अंतरराष्ट्रीय समाचार
फ्रांस में और अधिक हमलों की आशंका : जेराल्ड डार्मेनिन

फ्रांस के आंतरिक मामलों के मंत्री जेराल्ड डार्मेनिन ने देश में और आतंकी हमले होने की आशंका जताई है। उन्होंने नीस शहर में एक चर्च में चाकू से अंजाम दिए गए हालिया हमले के मद्देनजर यह चेतावनी दी है। डार्मेनियन ने शुक्रवार को आरटीएल रेडियो को बताया, “हम दुश्मन के साथ लड़ाई में हैं जो अंदर और बाहर दोनों हैं। हम एक धर्म के खिलाफ नहीं बल्कि एक विचारधारा के खिलाफ युद्ध में हैं।”
समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने कहा, “हमें दुर्भाग्य से यह समझना चाहिए कि इस तरह के भयानक हमले जैसे अन्य कृत्य आगे भी हो सकते हैं।” उन्होंने कहा कि फ्रांस अब विशेष रूप से निशाने पर है।
नीस में चाकू से हमले को अंजाम देने वाले शख्स की पहचान एक 21 वर्षीय ट्यूनीशियाई नागरिक के रूप में हुई है । उसने मध्य नीस में स्थित नोट्रे-डेम बेसिलिका में तीन लोगों की चाकू मारकर हत्या कर दी। बाद में पुलिस द्वारा उसे गोली मार दी गई और वह गंभीर रूप से घायल हो गया।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
सीमा पर संघर्ष: थाईलैंड के F-16 जेट विमानों ने सैन्य ठिकानों पर बमबारी की, कंबोडियाई हमलों में 9 नागरिक मारे गए

दोनों देश एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं, वहीं गुरुवार को कंबोडियाई रॉकेट हमलों में थाईलैंड में कम से कम नौ लोग मारे गए हैं।
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच बढ़ते तनाव के बीच, रॉयल थाई आर्मी ने बताया है कि गुरुवार को कम से कम नौ नागरिक मारे गए। ये मौतें कंबोडिया द्वारा थाईलैंड के सीमावर्ती कस्बों के पास रॉकेट हमलों की एक श्रृंखला शुरू करने के बाद हुईं।
थाई सेना के आधिकारिक बयान के अनुसार, सीमा के निकट तीन जिलों में नौ लोग मारे गए हैं और लगभग 14 लोग घायल हुए हैं।
गुरुवार के हमलों के जवाब में, थाईलैंड ने कंबोडिया पर सीमा पर घरों और नागरिक बुनियादी ढाँचे को निशाना बनाने का आरोप लगाया है। पड़ोसी देश को “अमानवीय, क्रूर और युद्ध-प्रेमी” बताते हुए, थाई सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से कंबोडिया के हमलों की निंदा करने का आह्वान किया है।
इस बीच, कंबोडिया ने थाईलैंड पर अपने एफ-16 लड़ाकू विमानों से गोलीबारी और हमले करने का आरोप लगाया है।
थाईलैंड-कंबोडिया विवाद | नवीनतम घटनाक्रम
- थाईलैंड में 9 लोगों की मौत – रॉयल थाई आर्मी के अनुसार, सीमा पर कंबोडियाई रॉकेट हमलों में नौ नागरिक मारे गए हैं। सेना के अनुसार, सिसाकेत प्रांत में छह, सुरिन में दो और उबोन रत्चथानी प्रांत में एक व्यक्ति मारा गया। इन तीन सीमावर्ती प्रांतों में हुई झड़पों और हमलों में कम से कम 14 लोग घायल हुए हैं।
- थाईलैंड ने F-16 लड़ाकू विमान तैनात किए – आज तनाव बढ़ने के जवाब में, थाईलैंड ने F-16 लड़ाकू विमान तैनात किए , जिनमें से एक का इस्तेमाल कंबोडियाई सैन्य अड्डे पर हवाई हमले करने के लिए किया गया। थाई सैन्य प्रवक्ता के अनुसार, उबोन रत्चथानी प्रांत से छह लड़ाकू विमान तैनात किए गए, जिन्होंने “ज़मीन पर स्थित दो कंबोडियाई सैन्य ठिकानों” को निशाना बनाया। हालाँकि, कंबोडियाई रक्षा मंत्रालय ने दावा किया है कि थाई लड़ाकू विमानों ने प्राचीन प्रीह विहियर मंदिर के पास एक सड़क पर बम गिराए।
- कंबोडिया ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाने का आह्वान किया – थाईलैंड के साथ बढ़ते तनाव के बीच, कंबोडिया ने गुरुवार को थाईलैंड में हुए हमलों की निंदा की है और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाने का आह्वान किया है। कंबोडियाई प्रधानमंत्री हुन मानेट ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के वर्तमान अध्यक्ष असीम इफ्तिखार अहमद को लिखे एक पत्र में कहा, “थाईलैंड द्वारा हाल ही में किए गए अत्यंत गंभीर आक्रमणों, जिनसे क्षेत्र में शांति और स्थिरता को गंभीर खतरा पैदा हो गया है, को देखते हुए मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि थाईलैंड के आक्रमण को रोकने के लिए सुरक्षा परिषद की तत्काल बैठक बुलाई जाए।”
- दोनों देशों ने तनाव बढ़ने की चेतावनी दी है – थाईलैंड ने कंबोडिया से पीछे हटने का आग्रह किया है और चेतावनी दी है कि अगर कंबोडिया ने अपने हमले बंद नहीं किए तो वह जवाब देगा और “आत्मरक्षा के उपाय तेज़” करेगा। इस बीच, कंबोडियाई प्रधानमंत्री ने कहा है कि देश के पास थाईलैंड के “सशस्त्र आक्रमण” का “जवाब देने के अलावा कोई विकल्प नहीं” होगा।
- चीन ने शांति की अपील की – थाईलैंड और कंबोडिया के बीच हालिया झड़प पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, चीन ने दोनों देशों से कूटनीति और बातचीत की ओर लौटने का आग्रह किया है। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह इस बढ़ते तनाव पर “बेहद चिंतित” है और दोनों देशों से बातचीत फिर से शुरू करने का आह्वान किया है। चीन ने आगे कहा कि वह संघर्ष के दौरान निष्पक्ष रुख बनाए रखेगा।
- झड़पों के बीच बाट में गिरावट – कंबोडिया के साथ तनाव बढ़ने के बाद, थाई बाट में भारी गिरावट देखी गई, जो 2022 के बाद के उच्चतम स्तर को छूने के बाद आई। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, स्थानीय मुद्रा 0.3 प्रतिशत गिरकर 32.39 प्रति डॉलर पर आ गई। इससे पहले यह 32.11 प्रति डॉलर तक पहुँच गई थी, जो फरवरी 2022 के बाद से बाट का सबसे मज़बूत स्तर है।
- कंबोडिया ने थाई अस्पताल को निशाना बनाया – रॉयल थाई आर्मी के द्वितीय क्षेत्र के एक आधिकारिक बयान के अनुसार, गुरुवार को फानोम डोंग राक अस्पताल पर कंबोडियाई गोलाबारी की गई।
- थाईलैंड ने कंबोडिया के साथ सीमाएँ सील कीं – विवादित सीमा पर कंबोडियाई हमलों के बाद, थाईलैंड ने घोषणा की है कि उसने पड़ोसी देश के साथ सभी सीमाएँ सील कर दी हैं। इसके अलावा, उप रक्षा मंत्री ने संघर्ष की पुष्टि की है और बढ़ते तनाव को देखते हुए सेना को पूर्ण संचालन अधिकार प्रदान किए हैं।
- दोनों देशों से राजनयिक निष्कासित – गुरुवार सुबह सीमा पर हुई झड़प के बाद थाईलैंड और कंबोडिया दोनों ने अपने राजनयिकों को वापस बुला लिया है और निष्कासित कर दिया है।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
‘वोक एआई’ पर ट्रंप ने लगाई पाबंदी, एग्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी

वाशिंगटन, 24 जुलाई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सरकारी एजेंसियों में वोक (डब्ल्यूओकेई) एआई के उपयोग पर रोक लगाने का एक कड़ा एग्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी कर दिया है। अपने आदेश में ट्रंप ने आरोप लगाया है कि ऐसे एआई से फैक्ट्स प्रभावित होते हैं।
ट्रंप ने अपने आदेश में कहा, कई एआई सिस्टम्स विविधिता, समानता, समावेशन (डाइवर्सिटी, इक्विटी, इंक्लूजन यानी डीईआई) जैसे वैचारिक एजेंडों से प्रभावित हैं, जिससे इतिहास, विज्ञान और तथ्यों की विश्वसनीयता पर आंच आती है।”
आदेश में स्पष्ट किया गया है कि अब से एजेंसियां केवल उन्हीं लार्ज लैंग्वेज मॉडल्स (एलएलएम) को खरीद सकेंगी जो सत्य और वैचारिक तटस्थता के दो सिद्धांतों का गंभीरता से पालन करेंगे।
इस आदेश में कई अहम बातें कही गई हैं, जैसे कि एआई को वैचारिक रूप से तटस्थ बनाना जरूरी होगा। ट्रंप प्रशासन के मुताबिक, एआई मॉडल्स को सिर्फ सच्चाई और फैक्ट्स के आधार पर जवाब देने चाहिए। उन्हें किसी विचारधारा, जैसे डीईआई, को तवज्जो नहीं देनी चाहिए। इसके साथ ही इसमें लिखा गया है कि एलएलएम विक्रेताओं को ये सुनिश्चित करना होगा कि मॉडल किसी एक पक्ष से प्रभावित न हो, वरना उनका अनुबंध रद्द कर दिया जाएगा।
इसके साथ ही ट्रंप ने ये भी दावा किया कि उनका देश दुनिया का उन्नत एआई ढांचा तैयार करेगा। उन्होंने कहा, ” मेरा प्रशासन यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव साधन का उपयोग करेगा कि संयुक्त राज्य अमेरिका पृथ्वी पर कहीं भी सबसे बड़ा, सबसे शक्तिशाली और सबसे उन्नत एआई बुनियादी ढांचे का निर्माण और रखरखाव कर सके।”
वोक शब्द मूल रूप से एक सकारात्मक सामाजिक शब्द था, जिसका मतलब- सामाजिक अन्याय, नस्लवाद, लैंगिक भेदभाव, अलगाववाद जैसे मुद्दों के प्रति लोगों को जागरूक करना है, लेकिन हाल के वर्षों में इसका अर्थ और इस्तेमाल बदल चुका है। ये शब्द इन दिनों खुद को पोलिटिकली करेक्ट साबित करने की कोशिश के तहत किया जाता है।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
ब्रिटेन दौरे पर पीएम मोदी: ऐतिहासिक संबंधों से लेकर फ्री ट्रेड एग्रीमेंट तक, 1993 की नींव पर 2025 की साझेदारी

नई दिल्ली, 24 जुलाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिटेन दौरे पर हैं। दो दिवसीय यह यात्रा भारत-ब्रिटेन संबंधों को और अधिक सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। खासकर फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) के जरिए द्विपक्षीय व्यापार को एक नई ऊंचाई देने की कोशिश है। यह पीएम मोदी की चौथी ब्रिटेन यात्रा है, जबकि कीर स्टार्मर के प्रधानमंत्री बनने के बाद पहला दौरा है।
लंदन पहुंचने पर पीएम मोदी का स्वागत किया गया, जहां खासतौर पर भारतीय नागरिक उनके बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। लंदन का माहौल इस दौरान पूरी तरह ‘मोदीमय’ हो गया था, जहां भारतीय मूल के लोगों में जबरदस्त उत्साह देखा गया। खैर, इस यात्रा के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन से उनके जुड़ाव की कुछ पुरानी तस्वीरें भी चर्चा में हैं। ‘मोदी आर्काइव’ ने 1993 के बाद की यात्राओं का ब्योरा साझा किया है, जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं, बल्कि एक कार्यकर्ता के तौर पर गए थे।
1993 में उनका पहला ब्रिटेन दौरा हुआ था, जब वे भाजपा के महासचिव और राष्ट्रीय राजनीति में एक उभरती हुई हस्ती थे। अपनी पहली अमेरिकी यात्रा से लौटते वक्त उनका अचानक ब्रिटेन जाना हुआ, जहां वह कुछ समय रुके। न कोई तय कार्यक्रम था, न कोई भव्य मंच। यह बस अमेरिका से लौटते समय एक सहज, अनौपचारिक पड़ाव था।
अपने पहले ब्रिटेन के पड़ाव में उन्होंने भारतीय प्रवासी समुदाय से जुड़ने का अवसर नहीं छोड़ा। उन्होंने ‘सनराइज रेडियो’ और एक गुजराती अखबार जैसी सामुदायिक संस्थाओं का दौरा किया। उन्होंने क्रॉयडन और हेस्टिंग्स में कई परिवारों से मुलाकात की। यह अनौपचारिक बातचीत थी। लंदन अंडरग्राउंड में उन्होंने ब्रिटेन में रहने वाले आम भारतीयों के साथ विचारों का आदान-प्रदान किया। अहम यह है कि वह जो बीज उस समय बोए गए, उन्होंने आने वाले दशकों तक भारत की प्रवासी कूटनीति को मजबूती दी।
भाजपा जमीनी स्तर पर खुद को मजबूत कर रही थी तो गुजरात में नरेंद्र मोदी इस जिम्मेदारी को निभा रहे थे। उस समय 1985 और 1995 के बीच पार्टी का जमीनी नेटवर्क एक से बढ़कर 16 हजार से ज्यादा ग्राम इकाइयों तक पहुंचा था। इसका फायदा 1999 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिला। उस समय नरेंद्र मोदी भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव थे। गुजरात में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 26 में से 20 लोकसभा सीटें जीतीं।
इस शानदार जीत के बाद 1999 में दूसरी बार ब्रिटेन दौरे पर गए थे। उनकी 5 दिवसीय ब्रिटेन यात्रा का केंद्र बिंदु नीसडेन के स्वामीनारायण स्कूल में आयोजित ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी (यूके) का ऐतिहासिक कार्यक्रम था। उस कार्यक्रम में नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी, “भाजपा राष्ट्रवाद और देशभक्ति का प्रतीक है।”
उन्होंने भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं और एनडीए के नीतिगत दृष्टिकोण पर विस्तार से चर्चा की। नरेंद्र मोदी ने भाजपा को सिर्फ एक राजनीतिक पार्टी नहीं, बल्कि परंपरा, धर्म, संस्कृति और आधुनिकता से जुड़ा हुआ एक आंदोलन बताया था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों की दुनिया भर में प्रशंसा की जाती है।
इस यात्रा के दौरान नरेंद्र मोदी का लोहाना महाजन समुदाय ने गर्मजोशी से स्वागत किया था, जहां उन्होंने प्रवासी भारतीयों को भारतीय सभ्यता के ‘सच्चे राजदूत’ कहा।
सितंबर 2000 में भी नरेंद्र मोदी लंदन में एक छोटी यात्रा पर गए। कैरेबियन में विश्व हिंदू सम्मेलन और अमेरिका में संयुक्त राष्ट्र शांति सम्मेलन की यात्रा पर जाते समय वो लंदन में ठहरे। ब्रिटेन की इस संक्षिप्त यात्रा में भी नरेंद्र मोदी ने एक अमिट छाप छोड़ी।
उन्होंने ब्रिटिश उप-प्रधानमंत्री जॉन प्रेस्कॉट से मुलाकात के दौरान एशिया में राजनीतिक स्थिरता और भारतीय उपमहाद्वीप की स्थिति के बारे में चर्चा की। इस चर्चा में सबसे महत्वपूर्ण विषय ‘वैश्विक आतंकवाद’ था। वहां एक बयान में नरेंद्र मोदी ने कहा, “आतंकवाद मानवता के विरुद्ध एक बुराई है, चाहे वह भारत में हो, मध्य पूर्व में हो या उत्तरी आयरलैंड में।”
यह उल्लेखनीय है कि 9/11 के आतंकी हमलों से लगभग एक साल पहले ही नरेंद्र मोदी ने वैश्विक आतंकवाद को मानवता के लिए एक साझा खतरा बताया था, जब अधिकतर वैश्विक नेतृत्व इस चुनौती की गंभीरता को समझने में पीछे था।
यही नहीं, नरेंद्र मोदी उन लोगों को नहीं भूलते जो भारत के साथ खड़े होते हैं, 2003 में इसका उदाहरण देखने को मिला।
अगस्त 2003 में भूकंप ने भुज ही नहीं पूरे गुजरात को हिला दिया। उस समय नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे। भुज भूकंप के बाद वे धन्यवाद देने के लिए ब्रिटेन दौरे पर गए। खचाखच भरे वेम्बली कॉन्फ्रेंस सेंटर में उनकी आवाज गूंज रही थी। नरेंद्र मोदी ने कहा था, “आप सभी गुजरात के सच्चे मित्र हैं और मैं दोस्ती का ऋण चुकाने आया हूं।”
उन्होंने हजारों प्रवासी भारतीयों को संबोधित किया, जिन्होंने 2001 के भूकंप के दौरान गुजरात के लिए सहायता, समर्थन और संसाधन जुटाए थे। उन्होंने प्रवासी भारतीयों की न सिर्फ उनकी उदारता के लिए, बल्कि भारत के साथ उनके भावनात्मक जुड़ाव के लिए भी प्रशंसा की और उन्हें “गुजरात के सच्चे दोस्त” कहा।
इस यात्रा में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से भी मुलाकात हुई, जो उस समय लंदन में थे।
कुछ इसी तरह पीएम मोदी का ब्रिटेन के प्रति जुड़ाव 2011 में गुजरात की स्वर्ण जयंती पर देखने को मिला। हालांकि, वह स्वयं ब्रिटेन नहीं गए थे, बल्कि गांधीनगर से ही डिजिटल माध्यम (‘जूम’) के जरिए लंदन के मेफेयर में मौजूद श्रोताओं को संबोधित किया था। उत्साही श्रोताओं से मोदी ने कहा, “गुजरात और विकास एक-दूसरे के पर्याय हैं। गुजरात इतिहास रच रहा है।”
फ्रेंड्स ऑफ गुजरात, गुजरात समाचार और ‘एशियन वॉयस’ की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में ब्रिटिश सांसद, लॉर्ड्स और समुदाय के नेताओं समेत 90 विशिष्ट अतिथि शामिल थे। इनमें लॉर्ड गुलाम नून भी शामिल थे, जिन्होंने नरेंद्र मोदी के साथ सीधे तौर पर जीवंत संवाद किया।
उस समय नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि महात्मा मंदिर 18 हजार गांवों की मिट्टी से बनेगा और ब्रिटेन में रहने वाले गौरवशाली गुजराती भी इसमें योगदान देंगे।
यह संदेश स्पष्ट था कि नरेंद्र मोदी के लिए प्रवासी भारतीय सिर्फ दर्शक नहीं हैं, बल्कि वे भारत-निर्माण के सक्रिय भागीदार हैं।
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