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ईद अल-अधा: तिथि, समय, महत्व, और वह सब कुछ जो आपको जानना आवश्यक है

ईद अल-अधा, जिसे “बकरीद” या “बलिदान का त्योहार” के रूप में भी जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण इस्लामी अवकाश है जो इस्लामी चंद्र कैलेंडर के अंतिम महीने धू अल-हिज्जा के 10वें दिन पड़ता है। ईद अल-अधा की सटीक तारीख हर साल बदलती रहती है क्योंकि इस्लामी कैलेंडर चंद्र चक्र पर आधारित है, जो सौर वर्ष से थोड़ा छोटा होता है। यह मार्गदर्शिका ईद अल-अधा से जुड़ी तारीख, महत्व, इतिहास और परंपराओं के बारे में विस्तार से बताएगी।
ईद अल-अधा कब मनाया जाता है?
चूंकि इस्लामिक कैलेंडर चंद्रमा के चक्र का अनुसरण करता है, इसलिए ईद अल-अधा की तारीख साल-दर-साल बदलती रहती है। मुसलमान प्रत्येक चंद्र माह की शुरुआत अर्धचंद्र को देखकर निर्धारित करते हैं। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, ईद अल-अधा बारहवें और आखिरी महीने धू अल-हिज्जा के दसवें दिन मनाया जाता है। इसके बाद आने वाले तीन दिनों को तश्रीक दिन कहा जाता है, जिसके दौरान उत्सव पारंपरिक रूप से जारी रहते हैं।
ईद अल-अधा 2024 के लिए, उत्सव की तारीख 16 जून से 17 जून तक पड़ती है, जिसे भारत में सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाया जाता है। हालाँकि, सटीक तारीख की पुष्टि अर्धचंद्र के दर्शन के आधार पर समय के करीब की जाएगी।
ईद अल-अधा का महत्व: आस्था की परीक्षा
ईद अल-अधा इस्लाम में एक महत्वपूर्ण कहानी की याद दिलाता है जो विश्वास, आज्ञाकारिता और बलिदान के महत्व का उदाहरण देता है। इस्लामिक परंपरा के अनुसार, पैगंबर इब्राहिम (अब्राहम) को एक सपने में भगवान से एक आदेश मिला, जिसमें उन्हें अपने सबसे प्यारे बेटे इश्माएल (इश्माइल) की बलि देने का निर्देश दिया गया। इस कृत्य ने इब्राहिम की अटूट भक्ति और ईश्वर की इच्छा के प्रति समर्पित होने की इच्छा का परीक्षण किया।
पैगंबर इब्राहिम अंतिम बलिदान देने और ईश्वर की आज्ञा का पालन करने के लिए तैयार थे। हालाँकि, जैसे ही वह इसे अंजाम देने वाला था, भगवान ने इब्राहिम के अटूट विश्वास को पहचानने और उसकी सराहना करते हुए हस्तक्षेप किया। उसकी वफादारी के इनाम के रूप में, भगवान ने इश्माएल के स्थान पर बलि देने के लिए एक मेढ़ा प्रदान किया।
बलिदान की यह कहानी ईद अल-अधा के मूल में निहित है। यह अत्यधिक कठिनाई का सामना करने पर भी, ईश्वर की इच्छा के प्रति समर्पित होने के महत्व पर जोर देता है। अपने विश्वास और दूसरों की भलाई के लिए बलिदान देने की इच्छा इस छुट्टी का मुख्य विषय है।
ईद अल-अधा की परंपराएं और उत्सव
ईद अल-अधा कई परंपराओं और प्रथाओं द्वारा चिह्नित एक खुशी का अवसर है:
ईद की प्रार्थना: उत्सव की शुरुआत ईद अल-अधा की सुबह आयोजित एक विशेष ईद प्रार्थना से होती है। मुसलमान अपनी बेहतरीन पोशाक पहनते हैं और प्रार्थना करने और इमाम द्वारा दिए गए उपदेश को सुनने के लिए मस्जिदों या निर्दिष्ट प्रार्थना स्थलों पर इकट्ठा होते हैं।
बलिदान: ईद अल-अधा की एक प्रमुख परंपरा एक जानवर का बलिदान है, आमतौर पर भेड़, बकरी, गाय या ऊंट। बलि किए गए जानवर को फिर तीन भागों में विभाजित किया जाता है: एक तिहाई परिवार के लिए रखा जाता है, एक तिहाई रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ साझा किया जाता है, और शेष एक तिहाई गरीबों और जरूरतमंदों को वितरित किया जाता है।
साझा करना और दावतें: ईद अल-अधा परिवारों और समुदायों के एक साथ आने का समय है। ईद की नमाज़ और बलिदान के बाद, परिवार विस्तृत भोजन के लिए इकट्ठा होते हैं जिसमें बलिदान किए गए मांस से तैयार व्यंजन शामिल होते हैं। यह प्रियजनों के साथ साझा करने, हँसने और संबंधों को मजबूत करने का समय है।
शुभकामनाएँ और उपहार: मुसलमान पूरे दिन “ईद मुबारक” (धन्य ईद) की शुभकामनाएँ देते हैं। बच्चों को अक्सर पैसे या नए कपड़े उपहार में मिलते हैं।
प्रियजनों से मिलना: रिश्तेदारों, दोस्तों और विशेष रूप से बुजुर्गों या बीमारों से मिलना उत्सव का एक महत्वपूर्ण पहलू है। यह टूटे हुए रिश्तों को सुधारने, करुणा दिखाने और खुशी फैलाने का समय है।
बलिदान से परे: सामाजिक उत्तरदायित्व और दान
ईद अल-अधा का एक अनिवार्य पहलू सामाजिक जिम्मेदारी और दान पर जोर देना है। बलिदान किए गए मांस का एक हिस्सा कम भाग्यशाली लोगों को वितरित करना यह सुनिश्चित करता है कि समुदाय के सभी लोग उत्सव में भाग ले सकें। यह मुसलमानों के लिए एक अनुस्मारक है कि वे जरूरतमंद लोगों के साथ अपना आशीर्वाद साझा करें और करुणा और उदारता की भावना को बढ़ावा दें।
ईद अल-अधा की वैश्विक पहुंच
ईद अल-अधा एक विश्व स्तर पर मनाया जाने वाला अवकाश है जो दुनिया भर में इस्लाम के अनुयायियों द्वारा मनाया जाता है। हालाँकि परंपराएँ क्षेत्र के आधार पर थोड़ी भिन्न हो सकती हैं, बलिदान, साझाकरण और धर्मपरायणता के मूल विषय स्थिर रहते हैं। यह उत्सव भौगोलिक सीमाओं से परे जाकर मुसलमानों को आस्था, कृतज्ञता और समुदाय के साझा अनुभव में एकजुट करता है।
ईद अल-अधा सिर्फ एक खुशी का उत्सव नहीं है; यह आस्था, त्याग और सामाजिक जिम्मेदारी की गहरी याद दिलाता है। यह इस्लाम का पालन करने वाले लोगों के लिए ईश्वर की आज्ञाकारिता के महत्व पर विचार करने, पारिवारिक संबंधों को मजबूत करने और जरूरतमंद लोगों के साथ आशीर्वाद साझा करने का समय है।
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ऑपरेशन सिंदूर के बाद डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल घई की पदोन्नति, बने उप सेना प्रमुख (रणनीति)

नई दिल्ली, 9 जून। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में सफल भूमिका निभाने वाले भारतीय सेना के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन (डीजीएमओ) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई को पदोन्नति दी गई है। सोमवार को उनकी पदोन्नति की जानकारी सामने आई।
लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई को अब भारतीय सेना का उप सेना प्रमुख नियुक्त किया गया है। बतौर उप सेना प्रमुख वह रणनीति मामलों को देखेंगे। उप सेना प्रमुख बनने के बावजूद लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई पूर्व की भांति फिलहाल डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन यानी डीजीएमओ का कार्यभार भी संभालते रहेंगे। लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई, उप सेना प्रमुख (रणनीति) के पद पर पदोन्नत किए गए हैं।
दरअसल, भारतीय सेना में यह एक महत्वपूर्ण पद है। सेना के सभी ऑपरेशनल कार्यक्षेत्र, उप सेना प्रमुख (रणनीति) के कार्यालय को रिपोर्ट करते हैं। वहीं, भारत-पाकिस्तान के बीच सैन्य स्तर पर होने वाली बातचीत का नेतृत्व डीजीएमओ द्वारा किया जाता है। 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के जवाब में भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया था।
ऑपरेशन सिंदूर के अंतर्गत पाकिस्तान में और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित विभिन्न आतंकवादी ठिकानों पर भारतीय सेना ने हमला किया था, जिसमें सौ से अधिक आतंकवादी मारे गए। पाकिस्तानी सेना ने इसके जवाब में भारतीय सैन्य और नागरिक ठिकानों पर हमले किए, जिसका मुंह तोड़ जवाब भारतीय सेना ने दिया। भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कई एयरबेस व एयर डिफेंस सिस्टम नष्ट कर दिए। इसके बाद पाकिस्तान ने युद्ध विराम की मांग की।
पाकिस्तानी सेना के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस ने भारतीय डीजीएमओ से संपर्क किया। दोनों के बीच यह वार्ता हॉटलाइन पर हुई थी। बीते महीने हुई इस वार्ता में पाकिस्तान ने कहा था कि वह सीमा पार से एक भी गोली नहीं चलाएगा। वार्ता में कहा गया कि दोनों पक्षों को एक भी गोली नहीं चलानी चाहिए। एक-दूसरे के खिलाफ कोई आक्रामक और शत्रुतापूर्ण कार्रवाई शुरू नहीं करनी चाहिए।
सेना के मुताबिक, इस बात पर सहमति हुई कि दोनों पक्ष यानी भारत और पाकिस्तान सीमाओं और अग्रिम क्षेत्रों से सैनिकों की संख्या में कमी सुनिश्चित करने के लिए तत्काल उपायों पर विचार करें। भारत व पाकिस्तान के डीजीएमओ के बीच हुई अन्य बातचीत की पूरी जानकारी रक्षा मंत्री को दी गई थी। इससे स्पष्ट है कि भारतीय सेना में डीजीएमओ एक बेहद अहम पद है। वर्तमान में भारतीय सेना के डीजीएमओ यानी लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई इस पद पर बने रहेंगे। वह महत्वपूर्ण विषयों पर थलसेना प्रमुख को सीधे रिपोर्ट करते हैं। इसके साथ ही, डीजीएमओ सेना, नौसेना तथा वायुसेना के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने में भी महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
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पीएम मोदी के वंदे भारत एक्सप्रेस उद्घाटन पर रामबन और कटरा के निवासियों में उत्साह, क्षेत्र में विकास की उम्मीद

pm modi
कटरा, 6 जून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के उद्घाटन को लेकर जम्मू-कश्मीर के रामबन और कटरा के निवासियों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है।
स्थानीय लोगों ने इस ट्रेन को कन्याकुमारी से कश्मीर तक देश को जोड़ने वाली एक बड़ी सौगात बताया। रामबन के निवासियों ने मिडिया से बातचीत में अपनी खुशी जाहिर की और कहा कि आज का दिन उनके लिए सौभाग्यशाली है। उन्होंने इसे देश और जम्मू-कश्मीर के लिए गर्व का क्षण बताया।
रामबन के स्थानीय लोगों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर का यह क्षेत्र, जिसमें डोडा, किश्तवाड़, रामबन और रियासी जैसे इलाके शामिल हैं, पहाड़ी क्षेत्रों के बीच बसा है। वंदे भारत एक्सप्रेस का संचालन इस क्षेत्र के लिए गेम-चेंजर साबित होगा। उन्होंने कहा कि यह ट्रेन कश्मीर तक आसानी से पहुंच प्रदान करेगी। पहले सड़क मार्ग से यात्रा में दुर्घटनाएं, जाम और परेशानियां आम थीं, लेकिन अब ट्रेन से सुबह कश्मीर जाकर शाम को लौटा जा सकेगा। बच्चों के लिए शिक्षा के अवसर बढ़ेंगे, क्योंकि वे कश्मीर और जम्मू के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में आसानी से जा सकेंगे।
निवासियों ने इस परियोजना को राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि इसमें विश्व का सबसे बड़ा कोडी ब्रिज और 13 किलोमीटर लंबी सुरंग शामिल है, जो इस क्षेत्र के विकास को दर्शाती है। लोगों ने पहले की सरकारों, खासकर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अटल बिहारी वाजपेयी के योगदान की सराहना की। साथ ही, उन्होंने मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिल से बधाई दी। रामबन के लोगों ने जम्मू-कश्मीर की नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार और उमर अब्दुल्ला को भी इस परियोजना में सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। उनका कहना है कि यह ट्रेन जम्मू-कश्मीर को नई पहचान और तरक्की देगी।
रामबन के एक अन्य निवासी ने कहा कि वे स्थानीय होने के नाते पीएम मोदी और भाजपा सरकार को बधाई देते हैं। उन्होंने कहा कि यह ट्रेन दिल्ली से कश्मीर तक की दूरी को खत्म कर देगी। पहले पहाड़ी इलाकों में पैदल या गाड़ियों से सफर करना पड़ता था, जिसमें जाम और अन्य समस्याएं होती थीं। अब ट्रेन से यात्रा आसान हो गई है। सुरक्षाबलों के लिए भी यह मददगार होगी, क्योंकि आपात स्थिति में वे जल्दी कश्मीर पहुंच सकेंगे। निवासियों ने रोजगार के अवसर बढ़ने की बात भी कही। उन्होंने बताया कि रेलवे परियोजनाओं से कंपनियों को काम मिला और स्थानीय लोगों को नौकरियां मिली। उन्होंने केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह से अपील की कि रामबन में दो मिनट का स्टेशन बनाया जाए, ताकि स्थानीय लोगों और यात्रियों को और सुविधा हो।
कटरा के निवासियों ने भी पीएम मोदी के दौरे और वंदे भारत एक्सप्रेस के उद्घाटन पर खुशी जताई। माता वैष्णो देवी की पावन धरती पर पीएम का आगमन गर्व का विषय है। कटरा के लोगों ने इसे 1947 के बाद का सबसे बड़ा काम बताया। उन्होंने कहा कि कन्याकुमारी से कश्मीर तक सड़क और रेल से जोड़ने का सपना साकार हुआ है।
लोगों का कहना है कि इस ट्रेन से पर्यटन और रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। माता वैष्णो देवी आने वाले श्रद्धालुओं, पिट्ठू वालों, घोड़े वालों, पालकी वालों और ढाबा संचालकों को फायदा होगा। जम्मू-कश्मीर में उन्नति हो रही है, आतंकवाद खत्म हुआ है और हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी मिलकर भाईचारे के साथ देश की कामयाबी के लिए दुआएं कर रहे हैं।
कटरा के भाजपा मंडल प्रधान चमेल सिंह ने कहा कि पीएम मोदी का दौरा सौभाग्य की बात है। वंदे भारत ट्रेन से बेरोजगारी खत्म होगी और नौजवानों को रोजगार मिलेगा। उन्होंने पीएम मोदी को अब तक का सबसे बेहतरीन प्रधानमंत्री बताया। चमेल सिंह ने कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों से अनुमति मिली है कि मंडल अध्यक्ष पीएम का स्वागत करेंगे और उनसे मुलाकात करेंगे। उन्होंने जय हिंद और जय भारत के नारे के साथ अपनी बात खत्म की। निवासियों ने पीएम मोदी और भारतीय सेना को ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के लिए बधाई दी, जिसमें पाकिस्तान में घुसकर आतंकी ठिकानों को खत्म किया गया।
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मुंबई के ग्रैंड हयात होटल को मिली बम की धमकी, पुलिस ने अज्ञात शख्स के खिलाफ दर्ज किया मामला

मुंबई, 31 मई। मुंबई के ग्रैंड हयात होटल को शुक्रवार देर रात एक धमकी भरा कॉल आया, जिसमें होटल में बम होने और 10 मिनट में विस्फोट की बात कही गई।
इस सूचना के बाद होटल प्रबंधन ने तुरंत वाकोला पुलिस को सूचित किया। मुंबई पुलिस का बम निरोधक दस्ता और स्थानीय पुलिस तत्काल मौके पर पहुंची और होटल की गहन तलाशी ली। जांच के दौरान कोई संदिग्ध वस्तु या बम नहीं मिला। पुलिस ने अज्ञात कॉलर के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
पुलिस के अनुसार, अज्ञात शख्स ने कस्टमर केयर नंबर पर कॉल कर धमकी दी थी कि होटल में बम रखा गया है और अगले 10 मिनट में विस्फोट होगा।
इस कॉल ने होटल प्रबंधन और कर्मचारियों में हड़कंप मचा दिया, तुरंत पुलिस को सूचना दी गई, जिसके बाद बम निरोधक दस्ता और वाकोला पुलिस की टीम ने होटल के हर हिस्से की बारीकी से जांच की।
कई घंटों की तलाशी के बाद पुलिस ने पुष्टि की कि धमकी झूठी थी और कोई खतरा नहीं है।
वाकोला पुलिस ने अज्ञात शख्स के खिलाफ संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज की है। प्रारंभिक जांच में पता चला कि धमकी भरा कॉल जर्मनी के एक नंबर से आया था। पुलिस अब इस नंबर की जांच कर रही है और कॉलर की पहचान करने के लिए तकनीकी सहायता ले रही है।
मुंबई पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हम इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं। कॉलर की तलाश के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। तकनीकी जांच के जरिए जल्द ही कॉलर तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है।”
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