अंतरराष्ट्रीय
बिजली की कमी के कारण यूरोप के सबसे व्यस्त हवाई अड्डे को बंद करने के बाद हीथ्रो से उड़ानें फिर से शुरू

लंदन, 22 मार्च। यूरोप के सबसे व्यस्त हवाई अड्डे हीथ्रो पर उड़ानें बंद होने के एक दिन बाद, शनिवार को परिचालन फिर से शुरू हो गया, क्योंकि पहली उड़ान उतरी।
लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे पर शनिवार को पूरी तरह से सेवा फिर से शुरू होने की उम्मीद है, एक दिन पहले ही इसे पास के एक सबस्टेशन में आग लगने के कारण बिजली की अभूतपूर्व कमी के कारण बंद कर दिया गया था।
इस बंद के कारण 200,000 से अधिक यात्रियों को असुविधा हुई, क्योंकि शुक्रवार को कम से कम 1351 आने-जाने वाली उड़ानें रोक दी गईं।
गुरुवार शाम को पश्चिम लंदन के हेस में नॉर्थ हाइड प्लांट में आग लगने के बाद आने-जाने वाले विमानों को यूरोप के अन्य हवाई अड्डों पर भेज दिया गया।
एयर इंडिया ने शुक्रवार को हीथ्रो से अपने उड़ान संचालन को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया था, क्योंकि बिजली की कमी के कारण हवाई अड्डे को 21 मार्च की मध्यरात्रि तक बंद करने की घोषणा की गई थी।
बयान में कहा गया, “आज सुबह की AI111 सहित लंदन हीथ्रो से आने-जाने वाली हमारी सभी उड़ानें 21 मार्च के लिए रद्द कर दी गई हैं। जैसे ही हमें अधिक जानकारी मिलेगी, हम परिचालन फिर से शुरू करने के बारे में अपडेट करेंगे। लंदन गैटविक की उड़ानें अप्रभावित रहेंगी।” बीबीसी के अनुसार, हवाई अड्डे के मुख्य कार्यकारी थॉमस वोल्डबाय ने फंसे हुए यात्रियों से माफ़ी मांगी और कहा कि यह व्यवधान “हमारे हवाई अड्डे के लिए सबसे बड़ा” था और यह खुद को “100%” सुरक्षित नहीं रख सकता था। मेट पुलिस ने पुष्टि की कि आग को संदिग्ध नहीं माना जा रहा था।
लंदन के पश्चिमी हिस्से में एक सबस्टेशन में आग लगने से “काफी बिजली गुल” हो गई और 16,000 से अधिक घरों में बिजली नहीं रही। ब्रिटिश मीडिया के अनुसार 150 से अधिक लोगों को निकाला गया। लंदन फायर ब्रिगेड ने कहा कि उसने 10 दमकल गाड़ियाँ और लगभग 70 अग्निशमन कर्मी तैनात किए हैं और 200 मीटर का सुरक्षा घेरा प्रभावी है। स्थानीय निवासियों – यह सबस्टेशन लंदन के हिलिंगडन बरो के हेस में है, को धुएं के कारण घर के अंदर रहने और दरवाजे और खिड़कियां बंद रखने को कहा गया।
NDTV ने लंदन के अग्निशमन अधिकारियों के हवाले से बताया कि सुबह 11.34 बजे (भारतीय समयानुसार) तक आग सक्रिय रही।
एक एक्स पोस्ट में एयरपोर्ट ने यात्रियों को यात्रा न करने और आगे की जानकारी के लिए अपनी संबंधित एयरलाइनों से संपर्क करने की सलाह दी थी। एयरपोर्ट ने कहा, “एयरपोर्ट को बिजली आपूर्ति करने वाले एक इलेक्ट्रिकल सबस्टेशन में आग लगने के कारण हीथ्रो में बिजली की काफी कमी आ रही है। हमारे यात्रियों और सहकर्मियों की सुरक्षा को बनाए रखने के लिए हीथ्रो 21 मार्च को रात 11.59 बजे तक बंद रहेगा।”
अंतरराष्ट्रीय
26/11 हमले के आरोपी तहव्वुर राणा ने झाड़ा पल्ला, दोस्त डेविड हेडली पर फोड़ा ठीकरा

नई दिल्ली, 26 अप्रैल। 26/11 आतंकी हमले के मास्टरमाइंड के रूप में जाना जाने वाले तहव्वुर हुसैन राणा ने मुंबई क्राइम ब्रांच की पूछताछ में चौंकाने वाला दावा किया। राणा ने 26/11 आतंकी हमले से अपना पल्ला पूरी तरह से झाड़ लिया है।
अधिकारियों ने बताया कि खुद को इस हमले से पूरी तरह बेगुनाह बताते हुए राणा ने कहा कि उसे 26/11 हमले से कोई लेना-देना नहीं है। इस हमले के लिए उसने अपने बचपन के दोस्त डेविड कोलमैन हेडली को जिम्मेदार ठहराया है। राणा ने पूछताछ के दौरान यह भी कहा कि मुंबई हमले की साजिश में उसकी कोई भूमिका नहीं थी। इसमें डेविड हेडली का हाथ था।
पूछताछ में राणा ने यह भी बताया कि वह दिल्ली और मुंबई के अलावा केरल भी गया था। जब अधिकारियों ने उससे केरल जाने की वजह पूछी, तो उसने बताया कि वह वहां अपने जानने वालों से मिलने गया था। राणा ने केरल में अपने परिचित व्यक्ति का नाम और पता भी एजेंसी को सौंपा है। इस जानकारी के बाद क्राइम ब्रांच अब राणा के दावों की पुष्टि करने की तैयारी में जुट गई है। संभावना जताई जा रही है कि जांच एजेंसी की एक टीम जल्द ही केरल रवाना हो सकती है, ताकि सच्चाई का पता लगाया जा सके।
बता दें कि 26/11 मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया है। राणा को लॉस एंजेल्स से एनआईए और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) की टीमों के साथ एक विशेष विमान से भारत लाया गया। अमेरिका में राणा ने अपने प्रत्यर्पण को रोकने के लिए कई कानूनी कोशिश की, जिसमें अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में आपातकालीन याचिका भी शामिल थी। सभी याचिकाएं खारिज होने के बाद प्रत्यर्पण संभव हो सका। भारत के विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय ने अमेरिकी अधिकारियों के साथ मिलकर इस प्रक्रिया को पूरा किया।
एनआईए ने राणा के प्रत्यर्पण के लिए वर्षों तक प्रयास किए। एजेंसी ने अमेरिका की एफबीआई, न्याय विभाग (यूएसडीओजे) और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर काम किया। राणा पर आरोप है कि उसने मुंबई हमलों की साजिश में अहम भूमिका निभाई थी।
मुंबई हमले 26 नवंबर 2008 को हुए थे, जब 10 आतंकियों ने ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस और नरीमन हाउस समेत कई जगहों पर हमला किया था। इस हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। राणा पर लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर हमले की योजना बनाने का आरोप है।
अंतरराष्ट्रीय
पहलगाम आतंकी हमला : राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत के प्रति जताया समर्थन, पीएम मोदी को फोन करने की बनाई योजना

वाशिंगटन, 23 अप्रैल। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को कश्मीर में पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े एक समूह द्वारा किए गए आतंकवादी हमले में कम से कम 28 लोगों की हत्या के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के लोगों के प्रति “पूर्ण समर्थन और गहरी सहानुभूति” व्यक्त की।
राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर लिखा, “कश्मीर से बहुत परेशान करने वाली खबर आई है।”
“अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ मजबूती से खड़ा है। हम मारे गए लोगों की आत्मा की शांति और घायलों के ठीक होने की प्रार्थना करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी और भारत के अविश्वसनीय लोगों को हमारा पूरा समर्थन और गहरी संवेदना है। हमारी संवेदनाएं आप सभी के साथ हैं।”
व्हाइट हाउस की प्रवक्ता कैरोलिन लेविट ने संवाददाताओं को बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज ने घटना के बारे में जानकारी दी है।
“हम पहले से ही जानते हैं कि दक्षिण कश्मीर के एक लोकप्रिय पर्यटक स्थल पर हुए क्रूर आतंकवादी हमले में कई सारे लोग मारे गए और इससे भी अधिक घायल हुए हैं।”
लेविट ने कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप जल्द से जल्द प्रधानमंत्री मोदी से बात करेंगे और मारे गए लोगों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करेंगे। और हमारी प्रार्थनाएं हमारे सहयोगी भारत के प्रति हमारे राष्ट्र के समर्थन में घायल हुए लोगों के साथ हैं। आतंकवादियों द्वारा की जाने वाली इस तरह की भयावह घटनाओं के कारण ही हममें से जो लोग दुनिया में शांति और स्थिरता के लिए काम करते हैं, वे अपना मिशन जारी रखते हैं।”
अमेरिका वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई का अटूट समर्थक रहा है और हाल ही में उसने पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा को प्रत्यर्पित किया है, जिस पर 2008 में मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों में अहम भूमिका निभाने का आरोप है। ये हमले भी लश्कर-ए-तैयबा ने ही किए थे।
उन्होंने फरवरी में प्रधानमंत्री मोदी की व्हाइट हाउस यात्रा के दौरान प्रत्यर्पण के फैसले की घोषणा की, जो राष्ट्रपति ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के बाद उनकी पहली मुलाकात थी।
अंतरराष्ट्रीय
बांग्लादेश में हिंदू नेता की हत्या : भारत ने की निंदा, कहा – अपनी जिम्मेदारी निभाए यूनुस सरकार

नई दिल्ली, 19 अप्रैल। भारत ने शनिवार को बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के एक प्रमुख नेता भाबेश चंद्र रॉय के अपहरण और क्रूर हत्या की निंदा की। विदेश मंत्रालय ने इसे देश की अंतरिम सरकार के तहत अल्पसंख्यकों के ‘व्यवस्थित उत्पीड़न के पैटर्न’ का हिस्सा बताया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि यह घटना बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ लक्षित हिंसा की खतरनाक ट्रेंड को दर्शाती है।
जायसवाल ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “हमने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक नेता भाबेश चंद्र रॉय के अपहरण और क्रूर हत्या को व्यथित रूप से देखा। यह हत्या अंतरिम सरकार के तहत हिंदू अल्पसंख्यकों के व्यवस्थित उत्पीड़न के पैटर्न का अनुसरण करती है, जबकि पिछली ऐसी घटनाओं के अपराधी बेखौफ घूम रहे हैं।”
प्रवक्ता ने कहा, “हम इस घटना की निंदा करते हैं और एक बार फिर अंतरिम सरकार को याद दिलाते हैं कि वह बिना कोई बहाना बनाए या भेदभाव किए, हिंदुओं सहित सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की अपनी जिम्मेदारी निभाए।”
बांग्लादेश पूजा उडजापान परिषद की बिराल इकाई के उपाध्यक्ष रॉय को गुरुवार शाम दिनाजपुर जिले में उनके घर से अगवा कर लिया गया।
पुलिस और परिवार के अनुसार, उन्हें शाम करीब 4:30 बजे एक फोन आया, जिसके बाद चार अज्ञात लोग मोटरसाइकिल पर आए और उन्हें जबरन नाराबारी गांव ले गए।
कथित तौर पर रॉय पर हमला किया गया और वे बेहोश पाए गए। उन्हें दिनाजपुर के एक अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
भारत में विपक्षी नेताओं ने भी पड़ोसी देश में हुई इस घटना की निंदा की।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं पर अत्याचार हो रहे हैं। उन्होंने कहा, “अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों पर भी हमले जारी हैं। हाल ही में बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार ने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के बारे में बहुत ही निंदनीय और निराशाजनक टिप्पणी की। बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर अत्याचार, मानवाधिकारों का उल्लंघन, 1971 के मुक्ति संग्राम की यादों को मिटाने की कोशिश, भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों को कमजोर करने का प्रयास है। 1971 से लेकर आज तक भारत ने हमेशा बांग्लादेश के सभी लोगों के लिए शांति और समृद्धि की कामना की है। यही उपमहाद्वीप के सर्वोत्तम हित में है।”
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