राजनीति
जी- 23 में चुनाव चाहने वाले अब मना कर रहे, उनका मन क्यों बदला मेरे समझ से बाहर: शशि थरूर

कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में मलिकार्जुन खड़गे बनाम शशि थरूर है। खड़गे को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का समर्थन मिला है वही जी 23 के नेताओं ने भी खड़गे को ही अपना समर्थन दिया। शशि थरूर का मानना है कि, जिन लोगों ने पार्टी में चुनाव की बात कही थी अब वह आम सहमति की बात कर रहे, अचानक उनका मन इतनी जल्दी क्यों बदल उन्हें इसकी जानकारी नहीं। वहीं शशि थरूर ने राजस्थान सियासी घटनाक्रम पर कोई प्रतिक्रिया ना देते हुए दुख व्यक्त किया है, उनका कहना है कि जो राजस्थान में हुआ वह दु:खद है। इसके साथ ही शशि थरूर का मानना है कि जिस तरह अध्यक्ष पद के चुनाव हो रहे हैं उसी तर्ज पर वकिर्ंग कमेटी के भी चुनाव होने चाहिए।
कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए लड़ रहे चुनाव को लेकर शशि थरूर ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, 5 साल बाद कांग्रेस में अध्यक्ष पद को लेकर चुनाव हो रहा है, गांधी परिवार ने तय किया कि अध्यक्ष पद चुनाव में वह शामिल नहीं होंगे। सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों ही मानते हैं कि चुनाव से पार्टी की मजबूती होगी जो की बेहद अच्छा है।
केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री भी कह चुके हैं कि गांधी परिवार संगठन निष्पक्ष रहेंगे। मैंने अपना चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है और जगह-जगह अपने लोगों से मैं मुलाकात भी कर रहा हूं।
सवाल: क्या जी 23 नेताओं का समर्थन ना मिलने पर आपको बुरा लगा?
जवाब: जी 23 कोई संगठन नहीं था, सोनिया गांधी को जिन वरिष्ठ नेताओं ने चिट्ठी लिख कर भेजी थी उन्होंने कई लोगों से समर्थन मांगा और 100 लोगों से संपर्क किया था। लेकिन कोविड-19 लॉकडाउन के कारण कई लोगों के चिट्ठी पर हस्ताक्षर नहीं हो सके। वही चिट्ठी पर सिर्फ 23 लोग जो दिल्ली में उस वक्त मौजूद थे उन्होंने अपने हस्ताक्षर किए और उन्हीं 23 लोगों के हस्ताक्षर लेकर सोनिया गांधी को चिट्ठी भेजी गई।
जिन मुख्य तीन लोगों ने चिट्ठी पर हस्ताक्षर किए थे वह अब पार्टी में नहीं हैं, उन्होंने पार्टी छोड़ दी है। मैं जी 23 का कोई प्रतिनिधि नहीं था और ना ही होने की इच्छा है मैं सिर्फ उनके विचारों के समर्थन में था, इनमें एक विचार था की पार्टी में चुनाव होने चाहिए। अब मैं चुनाव लड़ भी रहा हूं और 1 दिन वकिर्ंग कमेटी के लिए भी चुनाव होने चाहिए।
जिन लोगों ने पार्टी में चुनाव की बात कही थी अब वह आम सहमति होनी चाहिए और चुनाव नहीं चाहिए मुझे समझ नहीं आ रहा उनका मन इतनी जल्दी कैसे बदल गया। लेकिन मेरा मन नहीं बदला और मैं चुनाव लड़ रहा हूं जो मैंने चिट्ठी में लिखा था मैं उस पर अभी भी कायम हूं।
सवाल : आपको भरोसे में लेकर और खड़गे के समर्थन में प्रस्तावक बनना, आपको दुख है?
जवाब : हर व्यक्ति आजाद है और वह अपना पक्ष रख सकते हैं, मुझे इसका दुख नहीं है क्योंकि मैंने उनसे बात करके या एक साथ रहना चाहिए ऐसा कुछ नहीं कहा हम सब पार्टी में एक हैं, दोस्त हैं और सहयोगी भी हैं। यदि उनको कुछ अलग लगा तो वह उनकी मर्जी।
सवाल- क्या आप आखिर तक चुनाव लड़ेंगे नामांकन वापस लेने की कोई उम्मीद?
मैं यह कैसे वापस ले सकता हूं, मेरे साथ 60 प्रस्तावक हैं। उन्होंने मेरी उम्मीदवारी पर दस्तखत किए हैं कई लोगों ने मेरे लिए अपना समय भी दिया है। जो भरोसा उन्होंने मुझे दिया मैं कैसे धोखा दे सकता हूं। मैं उनके लिए उनकी आवाज होकर इस चुनाव में लडूंगा। हां मेरी हस्ताक्षर की सूची में इतने बड़े लोग नहीं हैं जो कि खरगे जी की सूची में है।
कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता और साधारण व्यक्ति मेरे साथ हैं इसलिए मैं नामांकन पत्र वापस नहीं ले सकता हूं और ना ही कोई इसकी गुंजाइश है।
सवाल: आप कैसे अपना समर्थन जुटा और लोगों तक पहुंच रहे हैं?
जवाब: आगामी 15 दिनों के अंदर में 12 शहरों में जाकर समर्थन जुटाऊँगा। लोगों से संपर्क करूंगा पब्लिक मीटिंग करूंगा और कई जगहों पर व्यक्तिगत रूप से भी मैं मिलने जाऊंगा। अलग-अलग माध्यम के जरिए मैं लोगों तक अपनी बात पहुंचा लूंगा और अपने अध्यक्ष पद चुनाव को लेकर समर्थन मांगूंगा।
हालांकि जो डेलीगेट्स की सूची मुझे दी गई है उन सूची में 90 फीसदी लोगों के फोन नंबर नहीं है, तो उन तक पहुंचना आसान नहीं है। इन सूची में कहीं पर नंबर है तो कहीं पता दिया हुआ है तो कहीं सिर्फ जिले का ही नाम शामिल है। मैंने विचार किया था कि जितने लोगों के नंबर मेरे पास होंगे मैं उनको एक संदेश भेजूंगा लेकिन यह अब संभव नहीं है।
सवाल: राजस्थान घटनाक्रम पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है, क्योंकि वहां से पहले अशोक गहलोत अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रहे थे?
जवाब: राजस्थान में जो हुआ वह बेहद दुखद है लेकिन मैं इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दूंगा क्योंकि मैं इस बैठक में नहीं शामिल था और अंदर क्या बात हुई मुझे जानकारी नहीं है।
सवाल: कांग्रेस पार्टी में बदलाव केलिए आप वोट मांग रहे हैं, आपको लगता है खड़गे रहेंगे तो कठपुतली की तरह काम करेंगे?
जवाब: बिल्कुल नहीं क्योंकि मैं किसी के खिलाफ नहीं हूं, हम कोई युद्ध नहीं कर रहे हैं। हम सब सहयोगी हैं हमने एक साथ काम किया है और भविष्य में चुनाव बाद भी हमें साथ मिलकर ही काम करना होगा। मैं अध्यक्ष बनता हूं तो क्या मैं खड़गे जी को पार्टी की बहतरी के लिए इस्तेमाल नहीं करेंगे? यह कोई सवाल नहीं। यदि आप किसी से भी पूछेंगे कि गांधी परिवार के अलावा वरिष्ठ नेताओं का नाम ले तो हर सूची में खड़गे साहब का नाम जरूर आएगा।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र मराठी हिंदी विवाद: कानून हाथ में लेने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी: मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस

मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हिंदी-मराठी भाषाई विवाद पर साफ कर दिया है कि भाषाई भेदभाव और हिंसा बर्दाश्त नहीं की जा सकती। अगर कोई मराठी भाषा के नाम पर हिंसा भड़काता है या कानून अपने हाथ में लेता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी क्योंकि कानून व्यवस्था बनाए रखना सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि मीरा रोड हिंदी मराठी हिंसा मामले में पुलिस ने मामला दर्ज कर कार्रवाई की है। मराठी और हिंदी भाषा के मामले में एक कमेटी बनाई गई है। इसकी सिफारिश पर छात्रों के लिए जो भी बेहतर होगा, सरकार उसे लागू करेगी। किसी के दबाव में कोई फैसला नहीं लिया गया है।
उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा के लिए सिफारिश महाविकास अघाड़ी शासन के दौरान ही की गई थी, लेकिन अब यही लोग विरोध कर रहे हैं। जनता सब जानती है। उन्होंने कहा कि इस चुनाव में भाजपा को 51 फीसदी मराठी वोट मिले हैं। भाषा के नाम पर हिंसा और भेदभाव बर्दाश्त नहीं की जा सकती। मराठी हमारे लिए गर्व का स्रोत है, लेकिन हम हिंदी का विरोध नहीं करते। अगर दूसरे राज्य में किसी मराठी व्यापारी को उनकी भाषा बोलने के लिए कहा जाए, तो क्या होगा? असम में उन्हें असमिया बोलने के लिए कहा गया। उन्होंने कहा कि कानून तोड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
महाराष्ट्र
कई मॉल में आग लगने की घटनाओं के बाद, महाराष्ट्र सरकार ने सभी मॉल का 90 दिन का ऑडिट कराने का आदेश दिया, उपयोगिता कटौती की चेतावनी दी

मुंबई: मुंबई के लिंक स्क्वायर मॉल (29 अप्रैल, 2025) और ड्रीम मॉल, भांडुप में बार-बार आग लगने की घटनाओं के मद्देनजर, महाराष्ट्र सरकार ने राज्य भर में अग्नि सुरक्षा उल्लंघनों पर सख्त कार्रवाई करने की घोषणा की है। मंत्री उदय सामंत ने राज्य विधान परिषद को सूचित किया कि महाराष्ट्र के सभी मॉल का अग्नि ऑडिट 90 दिनों के भीतर पूरा किया जाना चाहिए।
अग्नि सुरक्षा मानकों को पूरा न करने पर बिजली और पानी की आपूर्ति काट दी जाएगी, ऐसा सामंत ने एमएलसी कृपाल तुमाने द्वारा उठाए गए सवाल का जवाब देते हुए चेतावनी दी। मंत्री ने यह भी आश्वासन दिया कि आगे से अग्नि सुरक्षा में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
सामंत ने कहा कि बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने पहले ही कार्रवाई शुरू कर दी है। ड्रीम मॉल, भांडुप सुरक्षा उल्लंघन के बाद बंद है। उन्होंने कहा कि सभी वर्ग ‘बी’, ‘सी’ और ‘डी’ नगर निगमों को मॉल में अग्नि सुरक्षा अनुपालन का सत्यापन शुरू करना चाहिए। जहां आवश्यक हो, महाराष्ट्र अग्नि निवारण और जीवन सुरक्षा उपाय अधिनियम, 2006 के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सत्र के दौरान विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने सदस्यों अभिजीत वंजारी और मनीषा कायंडे के साथ मॉल को अग्नि अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी करने में अनियमितताओं पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने बांद्रा के लिंक स्क्वायर मॉल, ऑर्किड सेंट्रल मॉल (मुंबई सेंट्रल) और प्राइम मॉल (विले पार्ले) में आग लगने की घटनाओं सहित कई घटनाओं की ओर इशारा किया, जिससे इन परिसरों में अग्नि शमन प्रणालियों की कार्यक्षमता पर सवाल उठे।
विधान पार्षदों ने आरोप लगाया कि स्थानीय नगरपालिका अग्निशमन विभाग और नागरिक प्राधिकरण अग्नि सुरक्षा मानदंडों को लागू करने में लापरवाह रहे हैं, और यह जानने की मांग की कि इन आग की घटनाओं के बाद क्या जांच की गई?, अग्नि सुरक्षा को मजबूत करने के लिए क्या उपाय किए गए?, सुरक्षा चूक के लिए जिम्मेदार पाए गए लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई?
एक लिखित उत्तर में, शहरी विकास विभाग (उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के अधीन) ने पुष्टि की कि कई मॉलों में अग्निशमन प्रणालियाँ काम नहीं कर रही थीं, जिनमें शामिल हैं:
बांद्रा लिंक स्क्वायर मॉल, ड्रीम मॉल, भांडुप, ऑर्किड सेंट्रल मॉल, मुंबई सेंट्रल, प्राइम मॉल, विले पार्ले
बीएमसी ने इन मॉल के मालिकों के खिलाफ महाराष्ट्र अग्नि निवारण एवं जीवन सुरक्षा उपाय अधिनियम, 2006 के तहत कार्रवाई की है।
तब से, ऑर्किड सेंट्रल मॉल और प्राइम मॉल में अग्नि प्रणालियों को पुनः सक्रिय कर दिया गया है, ड्रीम मॉल और लिंक स्क्वायर मॉल में प्रणालियां निष्क्रिय बनी हुई हैं, जिसके कारण उन्हें लगातार बंद करना पड़ रहा है और कानूनी कार्रवाई की जा रही है।
राज्य सरकार ने मॉल में अग्नि सुरक्षा की अनदेखी के आरोपों से इनकार किया और स्पष्ट किया कि कार्यात्मक अग्नि प्रणालियों को बनाए रखने और कानून के अनुसार अर्धवार्षिक अग्नि ऑडिट कराने की जिम्मेदारी मॉल मालिकों की है।
सरकार ने कहा कि मुंबई फायर ब्रिगेड आकस्मिक निरीक्षण करती है और नियमों का पालन न करने वाली संपत्तियों के खिलाफ कार्रवाई करती है।
महाराष्ट्र
हिंदी मराठी विवाद आदेश की प्रति जलाने पर मामला दर्ज

मुंबई: मुंबई हिंदी भाषा को अनिवार्य करने संबंधी आदेश की प्रति जलाने के मामले में मुंबई पुलिस ने दीपक पवार, संतोष शिंदे, संतोष खरात, शशि पवार, योगिंदर सालुलकर, संतोष वीर समेत 200 से 300 कार्यकर्ताओं के खिलाफ बिना अनुमति के विरोध प्रदर्शन करने, निषेधाज्ञा और पुलिस अधिनियम का उल्लंघन करने का मामला दर्ज किया है। आरोपियों पर आजाद मैदान पुलिस स्टेशन में धारा 189(2), 190,223, महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। शिकायतकर्ता संतोष सूरज धुंडीराम खोत, 32 वर्ष की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया है।
विवरण के अनुसार, 29 जून को दोपहर 2 से 3:30 बजे के बीच मराठी पाटकर सिंह से सटे बीएमसी रोड पर प्राथमिक शिक्षा में हिंदी यानी तीसरी भाषा को अनिवार्य करने के खिलाफ सरकारी आदेश की प्रति बिना अनुमति के जलाई गई और सरकारी आदेश का उल्लंघन किया गया। आरोपियों ने इस प्रदर्शन के लिए किसी भी तरह की अनुमति नहीं ली थी और निषेधाज्ञा का उल्लंघन किया था, जिसके बाद उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, इसकी पुष्टि मुंबई पुलिस ने की है। शिकायतकर्ता का बयान दर्ज करने के बाद मामला दर्ज किया गया है।
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