राष्ट्रीय
क्रिकेटर्स आगे आए तो ‘सट्टा या जुआ ऐप’ की बदनाम छाया से निकले फेंटेसी ऐप्स

फैंटेसी स्पोर्ट्स उद्योग की लड़ाई आज भी उस गलत धारणा से जारी है जो इसे जुए या स्पोर्ट्स बेटिंग के समान मानती है। फैंटेसी स्पोर्ट्स ऐप को बढ़ावा देने के लिए क्रिकेट की दुनिया के अनेकों खिलाड़ी हाल ही में जांच के घेरे में आ चुके हैं, क्योंकि इन ऐप्स को अक्सर सट्टे या जुए का ऐप मान लिया जाता है। लेकिन, क्या ऐसे गेम का विज्ञापन करने के लिए ब्रांड एंबेस्डर्स पर सवाल उठाया जा सकता है जिन्हें अदालतों, सरकारों और विश्वस्तरीय शिक्षण संस्थानों द्वारा कौशलपूर्ण खेल के तौर पर समर्थन मिल चुका है?
भारत की प्रमुख ऑनलाइन गेमिंग कंपनी-गेम्स ट्वेंटी फोर सेव्हन के सह संस्थापक एवं सीईओ भाविन पंड्या ने इसे लेकर आईएएनएस से बात की। पंड्या ने कहा कि, “फैंटेसी स्पोर्ट्स जुआ उत्पादों से बहुत अलग हैं क्योंकि इसमें प्रतियोगिता पारदर्शी होती हैं। तकनीक और डेटा की उपलब्धता से खिलाड़ियों को शानदार कौशल दिखाकर एवं सजगता बरतते हुए खेल कार्यक्रम में असल जिंदगी के खिलाड़ियों के आधार पर उनकी खुद की टीम बनाने में मदद मिलती है। इसलिए, फैंटेसी स्पोर्ट्स के व्यवसाय से जुड़ा कोई भी क्रिकेटर या सेलेब्रिटी एक बेहद कानूनी ढंग से ऑनलाइन गेमिंग व्यवसाय का समर्थन कर रहा है।”
भारत में राजस्थान, पंजाब और हरियाणा सहित कई उच्च न्यायालयों ने खेल की वैधता का परीक्षण किया है और इसे महज कुशलता के एक खेल के तौर पर करार दिया है। फैंटेसी स्पोर्ट्स उद्योग ने धुआंधार गति से वृद्धि की है। आज इसके 20 करोड़ से ज्यादा उपभोक्ता और लगभग 200 कंपनियां हैं। परामर्शी संगठन, केपीएमजी को उम्मीद है कि 2024 के अंत तक यह उद्योग 3.7 अरब डॉलर का हो जाएगा।
पंड्या मानते हैं कि क्रिकेटर्स द्वारा इसे प्रोमोट किए जाने से एक बेहतर खेल इकोसिस्टम बनाने में मदद मिली है।
पंड्या ने कहा, “बीसीसीआई ने मार्च 2019 में आधिकारिक आइपीएल पार्टनर के तौर पर एक फैंटेसी स्पोर्ट्स ऑपरेटर को शामिल किया, जिससे इस सेक्टर को काफी बल मिला। तब से एमएस धोनी, विराट कोहली, सौरव गांगुली, सचिन तेंदुलकर, विरेन्द्र सहवाग, इरफान पठान, के.एल. राहुल, और रोहित शर्मा जैसे कई क्रिकटर्स ने फैंटेसी स्पोर्ट्स ब्रांड्स का विज्ञापन किया और क्रिकेट फैंस से जुड़ाव बनाया। इससे जुआ उद्यम की जगह एक स्वस्थ खेल मनोरंजन परितंत्र का निर्माण हो रहा है।”
हालांकि अमेरिका में फैंटेसी स्पोर्ट्स को बेसबॉल के खेल की रिपोटिर्ंग करने वाले पत्रकारों द्वारा लोकप्रिय बनाया गया था, लेकिन 2019 तक 5 करोड़ खेल प्रेमी पहले से ही फैंटेसी ऐप्स पर खेल रहे थे। वर्ष 2006 में, जब अमेरिका की सरकार ने अनलॉफुल इंटरनेट गैम्बलिंग एनफोर्समेंट एक्ट (यूआइजीईए) यानी अवैध इन्टरनेट जुआ प्रवर्तन अधिनियम पारित किया, तब इसने देश में खेल प्रेमियों की जिंदगी में फैंटेसी स्पोर्ट्स की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचाना था।
इसलिए, जब इसने इंटरनेट पर जुएबाजी के सभी रूपों को प्रतिबंधित करने का ऐलान किया, तब फैंटेसी स्पोर्ट्स को एक अपवाद माना गया और इसे शतरंज के खेल की बराबरी में एक कुशलता आधारित खेल का दर्जा दिया गया। कनाडा में भी फैंटेसी स्पोर्ट्स को कानून द्वारा हरी झंडी मिली है और इन्हें कौशलपूर्ण खेल की पहचान दी गई है। ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने कौशलपूर्ण खेल को नियमित किया है और फैंटेसी स्पोर्ट्स वहां एक विनियमित व्यापार है।
मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआइटी) के शोधकर्ताओं ने कई सत्रों में हजारों फैंटेसी खिलाड़ियों के जीत व हार के रिकॉर्ड का विश्लेषण किया और 2018 में प्रकाशित किया कि फैंटेसी स्पोर्ट्स एक प्रतियोगिता है जिससे कौशल में वृद्धि होती है।
एमआइटी स्टडी में कहा गया है कि, “कुछ (फैंटेसी) खिलाड़ियों को गेम के तथ्?यों, नियमों, कौन सा खिलाड़ी चोटिल है, मौसम के प्रभाव और कुछ अन्य घटकों के बारे में शायद थोड़ा ज्यादा पता हो, जिससे वे खिलाड़ियों को बेहतर ढंग से चुन सकते हैं- और फैंटेसी स्पोर्ट्स में यही कौशल है।”
आज फैंटेसी स्पोर्ट्स फैंटेसी क्रिकेट के समानार्थी हैं। भविष्य में, भारत में फुटबॉल, रग्बी, कबड्डी, बास्केटबॉल आदि जैसे कई अन्य स्पोर्ट्स भी फैंटेसी स्पोर्ट्स में शामिल होंगे, जो पश्चिम के देशों में बेहद लोकप्रिय हैं। भारतीयों को फैंटेसी स्पोर्ट्स के माध्यम से पश्चिमी दुनिया के लोकप्रिय खेलों से रू-ब-रू होने का मौका मिलेगा ।
राष्ट्रीय
भारत में 11 वर्षों में 269 मिलियन लोग अत्यधिक गरीबी से निकले बाहर: विश्व बैंक

नई दिल्ली, 7 जून। विश्व बैंक के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी सरकार के तहत एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में भारत ने पिछले दशक में अपनी अत्यधिक गरीबी दर को कम करने में प्रगति की है। देश में अत्यधिक गरीबी दर 2011-12 में 27.1 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 5.3 प्रतिशत दर्ज की गई है।
भारत में 2011-12 के दौरान कुल 344.47 मिलियन लोग अत्यधिक गरीबी में रह रहे थे, जो कि 2022-23 के दौरान घटकर लगभग 75.24 मिलियन लोग रह गए हैं।
विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, भारत में एक महत्वपूर्ण प्रगति के रूप में लगभग 11 वर्षों में 269 मिलियन व्यक्तियों को अत्यधिक गरीबी से बाहर निकाला गया।
उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश पांच राज्यों में 2011-12 के दौरान भारत के 65 प्रतिशत अत्यंत गरीब लोग रहते थे। वहीं, इन राज्यों ने 2022-23 तक अत्यधिक गरीबी में होने वाली कुल गिरावट में दो-तिहाई योगदान दिया।
विश्व बैंक के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि पूर्ण रूप से, अत्यधिक गरीबी में रहने वाले लोगों की संख्या 344.47 मिलियन से घटकर केवल 75.24 मिलियन रह गई है।
विश्व बैंक का आकलन 3.00 डॉलर प्रतिदिन की अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा (2021 की कीमतों का उपयोग कर) पर आधारित है, जो कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में व्यापक कमी दर्शाता है।
विश्व बैंक के अनुमानों के अनुसार, 2.15 डॉलर प्रतिदिन की खपत पर (2017 की कीमतों पर आधारित पिछली गरीबी रेखा) अत्यधिक गरीबी में रहने वाले भारतीयों की हिस्सेदारी 2.3 प्रतिशत है, जो 2011-12 में दर्ज 16.2 प्रतिशत से काफी कम है।
नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 2022 में 2.15 डॉलर प्रतिदिन की गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या 33.66 मिलियन दर्ज की गई है, जो 2011 में 205.93 मिलियन दर्ज की गई थी।
आंकड़ों से यह भी पता चला कि यह तीव्र गिरावट समान रूप से देखी गई, जिसमें ग्रामीण अत्यधिक गरीबी 18.4 प्रतिशत से घटकर 2.8 प्रतिशत हो गई और शहरी अत्यधिक गरीबी पिछले 11 वर्षों में 10.7 प्रतिशत से घटकर 1.1 प्रतिशत हो गई।
इसके अलावा, भारत ने बहुआयामी गरीबी को कम करने में भी शानदार प्रगति की है।
आंकड़ों के अनुसार, बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) 2005-06 में 53.8 प्रतिशत से घटकर 2019-21 तक 16.4 प्रतिशत हो गया और 2022-23 में और अधिक घटकर 15.5 प्रतिशत हो गया।
केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के 11 साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों को गरीबी से उबारने के लिए केंद्र द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों, इंफ्रास्ट्रक्चर और समावेशन पर फोकस को अहम बताया।
पीएम आवास योजना, पीएम उज्ज्वला योजना, जन धन योजना और आयुष्मान भारत जैसी पहलों ने आवास, स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन, बैंकिंग और स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच को बढ़ाया है।
प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी), डिजिटल समावेशन और मजबूत ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर ने पारदर्शिता और अंतिम छोर तक लाभों की तेजी से डिलीवरी सुनिश्चित की है, जिससे 25 करोड़ से अधिक लोगों को गरीबी से उबरने में मदद मिली है।
राष्ट्रीय
दिल्ली : अगले दो दिन तक भारी बारिश और आंधी की आशंका, मौसम विभाग ने जारी किया ऑरेंज अलर्ट

नई दिल्ली, 29 मई। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने अगले दो दिनों के लिए कई इलाकों में मौसम को लेकर चेतावनी जारी की है। विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध ताजा जानकारी के अनुसार, 29 मई और 30 मई को तेज बारिश, बिजली गिरने और 40-50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चलने की आशंका है।
इन दोनों दिनों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। 29 मई को अधिकतम तापमान 39 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 28 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है। ह्यूमिडिटी का स्तर 70 प्रतिशत से 49 प्रतिशत के बीच रहेगा। इसी प्रकार, 30 मई को भी मौसम का मिजाज बिगड़ा रहेगा, तापमान वही रहेगा और हवाएं 40-50 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती हैं।
इन दोनों दिनों के लिए चेतावनी दी गई है कि लोग अनावश्यक रूप से बाहर निकलने से बचें और बिजली गिरने की स्थिति में सुरक्षित स्थानों की तलाश करें। 31 मई को मौसम विभाग ने ‘मध्यम वर्षा’ की संभावना जताई है, लेकिन आंधी-तूफान के साथ बिजली गिरने और तेज़ हवाओं की चेतावनी अब भी बनी हुई है।
हालांकि, इसके बाद मौसम सामान्य होने की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है। 1 जून को “थंडरस्टॉर्म विथ रेन” की संभावना है, लेकिन इस दिन कोई चेतावनी जारी नहीं की गई है। 2 जून से मौसम में काफी सुधार देखने को मिलेगा, जहां आंशिक रूप से बादल छाए रहने की संभावना है और कोई चेतावनी जारी नहीं की गई है।
3 जून को आंशिक रूप से बादल छाए रहेंगे और हल्की बारिश या गरज-चमक के साथ बौछारें पड़ सकती हैं, लेकिन कोई विशेष चेतावनी नहीं है। 4 जून को मौसम पूरी तरह से सामान्य रहेगा, केवल आंशिक रूप से बादल छाए रहने की संभावना जताई गई है। मौसम विभाग की ओर से नागरिकों से अपील की गई है कि वे अगले दो दिनों तक सतर्कता बरतें, विशेषकर बिजली गिरने और तेज़ हवाओं के दौरान। खेतों में काम कर रहे किसान, खुले में यात्रा कर रहे लोग और निर्माण स्थलों पर कार्यरत कर्मचारी विशेष सावधानी बरतें।
राजनीति
10 साल बाद सरकार वीर सावरकर की डिग्री वापस ला रही, हम उसका स्वागत करते हैं : संजय राउत

मुंबई, 28 मई। शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने महाराष्ट्र सरकार की तरफ से वीर सावरकर की डिग्री मंगाए जाने पर कहा कि हम उसका स्वागत करते हैं, लेकिन यह तो बस कागज का टुकड़ा है। हमारा सीधा सा सवाल है कि आखिर उन्हें भारत रत्न कब दिया जाएगा? दुर्भाग्य की बात है कि इसका जवाब न तो प्रधानमंत्री के पास है, न ही मुख्यमंत्री के पास और न ही गृह मंत्री के पास।
उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि निश्चित तौर पर सरकार ने वीर सावरकर की डिग्री मंगाकर अच्छा कदम उठाया है, लेकिन यहां पर मेरा एक सवाल है कि कल (27 मई) सरकार ने कई लोगों को भारत रत्न, पद्मभूषण, पद्मश्री और पद्मविभूषण दिया। ऐसे में सरकार ने सावरकर को भारत रत्न देना गवारा क्यों नहीं समझा?
उन्होंने महाराष्ट्र सरकार की तरफ से वीर सावरकर की डिग्री ब्रिटेन से मंगाए जाने के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा “स्वातंत्र्यवीर सावरकर की डिग्री वो स्वतंत्रता संग्राम में ब्रिटिश गवर्नर ने जब्त की थी। फिर भी हम उन्हें बैरिस्टर सावरकर कहते है। 10 साल बाद अगर महाराष्ट्र की सरकार बैरिस्टर सावरकर की पदवी, डिग्री ला रहे है तो ये अच्छी बात है। हम इस फैसले का स्वागत करते है। लेकिन हमारी एक मांग है। अगर सरकार सही मायने में वीर सावरकर को सम्मान देना चाहती है, तो इसके लिए उन्हें भारत रत्न देना चाहिए, मगर सरकार ने ऐसा नहीं किया।”
इसके अलावा, उन्होंने भाजपा की तरफ से देश की अर्थव्यवस्था को दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था कहने पर तंज कसा। कहा कि जिस देश में 85 करोड़ लोग सरकार की तरफ से मिलने मुफ्त के राशन पर आश्रित हो, जिस देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी हो, उसके बारे में यह कहना कि वह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, ठीक नहीं रहेगा। पता नहीं लोग कैसे कह दे रहे हैं कि हम जापान से आगे निकल गए हैं, तो चीन से आगे निकल गए, अब कल ये लोग बोलेंगे कि हम ट्रंप से आगे निकल गए। ट्रंप ने तो आपका मुंह बंद कर दिया।
शिवसेना नेता संजय शिरसाट के बेटे सिद्धांत पर महिला की तरफ से शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना के आरोप लगाए जाने पर संजय राउत ने कहा कि यह उनका निजी मामला है। मैं इस पर किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं करना चाहूंगा। इस विषय पर बात करने के लिए राजनीतिक दलों में महिला नेता हैं, जो इस पर अपनी बात रखेंगे। महिला आयोग भी है, जो इस मामले में हस्तक्षेप करेगा, लेकिन मेरा अभी इस पर कुछ भी कहना उचित नहीं है।
मंत्री संजय शिरसाट के बेटे सिद्धांत पर एक महिला ने अपने वकील के जरिए नोटिस भेजकर शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किए जाने का आरोप लगाया और 50 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की है।
इसके अलावा, संजय राउत ने संजय शिरसाट के बेटे सिद्धांत पर घोटाला का आरोप लगाया। कहा कि मंत्री के बेटे ने ऑक्शन में 70 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी खरीदी है। ऐसे में उनसे यह सवाल किया जाना चाहिए कि उनके पास इतने पैसे कहां से आए? इनके पिता के पास सामाजिक न्याय जैसा विभाग है, जो मूल रूप से गरीबों के हितों का ख्याल रखता है, लेकिन इनके बेटे ने 70 करोड़ रुपये की संपत्ति खरीदी। यही नहीं, ऑक्शन की प्रक्रिया भी इस तरह से निर्धारित की जाती है, जिसमें यह सुनिश्चित हो सके कि इसका फायदा उन्हीं को मिले।
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