अपराध
तमिलनाडु में ईडी अधिकारी 20 लाख की रिश्वत की रकम के साथ गिरफ्तार

तमिलनाडु सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय के अधिकारियों ने राज्य सरकार के एक कर्मचारी से 20 लाख रुपये की उगाही करने के आरोप में केंद्रीय एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के एक अधिकारी को गिरफ्तार कर लिया और मदुरै में उसके कार्यालय की तलाशी ली।
डीवीएसी अधिकारियों ने एक सरकारी डॉक्टर से रिश्वत मांगने और स्वीकार करने के आरोप में अंकित तिवारी को गिरफ्तार किया, जो आय से अधिक संपत्ति के मामले में आरोपी हैं।
अधिकारियों ने उनकी कार से 20 लाख रुपये नकद जब्त किए, जो उन्हें कथित तौर पर रिश्वत के रूप में मिले थे।
इसके बाद ईडी अधिकारी को पूछताछ के लिए डिंडीगुल स्थित वीएंडएसी कार्यालय ले जाया गया।
बाद में उन्होंने शुक्रवार देर रात ईडी के मदुरै कार्यालय और उनके आवास पर तलाशी ली और कई अन्य दस्तावेज जब्त किए और बाद में अधिकारी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
तमिलनाडु में यह पहली बार है कि ईडी के किसी अधिकारी को गिरफ्तार किया गया है।
डिंडीगुल के डॉ. सुरेश बाबू से मिली शिकायत के बाद वीएंडएसी ने गुरुवार को ईडी अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
शिकायतकर्ता के अनुसार, वह डिंडीगुल के सरकारी अस्पताल में उपाधीक्षक के रूप में काम करता था। उनके खिलाफ 2018 में आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति जमा करने का मामला दर्ज किया गया था।
उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ महीने पहले तिवारी ने उनसे संपर्क किया था और उन्हें आरोपों से मुक्त करने के लिए 3 करोड़ रुपये की रिश्वत की मांग की थी।
जब डॉक्टर ने बड़ी रकम देने से इनकार कर दिया, तो तिवारी ने उनसे 51 लाख रुपये देने के लिए बातचीत की। शिकायतकर्ता ने कहा कि 1 नवंबर को उसने तिवारी को 20 लाख रुपये नकद सौंपे थे।
चूंकि, ईडी अधिकारी ने 31 लाख रुपये और देेेेनेे के लिए उसे परेशान करना शुरू कर दिया, इसलिए डॉक्टर ने वीएंडएसी में शिकायत दर्ज कराई।
एजेंसी ने बाबू को तिवारी को 20 लाख रुपये नकद सौंपने के लिए कहकर जाल बिछाया।
ईडी अधिकारी को डिंडीगुल-मदुरै राजमार्ग पर थॉमिअरपुरम में बाबू से नकदी मिलने के बाद, वी एंड एसी अधिकारियों की एक टीम ने तिवारी की कार का पीछा किया, उन्हें कोडाइकनाल रोड टोल कलेक्शन प्लाजा पर रोका और नकदी जब्त कर ली और बाद में गिरफ्तार कर लिया।
ईडी अधिकारी की गिरफ्तारी अवैध रेत खनन से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के सिलसिले में पांच जिला कलेक्टरों को समन जारी करने को लेकर राज्य सरकार और ईडी के बीच टकराव के बीच हुई है।
अपराध
‘बाबा’ के वेश में स्नैचिंग करने वाले आरोपियों को दिल्ली पुलिस ने किया गिरफ्तार

CRIME
नई दिल्ली, 5 अगस्त। दिल्ली पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है। बाबा के वेश में स्नैचिंग करने वाले तीन आरोपियों को पकड़ा।
1 अगस्त को मिली शिकायत के आधार पर पुलिस ने जांच शुरू की। पुलिस ने तीन आरोपियों को पकड़ लिया है, जबकि एक सहआरोपी अभी भी फरार है, जिसकी तलाश की जा रही है।
शिकायतकर्ता ने बताया कि वह मोती नगर स्थित अपने घर से रैपीडो टैक्सी में कनॉट प्लेस जा रही थी। जब गाड़ी शादीपुर फ्लाईओवर की लाल बत्ती पर पहुंची, तो 20-25 साल के दिखने वाले तीन अज्ञात व्यक्ति टैक्सी के पास पहुंचे। सभी ने ‘बाबाओं’ का वेश धारण किया हुआ था और उनके शरीर पर राख लगी हुई थी। उन्होंने गाड़ी के साइड की खिड़की खटखटाई और पैसे मांगे, जिसपर उन्हें 200 रुपए दिए । इसी बीच, आरोपी ने बीच वाली उंगली से सोने और हीरे की अंगूठी छीन ली और मौके से भाग गया।
पुलिस ने मामला दर्ज कर इसकी जांच शुरू की। मोती नगर के थाना प्रभारी निरीक्षक वरुण दलाल की देखरेख और पंजाबी बाग के एसीपी विजय सिंह के मार्गदर्शन में एक टीम का गठन किया गया।
कई सीसीटीवी खंगालने के बाद आरोपियों को एक ऑटो-रिक्शा में मौके से भागते देखा गया था। ऑटो-रिक्शा के पंजीकृत मालिक की पहचान की गई। पूछताछ करने पर, मालिक ने बताया कि उसने ऑटो, विनोद कामत (50) को किराए पर दिया था।
आरोपी विनोद कामत को अशोका पार्क मेट्रो स्टेशन के पास से पकड़ लिया गया। उसके खुलासे में उसके अन्य साथियों, कबीर (19) और बिरजू (45), को पकड़ लिया गया। तीनों आरोपियों ने घटना में अपनी संलिप्तता कबूल कर ली। आरोपियों ने बताया कि उन्होंने चोरी की अंगूठी 26,000 रुपए में बेच दी थी।
पूछताछ में पता चला कि आरोपी विनोद कामत आरोपियों को परिवहन सेवा प्रदान करता था। आरोपी कबीर, बिरजू का पुत्र है, और उसका एक साथी अमर, जो अभी फरार है, जो बिरजू का सगा भाई है। आगे की जांच की जा रही है और सहआरोपी अमर को पकड़ने का प्रयास किया जा रहा है।
आरोपियों के पास से पिघला हुआ सोना, पत्थरों के 61 छोटे टुकड़े, ऑटो रिक्शा और कपड़े और श्रृंगार के समान बरामद हुए हैं।
अपराध
मैसूर ड्रग फैक्ट्री मामला : ‘शर्ट की फोटो’ के जरिए होती थी तस्करी, जांच में बड़ा खुलासा

DRUG
मुंबई, 5 अगस्त। कर्नाटक के मैसूर में पकड़ी गई 434 करोड़ रुपए की ड्रग्स फैक्ट्री के मामले में मुंबई की साकीनाका पुलिस ने जांच के दौरान एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। इस मामले में महाराष्ट्र तक ड्रग्स की तस्करी के लिए एक अनोखा और बेहद गुप्त तरीका अपनाया गया था। पुलिस के मुताबिक, इस नेटवर्क में ‘शर्ट की फोटो’ को कोडवर्ड के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा था।
जांच में सामने आया कि ड्रग्स की सप्लाई और निर्माण की प्रक्रिया दो अलग-अलग गिरोहों द्वारा अंजाम दी जा रही थी। सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि इन दोनों गैंग के सदस्य एक-दूसरे को जानते तक नहीं थे। यही इस पूरे ऑपरेशन की सबसे खतरनाक और शातिर ‘मॉडस ओपेरेंडी’ थी। इस तरह की व्यवस्था से नेटवर्क की परतें खोलना बेहद मुश्किल हो जाता है।
साकीनाका पुलिस स्टेशन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मैसूर में तैयार की गई एमडी ड्रग्स की खेप को एक गैंग सबसे पहले बेंगलुरु पहुंचाता था। वहां मुंबई गैंग का एक सदस्य पहले से मौजूद होता था। इसके बाद खेप लाने वाले व्यक्ति को एक शर्ट की फोटो व्हाट्सएप पर भेजी जाती थी, ताकि वह व्यक्ति उसी शर्ट को देखकर सही व्यक्ति को माल सौंप सके। इस तरह खेप को बेंगलुरु से मुंबई तक लाया जाता था। यहां इसे मुंबई के विभिन्न इलाकों में स्थानीय सप्लायर्स के जरिए वितरित किया जाता था। ड्रग्स का पूरा ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम सड़क मार्ग पर आधारित था, ताकि हवाई या ट्रेन मार्गों में होने वाली जांच से बचा जा सके।
पुलिस जांच में सामने आया है कि यह नेटवर्क ड्रग्स को बसों और निजी वाहनों के माध्यम से ट्रांसपोर्ट करता था। मैसूर से बेंगलुरु और फिर मुंबई तक का सफर तय कर ड्रग्स को छिपाकर पहुंचाया जाता था। इस तरह की रणनीति से सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देने में काफी हद तक सफलता भी मिली।
इस मामले में अब इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) की भी एंट्री हो चुकी है। सोमवार को आईबी अधिकारियों ने गिरफ्तार आरोपियों से लंबी पूछताछ की। जांच एजेंसियों को शक है कि यह ड्रग्स फैक्ट्री सिर्फ स्थानीय नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय ड्रग नेटवर्क का हिस्सा हो सकती है। साथ ही यह भी आशंका है कि इसका लिंक अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की डी-कंपनी से भी हो सकता है।
साकीनाका पुलिस और केंद्रीय एजेंसियां अब इस ऑपरेशन के पीछे की पूरी चेन, फंडिंग सोर्स, मास्टरमाइंड और सप्लायर्स नेटवर्क को खंगालने में जुट गई हैं।
अपराध
महाराष्ट्र : मीठी नदी सफाई घोटाले में ईडी की कार्रवाई, 47 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त

मुंबई, 2 अगस्त। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), मुंबई जोनल कार्यालय ने मीठी नदी की सफाई घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में 31 जुलाई को मुंबई के 8 ठिकानों पर छापेमारी की थी। यह कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत की गई। ईडी की टीम ने ये छापेमारी बीएमसी ठेकेदारों और एक इंजीनियर के ठिकानों पर की। इसमें 47 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति को फ्रीज कर दिया गया है।
जिन ठेकेदारों और कंपनियों के ठिकानों पर छापेमारी हुई, उनमें एक्यूट डिजाइन्स, कैलाश कंस्ट्रक्शन कंपनी, निखिल कंस्ट्रक्शन कंपनी, एन. ए. कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड और जे.आर.एस इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम शामिल हैं। इनके साथ ही बीएमसी के इंजीनियर प्रशांत कृष्ण तायशेते के ठिकानों पर भी कार्रवाई की गई।
अलग-अलग बैंक खातों, एफडीआर और डिमैट खातों में 47 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम फ्रीज की गई। डिजिटल डिवाइस, जमीन से जुड़े दस्तावेज और कई कागजात जब्त किए गए हैं। इस घोटाले की जांच आजाद मैदान पुलिस स्टेशन, मुंबई में दर्ज एफआईआर नंबर 0075/2025 (तारीख 6 मई 2025) के आधार पर शुरू हुई थी।
एफआईआर में 13 व्यक्तियों और कंपनियों पर भारतीय दंड संहिता, 1860 के तहत मामला दर्ज है। इन पर बीएमसी को 65 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान पहुंचाने का आरोप है। जांच में सामने आया है कि बीएमसी के ठेकेदारों ने झूठे दस्तावेज, जैसे कि जमीन मालिकों के फर्जी समझौते (एमओयू) और ग्राम पंचायतों से फर्जी एनओसी, जमा कराए थे। यह दस्तावेज उस जमीन के लिए दिए गए थे, जहां पर मलबा (सिल्ट) डंप किया गया था।
इसके अलावा, बीएमसी के स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज (एसडब्लयूसी) विभाग के अधिकारियों पर भी आरोप हैं कि उन्होंने सिल्ट पुशर और मल्टीपर्पज एम्फीबियस पोंटून मशीनों की खरीद और उपयोग में गड़बड़ियां की। ये मशीनें 2021-2022 में टेंडर के जरिए खरीदी गई थीं।
ईडी ने इसी मामले में 6 जून को 18 ठिकानों पर भी छापेमारी की थी। अब तक इस केस में ईडी की ओर से कुल 49.8 करोड़ रुपए की अवैध संपत्ति जब्त या फ्रीज की जा चुकी है। जांच अभी भी जारी है और अधिकारियों का कहना है कि आने वाले समय में और भी खुलासे हो सकते हैं।
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