खेल
अगर मैं सेट हूं, तो अंत तक खेलने की कोशिश करता हूं: यशस्वी जायसवाल
नई दिल्ली, 21 जून। यशस्वी जायसवाल ने इंग्लैंड की धरती पर अपना पहला टेस्ट शतक जड़ा, जिसके दम पर भारत ने पांच मैचों की टेस्ट सीरीज की बढ़िया शुरुआत करते हुए पहले दिन 85 ओवर में 359/3 का मजबूत स्कोर बनाया। शतक के बाद जायसवाल ने बताया कि उन्होंने इस पारी के दौरान बहुत कुछ सीखा है।
स्टंप के बाद अपनी पारी पर बातचीत करते हुए जायसवाल ने ‘स्टार स्पोर्ट्स’ से कहा, “हमने यहां आने से पहले काफी तैयारी की थी। खेलना बहुत मजेदार था, और बल्लेबाजी करना बहुत अच्छा लगा। मैंने इसका भरपूर लुत्फ उठाया और बहुत कुछ सीखा।”
यशस्वी जायसवाल ने केएल राहुल के साथ पहले विकेट के लिए 91 रन की ओपनिंग साझेदारी की। उन्होंने इस इनिंग के दौरान मार्गदर्शन के लिए सीनियर बल्लेबाज केएल राहुल को भी श्रेय दिया है।
जायसवाल ने कहा, “केएल राहुल बहुत अनुभवी हैं। मैं उनसे बात करके बहुत कुछ समझ सकता हूं, कहां रन बनाए जा सकते हैं और हम पारी को कैसे आगे बढ़ा सकते हैं। उनके साथ खेलना बहुत मजेदार था।”
यशस्वी जायसवाल ने 157 गेंदों पर 101 रन जड़े। इस दौरान शानदार शॉट सेलेक्शन और मानसिक अनुशासन देखने को मिला। जायसवाल ने ऑफ साइड में इंग्लैंड के गेंदबाजों के खिलाफ शानदार तरीके से रन बनाए।
इस पारी के दौरान जायसवाल ने नए कप्तान शुभमन गिल के साथ 129 रन की साझेदारी भी की। गिल ने पहले दिन की समाप्ति तक 125 रन बना लिए हैं। फिलहाल उनके साथ ऋषभ पंत 65 के स्कोर पर नाबाद हैं।
23 वर्षीय सलामी बल्लेबाज ने अपने मानसिक दृष्टिकोण को रेखांकित किया है, जिसने उनकी पारी को आकार देने में मदद की।
यशस्वी जायसवाल ने कहा, “मैं अपने शॉट्स खेलने के लिए खुद को अधिक समय देने की कोशिश करता हूं। मैं मानसिक रूप से तैयार रहने की कोशिश करता हूं, जितना संभव हो सके उतनी देर तक बल्लेबाजी करने का लक्ष्य रखता हूं। अगर मैं सेट हूं, तो मैं इसे गहराई तक ले जाने और अंत तक खेलने की कोशिश करता हूं।”
अंतरराष्ट्रीय
ट्रंप के टैरिफ वॉर से दुनिया को राहत? अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में आज हो सकता है आखिरी फैसला!

नई दिल्ली, 6 नवंबर : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ के ऐलान के साथ वैश्विक व्यापार जगत में उथल-पुथल मच गई। ट्रंप के टैरिफ को लेकर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी रही, जिसके बाद उम्मीद की जा रही है कि इसपर आखिरी फैसला भी आज आ जाए। वहीं, दूसरी ओर पूरी दुनिया की निगाहें इस पर टिकी हुई हैं।
5 नवंबर को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में आखिरी सुनवाई शुरू हुई, जिसमें अधिकांश जजों ने अमेरिकी राष्ट्रपति के फैसले पर सवाल खड़े किए।
निचली फेडरल कोर्ट ने इससे पहले टैरिफ के मामले में फैसला सुनाया था कि ट्रंप के पास अमेरिका के कई व्यापारिक साझेदारों से आयात पर टैरिफ लगाने और कनाडा, चीन और मैक्सिको के उत्पादों पर फेंटानिल टैरिफ लगाने का कानूनी अधिकार नहीं है। निचले कोर्ट के फैसले के बाद राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
बता दें, टैरिफ को लेकर करीब ढाई घंटे से ज्यादा कोर्ट में बहस चली। कोर्ट ने ट्रंप सरकार के टैरिफ के फैसले पर सवाल उठाए। जस्टिस सोनिया सोतोमयोर ने कहा, “आप कहते हैं कि टैरिफ टैक्स नहीं हैं, लेकिन वास्तव में वे टैक्स ही हैं। वे अमेरिकी नागरिकों से पैसा, राजस्व कमा रहे हैं।”
इस पर सॉलिसिटर जनरल जॉन सॉयर ने कहा, “मैं इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं कह सकता, यह एक नियामक टैरिफ है, टैक्स नहीं। यह सच है कि टैरिफ से राजस्व बढ़ता है और यह केवल आकस्मिक है।”
इसके अलावा जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स ने कहा, “अगर मैं सही नहीं हूं तो मुझे सुधारें, लेकिन यह तर्क किसी भी देश के किसी भी उत्पाद पर, किसी भी मात्रा में, किसी भी अवधि के लिए टैरिफ लगाने की शक्ति के लिए दिया जा रहा है।”
जस्टिस रॉबर्ट्स की इस टिप्पणी के बाद अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल डी. जॉन सॉयर ने तर्क दिया कि आईईईपीए राष्ट्रपति को इमरजेंसी की स्थिति के दौरान ‘आयात को विनियमित करने’ की इजाजत देता है।
अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल के तर्क से जस्टिस एमी कोनी बैरेट सहमत नहीं थीं। उन्होंने सॉयर से कहा, “क्या आप संहिता में ऐसे किसी दूसरे स्थान या इतिहास में किसी दूसरे समय का जिक्र कर सकते हैं, जहां ‘आयात को विनियमित करना’ वाक्यांश का उपयोग टैरिफ लगाने का अधिकार देने के लिए किया गया हो?”
इसके अलावा, जस्टिस बैरेट ने कहा कि अगर कांग्रेस भविष्य में आपातकालीन टैरिफ पर किसी भी सीमा को मंजूरी देना चाहती है, तो उसे राष्ट्रपति के वीटो को पार करने के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी।
जस्टिस बैरेट ने पूछा, “अगर कांग्रेस कहती है, ‘अरे, हमें यह पसंद नहीं है, इससे राष्ट्रपति को आईईईपीए के तहत बहुत ज्यादा अधिकार मिल जाते हैं,’ तो उसे आईईईपीए से उस टैरिफ शक्ति को वापस लेने में बहुत मुश्किल होगी, है ना?”
हालांकि, कोर्ट की तरफ से मामले में अब तक आखिरी फैसला सामने नहीं आया है, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति के टैरिफ वाले फैसले पर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने सवाल खड़े किए हैं।
राष्ट्रीय
सोने की कीमतों में तेजी, अपने एक हफ्ते के निचले स्तर से उबरी

मुंबई, 6 नवंबर : सोने की कीमतों में गुरुवार के कारोबारी दिन तेजी दर्ज की गई। पीली धातु कमजोर होते डॉलर और सेफ- हेवन की बढ़ती खरीदारी के बीच अपने एक हफ्ते के निचले स्तर से ऊपर आ गई है। अमूमन वेडिंग सीजन में सोने की मांग बढ़ जाती है।
सोने की कीमतों में यह तेजी उम्मीद से बेहतर यूएस जॉब डेटा के कारण फेडरल रिजर्व द्वारा आगामी ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें खत्म होने के कारण भी दर्ज की गई।
इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) के अनुसार, इंट्रा-डे ट्रेडिंग के दौरान 24 कैरेट के सोने की कीमत 1,20,100 प्रति 10 ग्राम दर्ज की गई है।
वहीं, दूसरी ओर मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर सोने के 5 दिसंबर 2025 के कॉन्ट्रैक्ट का दाम शाम 3 बजकर 50 मिनट पर 0.56 प्रतिशत बढ़कर 121479.00 रुपए पर पहुंच गया, जबकि चांदी के 05 दिसंबर 2025 के कॉन्ट्रैक्ट का दाम 0.66 प्रतिशत बढ़कर 1,48,300 रुपए पर पहुंच गया है।
उधर, दूसरी ओर डॉलर इंडेस्क भी 0.20 प्रतिशत की गिरावट में रहा, लेकिन 100 मार्क के ऊपर बना हुआ है। इस बीच, यूएस 10-ईयर यील्ड बुलियन पर दबाव डालते हुए अपने करीब एक महीने के हाई लेवल के नीचे रहा।
मार्केट एनालिस्ट का कहना है कि गोल्ड अपना महत्वपूर्ण सपोर्ट लेवल 3,870 डॉलर पर बनाए हुए है, वहीं सिल्वर का सपोर्ट लेवल 46.50 डॉलर पर ट्रॉय औंस पर बना हुआ है।
उम्मीद की जा रही है कि डॉलर इंडेक्स में उतार-चढ़ाव, ग्लोबल फाइनेंशियल मार्केट और यूएस नॉन-फार्म रोज़गार डेटा से पहले कीमतों धातुओं की कीमतों को लेकर इस हफ्ते उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है।
मेहता इक्विटीज लिमिटेड के कमोडिटीज वाइस प्रेसिडेंट राहुल कलांत्री ने कहा, “सोना-चांदी की कीमतों में एक हफ्ते के निचले स्तर से ऊपर की ओर तेजी देखी जा रही है, जिसे अमेरिका में राजनीतिक अनिश्चितताओं के बीच सेफ-हेवन बाईंग का सपोर्ट मिल रहा है। हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति की पार्टी का न्यूयॉर्क सिटी मेयर इलेक्शन हार जाने से मिड-टर्म चुनावों से पहले चिंताएं बढ़ गई हैं।”
अंतरराष्ट्रीय
बांग्लादेश के चटगांव में फिर मचा बवाल, बीएनपी के दो गुटों में हिंसक झड़प; पांच कार्यकर्ता घायल

ढाका, 6 नवंबर : बांग्लादेश में मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के शासन में अराजकता की स्थिति बनी हुई है। चटगांव जिले के रावजान उपजिला में स्थानीय प्रभुत्व को लेकर बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के दो गुटों में हिंसक बवाल देखने को मिला।
देखते ही देखते बवाल इतना बढ़ा कि पार्टी के प्रतिद्वंद्वी गुट द्वारा कथित तौर पर बंदूक से किए गए हमले में बीएनपी के कम से कम पांच कार्यकर्ता घायल हो गए। पुलिस और स्थानीय लोगों के अनुसार, यह घटना बुधवार रात रावजान के बागवान यूनियन के चौधरीपारा इलाके में हुई।
घायलों की पहचान बीएनपी की मजदूर शाखा, श्रमिक दल की उपजिला इकाई के महासचिव अब्दुल्ला सुमन और कार्यकर्ता इस्माइल, खोरशेद, रुबेल और सोहेल के रूप में हुई है।
सभी पांचों पीड़ितों का चटगांव मेडिकल कॉलेज अस्पताल (सीएमसीएच) में इलाज चल रहा है और उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है।
बांग्लादेशी मीडिया आउटलेट यूएनबी ने स्थानीय लोगों के हवाले से बताया कि अज्ञात हमलावर मोटरसाइकिल और एक कार में सवार होकर आए और बीएनपी कार्यकर्ताओं पर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी।
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि गोलीबारी के लगभग डेढ़ घंटे बाद पुलिस घटनास्थल पर पहुंची, जिससे इलाके के निवासियों में दहशत फैल गई। उन्होंने दावा किया कि हिंसा दो स्थानीय बीएनपी गुटों के बीच वर्चस्व स्थापित करने को लेकर हुए झगड़े के कारण भड़की।
रावजान-रंगूनिया क्षेत्र के सहायक पुलिस अधीक्षक (एएसपी) मोहम्मद बेलायत हुसैन ने इस घटनाक्रम के बारे में बताते हुए कहा कि आगे किसी भी तरह की अशांति को रोकने के लिए इलाके में पुलिस तैनात कर दी गई है और मामले की जांच शुरू कर दी गई है।
इससे पहले बुधवार को, चटगांव के बायजीद इलाके में एक चुनावी कार्यक्रम के दौरान बीएनपी के चटगांव-8 उम्मीदवार इरशाद उल्लाह गोली लगने से घायल हो गए, जबकि उनके एक सहयोगी सरवर बबला की गोली लगने से मौत हो गई।
इसके अलावा, 25 अक्टूबर को, स्थानीय नेता मोहम्मद आलमगीर आलम की भी इसी रावजान उपजिले में इसी तरह के एक हमले में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
फिर, 28 अक्टूबर को चटगांव में बीएनपी की युवा शाखा के दो गुटों के बीच हुई गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत हो गई और 15 अन्य घायल हो गए। मृतक की पहचान 22 साल के मोहम्मद सज्जाद के रूप में हुई, जो बीएनपी की छात्र शाखा छात्र दल का सदस्य था।
रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक साल में, उपजिले में कम से कम 17 लोग मारे गए हैं। इनमें 12 बीएनपी कार्यकर्ता, चार छात्र, जुबो लीग के कार्यकर्ता और एक प्रवासी शामिल हैं। बीएनपी की पार्टी के अंदर भी हिंसा में वृद्धि देखने को मिल रही है। दो गुटों में झड़पों में कई लोग घायल हुए हैं।
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