राजनीति
भारत बायोटेक का दिल्ली को और कोवैक्सीन देने से इनकार, कोविशिल्ड की खेप आज पहुंचेगी

दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 100 से अधिक नये टीकाकरण केंद्रों में 18 से 45 वर्ष के बीच के लोगों के लिए कोवैक्सीन का कोई स्टॉक नहीं बचा है। केजरीवाल प्रशासन ने कहा, फिलहाल, इस बारे में कोई विचार नहीं है कि कोवैक्सीन दिल्ली में कब उपलब्ध होगी क्योंकि विनिर्माण कंपनी ने दिल्ली को वैक्सीन की आपूर्ति करने से इनकार कर दिया है।
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के साथ राज्य प्रशासन ने शहर के विभिन्न हिस्सों में लगभग 17 सरकारी संचालित स्कूलों में 125 टीकाकरण केंद्र स्थापित किए हैं।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “दिल्ली सरकार ने 12 मई को दिल्ली सरकार को लिखे पत्र में विनिर्माण कंपनी भारत बायोटेक की 67 लाख कोविक्स की मांग की है।”
प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पत्र पढ़ते हुए कहा, “हम सरकारी अधिकारियों की चिंता के निर्देश के अनुसार प्रेषण कर रहे हैं। हमें पूरी ईमानदारी से खेद है कि हम आपके (दिल्ली सरकार) द्वारा मांगे गए अतिरिक्त आपूर्ति नहीं कर सकते।”
दिल्ली सरकार ने मंगलवार को ही वैक्सीन की कमी को लेकर आवाज उठाई है और भारत बायोटेक से जवाब मिला है।
पिछले 24 घंटों में टीके की कुल 1,39,261 खुराक दी गई, जो दिल्ली में अब तक की सबसे अधिक है।
हालांकि, टीकाकरण केंद्र कोविशिल्ड का टीका जारी रखेंगे क्योंकि दिल्ली सरकार को बुधवार को कोविशिल्ड की 2,67,690 खुराक की आपूर्ति प्राप्त होगी।
अपराध
दिल्ली पुलिस ने चार घोषित अपराधियों को किया गिरफ्तार

नई दिल्ली, 26 अगस्त। दिल्ली पुलिस की कापसहेड़ा और आर.के. पुरम थाना टीमों ने दक्षिण पश्चिम जिले में चार घोषित अपराधियों (पीओएस) को गिरफ्तार किया है। अधिकारियों को पकड़ने में खुफिया सूचनाओं का अहम रोल रहा।
गिरफ्तार किए गए अपराधियों की पहचान अंकित पाठक (28 वर्ष), अनिकेत कुमार (30 वर्ष), मूलचंद (45 वर्ष) और नरेंद्र कुमार (52 वर्ष) के रूप में हुई है। घोषित अपराधियों की गिरफ्तारी न्यायालयों के क्रमश, 25.02.2025, 25.05.2023, 03.05.2025 और 30.06.2023 के आदेशों के बाद व्यापक मैनुअल और तकनीकी निगरानी के साथ-साथ रणनीतिक छापेमारी के जरिए हुई।
पुलिस ने इन अपराधियों को पकड़ने के लिए विशेष टीमें गठित की थीं, जिन्होंने गुप्त मुखबिरों और तकनीकी जानकारी के आधार पर कार्रवाई की। पहला मामला थाना कापसहेड़ा में दर्ज एफआईआर संख्या 54/2018 से संबंधित है, जिसमें हेड कांस्टेबल पवन और दलजीत की टीम ने अंकित पाठक को गिरफ्तार किया। उसके खिलाफ धारा 209 बीएनएस के तहत एक अलग मामला भी दर्ज किया गया।
दूसरा मामला एफआईआर संख्या 517/2020 से संबंधित है, जिसमें एचसी मोहिंदर सिंह, संजीव और योगेश की टीम ने अनिकेत कुमार को पकड़ा। तीसरा मामला एफआईआर संख्या 369/2021 से है, जिसमें एचसी श्रीपाल और कांस्टेबल अजय की टीम ने मूलचंद को गिरफ्तार किया।
चौथा मामला थाना आर.के. पुरम में दर्ज एफआईआर संख्या 317/2025 से संबंधित है। अगस्त 2025 के दूसरे सप्ताह में मिली सूचना के आधार पर, इंस्पेक्टर रविंदर कुमार त्यागी के नेतृत्व में हेड कांस्टेबल इंद्रपाल और संपत राम की टीम ने नरेंद्र कुमार को नोएडा के सेक्टर-63 से गिरफ्तार किया। उसके खिलाफ धारा 174ए आईपीसी के तहत एक अलग मामला दर्ज किया गया।
पुलिस उपायुक्त (दक्षिण पश्चिम जिला) अमित गोयल ने बताया कि इन गिरफ्तारियों के लिए टीमें गुप्त सूचनाओं और तकनीकी निगरानी पर काम कर रही थीं। अन्य फरार घोषित अपराधियों को पकड़ने के लिए भी जांच और छापेमारी जारी है।
अन्य उद्घोषित अपराधियों को पकड़ने के लिए पुलिस आगे भी जांच कर रही है।
राजनीति
राज्य में भ्रष्टाचार भी ‘स्मार्ट’ : सीएम देवेंद्र फडणवीस की ‘स्मार्ट विलेज’ योजना पर शिवसेना-यूबीटी ने उठाए सवाल

THACKERAY
मुंबई, 26 अगस्त। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की ‘स्मार्ट विलेज’ योजना को लेकर शिवसेना-यूबीटी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में सरकार की योजना पर कई सवाल उठाए गए हैं और व्यंग्यात्मक लहजे में उसे ठेकेदारों के लिए बनाई गई स्कीम करार दिया गया है।
संपादकीय की शुरुआत में शिवसेना-यूबीटी ने तंज कसा, “मुख्यमंत्री ने नागपुर जाकर एक और बड़ा ऐलान किया है कि हर तालुका के दस गांवों को स्मार्ट बनाया जाएगा। यह घोषणा महात्मा गांधी के ‘गांव की ओर चलो’ के संदेश की याद दिलाती है।” हालांकि, इसके तुरंत बाद ही संपादकीय में तीखे सवालों की बौछार शुरू की गई।
‘सामना’ में पूछा गया है, “क्या इन 3,500 गांवों को स्मार्ट और आत्मनिर्भर बनाने का मतलब यह है कि वहां के युवाओं को रोजगार मिलेगा? वे शहरों की ओर पलायन नहीं करेंगे? किसान आत्महत्या नहीं करेंगे? क्या ये गांव भ्रष्टाचार, धार्मिक तनाव, जर्जर सड़कों, खराब स्कूलों और बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं से मुक्त होंगे?”
संपादकीय में आगे लिखा गया है कि ‘स्मार्ट सिटी मिशन’ का हाल किसी से छिपा नहीं है। आज भी उन शहरों में सड़कों पर गड्ढे हैं, पानी-बिजली की समस्या है, और ट्रैफिक से लोग परेशान हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि स्मार्ट सिटी पर खर्च हुआ पैसा आखिर गया कहां?
शिवसेना-यूबीटी ने यह भी आरोप लगाया कि स्मार्ट सिटी योजना में जो घोटाले हुए, वे तब तक सामने नहीं आएंगे जब तक इन आठ शहरों की महानगरपालिकाओं, आयुक्तों और पालकमंत्रियों के कामकाज का ऑडिट नहीं किया जाता। मुंबई जैसे अंतरराष्ट्रीय शहर की हालत खुद बोल रही है।
शिवसेना-यूबीटी ने सवाल किया कि मुंबई जैसे अंतरराष्ट्रीय शहरों में स्थिति भयावह हो गई है। जब ‘स्मार्ट सिटी मिशन’ की इतनी दुर्गति है, तब मुख्यमंत्री फडणवीस ने स्मार्ट विलेज योजना की घोषणा की, इसलिए यह प्रपंच है। साथ ही, आरोप लगाए गए हैं, “कहीं ऐसा तो नहीं कि इस स्मार्ट गांव योजना का इस्तेमाल अपने-अपने ठेकेदार लॉबी को काम दिलाने और उसमें हिस्सेदारी का इस्तेमाल उसी गांव के चुनाव में किए जाने के लिए तो यह खेल नहीं खेला जा रहा है? ‘लाडली बहन’ योजना में भी यही हुआ।”
संपादकीय में लिखा है, “फडणवीस ने हर तालुका में 10 गांवों को स्मार्ट बनाने की योजना की घोषणा की है। पिछले 10 वर्षों में इनमें से कई गांवों में स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य केंद्र ले जाते हुए रास्ते में ही प्रसव हो जाता है। अक्सर शिशुओं और गर्भवती महिलाओं की जान चली जाती है। माता-पिता को अपने बच्चे के शव को अपने कंधों पर लेकर यात्रा करनी पड़ती है। फडणवीस के कार्यकाल में 800 करोड़ रुपए का एंबुलेंस घोटाला हुआ। मुख्यमंत्री ने उस घोटाले पर क्या कार्रवाई की? ये एंबुलेंस कहां गईं?”
शिवसेना-यूबीटी ने आखिर में लिखा है, “सरकार राज्य के 3500 गांवों में कौन से ‘स्मार्ट झंडे’ गाड़ने वाली है? यह ‘ठेकेदारों के जरिए पैसा इकट्ठा करने का नया मिशन’ नहीं होना चाहिए। फडणवीस स्मार्ट हैं। उनके राज्य में भ्रष्टाचार भी ‘स्मार्ट’ है।”
राजनीति
मुंबई: भाजपा सांसद नारायण राणे ने शिवसेना नेता संजय राउत द्वारा दायर मानहानि मामले में खुद को निर्दोष बताया

मुंबई: भाजपा के लोकसभा सांसद नारायण राणे ने सोमवार को मुंबई की एक अदालत के समक्ष खुद को निर्दोष बताया और 2023 में की गई उनकी टिप्पणी को लेकर शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत द्वारा दायर मानहानि मामले में मुकदमे का सामना करने की मांग की।
राणे की निर्दोषता की दलील दर्ज होने के बाद, मामले की सुनवाई 11 नवंबर से मझगांव स्थित मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत में गवाहों की जांच के साथ शुरू होगी।
राउत ने पिछले साल राणे के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज कराया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि भाजपा नेता ने 15 जनवरी, 2023 को भांडुप में आयोजित कोंकण महोत्सव के दौरान उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी।
राणे ने अपने भाषण में कथित तौर पर कहा था कि उनकी वजह से ही राउत को राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया गया था, जब वे दोनों शिवसेना में थे। राणे ने आगे दावा किया कि राउत का नाम मतदाता सूची में भी नहीं था। राउत ने कहा कि ये बयान सिर्फ़ लोगों के सामने उन्हें बदनाम करने के लिए दिए गए थे।
अदालत ने 23 अप्रैल को राउत की शिकायत स्वीकार करते हुए कहा था कि रिकॉर्ड में मौजूद दस्तावेज़ों से प्रथम दृष्टया पता चलता है कि राणे ने एक खुली सभा में राउत के ख़िलाफ़ अपमानजनक बयान दिए थे। अदालत ने शिकायत पर संज्ञान लेते हुए उन्हें समन जारी किया था।
राणे ने अपने खिलाफ मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा जारी की गई प्रक्रिया और आदेश को सांसद एवं विधायक मामलों की विशेष सत्र अदालत में चुनौती दी थी। हालाँकि, उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी।
अदालत ने राणे को कोई राहत देने से इनकार करते हुए कहा, “आरोप स्पष्ट रूप से झूठे हैं और शिकायतकर्ता की प्रतिष्ठा को कम करने के स्पष्ट इरादे से लगाए गए हैं।”
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