मुंबई प्रेस एक्सक्लूसिव न्यूज
अश्लील कंटेंट पर सरकार की बड़ी कार्रवाई, कई OTT प्लेटफॉर्म्स भारत में किए गए बंद

नई दिल्ली, 25 जुलाई 2025: केंद्र सरकार ने ओटीटी (OTT) प्लेटफॉर्म्स पर प्रसारित हो रहे अश्लील और आपत्तिजनक कंटेंट के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए ALTBalaji, ULLU सहित कई अन्य डिजिटल स्ट्रीमिंग सेवाओं को भारत में ब्लॉक करने का निर्णय लिया है। यह कदम नागरिकों और सामाजिक संगठनों की शिकायतों के बाद उठाया गया है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने आंतरिक जांच के बाद पाया कि ये प्लेटफॉर्म्स बार-बार अश्लील, अशोभनीय और समाज की सांस्कृतिक मर्यादाओं के विरुद्ध कंटेंट प्रसारित कर रहे थे, जो विशेष रूप से पारिवारिक माहौल और बच्चों के लिए अनुपयुक्त है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह रचनात्मक स्वतंत्रता पर हमला नहीं है, बल्कि डिजिटल कंटेंट को कानूनी और नैतिक दायरे में रखने का प्रयास है। हर प्लेटफॉर्म को तयशुदा दिशानिर्देशों का पालन करना होता है।”
सरकार ने पहले ही इन प्लेटफॉर्म्स को चेतावनी दी थी और कंटेंट को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा था। लेकिन कई वेब सीरीज और शोज़ में नग्नता, स्पष्ट यौन दृश्य और अश्लील संवादों को जारी रखा गया, जिसकी वजह से यह कार्रवाई की गई।
OTT प्लेटफॉर्म्स हाल के वर्षों में तेजी से लोकप्रिय हुए हैं, खासकर युवा दर्शकों के बीच, लेकिन पारंपरिक टीवी और फिल्मों की तरह इन पर नियमन पहले से कमजोर रहा है। सरकार ने पहले एक स्व-नियमन फ्रेमवर्क लागू किया था, मगर आलोचकों का मानना है कि उसका पालन सख्ती से नहीं हुआ।
इस फैसले के बाद डिजिटल मनोरंजन जगत में बहस छिड़ गई है — एक ओर रचनात्मक अभिव्यक्ति की आज़ादी की मांग उठ रही है, वहीं दूसरी ओर समाज में नैतिकता बनाए रखने की ज़रूरत पर जोर दिया जा रहा है।
फिलहाल, जिन प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाया गया है वे भारत में एक्सेस नहीं किए जा सकते। मंत्रालय ने यह भी संकेत दिया है कि यदि अन्य ओटीटी प्लेटफॉर्म्स ने कंटेंट के नियमन को गंभीरता से नहीं लिया, तो आगे और कड़े कदम उठाए जा सकते हैं।
यह निर्णय भारत में डिजिटल कंटेंट के नियमन की दिशा में एक अहम मोड़ साबित हो सकता है।
मुंबई प्रेस एक्सक्लूसिव न्यूज
वक्फ बिल ऑर्डर ! जाने किन चीजों पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई है रोक

SUPRIM COURT
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वक़्फ़ (संशोधन) अधिनियम 2025 को लेकर एक अहम फैसला सुनाया। अदालत ने अधिनियम को पूरी तरह से रद्द या स्थगित करने से इनकार कर दिया, लेकिन इसके कई विवादित प्रावधानों पर अस्थायी रोक लगा दी है। यह फैसला देशभर में चर्चा का विषय बन गया है क्योंकि वक़्फ़ कानून लंबे समय से राजनीतिक और सामाजिक बहस के केंद्र में रहा है।
कौन-कौन से प्रावधान निलंबित हुए?
- पांच साल से इस्लाम का पालन करने की शर्त
अधिनियम में कहा गया था कि कोई भी व्यक्ति वक़्फ़ बनाने के लिए कम से कम पाँच वर्ष से “प्रैक्टिसिंग मुस्लिम” होना चाहिए। अदालत ने इस पर रोक लगाते हुए कहा कि जब तक इस शब्द की स्पष्ट परिभाषा तय नहीं होती, इसे लागू नहीं किया जा सकता। - ज़िला कलेक्टर की भूमिका
कानून में ज़िला कलेक्टर को यह अधिकार दिया गया था कि वे यह तय करें कि कोई संपत्ति वक़्फ़ है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रावधान पर रोक लगाई है, यह कहते हुए कि इससे नागरिकों के अधिकारों और न्यायिक प्रक्रिया पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। - वक़्फ़ बोर्ड और परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या पर सीमा
संशोधन में प्रावधान था कि राज्य वक़्फ़ बोर्ड में अधिकतम 3 और केंद्रीय वक़्फ़ परिषद में अधिकतम 4 गैर-मुस्लिम सदस्य शामिल किए जा सकेंगे। अदालत ने इस प्रावधान को भी निलंबित कर दिया है। - वक़्फ़ बोर्ड के CEO का मुस्लिम होना
अधिनियम में कहा गया था कि यथासंभव वक़्फ़ बोर्ड के CEO मुस्लिम समुदाय से हों। सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रावधान पर भी रोक लगा दी।
पीठ ने स्पष्ट किया कि कानून को पूरी तरह से निलंबित करना उचित नहीं होगा, परंतु जिन धाराओं को चुनौती दी गई है, उन पर सुनवाई पूरी होने तक रोक लगाई जाती है। अदालत ने सभी पक्षों को अगली सुनवाई में विस्तृत बहस का अवसर देने की बात कही है।
इस फैसले को लेकर राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। विरोधी दलों ने सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय को न्याय और संवैधानिक मूल्यों की जीत बताया है, वहीं सरकार का मानना है कि कानून का उद्देश्य वक़्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाना था।
फिलहाल यह आदेश अंतरिम है और अंतिम फैसला आने तक लागू रहेगा। सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई में यह तय होगा कि इन प्रावधानों को स्थायी रूप से रद्द किया जाएगा या इनमें संशोधन की गुंजाइश होगी।
यह फैसला वक़्फ़ प्रबंधन और इससे जुड़े समुदायों पर गहरा असर डालने वाला माना जा रहा है, और आने वाले समय में इस पर देशव्यापी बहस और तेज हो सकती है।
मुंबई प्रेस एक्सक्लूसिव न्यूज
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की प्रमुख धाराओं पर लगाई रोक

SUPRIM COURT
नई दिल्ली, 15 सितम्बर: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में लागू किए गए वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की कुछ धाराओं पर अंतरिम रोक लगा दी है। अदालत यह आदेश अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिया।
अदालत ने उस प्रावधान पर रोक लगाई है जिसमें कहा गया था कि केवल मुस्लिम सदस्य ही वक्फ बोर्ड में नियुक्त किए जा सकते हैं और वह भी न्यूनतम पाँच साल की अवधि के लिए। न्यायालय ने माना कि यह प्रावधान बहिष्करण संबंधी सवाल खड़े करता है और इस पर विस्तृत विचार आवश्यक है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि फिलहाल किसी भी वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या अधिकतम तीन तक सीमित रहेगी। यह व्यवस्था अंतिम निर्णय तक लागू रहेगी।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि यह संशोधन भेदभावपूर्ण है और संविधान द्वारा दिए गए समानता के अधिकार के खिलाफ है। वहीं, केंद्र सरकार ने अधिनियम का बचाव करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य देशभर में वक्फ संस्थाओं के कामकाज में पारदर्शिता और सुधार लाना है।
न्यायालय ने यह भी कहा कि इस अंतरिम आदेश से वक्फ बोर्ड के मौजूदा प्रशासनिक कार्य प्रभावित नहीं होंगे, केवल विवादित धाराएं फिलहाल लागू नहीं की जाएंगी।
मामले की विस्तृत सुनवाई आने वाले हफ्तों में होगी।
महाराष्ट्र
नागपुर कामठी में पाकिस्तानी संबंधों के आरोप में दो संदिग्ध हिरासत में लिए गए

ATS
मुंबई: नागपुर आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने एक गुप्त सूचना के आधार पर कामठी से दो लोगों को गिरफ्तार किया है। उनके पाकिस्तान में कुछ लोगों से संबंध थे। इस कार्रवाई से हड़कंप मच गया है और एटीएस की टीम उनसे गहन पूछताछ कर रही है। एटीएस की नागपुर इकाई ने शनिवार सुबह यह कार्रवाई की। गिरफ्तार किए गए दोनों लोग लंबे समय से कामठी में थे और सोशल मीडिया पर सक्रिय थे। दोनों सोशल मीडिया के जरिए पाकिस्तान में कुछ लोगों के संपर्क में थे। एटीएस को इस बारे में गुप्त सूचना मिली थी। जिसके बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें पूछताछ के लिए नागपुर स्थित एटीएस कार्यालय ले जाया गया। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान कपिल नगर थाने की एक महिला कारगिल से नियंत्रण रेखा पार कर पाकिस्तान आ गई थी। वह महिला भी सोशल मीडिया के जरिए पाकिस्तान में लोगों के संपर्क में थी। उसे पाकिस्तानी रेंजर्स ने हिरासत में ले लिया। उसके बाद उससे गहन पूछताछ की गई। अब एटीएस अधिकारी इस बात की गहन जांच कर रहे हैं कि कामठी के दोनों लोग पाकिस्तान के संपर्क में क्यों थे। एटीएस दोनों संदिग्धों से पूछताछ कर रही है ताकि पता लगाया जा सके कि वे पाकिस्तान में किन लोगों के संपर्क में थे। जब महाराष्ट्र एटीएस प्रमुख नोएल बजाज से इस बारे में पूछताछ की गई तो उन्होंने गिरफ्तारी से इनकार किया, जबकि सूत्रों का कहना है कि नागपुर से दो लोगों को हिरासत में लिया गया है।
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