फेस्टिव सेल्स की तुलना में 25 प्रतिशत अधिक है।
सर्वेक्षण में बताया गया कि इसमें रिटेल की हिस्सेदारी 85 प्रतिशत रही है। ऑफलाइन मार्केट में भी मांग अच्छी रही है।
कन्फेक्शनरी, होम डेकोर, जूते-चप्पल, रेडीमेड कपड़े, टिकाऊ उपभोक्ता सामान और दैनिक उपयोग की वस्तुओं जैसी प्रमुख उपभोक्ता और खुदरा श्रेणियों में जीएसटी दरों में कमी से मूल्य प्रतिस्पर्धा में काफी सुधार हुआ, जिससे खरीदारी में इजाफा हुआ है।
राजनीति
बिहार विधानसभा चुनाव : छठ के बाद कैसे रूकेंगे प्रवासी मतदाता? भाजपा ने बनाया पूरा प्लान

पटना, 23 अक्टूबर : बिहार में चुनावी बिगुल बजने के बाद भाजपा की टेंशन इस बात को लेकर बढ़ गई है कि आखिर छठ पूजा के संपन्न होने के बाद यहां प्रवासी मतदाताओं को कैसे रोका जाए? क्योंकि, छठ पूजा का त्योहार मनाने के लिए देश के कोने-कोने में रहने वाले बिहारवासी अपने प्रदेश का रुख करते हैं।
बिहार में दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को मतदान होगा। वहीं, छठ पूजा 25 अक्टूबर से शुरू होकर 28 अक्टूबर तक चलेगी। लेकिन इससे पहले भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती यहां के प्रवासी मतदाताओं को छठ पूजा के बाद रोकना है।
एक सरकारी आंकड़े के मुताबिक, 48 लाख से ज्यादा प्रवासी बिहार छठ पूजा मनाने के लिए अपने प्रदेश का रुख करते हैं। इसमें से 45.78 लाख घरेलू प्रवासी और 2.17 लाख विदेश में काम करने वाले बिहार के लोग शामिल हैं।
यह सभी लोग प्रतिवर्ष छठ का त्योहार मनाने के लिए अपने प्रदेश का रुख करते हैं। इसके बाद अपने-अपने कर्मभूमि की ओर रवाना हो जाते हैं। आमतौर पर छठ पूजा के बाद लोग बिहार में रुकने से गुरेज करते हैं।
वहीं, अब जब बिहार में छठ के बाद चुनाव होना है, तो भाजपा ने ऐसे सभी प्रवासी लोगों को रोकने के लिए पूरा प्लान बना लिया है। भाजपा के एक सूत्र के मुताबिक, पार्टी की तरफ से प्रदेश के सभी जिलों में बूथ-स्तरीय अभियान की शुरुआत की गई है। इसके तहत पार्टी कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को मतदान के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उनसे आग्रह कर रहे हैं कि वो मतदान समाप्त होने तक यहीं रहें। इसके बाद ही कहीं जाएं।
भाजपा के मुताबिक, हम इस बात को भलीभांति समझते हैं कि छठ के बाद किसी भी आम बिहारी के लिए अपने प्रदेश में रुकना मुश्किल हो जाता है। उन्हें अक्सर नौकरी गंवाने का डर रहता है। लेकिन, हम ऐसे सभी लोगों के बीच में जाकर उन्हें मतदान के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इसके अलावा, हम उन्हें मतदान का महत्व भी समझा रहे हैं। हम उन्हें यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में मतदान का क्या मूल्य होता है?
जानकारी के मुताबिक, बिहार विधानसभा चुनाव में प्रवासी लोगों की अहमियत को देखते हुए बूथ कार्यकर्ताओं और जिला अध्यक्षों तक को सक्रिय रहने का निर्देश दिया गया है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, प्रवासी मतदाताओं की सबसे अधिक संख्या पूर्वी चंपारण (6.14 लाख), पटना (5.68 लाख), सीवान (5.48 लाख), मुजफ्फरपुर (4.31 लाख) और दरभंगा (4.3 लाख) जैसे जिलों में है। यह सभी जिले पहले चरण के मतदान के तहत कवर कर दिए जाएंगे।
व्यापार
टोनी कक्कड़ के नए गाने ‘कोका कोला 2’ से पेटीएम सुर्खियों में

नई दिल्ली, 23 अक्टूबर : लोकप्रिय गायक-संगीतकार टोनी कक्कड़ ने अपने नवीनतम चार्ट-टॉपिंग गाने “कोका कोला 2” में भारत के भुगतान ऐप पेटीएम का जिक्र किया है। कंपनी ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
“कोका कोला” एक ऊर्जावान गीत है जो सोशल मीडिया पर धूम मचा रहा है। अपने आकर्षक हुक और चंचल बोलों के लिए जाने जाने वाले टोनी ने अपनी नवीनतम रिलीज में मस्ती, लय और युवा ऊर्जा का मिश्रण किया है।
लेकिन, इस गाने के बीच में टोनी पेटीएम का जिक्र करते हैं, जो आज की पीढ़ी की नब्ज को पकड़ता है।
चाहे कॉफी खरीदना हो, मूवी टिकट बुक करना हो, या कोला की ठंडी बोतल लेना हो, मोबाइल भुगतान अब आम बात हो गई है, और पेटीएम अकसर इन पलों के केंद्र में होता है।
यह पल पेटीएम की सांस्कृतिक और आर्थिक उपस्थिति की शक्तिशाली सीमा को भी रेखांकित करता है।
कंपनी ने कहा, “स्थानीय बाजारों के छोटे व्यापारियों से लेकर प्रमुख खुदरा श्रृंखलाओं और राष्ट्रीय उद्यमों तक, पेटीएम भारत के लेन-देन, जुड़ाव और उत्सव का एक अभिन्न अंग बन गया है। यह सुविधा, विश्वास और इनोवेशन वैल्यू की ओर एक ऐसे आंदोलन का प्रतिनिधित्व करता है जो टोनी कक्कड़ के संगीत में पाई जाने वाली सहजता और ऊर्जा की भावना को प्रतिध्वनित करता है।”
यह प्रमुख वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनी मोबाइल भुगतान, क्यूआर कोड और साउंडबॉक्स में अग्रणी है, और एक अग्रणी वित्तीय सेवा वितरण कंपनी है जो भारत में भुगतान और भुगतान प्राप्त करने के तरीके को आकार देती रही है।
समय के साथ, पेटीएम भुगतान से आगे बढ़कर भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था का एक अनिवार्य हिस्सा बन गया है, छोटे व्यवसायों को सशक्त बना रहा है, उद्यमियों का समर्थन कर रहा है और लाखों लोगों के लिए वित्तीय सेवाओं को सुलभ बना रहा है। इसके नवाचारों ने कैशलेस सुविधा को न केवल एक आदत बल्कि जीवनशैली बना दिया है, जो देश के हर कोने को छू रही है।
कंपनी ने कहा, “‘कोका कोला’ गाना सिर्फ एक पॉप गीत से कहीं बढ़कर है। यह दर्शाता है कि कैसे मनोरंजन और रोजमर्रा की जिंदगी अब डिजिटल सहजता के साथ जुड़ गई है। कलाकार द्वारा यूं ही पेटीएम का जिक्र करना दर्शाता है कि कैसे इस ब्रांड ने रोजमर्रा की जिंदगी में अपनी जगह बना ली है।”
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