राष्ट्रीय समाचार
दिल्ली दंगा मामला: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को लगाई फटकार, 31 अक्टूबर को होगी अगली सुनवाई
suprim court
नई दिल्ली, 27 अक्टूबर: दिल्ली दंगों के मामले में आरोपी उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि जब पिछली तारीख पर पुलिस को जवाब दाखिल करने का पर्याप्त समय दिया गया था, तो फिर अब तक जवाब क्यों दाखिल नहीं किया गया?
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि पिछली सुनवाई के दौरान उसने स्पष्ट रूप से कहा था कि सोमवार को मामले की सुनवाई होगी। अदालत ने सवाल किया, “जब याचिकाकर्ता पहले ही 5 साल जेल में बिता चुके हैं, तब भी पुलिस की ओर से जवाब दाखिल न करना बेहद गंभीर लापरवाही है।”
अदालत ने कहा कि अब इस मामले में और देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 31 अक्टूबर तय की है और तब तक दिल्ली पुलिस को अपना जवाब हर हाल में दाखिल करने का निर्देश दिया है।
यह मामला पहले भी सुप्रीम कोर्ट में उठ चुका है। दरअसल, याचिकाकर्ताओं ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें उनकी जमानत याचिकाएं 2 सितंबर को खारिज कर दी गई थीं। सुप्रीम कोर्ट ने 22 सितंबर को हुई सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था।
हालांकि, पुलिस की ओर से अब तक कोई जवाब पेश नहीं किया गया, जिससे अदालत ने नाराजगी जाहिर की। अदालत ने साफ कहा कि यह मामला वर्षों से लंबित है और याचिकाकर्ता पहले से ही लंबे समय से जेल में हैं, इसलिए अब इस पर निर्णायक सुनवाई जरूरी है।
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि विरोध या प्रदर्शन के नाम पर साजिशन हिंसा को किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता। अदालत ने माना था कि दंगों की घटनाएं योजनाबद्ध थीं, जिनका उद्देश्य समाज में विभाजन और अशांति फैलाना था।
हाईकोर्ट ने उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा, मीरान हैदर, मोहम्मद सलीम खान, शिफा-उर-रहमान, अतर खान, अब्दुल खालिद सैफी और शादाब अहमद की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी थीं। वहीं, एक अन्य आरोपी तसलीम अहमद की याचिका भी 2 सितंबर को अलग पीठ ने खारिज की थी।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
आज से तीन दिवसीय भारत दौरे पर रहेगा यूरोपीय संसद के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समिति के सात सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल

नई दिल्ली, 27 अक्टूबर: यूरोपीय संसद की अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समिति (आईएनटीए) के सात सदस्यों का एक प्रतिनिधिमंडल 27 अक्टूबर को भारत की यात्रा पर दिल्ली पहुंचेगा। आईएनटीए सदस्यों का यह दौरा 27 से 29 अक्टूबर 2025 तक होगा, जिसमें यूरोपीय संघ और भारत के बीच व्यापार, आर्थिक और निवेश संबंधों पर चर्चा होगी।
वहीं, इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भारत के लिए आईएनटीए की स्थायी प्रतिवेदक क्रिस्टीना मैस्ट्रे और एसएंडडी आईएनटीए समन्वयक ब्रैंडो बेनिफी करेंगे।
बता दें, इस मिशन के दौरान, आईएनटीए सदस्य अलग-अलग स्टेकहोल्डरों के साथ बातचीत करेंगे ताकि यह पता लगाया जा सके कि व्यापार वार्ता में क्या-क्या अवसर और चुनौतियां हैं। आईएनटीए सदस्य मंत्रिस्तरीय और संसदीय दोनों स्तरों पर अलग-अलग बैठकें आयोजित करेंगे।
आईएनटीए सदस्य यूरोपीय व्यापार महासंघ और भारतीय उद्योग परिसंघ के साथ बैठक करेंगे, और इसके अलावा सिविल सोसायटी के साथ विशिष्ट बैठकें आयोजित की जाएंगी।
दो सह-अध्यक्षों क्रिस्टीना मैस्ट्रे (एस एंड डी, स्पेन) और ब्रैंडो बेनिफेई (एस एंड डी, इटली) के अलावा, प्रतिनिधिमंडल में जुआन इग्नासियो जोइदो (ईपीपी, स्पेन), वाल्डेमर बुडा (ईसीआर, पोलैंड), बैरी कोवेन (रिन्यू, आयरलैंड), विसेंट मार्जा इबानेज (स्पेन, ग्रीन्स/ईएफए), और भारत के साथ संबंधों के लिए ईपी प्रतिनिधिमंडल की अध्यक्ष एंजेलिका नीबलर (ईपीपी, जर्मनी) शामिल हैं।
इससे पहले 18 से 20 दिसंबर 2023 में एमईपी के प्रतिनिधिमंडलों ने भारत का दौरा किया था। इस प्रतिनिधिमंडल में यूरोपीय संसद की दो समितियों, भारत के साथ संबंधों हेतु प्रतिनिधिमंडल (डी-आईएन) और सुरक्षा और रक्षा संबंधी उप-समिति (एसईडीई) के एमईपी सम्मिलित थे।
दोनों प्रतिनिधिमंडल ने लोकतंत्र, कानून के शासन का पालन, बहुपक्षवाद, नियमों पर आधारित व्यापार और नियमों पर आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था आदि जैसे साझा मूल्यों पर आधारित भारत-यूरोपीय संघ साझेदारी, भू-राजनीतिक कन्वर्जेन्स, आपूर्ति श्रृंखला सुरक्षा, डिजिटल संवेद्यता, एआई और सामुद्रिक सुरक्षा पर सार्थक चर्चाएं की थीं।
यूरोपीय संसद के सदस्यों के इस दौरे ने भारत-यूरोपीय संघ संबंधों, हमारे साझा संसदीय मूल्यों और आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग को गहन बनाने की प्रतिबद्धता को मजबूत बनाया।
राजनीति
दुर्व्यवहार मामले में सीजेआई ने राकेश किशोर को किया माफ तो अवमानना की कार्रवाई से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार

suprim court
नई दिल्ली, 27 अक्टूबर: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वकील राकेश किशोर के खिलाफ चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई के खिलाफ अभद्र व्यवहार के मामले में अपराधी अवमानना की कार्रवाई शुरू करने से इनकार कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि सीजेआई ने उदारता दिखाते हुए राकेश किशोर को माफ कर दिया है, इसलिए इस मामले को समाप्त माना जाएगा। हालांकि, अदालत ने ऐसे कृत्यों के महिमामंडन और भविष्य में रोक लगाने के लिए दिशानिर्देश जारी करने पर विचार जारी रखने का संकेत दिया।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा कि शुरुआत में मामला समाप्त हो गया था. जब सीजेआई ने किशोर को माफ कर दिया था, लेकिन राकेश किशोर ने मीडिया से कहा कि ‘भगवान ने मुझसे ऐसा करवाया’ और इस पर सोशल मीडिया पर मीम्स बन रहे हैं, जिससे न्यायपालिका का मजाक बन रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ एससीबीए की याचिका पर सुनवाई की थी, जिसमें किशोर के खिलाफ आपराधिक अवमानना और सोशल मीडिया पर महिमामंडन रोकने के लिए आदेश की मांग की गई थी। विकास सिंह ने बताया कि राकेश किशोर ने मीडिया को इंटरव्यू देते हुए अपने कृत्य को दोहराने की कसम भी खाई।
इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने स्वीकार किया कि राकेश किशोर का व्यवहार ‘गंभीर आपराधिक अवमानना’ जैसा है, लेकिन जब सीजेआई ने माफ कर दिया, तो यह मामला आगे नहीं बढ़ सकता। जस्टिस बागची ने स्पष्ट किया कि न्यायालय की अवमानना के मामलों में अवमानना कार्रवाई का निर्णय संबंधित जज पर निर्भर होता है।
विकास सिंह ने तर्क दिया कि सीजेआई की माफी उनकी व्यक्तिगत क्षमता में थी और इसे संस्थागत कार्रवाई के रूप में नहीं देखा जा सकता। उन्होंने कहा कि राकेश किशोर के बाद के आचरण, जैसे मीडिया में दिए बयान, एक नया अपराध है।
जस्टिस सूर्यकांत ने इस पर सहमति जताई और कहा कि ऐसे कृत्यों के महिमामंडन को रोकने के लिए निवारक दिशानिर्देश जारी करने पर विचार किया जाएगा ताकि भविष्य में किसी व्यक्ति को अनावश्यक महत्व देने से बचा जा सके।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की चिंता का समर्थन करते हुए कहा कि नोटिस जारी करने से राकेश किशोर को पीड़ित की भूमिका निभाने का अवसर मिल सकता है और विवाद भड़का सकता है।
आखिर में बेंच ने अपराधी अवमानना मामले में आगे न बढ़ाने का फैसला किया और सुनवाई को एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया। साथ ही, धर्मोपदेशक डॉ. केए पॉल द्वारा दायर रिट याचिका को भी सुनवाई योग्य न मानते हुए खारिज कर दिया।
राजनीति
मध्य प्रदेश के मंत्री का बयान शर्मनाक : जीतू पटवारी

JITU PATVARI
भोपाल, 27 अक्टूबर: मध्य प्रदेश की व्यापारिक नगरी इंदौर में आईसीसी महिला क्रिकेट विश्व कप में हिस्सा लेने आई ऑस्ट्रेलियाई महिला खिलाड़ियों के साथ हुई छेड़छाड़ की घटना पर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय द्वारा दिए गए बयान की कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने निंदा की और इसे शर्मनाक भी करार दिया है।
दरअसल, पिछले दिनों इंदौर में ऑस्ट्रेलियाई महिला खिलाड़ी के साथ छेड़छाड़ की घटना सामने आई थी। इस मामले में एक आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया है। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने सलाह देने वाले अंदाज में कहा कि खिलाड़ी जब भी बाहर जाएं तो उन्हें प्रशासन को अवगत कराना चाहिए।
मंत्री विजयवर्गीय के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि इंदौर में ऑस्ट्रेलियाई महिला क्रिकेटर्स से छेड़छाड़ की शर्मनाक घटना के बाद भाजपा के मंत्री का बयान पूरे मध्य प्रदेश के लिए शर्म की बात है। बेटियों की सुरक्षा पर सवाल उठे हैं और मंत्री सलाह दे रहे हैं कि बाहर जाने से पहले प्रशासन को बताएं।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने सवालिया अंदाज में पूछा कि क्या अब मध्य प्रदेश इतना असुरक्षित हो गया है कि हर बेटी को घर से निकलने से पहले प्रशासन को सूचना देनी पड़े? भाजपा सरकार बेटियों की सुरक्षा देने में पूरी तरह नाकाम साबित हुई है।
जीतू पटवारी ने कहा कि भाजपा नेताओं के असंवेदनशील बयानों से जनता का गुस्सा बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री और गृहमंत्री को जवाब देना चाहिए कि आखिर प्रदेश में ऑस्ट्रेलिया की महिला खिलाड़ियों के साथ हुई छेड़छाड़ की घटना पर महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर सिर्फ बयानबाजी ही क्यों हो रही है और ऐसे शर्मनाक बयान पर कार्रवाई करें।
महिला क्रिकेटर के साथ छेड़छाड़ की घटना के बाद सरकार का रवैया सख्त है और वह दोषियों पर कार्रवाई की बात कर रही है, वहीं कांग्रेस की ओर से सवाल उठाए जा रहे हैं। इसी दौरान कैलाश विजयवर्गीय का बयान आया जिसमें उन्होंने कहा कि खिलाड़ी कहीं भी जाए तो स्थानीय शासन को सूचना देकर जाए, वास्तव में यह घटना हमारे लिए सबक है।
मंत्री विजयवर्गीय ने स्वयं का उदाहरण देते हुए कहा कि हम लोग भी जब कहीं जाते हैं तो किसी एक स्थानीय व्यक्ति को बताते हैं, खिलाड़ियों को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए।
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