राजनीति
TMC में शामिल हुए पूर्व बीजेपी मंत्री बाबुल सुप्रियो देंगे सांसद पद से इस्तीफा

भाजपा से नाता तोड़ने और कट्टर प्रतिद्वंद्वी तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के कुछ ही मिनटों के भीतर आसनसोल के सांसद बाबुल सुप्रियो ने शनिवार को स्पष्ट कर दिया कि वह अपनी पूर्ववर्ती राजनीतिक पार्टी के साथ अब कोई संबंध नहीं रखेंगे और सासंद पद से भी इस्तीफा दे देंगे। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि सक्रिय राजनीति से उनका इस्तीफा उनके पूर्ण मोहभंग का परिणाम था और अब वह खुले दिमाग से अपने रास्ते में आने वाले अवसर को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं।
“मैं एक बात स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैं उन चीजों पर नहीं टिकूंगा जो मेरी नहीं हैं। मैं निश्चित रूप से संसद से सांसद के पद से इस्तीफा दे दूंगा और आपको दो या तीन दिनों के भीतर पता चल जाएगा।”
सुप्रियो ने शनिवार दोपहर दक्षिण कोलकाता के कैमाक स्ट्रीट में अभिषेक बनर्जी के कार्यालय में तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के कुछ मिनट बाद मीडिया से कहा, “मैं नियम पुस्तिका के अनुसार जाऊंगा। मेरी कुछ नैतिकता है जिसका मैंने जीवन भर पालन किया है।”
यह स्पष्ट करते हुए कि उनकी घोषणा में कोई पाखंड नहीं था कि वह सक्रिय राजनीति से संन्यास लेना चाहते हैं, प्रसिद्ध गायक ने कहा, “मैंने सात साल से आसनसोल के लोगों के लिए अथक परिश्रम किया है और यह सभी स्वीकार करेंगे।”
“आप सभी जानते हैं कि एक राज्य मंत्री की शक्ति और जिम्मेदारी क्या है, लेकिन इसके बावजूद मैंने आसनसोल के विकास के लिए अथक प्रयास किया था। मैं कभी किसी को यह महसूस नहीं कराना चाहता था कि मैं एक राजनीति में नया हूं और संसद में मैंने सभी सवालों के जवाब दिए हैं।”
“लेकिन अचानक मैंने देखा कि सब कुछ समाप्त हो रहा था। एक पूर्ण विराम था।”
“मानो या न मानो यह एक मौका था जो अचानक मेरे पास आया। चार दिन पहले मैंने डेरेक (ओ’ब्रायन) से अपनी बेटी के एडमिशन के संबंध में बात की और फिर बातचीत शुरू हुई।”
“मैंने दीदी (ममता बनर्जी) और अभिषेक बनर्जी के साथ चर्चा की और उन्होंने मुझे कुछ (मैं अभी विवरण नहीं दूंगा) की पेशकश की जो बंगाल के लोगों के लिए काम करने की मेरी मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त था। इसे ‘ना’ कहना मुश्किल था।”
“मैं हमेशा से लोगों के लिए काम करना चाहता हूं और तृणमूल कांग्रेस ने मुझे बंगाल के विकास के लिए काम करने का मौका दिया है। पार्टी ने मुझे लोगों के लिए काम करने का मौका दिया है। मैं और क्या उम्मीद कर सकता हूं?” सुप्रियो ने कहा कि वह सोमवार को मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे।
यह पूछे जाने पर कि क्या वह बदला लेने के लिए तृणमूल में शामिल हुए, पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, “मैं बदला लेने के विचार में विश्वास नहीं करता। जब मैंने कहा था कि मैं सक्रिय राजनीति से संन्यास लेना चाहता हूं तो मैंने इसे अपने दिल से किया। और यकीन मानिए मेरी आधी घरेलू चीजें पहले ही कोलकाता आ चुकी हैं।”
“यह एक मोहभंग से था और मुझे कभी नहीं पता था कि मुझे यह अवसर मिलेगा। अब जब मुझे यह अवसर मिला है, तो मैं इसे अपने दिल के नीचे से स्वीकार करना चाहता था। जब मैं भाजपा में था तो मैंने लोगों के लिए काम किया था, अब मैं मैं तृणमूल में हूं, मैं वही काम करूंगा।”
अपराध
ईडी की बड़ी कार्रवाई, मुंबई में दाऊद इब्राहिम के करीबी सलीम डोला के ड्रग नेटवर्क पर छापा

मुंबई, 8 अक्टूबर: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए मुंबई में अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के करीबी सलीम डोला से जुड़े ड्रग सिंडिकेट पर शिकंजा कसा है। मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत ईडी ने बुधवार को मुंबई में 8 ठिकानों पर तलाशी अभियान चलाया।
यह छापेमारी फैसल जावेद शेख और अल्फिया फैसल शेख की ओर से संचालित एक ड्रग तस्करी नेटवर्क से जुड़ी अवैध कमाई का पता लगाने के लिए की गई है। शुरुआती जांच में यह सामने आया है कि फैसल शेख, कुख्यात ड्रग तस्कर सलीम डोला के जरिए एमडी जैसे ड्रग्स की खरीद-फरोख्त कर रहा था।
सलीम डोला लंबे समय से कानून प्रवर्तन एजेंसियों की निगरानी में है। उस पर न सिर्फ मादक पदार्थों की तस्करी के आरोप हैं, बल्कि उसके खिलाफ अवैध नेटवर्क को फंडिंग करने के भी गंभीर आरोप हैं।
मुंबई पुलिस के मुताबिक, सलीम डोला दाऊद इब्राहिम के उस विश्वसनीय सर्कल का हिस्सा है, जो भारत में ड्रग्स तस्करी का नेटवर्क संभालता है। सलीम डोला का नाम ड्रग्स केस में पहले भी आया था, जब मुंबई क्राइम ब्रांच की एंटी नारकोटिक्स सेल ने 100 किलो फेंटानिल ड्रग्स जब्त की थी। अवैध कारोबार में सलीम का बेटा ताहिर और भांजा मुस्तफा भी मदद करते थे। इसी कारण उन्हें आरोपी बनाकर इसी साल जुलाई में गिरफ्तार किया गया।
जून में सलीम डोला के बेटे ताहिर को अबू धाबी से भारत लाया गया। जांच में पता चला कि ताहिर सलीम डोला विदेश से इस गैरकानूनी ड्रग कारोबार को चला रहा था। मुंबई पुलिस के अनुरोध पर सीबीआई ने 25 नवंबर 2024 को इंटरपोल के जरिए रेड नोटिस जारी कराया। सीबीआई ने इंटरपोल की अंतरराष्ट्रीय पुलिस सहयोग इकाई (आईपीसीयू) के साथ मिलकर डोला का यूएई में पता लगाया, जहां उसे 27 जनवरी को गिरफ्तार किया गया। बाद में प्रत्यर्पण संधि के तहत उसे भारत लाया गया।
राष्ट्रीय समाचार
पीएम मोदी के सत्ता में 24 साल पूरे होने पर रवि शंकर प्रसाद ने दी बधाई, कहा-यह समर्पण और राष्ट्रभक्ति की यात्रा

नई दिल्ली, 7 अक्टूबर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में 24 वर्ष पूरे होने पर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद रवि शंकर प्रसाद ने उन्हें बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह यात्रा केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि राष्ट्रनिर्माण और सेवा की प्रेरणादायक कहानी है। यह यात्रा 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शुरू हुई थी और आज वह देश के पीएम हैं।
उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी ने लगभग 13 वर्षों तक गुजरात का नेतृत्व किया और उसे देश के सबसे विकसित और सुशासित राज्यों में शामिल किया। उनके शासनकाल में पारदर्शिता, विकास और प्रशासनिक ईमानदारी के नए मानक स्थापित हुए।
प्रसाद ने कहा कि मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री बनने तक उनकी हर नीति और निर्णय ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के सिद्धांत पर आधारित रहा है। पीएम मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाए, गरीबों के जीवन में परिवर्तन लाए और भारत को वैश्विक मंच पर एक सशक्त पहचान दिलाई।
भाजपा सांसद ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की सेवा-यात्रा समर्पण, राष्ट्रभक्ति और जनकल्याण की मिसाल है। आज भारत नए आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है। देश के 4 करोड़ से अधिक गरीब परिवारों को अपने पक्के मकान मिल चुके हैं। यह सिर्फ योजनाओं की सफलता नहीं, बल्कि सबके विकास का सच्चा प्रतीक है।
रवि शंकर प्रसाद ने आगे कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था अब दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुकी है। यह हर भारतीय के परिश्रम, प्रतिभा और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व का परिणाम है।
इसी बीच पश्चिम बंगाल में भाजपा नेता पर हुए हमले पर भी रवि शंकर प्रसाद ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि जब किसी क्षेत्र में बाढ़ या प्राकृतिक आपदा आती है तो जनप्रतिनिधि का कर्तव्य होता है कि वह जाकर स्थिति का जायजा ले, लेकिन अगर कोई सांसद या विधायक ऐसा करता है और उस पर घातक हमला किया जाता है, तो यह लोकतंत्र पर हमला है।
प्रसाद ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि पूरा देश देख रहा है कि निर्दोष जनप्रतिनिधियों पर कैसे हमला हुआ, कैसे खून बहा। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि ममता जी, कृपया लोकतंत्र की बातें करना बंद कीजिए, जब आपके शासन में जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित नहीं है।
राजनीति
सीजेआई से दुर्व्यवहार माफी के लायक नहीं: बॉम्बे बार एसोसिएशन

मुंबई, 7 अक्टूबर: बॉम्बे बार एसोसिएशन (बीबीए) ने सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय में सीजेआई बीआर गवई से दुर्व्यवहार की कड़ी निंदा की है। एसोसिएशन ने इस घटना को बेहद शर्मनाक, निंदनीय और ‘माफी के लायक नहीं’ करार दिया है।
बीबीए ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि यह हमला न केवल एक न्यायाधीश पर था, बल्कि पूरे न्यायिक संस्थान की गरिमा, मर्यादा और सम्मान पर हमला है। एसोसिएशन ने इसे कानूनी पेशे से जुड़े किसी भी व्यक्ति के लिए पूरी तरह से अनुचित और अस्वीकार्य व्यवहार करार दिया।
बीबीए ने अपने बयान में स्पष्ट कहा, “ऐसा घृणित और अस्वीकार्य आचरण एक वकील के रूप में किसी भी व्यक्ति के लिए पूरी तरह से अनुचित है। यह न्यायालय की प्रतिष्ठा और न्याय व्यवस्था की नींव को हिला देने वाला है।”
एसोसिएशन ने इस कृत्य की खुले तौर पर कड़ी निंदा की और कहा कि किसी भी हाल में ऐसे व्यवहार को जायज नहीं ठहराया जा सकता, जो न्यायपालिका की साख और अधिकार को कमजोर करता हो।
बीबीए ने कहा, “मुख्य न्यायाधीश ने जिस धैर्य और संयम के साथ इस संकटपूर्ण स्थिति को संभाला, वह न्यायपालिका के सर्वोच्च पद की गरिमा को दर्शाता है। उनका व्यवहार पूरे देश के न्यायिक तंत्र के लिए प्रेरणादायक मिसाल है।”
बॉम्बे बार एसोसिएशन ने मांग की है कि इस घटना में शामिल वकील के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।
बयान के अंत में बीबीए ने दोहराया कि वह न्यायपालिका की गरिमा, कानून के राज और वकीलों के आचरण की मर्यादा बनाए रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
एसोसिशन की ओर से कहा गया, “हम न्यायपालिका के साथ खड़े हैं और संविधान की मूल भावना और विधि के शासन की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहेंगे।”
बता दें कि मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर हमले के आरोपी सुप्रीम कोर्ट के वकील राकेश किशोर ने कहा, “अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा के नेतृत्व वाली बार काउंसिल ने सोमवार की रात मुझे निलंबित करने का एक पत्र भेजा, जिसे मैं आपको दिखा सकता हूं। यह पत्र उनका आदेश और एक निरंकुश फरमान है।
अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 35 के अनुसार, जब भी किसी वकील के खिलाफ कोई कार्रवाई की जाती है, तो पहले कारण बताओ नोटिस जारी किया जाना चाहिए, वकील का पक्ष सुना जाना चाहिए और उसके बाद ही बर्खास्त, रोल से हटाया या निलंबित किया जा सकता है।”
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