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Wednesday,31-December-2025
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देवदास से हीरामंडी तक: संजय लीला भंसाली ने कैसे गढ़ीं सबसे दमदार महिला किरदार

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संजय लीला भंसाली इंडियन सिनेमा के सबसे बेहतरीन फिल्ममेकर्स में से एक हैं, जिनकी भव्य सोच और दमदार स्टोरीटेलिंग ने इंडस्ट्री को एक अलग ऊंचाई दी है। उनकी फिल्मों की खास बात सिर्फ उनकी भव्यता नहीं, बल्कि वो किरदार हैं जो सालों तक लोगों के दिलों में बसे रहते हैं।भंसाली की फिल्मों में जो सबसे खास चीज़ है, वो है उनकी महिला किरदारों की ताकत। उनकी फिल्मों की औरतें न सिर्फ खूबसूरत और ग्रेसफुल होती हैं, बल्कि मजबूत, साहसी और प्रेरणादायक भी होती हैं। उनके संघर्ष, उनकी मजबूती, उनकी भावनाएं—हर चीज़ को भंसाली अपने अलग अंदाज में पेश करते हैं, जिससे उनके किरदार हमेशा यादगार बन जाते हैं। इस विमेंस डे पर आइए, उनकी फिल्मों की सबसे दमदार और आइकॉनिक महिला किरदारों को सलाम करते हैं, जिन्होंने बड़े पर्दे पर अपनी एक अमिट छाप छोड़ी है!

पद्मावत में पद्मावती

संजय लीला भंसाली की पद्मावत में रानी पद्मावती सिर्फ एक रानी नहीं, बल्कि सम्मान, हिम्मत और बलिदान की जीती-जागती मिसाल हैं। उन्होंने हर चुनौती का सामना बिना झुके, बिना डरे किया और साबित कर दिया कि इज्जत किसी भी डर से बड़ी होती है। भंसाली ने उनकी कहानी को शानदार विजुअल्स और गहरी भावनाओं के साथ पेश किया, जिससे वो सिर्फ एक किरदार नहीं, बल्कि हमेशा के लिए अमर आइकन बन गईं। उनका बलिदान अडिग हौसले की ताकत को दिखाता है, जो इतिहास में हमेशा जिंदा रहेगा।

राम लीला में लीला

राम-लीला की लीला सिर्फ एक आशिक नहीं, बल्कि जुनून और बगावत की मिसाल थी। भंसाली ने उसे बेखौफ, बिंदास और अपने उसूलों पर अडिग दिखाया—जो प्यार भी दिल खोलकर करती है और लड़ना भी जानती है। परंपराओं और दुश्मनी के बीच भी उसने अपने दिल की सुनी, प्यार और दर्द को बराबर शिद्दत से जिया। लीला बस मोहब्बत करने वाली नहीं, बल्कि दिल की जंगजू थी, जो अपनी मोहब्बत के लिए सब कुछ दांव पर लगाने को तैयार थी।

बाजीराव मस्तानी में काशीबाई

बाजीराव मस्तानी में संजय लीला भंसाली ने काशीबाई को सिर्फ एक दुखी पत्नी नहीं, बल्कि मजबूत, सशक्त और गरिमा से भरी औरत के रूप में दिखाया। उनका दर्द जितना गहरा था, उनका प्यार उतना ही सच्चा।काशीबाई का किरदार बदले की नहीं, बल्कि समर्पण और आत्मसम्मान की कहानी है। वो बाजीराव से बेइंतहा प्यार करती थीं, लेकिन खुद को कभी कमजोर नहीं बनने दिया। उनकी खामोश मजबूती ने उन्हें भंसाली की सबसे यादगार और दिल छू लेने वाली किरदारों में से एक बना दिया।

गंगुबाई काठियावाड़ी में गंगुबाई

गंगूबाई काठियावाड़ी में संजय लीला भंसाली ने अपनी अब तक की सबसे मजबूत और बेखौफ हीरोइन को गढ़ा। गंगूबाई सिर्फ हालात की मारी हुई औरत नहीं थी, बल्कि जिसने दर्द को ताकत में बदला और अपने हक के लिए लड़ी। हर सीन में उसकी दमदार मौजूदगी और जलते हुए तेवर दिखते हैं—चाहे वो उसकी आग उगलती स्पीच हो या समाज से इज्जत और इंसाफ छीन लेने का जज़्बा। भंसाली की नज़र ने इस कहानी को सिर्फ प्रेरणादायक नहीं, बल्कि आइकॉनिक बना दिया। गंगूबाई हमेशा याद रखी जाएगी—हौसले, हिम्मत और बगावत की पहचान बनकर।

देवदास में चंद्रमुखी

देवदास में संजय लीला भंसाली ने चंद्रमुखी को सिर्फ एक तवायफ नहीं, बल्कि निस्वार्थ प्रेम और अदम्य गरिमा की मिसाल के रूप में पेश किया। वो चमकदार, रहमदिल और बेइंतहा वफादार थी—ऐसी जो प्यार में कुछ पाने के लिए नहीं, बल्कि बस देने के लिए जीती थी। भंसाली ने अपने भव्य विजुअल्स और दिल छू लेने वाले डांस सीक्वेंस के ज़रिए उसकी पीड़ा और गरिमा को संजोया। वो ना किसी की मंजूरी की मोहताज थी, ना किसी पहचान की, बल्कि उसका प्यार ही उसकी सबसे बड़ी ताकत थी। इस तरह से चंद्रमुखी भंसाली की सबसे खूबसूरत और यादगार किरदारों में से एक बनी रहेगी।

देवदास में पारो

देवदास में भंसाली ने पारो को सिर्फ एक प्यार में पड़ी औरत नहीं, बल्कि प्यार और त्याग की मिसाल बनाया। वो जुदा होकर भी देवदास को दिल से कभी अलग नहीं कर पाई। भव्य सेट, शानदार कॉस्ट्यूम और गहरे इमोशन्स के साथ भंसाली ने उसकी मासूम लड़की से जिम्मेदार औरत बनने की कहानी दिखाई। हालात ने उसे दूर कर दिया, लेकिन उसका प्यार कभी कम नहीं हुआ, ये साबित करते हुए कि सच्चा प्यार साथ रहने का मोहताज नहीं होता। पारो का खामोश दर्द और अटूट मोहब्बत उसे भंसाली की सबसे यादगार हीरोइनों में से एक बना देता है।

हीरामंडी में मल्लीकाजान

हीरामंडी में संजय लीला भंसाली ने मल्लिकाजान को सिर्फ एक तवायफों की मालकिन नहीं, बल्कि हिम्मत, समझदारी और ताकत की मिसाल दिखाया। वो अपनी दुनिया की हुक्मरान थी, लेकिन उससे भी ज़्यादा, उन औरतों की हिफाज़त करने वाली जो उस पर निर्भर थीं। भंसाली ने उसे शक्तिशाली और भावुक दोनों रूपों में दिखाया—जो रुतबे से राज करती है, लेकिन अपने त्याग का दर्द भी छुपाए रखती है। शानदार सेट, दमदार कहानी और गहरे इमोशन्स के साथ मल्लिकाजान सिर्फ एक मालकिन नहीं, बल्कि एक जिंदा जंग थी, जो हालात से कभी नहीं टूटी।

हीरामंडी में बिबोजान

हीरामंडी में संजय लीला भंसाली ने बिबोजान को नर्मी, मजबूती और अधूरे अरमानों का मेल दिखाया। सत्ता के खेल में फंसी हुई, लेकिन फिर भी अपनी इज्जत और हौसले के साथ खड़ी रही। भंसाली ने उसे त्याग और छुपे हुए दर्द की निशानी बनाया—जहां प्यार एक ख्वाब था और जज़्बात एक लग्जरी। उसकी खामोशी में भी एक गहरी कहानी थी, जो उसे हीरामंडी की सबसे खास और असरदार किरदारों में से एक बनाती है।

यही दिखाता है कि संजय लीला भंसाली कैसे अपनी महिला किरदारों को जान डालकर परदे पर उतारते हैं—निडर, दमदार और यादगार। वो सिर्फ फिल्मों में ही नहीं, बल्कि असल ज़िंदगी में भी औरतों का सम्मान और समर्थन करते हैं। अपनी माँ के नाम को खुद से जोड़ना भी उनकी गहरी इज़्जत और शुक्रगुज़ारी का प्रतीक है।

बॉलीवुड

दिल्ली हाई कोर्ट ने करिश्मा कपूर के बच्चों की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

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HIGH COURT

नई दिल्ली, 24 दिसंबर: बॉलीवुड अभिनेत्री करिश्मा कपूर के बच्चों की अपने पिता संजय कपूर की संपत्ति में हिस्सेदारी दिए जाने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।

दिल्ली हाईकोर्ट में चल रहे संजय कपूर पारिवारिक संपत्ति विवाद में करिश्मा कपूर के बच्चों ने सनसनीखेज आरोप लगाए हैं। करिश्मा के बच्चों का दावा है कि उनके पिता संजय कपूर की वसीयत फर्जी है और इसे उनके जीवित रहते हुए ही छेड़छाड़ कर बदला गया है।

पिछली सुनवाई में संजय कपूर के बच्चों की तरफ से वकील महेश जेठमलानी ने अदालत में दलील दी कि वसीयत में बदलाव तब किया गया जब संजय अपने बेटे के साथ छुट्टियों पर थे और वसीयत में संशोधन करने वाले व्यक्ति को संजय कपूर के निधन के एक दिन बाद ही कंपनी का डायरेक्टर बना दिया गया।

दिल्ली हाईकोर्ट में करिश्मा कपूर के बच्चों ने अपने दिवंगत पिता संजय कपूर की कथित वसीयत और संपत्ति में हिस्सेदारी को लेकर केस दायर किया है, जिसमें उन्होंने सौतेली मां प्रिया कपूर पर वसीयत में जालसाजी और पिता की संपत्ति हड़पने का आरोप लगाया है। करिश्मा के बच्चों का कहना है कि संजय कपूर ने उन्हें संपत्ति में हिस्सा देने का आश्वासन दिया था, लेकिन वसीयत में उनका नाम नहीं है, और प्रिया कपूर ने वसीयत में हेराफेरी की है। बच्चों के वकील ने वसीयत की फॉरेंसिक जांच की मांग की है, जिसका प्रिया कपूर के वकील विरोध कर रहे हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रिया कपूर और वसीयत के निष्पादक को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

बता दें कि संजय कपूर की तीन बार शादी हुई थी। बिजनेसमैन ने पहली शादी फैशन डिजाइनर नंदिता महतानी से की थी। यह शादी चार साल तक चली थी। वहीं, दूसरी शादी उन्होंने अभिनेत्री करिश्मा कपूर से की थी। इससे दोनों के दो बच्चे, समायरा और कियान हैं। 2014 में करिश्मा और संजय ने आपसी सहमति से तलाक के लिए अर्जी दी। 2016 में उनका तलाक हो गया था और तीसरी शादी संजय ने प्रिया सचदेव से की थी। संजय और प्रिया का एक बेटा, अजारियस है। वहीं, संजय ने सफीरा चटवाल को गोद लिया था, जो प्रिया सचदेव कपूर की पहले पति विक्रम चटवाल से हुई बेटी थी।

संजय कपूर की मौत के बाद उनकी प्रॉपर्टी को लेकर विवाद शुरू हो गया था।

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बॉलीवुड

अभिनेता धर्मेंद्र का निधन, 89 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

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मुंबई, 24 नवंबर: हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र का निधन हो गया है। 89 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली। लंबे समय से बीमार चल रहे धर्मेंद्र को सांस लेने में दिक्कत थी और उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ रहा था। उन्हें ब्रीच कैंडी अस्पताल में नियमित जांच और उपचार के लिए भर्ती कराया गया था।

अस्पताल में कुछ दिनों तक इलाज के बाद उनकी हालत में हल्का सुधार हुआ और उन्हें घर ले जाया गया, ताकि परिवार के बीच उनका इलाज किया जा सके। धर्मेंद्र के घर पर उनकी देखभाल के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी, लेकिन उनका स्वास्थ्य लगातार कमजोर होता गया।

धर्मेंद्र को सांस लेने में कठिनाई के अलावा कई अन्य उम्र संबंधी समस्याएं भी थीं। अस्पताल और घर में लगातार उपचार और निगरानी के बावजूद उनकी हालत गंभीर बनी रही। उनके परिवार के सदस्य लगातार उनकी देखभाल में जुटे रहे। धर्मेंद्र के घर पर एम्बुलेंस और डॉक्टरों की व्यवस्था की गई थी, ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत मदद उपलब्ध हो सके। उनके फैंस और फिल्म इंडस्ट्री के कई लोग भी उनके स्वास्थ्य के बारे में लगातार अपडेट लेते रहे। सलमान खान, शाहरुख खान और गोविंदा जैसी कई हस्तियों ने अस्पताल और घर पर जाकर धर्मेंद्र से हालचाल लिया था। उनके निधन की खबर सुनते ही पूरे फिल्म जगत में शोक की लहर दौड़ गई।

धर्मेंद्र का करियर हिंदी सिनेमा में लगभग छह दशकों का रहा है। उन्हें बॉलीवुड का ‘ही-मैन’ कहा जाता था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1960 में फिल्म ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ से की थी। इसके बाद उन्होंने ‘शोला और शबनम’, ‘अनपढ़’, ‘बंदिनी’, ‘पूजा के फूल’, ‘हकीकत’, ‘फूल और पत्थर’, ‘अनुपमा’, ‘खामोशी’, ‘प्यार ही प्यार’, ‘तुम हसीन मैं जवां’, ‘सीता और गीता’, ‘यादों की बारात’ और ‘शोले’ जैसी कई यादगार फिल्मों में काम किया।

धर्मेंद्र ने दमदार अभिनय के दम पर दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई। उन्होंने अपने करियर में कई पुरस्कार भी जीते। साल 2012 में उन्हें भारत सरकार के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, उन्होंने कई फिल्मफेयर पुरस्कार भी अपने नाम किए। उन्होंने कई बार आलोचकों और दर्शकों की प्रशंसा भी हासिल की। उनके योगदान के कारण उन्हें बॉलीवुड के सबसे महान और प्रतिष्ठित अभिनेताओं में गिना जाता है।

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बॉलीवुड

सनी देओल की टीम ने दिया धर्मेंद्र का हेल्थ अपडेट, कहा- इलाज का असर हो रहा है

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मुंबई, 11 नवंबर: बॉलीवुड अभिनेता धर्मेंद्र की तबीयत को लेकर सोशल मीडिया पर कई तरह की खबरों के बीच, उनके परिवार और सनी देओल की टीम की ओर से आई आधिकारिक जानकारी सामने आई है। धर्मेंद्र के परिवार ने अफवाहों पर पूरी तरह विराम लगा दिया है।

नवीनतम अपडेट के मुताबिक, धर्मेंद्र की हालत स्थिर है और वह डॉक्टरों की देखरेख में हैं।

सनी देओल की टीम ने कहा, ”वे रिकवर कर रहे हैं और इलाज का असर हो रहा है। आइए हम सब उनके अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करें।”

टीम ने यह भी बताया कि वह लगातार मीडिया से संपर्क में हैं और धर्मेंद्र की तबीयत पर नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने लोगों से किसी भी तरह की अफवाह पर रोक लगाने की अपील की है।

बता दें कि धर्मेंद्र की तबीयत को लेकर झूठी खबरें सोशल मीडिया पर रातोंरात फैल गई थीं। कुछ टीवी चैनलों और सोशल मीडिया अकाउंट्स ने बिना पुष्टि के यह दावा कर दिया कि अभिनेता का निधन हो गया है। इन खबरों को देखकर कई नामी हस्तियों और राजनीतिक नेताओं ने भी श्रद्धांजलि संदेश साझा कर दिए, लेकिन कुछ ही घंटों में धर्मेंद्र के परिवार ने इन खबरों का खंडन किया और कहा कि अभिनेता का इलाज चल रहा है।

अभिनेत्री और सांसद हेमा मालिनी ने सोशल मीडिया पर इन झूठी खबरों की निंदा की। उन्होंने लिखा, “जो हो रहा है, वह बिल्कुल माफ करने लायक नहीं है। कैसे जिम्मेदार चैनल किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में झूठी खबरें फैला सकते हैं जो अभी इलाज पर है और ठीक हो रहे हैं? यह गैर-जिम्मेदाराना और अपमानजनक है। कृपया परिवार की निजता का सम्मान करें।”

इससे पहले, ईशा देओल ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट करके लिखा, “मीडिया इस मामले पर ज्यादा ही सक्रिय चल रही है और गलत खबरें फैला रही है। मेरे पिता स्टेबल हैं और रिकवर कर रहे हैं। मेरी आप सभी लोगों से रिक्वेस्ट है कि वे हमारे परिवार की निजता का सम्मान करें। पापा की स्पीडी रिकवरी के लिए दुआ करें।”

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