राजनीति
गोवा : कांग्रेस के पूर्व विधायकों को अयोग्य ठहराने की अर्जी पर सुनवाई फिर शुरू
कांग्रेस के 10 पूर्व विधायकों के खिलाफ अयोग्य ठहराए जाने संबंधी याचिका पर गोवा के स्पीकर राजेश पाटेकर ने शुक्रवार को फिर से सुनवाई शुरू की। ये विधायक कांग्रेस छोड़कर जुलाई, 2019 में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए थे। गौरतलब है कि इस महीने की शुरूआत में सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर को निर्देश दिया था कि वह इस मामले में सुनवाई कर 26 फरवरी को याचिका का निस्तारण करें। इसी के मद्देनजर स्पीकर ने फिर सुनवाई प्रारंभ की है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के जवाब में पटनेकर ने एक अर्जी दी जिसमें यह कहते हुए कोर्ट के निर्देश के बाबत स्पष्टीकरण मांगा गया कि एक दिन में सुनवाई की कार्यवाही पूरी करना संभव नहीं है।
राज्य विधानसभा परिसर में पत्रकारों से बात करते हुए याचिकाकर्ता और राज्य कांग्रेस अध्यक्ष गिरीश चोडनकर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करने के लिए स्पीकर बाध्य हैं।
चोडनकर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, यह स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि स्पीकर आज उस याचिका पर अंतिम फैसला देंगे, जिसे मैंने डेढ़ साल पहले दायर किया था। हम उम्मीद करते हैं कि स्पीकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश और भारत के संविधान का सम्मान करेंगे और जिस पर पर वह बैठे हैं, उसकी संवैधानिक गरिमा को बरकरार रखेंगे। उन्हें सिर्फ एक आदेश देना है – या हमारे पक्ष में अथवा हमारी याचिका खारिज कर दें, लेकिन आज उन्हें इसका निस्तारण करना होगा।
राजनीति
मध्य प्रदेश के मंत्री का बयान शर्मनाक : जीतू पटवारी

JITU PATVARI
भोपाल, 27 अक्टूबर: मध्य प्रदेश की व्यापारिक नगरी इंदौर में आईसीसी महिला क्रिकेट विश्व कप में हिस्सा लेने आई ऑस्ट्रेलियाई महिला खिलाड़ियों के साथ हुई छेड़छाड़ की घटना पर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय द्वारा दिए गए बयान की कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने निंदा की और इसे शर्मनाक भी करार दिया है।
दरअसल, पिछले दिनों इंदौर में ऑस्ट्रेलियाई महिला खिलाड़ी के साथ छेड़छाड़ की घटना सामने आई थी। इस मामले में एक आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया है। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने सलाह देने वाले अंदाज में कहा कि खिलाड़ी जब भी बाहर जाएं तो उन्हें प्रशासन को अवगत कराना चाहिए।
मंत्री विजयवर्गीय के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि इंदौर में ऑस्ट्रेलियाई महिला क्रिकेटर्स से छेड़छाड़ की शर्मनाक घटना के बाद भाजपा के मंत्री का बयान पूरे मध्य प्रदेश के लिए शर्म की बात है। बेटियों की सुरक्षा पर सवाल उठे हैं और मंत्री सलाह दे रहे हैं कि बाहर जाने से पहले प्रशासन को बताएं।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने सवालिया अंदाज में पूछा कि क्या अब मध्य प्रदेश इतना असुरक्षित हो गया है कि हर बेटी को घर से निकलने से पहले प्रशासन को सूचना देनी पड़े? भाजपा सरकार बेटियों की सुरक्षा देने में पूरी तरह नाकाम साबित हुई है।
जीतू पटवारी ने कहा कि भाजपा नेताओं के असंवेदनशील बयानों से जनता का गुस्सा बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री और गृहमंत्री को जवाब देना चाहिए कि आखिर प्रदेश में ऑस्ट्रेलिया की महिला खिलाड़ियों के साथ हुई छेड़छाड़ की घटना पर महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर सिर्फ बयानबाजी ही क्यों हो रही है और ऐसे शर्मनाक बयान पर कार्रवाई करें।
महिला क्रिकेटर के साथ छेड़छाड़ की घटना के बाद सरकार का रवैया सख्त है और वह दोषियों पर कार्रवाई की बात कर रही है, वहीं कांग्रेस की ओर से सवाल उठाए जा रहे हैं। इसी दौरान कैलाश विजयवर्गीय का बयान आया जिसमें उन्होंने कहा कि खिलाड़ी कहीं भी जाए तो स्थानीय शासन को सूचना देकर जाए, वास्तव में यह घटना हमारे लिए सबक है।
मंत्री विजयवर्गीय ने स्वयं का उदाहरण देते हुए कहा कि हम लोग भी जब कहीं जाते हैं तो किसी एक स्थानीय व्यक्ति को बताते हैं, खिलाड़ियों को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए।
राष्ट्रीय समाचार
महाराष्ट्र: लातूर में विषदंत विहीन नाग लेकर भीख मांग रहे लोग पकडे गए, वन विभाग की कार्रवाई

लातूर, 27 अक्टूबर: महाराष्ट्र में लातूर जिले के औसा शहर में सर्पमित्रों और वन विभाग की संयुक्त टीम ने सांप को लेकर भीख मांग रहे लोगों को पकड़ा है। वन विभाग को उनके पास से विष दंत विहीन नाग मिला।
वन्यजीवों का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए एक जिंदा नाग को बरामद किया। इस नाग के दांत तोड़ दिए गए थे और कुछ लोग इसे लेकर भीख मांगते घूम रहे थे।
दिवाली के दौरान औसा शहर में कुछ लोग एक दंतविहीन नाग को लेकर सड़कों पर घूम रहे थे। वे इसे अपनी आजीविका के लिए इस्तेमाल कर रहे थे। सूचना मिलते ही सर्पमित्रों और वन विभाग की टीम ने मौके पर छापा मारा और नाग को इन लोगों के चंगुल से छुड़ा लिया। नाग की हालत गंभीर थी, क्योंकि उसके विषदंत (फैंग्स) पूरी तरह से निकाल दिए गए थे।
बरामदगी के बाद नाग को लातूर में सर्पमित्र भीमाशंकर गाढवे और पशुचिकित्सक डॉक्टर नेताजी शिंगटे की देखरेख में इलाज के लिए भेजा गया। डॉक्टरों के अनुसार, नाग के प्राकृतिक दांत फिर से उगाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है और इसमें शुरुआती सफलता मिली है। नाग के नए दांत लगभग दो मिलीमीटर तक बढ़ चुके हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले दिनों में वह पूरी तरह स्वस्थ हो जाएगा।
डॉक्टर शिंगटे ने बताया, “नाग अब बेहतर प्रतिक्रिया दे रहा है। हम उसे कृत्रिम तरीके से खाना और दवाएं दे रहे हैं। उसके दांतों का वापस आना सकारात्मक संकेत है।”
वन विभाग ने इस मामले में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है, क्योंकि वन्यजीवों का इस तरह इस्तेमाल करना गैरकानूनी है।
स्थानीय लोगों ने इस कार्रवाई की तारीफ की है और विभाग ने वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए जागरूकता फैलाने की अपील की है। वन विभाग ने लोगों से आग्रह किया है कि वे वन्यजीवों को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों की सूचना तुरंत दें।
राष्ट्रीय समाचार
दिल्ली दंगा मामला: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को लगाई फटकार, 31 अक्टूबर को होगी अगली सुनवाई

suprim court
नई दिल्ली, 27 अक्टूबर: दिल्ली दंगों के मामले में आरोपी उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि जब पिछली तारीख पर पुलिस को जवाब दाखिल करने का पर्याप्त समय दिया गया था, तो फिर अब तक जवाब क्यों दाखिल नहीं किया गया?
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि पिछली सुनवाई के दौरान उसने स्पष्ट रूप से कहा था कि सोमवार को मामले की सुनवाई होगी। अदालत ने सवाल किया, “जब याचिकाकर्ता पहले ही 5 साल जेल में बिता चुके हैं, तब भी पुलिस की ओर से जवाब दाखिल न करना बेहद गंभीर लापरवाही है।”
अदालत ने कहा कि अब इस मामले में और देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 31 अक्टूबर तय की है और तब तक दिल्ली पुलिस को अपना जवाब हर हाल में दाखिल करने का निर्देश दिया है।
यह मामला पहले भी सुप्रीम कोर्ट में उठ चुका है। दरअसल, याचिकाकर्ताओं ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें उनकी जमानत याचिकाएं 2 सितंबर को खारिज कर दी गई थीं। सुप्रीम कोर्ट ने 22 सितंबर को हुई सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था।
हालांकि, पुलिस की ओर से अब तक कोई जवाब पेश नहीं किया गया, जिससे अदालत ने नाराजगी जाहिर की। अदालत ने साफ कहा कि यह मामला वर्षों से लंबित है और याचिकाकर्ता पहले से ही लंबे समय से जेल में हैं, इसलिए अब इस पर निर्णायक सुनवाई जरूरी है।
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि विरोध या प्रदर्शन के नाम पर साजिशन हिंसा को किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता। अदालत ने माना था कि दंगों की घटनाएं योजनाबद्ध थीं, जिनका उद्देश्य समाज में विभाजन और अशांति फैलाना था।
हाईकोर्ट ने उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा, मीरान हैदर, मोहम्मद सलीम खान, शिफा-उर-रहमान, अतर खान, अब्दुल खालिद सैफी और शादाब अहमद की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी थीं। वहीं, एक अन्य आरोपी तसलीम अहमद की याचिका भी 2 सितंबर को अलग पीठ ने खारिज की थी।
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