अंतरराष्ट्रीय समाचार
पूर्व सैन्य अफसर की बयानबाजी असहनीय : बांग्लादेशी सेना

बांग्लादेश में वीरता पुरस्कार ‘बीर बिक्रम’ से सम्मानित हो चुके एक पूर्व वरिष्ठ सैन्य अफसर के बयानों पर बांग्लादेश सेना ने कहा है कि इस तरह की बातें एक नकारात्मक मिसाल पेश करती हैं और साथ ही बल के अन्य सदस्यों पर इनका नकारात्मक असर होता है।
सोशल मीडिया पर लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) चौधरी हसन सरवर्दी के तीखे बयानों के बाद बांग्लादेश की सेना ने रविवार को एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, “चौधरी हसन सरवर्दी का ऐसा व्यवहार शर्मनाक और बांग्लादेश सेना के सदस्यों के लिए असहनीय है। इस तरह की गतिविधियां एक नकारात्मक उदाहरण पेश करती हैं और बल के अन्य सदस्यों पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं।”
बांग्लादेश सशस्त्र बलों की मीडिया व समाचार एजेंसी इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) ने सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल चौधरी हसन सरवर्दी ‘बीर बिक्रम’ पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि ‘सरवर्दी ने सेना व सैन्य छावनी तक अपनी पहुंच के बारे में विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर झूठ फैलाया है।’
आईएसपीआर ने एक मीडिया विज्ञप्ति में कहा, “लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर अपनी पदोन्नति हासिल करने के बाद हसन सरवर्दी ने कई महिलाओं के साथ अवैध संबंध बनाए। उनके व्यवहार ने अधिकारियों को असहज किया और उन्हें सचेत रहने की सलाह दी गई।”
विज्ञप्ति में कहा गया है, “जब वह एलपीआर (पोस्ट रिटायरमेंट लीव) पर थे तो उन्होंने संबंधित अधिकारियों की अनुमति के बिना 16 अगस्त, 2018 को अपनी पहली पत्नी को तलाक दे दिया।”
बयान के अनुसार, ‘सरवर्दी ने सैन्य कानून का उल्लंघन करते हुए 21 नवंबर, 2018 को दूसरी बार अपनी वर्दी पहनकर शादी की। अपनी दूसरी शादी से पहले वह एक प्रसिद्ध महिला मीडियाकर्मी के साथ रह रहे थे। इसके अलावा, उन्होंने जिस महिला से शादी की, वह विवादित व्यक्ति है।’
विज्ञप्ति में कहा गया है, इन सभी को ध्यान में रखते हुए अधिकारी को छावनी और छावनी के तहत क्षेत्रों में अवांछित व्यक्ति घोषित किया गया था, जिससे वह इलाज के लिए सीएमएच, अधिकारियों के क्लब में प्रवेश, सीएसडी दुकान आदि सुविधाओं के इस्तेमाल से वंचित हो गया।
17 जुलाई को सरवर्दी के बारे में अफवाह फैली कि सैन्य अफसर व बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के पूर्व सिक्योरिटी चीफ स्टाफ को ‘गिरफ्तार’ कर लिया गया है।
सरवर्दी 2010 के बांग्लादेश शेयर बाजार घोटाले में तत्कालीन प्रधानमंत्री के एक विवादास्पद सलाहकार के साथ शामिल थे और एक बड़े उद्योगपति के नेतृत्व वाली पाकिस्तान लॉबी ने सेना प्रमुख के रूप में उनके नाम को तब बढ़ावा देने की कोशिश की थी जब जनरल आई करीम भुइयां सेवानिवृत्त हुए थे।
लेकिन, उनके पाकिस्तान कनेक्शन और इस संदिग्ध उद्योगपति के साथ उनके संबंध ने भारत को सतर्क कर दिया था।
सरवर्दी ने भारत की अपनी यात्रा के दौरान भारत के तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह के साथ अपनी मुलाकात में अपने पक्ष की जोरदार पैरवी की थी लेकिन भारतीय सैन्य जनरल पड़ोसी देशों के जनरलों के मामलों को अपनी सरकार के समक्ष नहीं रखा करते।
बांग्लादेश सरकार के अंदर पैठ बनाए कट्टर साजिशकर्ता ने नागरिक व सैन्य प्रशासन में अपने बढ़ते प्रभाव का उपयोग कर यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि सरवर्दी को ‘प्रोटेक्टिव कस्टडी’ में ले लिया जाए ताकि उसे सत्ता बदलने की साजिश मामले में कड़ी पूछताछ से बचाया जा सके। सरकार ने अन्य एजेंसियों को इस सत्ता पलट मामले की साजिश की जांच सौंपी हुई है।
बांग्लादेश में प्रेस की स्वतंत्रता पर वास्तविक सवाल उठाते हुए यहां तक कोशिश की गई कि भारत में वाणिज्य दूतावास आधारित नेटवर्क का उपयोग कर इस सबसे जुड़ी खबरों को भारतीय मीडिया में चलने से रोक दिया जाए।
हालांकि, यह स्टोरी ईस्टर्नलिंक और लुकईस्ट जैसे शीर्ष मीडिया प्लेटफार्म पर चलीं।
कोशिश यह रही कि सोशल मीडिया होस्ट कनक सरवर के साथ विवादास्पद साक्षात्कार के बाद सरवर्दी को तब तक के लिए भूमिगत कर दिया जाए जब तक इससे पैदा विवाद शांत न हो जाए। बीएनपी जमात मीडिया सलाहकार कनक ने एकुशे टेलीविजन पर पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे तारेक जिया का एक साक्षात्कार प्रसारित करने के बाद अवैध रूप से बांग्लादेश छोड़ दिया।
नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर बांग्लादेश के एक शीर्ष खुफिया अधिकारी ने कहा, अवामी लीग सरकार में बहुत ऊपर तक पहुंचने वाला पाकिस्तानी झुकाव रखने वाला सलाहकार पहली बार भारी दबाव में है। अब वह केवल अपनी खुद की संलिप्तता को छिपाने में लगा हुआ है क्योंकि सरवर्दी को किसी भी कठिन पूछताछ का सामना नहीं करना पड़ रहा है और वह चुपचाप छोड़ा जा सकता है क्योंकि उसे औपचारिक रूप से गिरफ्तार नहीं किया गया है और यहां तक कि उसकी हिरासत के तथ्य को भी बताया गया है।”
इस एडवाइजर और उसके बुद्धिमान संगी-साथियों ने भी अपनी ‘मीडिया संपत्तियों’ को उन भारतीय वेबसाइटों को बदनाम करने में लगा दिया है जिन्होंने शेख हसीना की सरकार को गिराने की साजिश की रिपोर्ट प्रसारित की है। उनके हमले का केंद्र ईस्टर्नलिंक के संपादकीय निदेशक सुबीर भौमिक हैं जो बीबीसी-रॉयटर के दिग्गज पत्रकार और ऑक्सफोर्ड-फ्रैंकफर्ट फेलो हैं जिनकी साइट ने शेख हसीना का तख्ता पलटने की साजिश को उजागर किया था।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
भारत ने ट्रंप-पुतिन की बैठक का किया स्वागत, कहा- संवाद और कूटनीति से ही शांति की राह संभव

नई दिल्ली, 16 अगस्त। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में हुई बैठक पर भारत की पहली प्रतिक्रिया आई। भारत ने कहा कि संवाद और कूटनीति से ही शांति की राह बनेगी।
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा कि भारत अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच शिखर सम्मेलन का स्वागत करता है। शांति की दिशा में उनका नेतृत्व अत्यंत सराहनीय है।
उन्होंने कहा कि भारत शिखर सम्मेलन में हुई प्रगति की सराहना करता है। आगे का रास्ता केवल संवाद और कूटनीति से ही निकल सकता है। दुनिया यूक्रेन में संघर्ष का शीघ्र अंत देखना चाहती है।
अलास्का में ट्रंप और पुतिन के बीच करीब तीन घंटे तक बैठक चली। इसके बाद यूएस राष्ट्रपति वाशिंगटन लौट गए। इससे पहले ट्रंप ने संवाददाताओं से कहा कि वह नाटो नेताओं, यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की और अन्य संबंधित अधिकारियों को बैठक में हुई चर्चाओं के बारे में जानकारी देने की योजना बना रहे हैं।
वहीं, अलास्का के एंकोरेज से मास्को रवाना होने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने फोर्ट रिचर्डसन मेमोरियल कब्रिस्तान का दौरा किया, जहां उन्होंने सोवियत संघ के सैनिकों की कब्रों पर फूल चढ़ाए। ये कब्रें उन सोवियत पायलटों और नाविकों को श्रद्धांजलि हैं, जो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान शहीद हो गए थे।
ट्रंप के साथ हुई बैठक को लेकर पुतिन ने कहा कि हमारी बातचीत रचनात्मक और परस्पर सम्मान के माहौल में हुई। उन्होंने एक पड़ोसी के रूप में ट्रंप का स्वागत किया और उनके साथ बहुत अच्छे सीधे संपर्क स्थापित किए। साथ ही उन्होंने ट्रंप को साथ मिलकर काम करने और बातचीत में एक दोस्ताना और भरोसेमंद माहौल बनाए रखने के लिए धन्यवाद दिया। खास बात यह है कि दोनों पक्ष परिणाम हासिल करने के लिए दृढ़ थे। हमारी बातचीत सकारात्मक रही।
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ट्रंप, पुतिन ने यूक्रेन पर तीन घंटे की बातचीत के बाद बड़ी सफलता की घोषणा की

न्यूयॉर्क, 16 अगस्त। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को अलास्का के एंकोरेज में तीन घंटे की वार्ता के बाद बड़ी सफलता की घोषणा की।
ट्रंप ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि हम जिस समझौते पर पहुंचे हैं, वह हमें उस लक्ष्य (समाधान खोजने) के और करीब लाने में मदद करेगा और यूक्रेन में शांति का मार्ग प्रशस्त करेगा। मुझे लगता है कि हमारी बैठक बहुत ही उपयोगी रही। ऐसे कई मुद्दे थे जिन पर हम (राष्ट्रपति पुतिन और मैं) सहमत हुए।”
यह समझौता भारत के लिए भी महत्वपूर्ण होगा क्योंकि यूएस ने रूसी तेल खरीदने पर भारत पर 25 प्रतिशत दंडात्मक शुल्क की घोषणा की है।
हालांकि, अभी किसी भी नेता ने समझौते का कोई विवरण नहीं दिया और न ही यह बताया कि युद्धविराम होगा या नहीं।
ट्रंप ने रहस्यमय ढंग से कहा, “कुछ बड़े समझौते ऐसे हैं जिन तक हम अभी तक नहीं पहुंच पाए हैं, लेकिन हमने कुछ प्रगति की है। एक समझौता शायद सबसे महत्वपूर्ण है, लेकिन हमारे पास उस तक पहुंचने की बहुत अच्छी संभावना है। हम वहां तक नहीं पहुंच पाए, लेकिन हमारे पास वहां पहुंचने की बहुत अच्छी संभावना है।”
उन्होंने कहा, “मैं नाटो और उन सभी लोगों को फोन करूंगा जिन्हें मैं उपयुक्त समझता हूं, और निश्चित रूप से, राष्ट्रपति (वोलोदिमिर) जेलेंस्की को फोन करके उन्हें आज की बैठक के बारे में बताऊंगा।”
शिखर सम्मेलन में जाते हुए, ट्रंप ने कहा कि वह यूक्रेन की ओर से बातचीत नहीं करेंगे, और समझौता करना जेलेंस्की पर निर्भर है।
उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “इसलिए जब तक समझौता नहीं हो जाता, तब तक कोई समझौता नहीं है।”
दोनों राष्ट्रपतियों ने पत्रकारों के सवालों के जवाब नहीं दिए।
पुतिन ने कहा, “हमें टकराव से बातचीत की ओर बढ़ने के लिए स्थिति में सुधार करना होगा।”
उन्होंने कहा, “इन परिस्थितियों में यह कितना भी अजीब लगे, हमारी (रूस और यूक्रेन की) जड़ें एक ही हैं और जो कुछ भी हो रहा है वह हमारे लिए एक त्रासदी और एक भयानक घाव है। इसलिए, देश ईमानदारी से इसे समाप्त करने में रुचि रखता है।”
शिखर सम्मेलन की शुरुआत में पहले से तय तीन चरणों को बदलकर, वे सीधे दूसरे चरण में चले गए। इस चरण में ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ और विदेश मंत्री मार्को रुबियो, और पुतिन के विदेश नीति सलाहकार यूडी उषाकोवा, रक्षा मंत्री आंद्रेई बेलौसोव, और विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने हिस्सा लिया।
ऐसा नहीं लग रहा था कि अधिकारियों के साथ तीसरे चरण का लंच हो रहा था। ट्रंप ने पुतिन का रेड कार्पेट पर स्वागत किया और लिमोजीन में बैठते ही उन्होंने दोस्ताना अंदाज में बातचीत जारी रखी।
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भारत-सिंगापुर संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने की दिशा में बड़ा कदम, तीसरी मंत्रीस्तरीय बैठक आयोजित

नई दिल्ली, 13 अगस्त। दिल्ली में बुधवार को भारत और सिंगापुर के बीच तीसरी मंत्रीस्तरीय बैठक (भारत-सिंगापुर मंत्रिस्तरीय राउंड टेबल सम्मेलन – आईएसएमआर) का आयोजन हुआ। यह बैठक दोनों देशों के बीच मजबूत होते रिश्तों और व्यापक रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने की दिशा में एक अहम कदम है।
भारत की तरफ से इस बैठक में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हिस्सा लिया।
वहीं, सिंगापुर की तरफ से उपप्रधानमंत्री गन किम योंग, राष्ट्रीय सुरक्षा एवं गृह मामलों के समन्वय मंत्री के. शन्मुगम, विदेश मंत्री विवियन बालाकृष्णन, डिजिटल विकास एवं सूचना मंत्री जो टियो, श्रम मंत्री डॉ. टैन सी लेंग और परिवहन मामलों के कार्यवाहक मंत्री जेफरी सिओ ने भाग लिया।
बैठक में दोनों देशों के बीच सहयोग को 6 मुख्य क्षेत्रों में मजबूत करने पर चर्चा हुई, जिसमें डिजिटलाइजेशन, स्किल डेवलपमेंट, सस्टेनेबिलिटी, स्वास्थ्य सेवा, कनेक्टिविटी और एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग शामिल थे।
इस बात की जानकारी भारत के विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के जरिए दी।
वहीं, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, “नई दिल्ली में तीसरे भारत-सिंगापुर मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन आईएसएमआर में भाग लेकर प्रसन्नता हुई। उपप्रधानमंत्री गन किम योंग, राष्ट्रीय सुरक्षा एवं गृह मामलों के समन्वय मंत्री के. शन्मुगम, विदेश मंत्री विवियन बालाकृष्णन, डिजिटल विकास एवं सूचना मंत्री जो टियो, श्रम मंत्री डॉ. टैन सी लेंग और कार्यवाहक परिवहन मंत्री जेफरी सिओ को हमारी व्यापक रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने की उनकी प्रतिबद्धता के लिए धन्यवाद।”
उन्होंने लिखा, “आईएसएमआर की भारत-सिंगापुर व्यापार गोलमेज सम्मेलन में आईएसबीआर प्रतिनिधिमंडल के साथ एक सार्थक बातचीत हुई। सरकार और उद्योग के बीच तालमेल भारत-सिंगापुर संबंधों के अगले चरण को गति देने की कुंजी है।”
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