अंतरराष्ट्रीय
मैंने ‘मैं’ को कूड़ेदान में डाल दिया और इसे ‘हम’ में बदल दिया, यही मेरी उपलब्धि है : शास्त्री

आईसीसी टी-20 विश्व कप के अंतिम ‘सुपर 12’ मैच में नामीबिया के खिलाफ नौ विकेट से जीत के बाद भारतीय क्रिकेट टीम के कोच के तौर पर अपनी आखिरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में रवि शास्त्री ने कहा कि भारतीय ड्रेसिंग रूम में कोई अहंकार नहीं था। टीम के मुख्य कोच के रूप में उनके कार्यकाल के अंतिम पांच वर्षों के दौरान ‘आई’ यानी ‘मैं’ शब्द को कूड़ेदान में डाल दिया गया था। विराट कोहली की अगुवाई वाली टीम टी-20 विश्व कप में पाकिस्तान और न्यूजीलैंड के साथ अपने दो शुरुआती ‘सुपर 12’ के मैच हार गई थी और टीम इंडिया सेमीफाइनल में प्रवेश नहीं कर पाई।
शास्त्री का कार्यकाल इस साल भारतीय टेस्ट टीम की उस ऊंचाई के लिए जाना जाएगा, जब उन्होंने अजेय ऑस्ट्रेलिया को उनके घरेलू मैदान पर 2-1 से हराया और पांच मैचों की श्रृंखला में जो रूट की अगुवाई वाली इंग्लैंड के खिलाफ 2-1 की बढ़त हासिल की। आखिरी टेस्ट भारतीय खेमे में बायो-बबल के बाद रद्द करना पड़ा था।
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने और विराट कोहली ने एक ऐसा माहौल बनाने की दिशा में सक्रिय रूप से काम किया, जहां आलोचनाओं के बीच खिलाड़ी एक-दूसरे के लिए खड़े हों, इस पर शास्त्री ने कहा, “हमने सक्रिय रूप से इसके लिए काम किया। हम ड्रेसिंग रूम में विश्वास चाहते थे। यही एकमात्र तरीका है, जिससे आप एक-दूसरे का समर्थन कर सकते हैं। हमें संचार की आवश्यकता थी। हम चाहते थे कि एक-दूसरे पर उंगली न उठाई जाए। हमें ‘मैं’ शब्द को कूड़ेदान में फेंकने और ‘हम’ शब्द के साथ सामने आने की जरूरत थी। हमने एक ऐसी संस्कृति बनाई जिसका पालन करते आए हैं और आगे भी पालन किया जाएगा।”
उन्होंने आगे कहा, “विराट के नेतृत्व के साथ, वह खेलों के लिए महान खिलाड़ियों में से एक रहे हैं, खासकर जब आप रेड बॉल (लाल गेंद या टेस्ट मैच) क्रिकेट को देखते हैं, जिस तरह से उसने इसे अपनाया है। यह टीम के अन्य खिलाड़ियों को सूट का पालन करने की अनुमति देता है। क्रेडिट दें, जहां देना चाहिए। यह एक टीम कल्चर है, जिसका पालन करने के लिए टीम पर प्रभाव पड़ा और उन्होंने इसका पूरी तरह से पालन किया। उन्होंने दुनिया भर में निडर होकर क्रिकेट खेला।”
‘इस विराट कोहली-रवि शास्त्री युग’ में सबसे अच्छी बात क्या थी, इस पर कोच ने जोर देकर कहा कि इसने एक टीम बनाई है, जो खेल के इतिहास में सबसे महान में से एक है।
शाी ने कहा, “इस टीम ने पिछले पांच वर्षों में सभी प्रारूपों में गुणवत्ता वाली क्रिकेट खेली है। जब आप उस फैशन में प्रदर्शन करते हैं, जहां आप दुनिया भर में जाते हैं, सभी प्रारूपों में और टीमों को हराते हैं, तो आप जानते हैं कि आप एक महान क्रिकेट टीम का हिस्सा हैं।”
उन्होंने कहा, “मैं एक महान क्रिकेट टीम इंडिया नहीं कह रहा हूं, मैं खेल के इतिहास में महान क्रिकेट टीमों में से एक कह रहा हूं, क्योंकि अगर आप इस तरह के प्रदर्शनों को देखते हैं, तो वे अक्सर नहीं होते हैं। आपके पास ऐसे खिलाड़ियों का एक समूह होना चाहिए जो फिट हों, भूखे (जीत के लिए) हों, निडर हों, उनमें गुण हों, उनमें विश्वास हो और फिर फिट रहते हुए आप उन पांच वर्षों को एक साथ खेल सकें और दुनिया भर में जा सकें और हर जगह प्रदर्शन कर सकें।”
रवि शाी ने भारतीय क्रिकेट टीम की ओर से पिछले कुछ वर्षो में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में किए गए शानदार प्रदर्शन पर भी प्रकाश डाला और वहां टीम की जीत को बड़ी जीत बताया।
शास्त्री ने यह भी कहा कि आईसीसी टी-20 विश्व कप के अलावा, उनकी टीम ने खेल के सबसे छोटे संस्करण या वर्जन में असाधारण रूप से अच्छा खेला और वेस्टइंडीज और श्रीलंका को उनके घरेलू मैदान पर हराया।
उन्होंने सफेद गेंद यानी वनडे और टी-20 मैचों का जिक्र करते हुए कहा, “आपने वेस्टइंडीज को वेस्टइंडीज में हराया। आपने श्रीलंका को श्रीलंका में हराया, अच्छी टीमें। चारों ओर, यह शानदार रहा है। हां, हम यहां पहले दो मैचों में परिणाम से निराश हैं। चलो सच कहूं तो मैं यहां कोई बहाना बनाने नहीं आया हूं। लेकिन फिर भी, यह लड़कों के लिए सीखने की बात है। उन्हें अगले साल फिर से मौका मिलेगा।”
अंतरराष्ट्रीय
ओबामा ने ईरान को बहुत कुछ दिया, मैं नहीं देने वाला: ट्रंप

वाशिंगटन, 30 जून। ईरान पर भविष्य में क्या अमेरिका हमला करेगा या नहीं, फिलहाल इसे लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्थिति स्पष्ट नहीं की है। ईरान के उप-विदेश मंत्री अमेरिका के साथ भविष्य में किसी भी कूटनीतिक और न्यूक्लियर वार्ता पर शर्त रख चुके हैं। ऐसे में ट्रंप ने कहा है कि अब वह ईरान से बात नहीं कर रहे हैं।
ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ’ पर लिखा, “मैं ईरान को कुछ भी नहीं दे रहा हूं। ओबामा की तरह, जिन्होंने ‘परमाणु हथियार जेसीपीओए (जो अब समाप्त हो जाएगा) के तहत अरबों डॉलर का भुगतान किया था। इतना ही नहीं, मैं उनसे इस विषय पर बात भी नहीं करने वाला हूं, क्योंकि हमने उनकी न्यूक्लियर फैसिलिटी को पूरी तरह से नष्ट कर दिया है।”
ट्रंप शुक्रवार को उन मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज कर चुके थे, जिनमें कहा गया था कि उनके प्रशासन ने सिविलियन एनर्जी प्रोड्यूसिंग न्यूक्लियर प्रोग्राम बनाने के लिए ईरान को 30 बिलियन डॉलर तक की मदद करने की चर्चा की थी।
रविवार को ‘बीबीसी’ से बातचीत में माजिद तख्त-रवांची ने कहा था कि अमेरिका को ईरान के खिलाफ किसी भी हमले से इनकार करना चाहिए। इसके साथ ही उप-विदेश मंत्री ने कहा कि ईरान के खिलाफ भविष्य के हमलों पर ट्रंप प्रशासन की स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है।
माजिद ने बताया कि अमेरिका ने मध्यस्थ देशों से कहा है कि वह ईरान के साथ बातचीत करना चाहता है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि वह भविष्य में हमले करेगा या नहीं।
अमेरिका ने ईरान की तीन न्यूक्लियर फैसिलिटी नतांज, फोर्डो और इस्फाहान को नष्ट किया था। इस फैसले के साथ अमेरिका इजरायल-ईरान के बीच संघर्ष में कूद पड़ा था।
इसके जवाब में ईरान ने कतर और इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। इसके बाद ट्रंप ने ईरान-इजरायल के बीच युद्ध विराम की घोषणा की थी।
अंतरराष्ट्रीय
ईरान के शीर्ष शिया धर्मगुरु ने ट्रंप-नेतन्याहू के खिलाफ जारी किया ‘फतवा’

तेहरान, 30 जून। अयातुल्ला मकारिम शिराजी ने एक ‘फतवा’ जारी करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को ‘ऊपर वाले का दुश्मन’ बताया है। अयातुल्ला मकारिम शिराजी ईरान के शीर्ष शिया धर्मगुरुओं में से एक हैं।
शीर्ष शिया धर्मगुरु ने अपने फतवे में कहा, “कोई भी व्यक्ति या शासन जो नेता या मरजा को धमकाता है, उसे ऊपर वाले का दुश्मन माना जाता है।”
सेमी-ऑफिशियल मेहर समाचार एजेंसी के अनुसार, “रविवार को अपने ऑफिस के एक बयान में शिराजी ने दुनियाभर के मुसलमानों से ऐसी धमकियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने को कहा है। शिराजी ने कहा है कि अगर कोई मुस्लिम जो अपने मुस्लिम कर्तव्य का पालन करता है, उसे अपने अभियान में कठिनाई या नुकसान उठाना पड़ता है, तो उसे ऊपर वाले की राह में एक योद्धा के रूप में इनाम से नवाजा जाएगा।”
फतवे में कहा गया है, “मुसलमानों या इस्लामी देशों के जरिए उस दुश्मन को दिया जाने वाला कोई भी सहयोग या समर्थन हराम या निषिद्ध है। दुनियाभर के सभी मुसलमानों के लिए यह जरूरी है कि वह इन दुश्मनों को उनके शब्दों और गलतियों पर पछतावा करवाएं।”
रिपोर्ट्स के अनुसार यह फतवा राष्ट्रपति ट्रंप और इजरायली अधिकारियों के ईरानी सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के खिलाफ कथित धमकियों के बाद आया है।
राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में कहा था कि उन्होंने खामेनेई को ‘एक बहुत ही भयावह और अपमानजनक मौत’ से बचाया है। इसके साथ ही ट्रंप ने ईरानी सर्वोच्च नेता के ऊपर इजरायल पर जीत के बारे में गलत बयान देने का आरोप लगाया।
हाल ही में इजरायल के रक्षा मंत्री इजरायल कैट्ज ने एक इंटरव्यू में कहा कि ईरान के साथ अपने 12-दिवसीय संघर्ष के दौरान, इजरायल ने खामेनेई को खत्म करने की कोशिश की, लेकिन इस ऑपरेशन को अंजाम देने का मौका कभी नहीं आया।
कैट्ज ने इजराइल के ‘चैनल 13’ को दिए एक इंटरव्यू में कहा, “अगर वह हमारी नजर में होते, तो हम उन्हें मार गिराते। हम खामेनेई को खत्म करना चाहते थे, लेकिन कोई ऑपरेशनल मौका नहीं था।”
इजरायल ने 13 जून को ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ शुरू किया, जिसमें ईरान की प्रमुख सैन्य और न्यूक्लियर एसेट्स को निशाना बनाया गया। इसके बाद दोनों देशों के बीच संघर्ष बढ़ गया।
जवाबी कार्रवाई में, ईरान ने इजरायली शहरों और बाद में कतर और इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर मिसाइल हमले किए। तेहरान के इस कदम से पहले फोर्डो, नतांज और इस्फाहान में उसकी न्यूक्लियर फैसिलिटी पर अमेरिकी हमले हुए थे।
संघर्ष के बारह दिन बाद ट्रंप ने दोनों देशों के बीच युद्धविराम की घोषणा की।
अंतरराष्ट्रीय
सीजफायर की उम्मीदों के बीच गाजा में इजरायली सैनिक की मौत

यरूशलम, 30 जून। उत्तरी गाजा पट्टी में एक इजरायली सैनिक की मौत की सूचना सामने आई है, जिसकी जानकारी इजरायली सेना ने दी है।
‘सिन्हुआ समाचार एजेंसी’ के अनुसार सेना ने बताया है कि 401वीं ब्रिगेड की 601वीं कॉम्बैट इंजीनियरिंग बटालियन के सार्जेंट यिसरायल नतन रोसेनफेल्ड (20) लड़ाई के दौरान मारे गए।
इजरायल के सरकारी स्वामित्व वाले ‘कान टीवी’ ने बताया कि रोसेनफेल्ड की मौत जबालिया में एक विस्फोटक उपकरण की वजह से हुई। यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां सेना ने उत्तरी गाजा में एक नियोजित बफर जोन के हिस्से के रूप में चौकियों के निर्माण की तैयारी में इमारतों को ध्वस्त करना शुरू कर दिया था।
जून की शुरुआत से गाजा पट्टी में 21 इजरायली सैनिक मारे गए हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2023 तक सैनिकों की मौत का आंकड़ा 880 तक पहुंच चुका था।
इससे पहले रविवार को, फिलिस्तीनी सूत्रों ने उत्तरी गाजा में भारी बमबारी की सूचना दी। गाजा स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, इजरायली हमलों में करीब 88 लोग मारे गए और 365 घायल हो गए।
इजरायली डिफेंस फोर्सेज ने गाजा के भीड़भाड़ वाले रिहायशी इलाकों के अलावा स्कूल, स्टेडियम और शरणार्थी टेंट को निशाना बनाया।
यह हमला तब हुआ जब इजरायली सेना ने नई इवैक्युएशन वॉर्निंग जारी की। इस चेतावनी में गाजा शहर और जबालिया के निवासियों से तुरंत अल-मवासी क्षेत्र की ओर जाने को कहा गया।
यह हमले ऐसे समय पर हुए, जब एक दिन पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अगले हफ्ते तक सीजफायर का संकेत दिया था, लेकिन इजरायल की इस कार्रवाई ने इन उम्मीदों को धूमिल कर दिया है।
इस बीच, गाजा के स्वास्थ्य अधिकारियों ने रविवार को बताया कि अक्टूबर 2023 से इजरायली सैन्य अभियानों में मरने वाले फिलिस्तीनियों की संख्या कम से कम 56,500 हो गई है।
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