राजनीति
भाजपा सत्ता में आई तो यूपी के गांव विकास में शहरों को देंगे टक्कर
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने यूपी विधानसभा चुनाव के लिए लोक कल्याण संकल्प पत्र में शहर के साथ-साथ गांव पर अधिक फोकस किया है। इसमें सिंचाई और ग्रामीण समृद्धि की झलक भी देखने को मिली है। संकल्प पत्र के मुताबिक, भाजपा सत्ता में आई तो यूपी के गांव विकास के मामले शहरों को टक्कर देते दिखेंगे। सर्वाधिक आबादी वाला प्रदेश होने के नाते यूपी में गांवों की भी संख्या सर्वाधिक है। देश के 6.5 लाख गांवों में से करीब एक लाख गांव तो यहां हैं। गांवों को अर्थव्यवस्था का सु²ढ़ अंग बनाने और गांव-गांव के समग्र विकास की कार्ययोजना बनाई और उसे क्रियान्वित किया। भाजपा ने अपने लोक कल्याण संकल्प पत्र में इसके प्रति प्रतिबद्धता जतायी है।
संकल्प पत्र के मुताबिक भाजपा सत्ता में आई तो यूपी के गांव विकास के लिहाज से शहरों से होड़ लेंगे। मसलन मुख्य शहर से गांव को जोड़ने वाली सोलर लाइट की दूधिया रोशनी से नहाई चकाचक सड़क होंगी। संकल्प पत्र के मुताबिक, जल निकासी के लिए पक्की नालियां, हर ग्राम पंचायत पर बस स्टेशन, इनके लिए 2000 अतिरिक्त बसों की व्यवस्था और इंटरनेट कनेक्टिविटी और जल जीवन मिशन के तहत 2024 तक हर घर तक शुद्ध पेयजल की व्यवस्था होगी।
संकल्प पत्र में पहले की तरह सिंचन क्षमता के विस्तार पर खासा जोर दिया गया है। खेतीबाडी के क्षेत्र में एक प्रचलित कहावत है कि पानी को छोड़ खेती हर चीज का इंतजार कर सकती है। खेतीबाड़ी में सिंचाई के इसी महत्व के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पर ड्राप मोर क्रॉप का नारा दिया। साथ ही प्रधानमंत्री सिंचाई योजना की शुरूआत की। इसके तहत फोकस उन परियोजनाओं पर था जो दशकों से लंबित थी। डबल इंजन की सरकार के बेहतर तालमेल का ही नतीजा रहा कि भाजपा सरकार के पांच साल के कार्यकाल के दौरान वाण सागर, अर्जुन सहायक नहर और सरयू नहर जैसी बेहद महत्वाकांक्षी परियोजनाओं समेत करीब डेढ़ दर्जन परियोजनाओं को पूरा कर सिंचन क्षमता में करीब 20 लाख हेक्टेयर का विस्तार किया।
संकल्पपत्र में भी इस सिलसिले को जारी रखने के प्रति प्रतिबद्धता जताई गई है। संकल्प पत्र के अनुसार सिंचाई के लिए 5,000 करोड़ रुपये की लागत के साथ मुख्यमंत्री कृषि सिंचाई योजना शुरू किया जाएगी। इसके तहत लघु-सीमांत किसानों को बोरवेल, तालाब और टैंक निर्माण के लिए अनुदान देय होगा। सिंचाई के लिए सभी किसानों को मुफ्त बिजली दी जाएगी। प्रधानमंत्री कुसुम योजना के अंतर्गत किसानों को सोलर पंप देना जारी रहेगा।
पत्र में 25,000 करोड़ की लागत से शुरू सरदार वल्लभ भाई पटेल एग्री-इंफ्रास्ट्रक्च र मिशन के तहत प्रमुख फसलों की छंटनी, ग्रेडिंग, पैकिंग, अधिक समय तक संरक्षित करने के लिए कोल्ड चेन चेम्बर्स का निर्माण कराया जाएगा। 5,000 करोड़ की लागत से गन्ना मिल नवीनीकरण मिशन के अंतर्गत चीनी मिलों का आधुनिकीकरण के साथ नई सहकारी चीनी मिलों के निर्माण, कराने के साथ 14 दिनों के भीतर भुगतान सुनिश्चित किया जाएगा। नहीं होने पर देरी के अनुसार ब्याज भी देय होगा।
किसानों को आलू, टमाटर एवं प्याज जैसी सभी फसलों का न्यूनतम मूल्य सुनिश्चित करने के लिए 1,000 करोड़ का भामाशाह भाव स्थिरता कोष बनाया जाएगा। 1,000 करोड़ की लागत से नन्द बाबा दुग्ध मिशन के तहत दुग्ध उत्पादन में प्रदेश को अग्रणी राज्य बनाया जाएगा। वहीं 4,000 नए फसल-विशिष्ट एफपीओ स्थापित किए जाएंगे। साथ ही प्रदेश में 6 मेगा फूड पार्क विकसित किए जाएंगे। प्रदेश में निषादराज बोट सब्सिडी योजना शुरू की जाएगी।
दषकों तक कृषि विषय को कवर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार गिरीश पांडेय कहते हैं भाजपा ने अपने संकल्प पत्र गांवों के समग्र विकास की झलक दिखलाई है। किसान कर्ज माफी से शुरू किसानों के कल्याण का सिलसिला भी जारी रखने का संकल्प दोहराया गया है।
महाराष्ट्र
समाजवादी पार्टी के MLA रईस शेख ने उर्दू के प्रति BJP की दुश्मनी की आलोचना की

RAIS SHAIKH
मुंबई; राज्य में नगर पंचायत और म्युनिसिपल काउंसिल चुनाव का प्रचार अपने चरम पर है और BJP नेताओं ने अपने उम्मीदवारों के प्रचार के लिए उर्दू में बुकलेट छपवाई हैं। ‘भिवंडी ईस्ट’ से समाजवादी पार्टी के MLA रईस शेख ने BJP की उर्दू बुकलेट का स्वागत किया है। MLA शेख ने दावा किया कि BJP को देर से ही सही, यह एहसास हो गया है कि उर्दू किसी एक धर्म की भाषा नहीं है।
रायगढ़ जिले के ‘अरण’ से BJP MLA महेश बाल्दी के कार्यकर्ता म्युनिसिपल काउंसिल चुनाव के दौरान उर्दू में बुकलेट बांट रहे हैं। इस ओर इशारा करते हुए MLA रईस शेख ने कहा कि ‘एक तरफ वे धर्म के आधार पर मुसलमानों से नफरत करते हैं और जब उनके वोटों की जरूरत होती है, तो वे उर्दू भाषा का सहारा लेते हैं’, जो BJP की दोधारी तलवार है। राज्य के मत्स्य पालन और बंदरगाह मंत्री नीतीश राणे को BJP की उर्दू में प्रचार बुकलेट छपवाने पर अपनी भावनाएं जाहिर करनी चाहिए।
राज्य में एक उर्दू साहित्य अकादमी है। हालांकि, इस अकादमी को मुसलमानों के लिए काम करने वाली संस्था माना जाता है। उर्दू अकादमी की हालत ऐसी है कि न कोई फंड है, न कोई ऑफिस, न कोई स्टाफ। उर्दू भाषा के सेंटर, उर्दू स्कूल, उर्दू बोलने वाले टीचर, उर्दू घरों को फंड और जगह नहीं दी जा रही है। BJP सरकार ने पांच दशकों से चल रही उर्दू महीने की ‘लोक राज्य’ को बंद कर दिया है। MLA रईस शेख ने पूछा है कि उर्दू भाषा और मुसलमानों की इतनी दुश्मनी रखने वाली BJP को चुनाव के समय उर्दू मुस्लिम वोटों पर अफसोस क्यों होना चाहिए? उर्दू किसी धर्म की भाषा नहीं है। उर्दू बोलने वाले लेखकों और गीतकारों ने बॉलीवुड के विकास में बहुत योगदान दिया है। राज्य में 75 लाख उर्दू बोलने वाले हैं और राज्य में रोज़ाना 25 उर्दू अखबार छपते हैं। MLA रईस शेख ने BJP को सलाह दी है कि वह अपनी मतलबी राजनीति के लिए भाषा और धर्म के आधार पर नफरत फैलाने की अपनी साजिश पर रोक लगाए।
अपराध
वसई स्कूली छात्रा की मौत का मामला: 13 साल की बच्ची के लिए 100 स्क्वाट की सजा जानलेवा साबित होने पर शिक्षक गिरफ्तार

CRIME
वसई: वसई स्थित श्री हनुमंत विद्या मंदिर स्कूल में 13 वर्षीय छात्रा की मौत के मामले में शिक्षिका ममता यादव के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया है। आरोप है कि शिक्षिका द्वारा दी गई सजा के कारण छात्रा की तबीयत बिगड़ गई और अंततः उसकी मौत हो गई। पुलिस ने मेडिकल रिपोर्ट मिलने के बाद मामला दर्ज कर बुधवार को शिक्षिका को गिरफ्तार कर लिया।
छात्रा काजल गौंड, वसई पूर्व के सातीवली स्थित श्री हनुमंत विद्या मंदिर स्कूल में छठी कक्षा में पढ़ती थी। 8 नवंबर को कुछ बच्चे स्कूल देर से पहुँचे। कक्षा शिक्षिका ममता यादव ने काजल समेत सभी बच्चों को स्कूल बैग कंधे पर लादकर 100 उठक-बैठक करने की सज़ा दी।
स्कूल से घर लौटने के बाद काजल की तबीयत बिगड़ गई। उसे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इस घटना के गंभीर परिणाम हुए। मंगलवार को पुलिस को जेजे अस्पताल से पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिली।
नतीजतन, वालिव पुलिस ने आखिरकार शिक्षिका ममता यादव पर भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) और किशोर न्याय (बालकों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम की धारा 75 के तहत मौत के लिए ज़िम्मेदार होने का मामला दर्ज किया। शिक्षिका को बुधवार शाम को गिरफ्तार कर लिया गया।
वालिव पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक दिलीप घुगे ने बताया, “शुरुआत में इस मामले में आकस्मिक मौत का मामला दर्ज किया गया था। हालांकि, जांच और मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर शिक्षिका के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया है और उसे कल शाम गिरफ्तार कर लिया गया।”
राष्ट्रीय समाचार
महाराष्ट्र: वसई में 100 सिट-अप्स की सजा के बाद स्टूडेंट की मौत, एसआईटी जांच की मांग

HIGH COURT
मुंबई, 20 नवंबर: वसई की 13 साल की बच्ची काजल गौड़ की मौत ने पूरे महाराष्ट्र को हिलाकर रख दिया है। स्कूल में 10 मिनट देर से आने पर टीचर ने उसे 100 सिट-अप्स करने की सजा दी। इसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ती गई और जेजे हॉस्पिटल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
इस पूरे मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट में एक पिटीशन दायर की गई है, जिसमें कोर्ट से खुद संज्ञान लेकर कार्रवाई करने की मांग की गई है।
यह पिटीशन वकील स्वप्ना प्रमोद कोडे ने चीफ जस्टिस चंद्रशेखर को संबोधित करते हुए फाइल की है। उन्होंने कोर्ट से अपील की है कि इस मामले की जांच तेजी से करवाई जाए, क्योंकि यह सिर्फ एक बच्ची की मौत का मामला नहीं, बल्कि एक इंसानी और संवैधानिक मुद्दा है।
पिटीशन में मांग की गई है कि एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम बनाई जाए, जो स्कूल के गैरकानूनी कामकाज और इस मौत के पीछे की सभी परिस्थितियों की जांच करे। साथ ही स्कूल मैनेजमेंट और आरोपी टीचर के खिलाफ तुरंत एफआईआर दर्ज की जाए।
पिटीशन के मुताबिक, 8 नवंबर 2025 को क्लास 6 की स्टूडेंट काजल गौड़ को देर से आने पर 100 सिट-अप्स करने को कहा गया। काजल की हालत स्कूल से घर लौटने के बाद बिगड़ने लगी। उसे पहले वसई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, फिर हालात खराब होने पर जेजे हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां 14 नवंबर को उसकी मौत हो गई।
वालिव पुलिस ने अभी तक सिर्फ एक्सीडेंटल डेथ की रिपोर्ट दर्ज की है और एफआईआर दर्ज करने के लिए फॉरेंसिक रिपोर्ट के नतीजों का इंतजार कर रही है।
वहीं, स्कूल की तरफ से दावा किया गया कि उन्हें काजल की खराब सेहत के बारे में पता था और उन्होंने उसके माता-पिता से मेडिकल मदद लेने को कहा था, लेकिन सजा देने वाली टीचर ममता यादव को पता नहीं था कि काजल सजा पाने वाले बच्चों के समूह में है। प्रिंसिपल का कहना है कि टीचर उसे पहचान नहीं पाई क्योंकि उसकी हाइट छोटी थी, हालांकि जांच पूरी होने तक टीचर को सस्पेंड कर दिया गया है।
पिटीशन में बताया गया है कि हर नागरिक को जीवन और गरिमा से जीने का हक है। किसी भी इंसान की जान कानून के बिना नहीं ली जा सकती। यहां एक नाबालिग बच्ची को ऐसी सजा दी गई जो उसकी जान ले बैठी। यह न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है और एक बड़े अपराध की ओर इशारा करता है।
वकील स्वप्ना कोडे ने कोर्ट से मांग की है कि एसआईटी गठित की जाए जो पूरी घटना की तेजी से जांच करे और स्कूल प्रबंधन व आरोपी टीचर के खिलाफ मामला दर्ज करे। स्कूल के अवैध संचालन की जांच हो और जरूरत पड़े तो उसकी मान्यता रद्द कर दी जाए। पूरे राज्य में शारीरिक सजा पर रोक लगाने के लिए निर्देश जारी किए जाएं। काजल के भाई समेत प्रभावित स्टूडेंट्स की पढ़ाई का भविष्य सुरक्षित किया जाए।
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