राष्ट्रीय
कॉटन की क्वालिटी सुधारने, सिंचाई सुविधा वक्त की जरूरत : उद्योग संगठन
दुनिया में कॉटन (रूई) का सबसे बड़ा उत्पादक देश भारत से इस साल रूई की निर्यात मांग काफी कमजोर है। इसकी वजह कॉटन की खराब क्वालिटी है जिसकी मांग अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कम है। लिहाजा, उद्योग से बाजार के जानकार कहते हैं कि सरकार ने कॉटन के आयात पर जो 10 फीसदी शुल्क लगाया है उसका उपयोग देश में कॉटन की क्वालिटी सुधारने और सिंचाई व प्रौद्योगिकी सुविधा पर खर्च किया जाना चाहिए।
विशेषज्ञ बताते हैं कि भारतीय कॉटन की क्वालिटी सुधारने के साथ-साथ उत्पादकता बढ़ाने पर भी जोर देने की आवश्यकता है क्योंकि दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले भारत में कॉटन की उत्पादकता काफी कम है।
दुनिया के देशों में कॉटन का औसत उत्पादन 940 किलो प्रति हेक्टेयर है जहां भारत में औसत उत्पादन सिर्फ 450 किलो प्रति हेक्टेयर है। इस प्रकार वैश्विक औसत उत्पादन के आधे से भी कम है।
कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अतुल गणत्रा ने बताया कि ब्राजील में प्रति हेक्टेयर कॉटन का उत्पादन 1,200 किलो से 1,800 किलो होता है जबकि अमेरिका में 1,100 किलो प्रति हेक्टेयर।
गणत्रा कहते हैं कि देश में कॉटन की उत्पादकता बढ़ाने के लिए सिंचाई की सुविधा का विस्तार करना जरूरी है। उन्होंने बताया कि देश में सिर्फ 22 फीसदी कॉटन का क्षेत्र सिंचित है। सिर्फ उत्तर भारत में सिंचाई की सुविधा है जहां कॉटन की खेती होती है, जिसमें मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा के कॉटन उत्पादक क्षेत्र शामिल है।
देश में कॉटन का सबसे बड़ा उत्पादक गुजरात है और इसके बाद महाराष्ट्र का नंबर आता है जहां सिंचाई की सुविधा नहीं होने से किसानों को मानसून पर निर्भर रहना पड़ता है। लिहाजा, देश के 78 फीसदी कॉटन उत्पादक क्षेत्र में सिंचाई सुविधा का विस्तार करने की जरूरत है।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को आम बजट पेश करते हुए कॉटन के आयात पर 10 फीसदी शुल्क लगाने की घोषणा की।
कॉटन बाजार के जानकार केडिया एडवायजरी के डायरेक्टर अजय केडिया कहते हैं कि कॉटन आयात पर शुल्क लगने से घरेलू टेक्साइटल उद्योग के लिए विदेशी कॉटन महंगा हो जाएगा जिससे उनके तैयार माल की कीमत बढ़ जाएगी, लेकिन दूसरी तरफ घरेलू कॉटन की मांग में इजाफ होगा जिससे लोकल कॉटन के दाम में बढ़ोतरी है।
घरेलू वायदा बाजार मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर बीते तीन सत्रों में कॉटन के दाम में 400 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई।
हालांकि, अतुल गणत्रा कहते हैं कि आयात शुल्क से देश में कॉटन के आयात पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि भारत कॉटन आयातक नहीं बल्कि निर्यातक देश है और इस साल देश में कॉटन का स्टॉक घरेलू खपत से ज्यादा है। उन्होंने कहा, “भारत में अच्छी क्वालिटी का कॉटन आयात होता है जोकि उद्योग की जरूरत है। इसलिए आयात शुल्क लगने से भी उतना आयात होगा है जितनी उद्योग की जरूरत है।”
हालांकि, आयात शुल्क से जो पैसा आएगा जोकि एग्रीकल्चर सेस का हिस्सा होगा उसका उपयोग देश में कॉटन उत्पादक क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा बढ़ाने और क्वालिटी व उत्पादकता सुधारने पर किया जाए तो इससे किसानों को फायदा होगा।
कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के पिछले महीने के आकलन के अनुसार, चालू कॉटन सीजन 2020-21 (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान देश में कॉटन का उत्पादन 358 लाख गांठ (170 किलो प्रति गांठ) है जबकि खपत 330 लाख गांठ है और निर्यात 54 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि आयात 12 से 14 लाख गांठ। पिछले साल का बचा हुआ स्टॉक 125 लाख गांठ था जबकि इस सीजन के आखिर में 30 सितंबर को बचा हुआ स्टॉक 113.50 लाख गांठ रहने का अनुमान है।
महोत्सव
स्वतंत्रता दिवस 2024: थीम, इतिहास, महत्व और समारोह के बारे में अधिक जानें।
भारत 15 अगस्त, 2024 को अपना 78वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाएगा, यह एक महत्वपूर्ण अवसर है जो ब्रिटिश उपनिवेशवाद से मुक्ति के सत्तर से अधिक वर्षों का प्रतीक है। राष्ट्रीय गौरव और गहरी देशभक्ति की भावना के साथ मनाया जाने वाला यह वार्षिक कार्यक्रम स्वतंत्रता सेनानियों के बहादुर कार्यों और स्वायत्तता और विकास की दिशा में राष्ट्र की प्रगति को श्रद्धांजलि देता है। यह लेख 2024 में भारत के स्वतंत्रता दिवस से जुड़े महत्व, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और समारोहों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करता है।
क्या यह स्वतंत्रता दिवस की 77वीं या 78वीं वर्षगांठ है?
2024 में 78वाँ स्वतंत्रता दिवस समारोह 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश शासन से भारत की स्वतंत्रता का प्रतीक होगा। भले ही यह स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से 77वाँ वर्ष है, लेकिन स्वतंत्रता के बाद से यह दिन 78 बार मनाया जा चुका है। जानकारी का यह दोहरा स्रोत भ्रम पैदा कर सकता है, फिर भी प्रत्येक आंकड़ा अपने संदर्भ में सही है।
4 जुलाई 2024 की थीम
इस वर्ष की थीम, “विकसित भारत” या “विकसित भारत”, 2047 तक भारत को एक विकसित और प्रगतिशील राष्ट्र में बदलने के लक्ष्य को दर्शाती है, जो इसकी स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ है।
इतिहास में स्वतंत्रता दिवस का महत्व
इस विशेष दिन पर, भारत ने लगभग दो सौ वर्षों के औपनिवेशिक शासन के बाद ब्रिटिश नियंत्रण से स्वतंत्रता प्राप्त की। ब्रिटिश संसद ने 18 जुलाई, 1947 को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पारित किया, जिसने ब्रिटिश वर्चस्व को समाप्त करने में मदद की और परिणामस्वरूप भारत और पाकिस्तान का विभाजन हुआ।
स्वतंत्रता दिवस पर महत्वपूर्ण कार्यक्रम
प्रधानमंत्री का भाषण: 15 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी लाल किले से राष्ट्र के नाम भाषण देंगे।
स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान: स्वतंत्रता दिवस पर, हम उन कई लोगों को याद करते हैं जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।
नागरिक और सांस्कृतिक जुड़ाव: परेड, सांस्कृतिक कार्यक्रम, पारंपरिक नृत्य प्रदर्शन और देशभक्तिपूर्ण शैक्षिक पहल देशभक्ति गतिविधियों के उदाहरण हैं।
ध्वजारोहण: सरकारी भवनों और स्कूलों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है।
राष्ट्रीय
शेयर बाजारों में सुबह के कारोबार में उतार-चढ़ाव
भारतीय शेयर बाजारों में बुधवार को सुबह के कारोबार में उतार-चढ़ाव रहा।
हरे निशान में खुलने के बाद सेंसेक्स एक समय 337.63 अंक यानि 0.47 प्रतिशत टूटकर 71.674.42 अंक तक तक लुढ़क गया था। हालाँकि बाद में वापसी करते हुए 124.73 अंक की तेजी के साथ 72,136.78 अंक पर पहुँच गया।
निफ्टी भी 107.25 अंक टूटकर एक समय 21,710.20 अंक तक उतर गया था। लेकिन दोपहर होते-होते यह 39.50 अंक की बढ़त से साथ 21,852.80 अंक तक चढ़ गया।
निफ्टी50 में एशर मोटर के शेयर चार प्रतिशत और मारुति सुजुकी के तीन प्रतिशत की बढ़त में थे। वहीं, टाटा कंज्यूमर और टाटा मोटर्स में करीब ढाई-ढाई फीसदी की गिरावट रही।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी.के. विजयकुमार ने कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व नीतिगत दरों पर निर्णय बुधवार को जारी करेगी। इससे अमेरिकी बाजार में रुझान तय होगा।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के रिटेल रिसर्च प्रमुख दीपक जसानी ने कहा कि फेडरल रिजर्व इस साल दर में कटौती के धीमे रुख का संकेत दे सकता है। इस चिंता के कारण बुधवार को एशियाई शेयरों में नरमी रही।
राष्ट्रीय
सेंसेक्स 600 अंक टूटा, एफएमसीजी शेयर हुए धड़ाम
फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) स्टॉक मंगलवार को सेक्टोरल इंडेक्स में 1.9 फीसदी की गिरावट के साथ कमजोर कारोबार कर रहे हैं। एफएमसीजी इंडेक्स टॉप सेक्टर लूजर्स में से एक है। नेस्ले में 3 फीसदी से ज्यादा की गिरावट है।
कोलगेट पामोलिव करीब 4 फीसदी नीचे है। होनासा कंज्यूमर 3.7 फीसदी, टाटा कंज्यूमर 3.4 फीसदी, पतंजलि फूड्स 3.2 फीसदी, यूनाइटेड ब्रुअरीज 3 फीसदी, गोदरेज कंज्यूमर 2 फीसदी से ज्यादा और ब्रिटानिया 2 फीसदी से ज्यादा नीचे है।
बिकवाली के कारण बीएसई सेंसेक्स 600 अंक से अधिक नीचे है। ज्यादातर सेक्टोरल इंडेक्स लाल निशान में कारोबार कर रहे हैं।
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज ने एक हालिया रिपोर्ट में कहा था कि वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में एफएमसीजी सेक्टर में मांग सुस्त है।
रिटेल डेटा पर नज़र रखने वाली नील्सन ने इस सेक्टर के लिए 4.5-6.5 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया है।
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज ने कहा, अल-नीनो का प्रभाव मई तक रहने के कारण कृषि क्षेत्र में वृद्धि कम रहेगी जिससे खपत में कोई महत्वपूर्ण बदलाव होने की संभावना नहीं है।
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