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Wednesday,03-September-2025
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पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस से हाथ नहीं मिलाएगी सीपीएम

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मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने पांच राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के साथ हाथ न मिलाने और अपने गठबंधनों के संबंध में राज्यवार रणनीति अपनाने का फैसला किया है। माकपा पोलित ब्यूरो, इस राज्यवार रणनीति के तहत इस फॉर्मूले पर इसलिए पहुंची है क्योंकि अगल-अलग राज्यों की इकाइयों की तरफ से अलग-अलग मांग की जा रही है। खासकर पश्चिम बंगाल और केरल इन दो राज्यों की इकाइयों के बीच इस मामले पर कोई सहमति नहीं बन पाई है।

पांच राज्यों के चुनाव में अब कुछ ही समय बचा है इसलिए संसद के शीतकालीन सत्र से ठीक पहले सीपीआईएम ने ये रणनीति बनाई है। फिलहाल पार्टी चुनावी राज्यों- उत्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा, मणिपुर और उत्तराखंड में अन्य वाम दलों के साथ गठबंधन करेगी। हालांकि पार्टी मुख्यतौर पर तमिलनाडु मॉडल के पक्ष में है, जहां सीपीआईएस और कांग्रेस दोनों पाटीर्यों ने एक क्षेत्रीय दल के नेतृत्व में गठबंधन में चुनाव लड़ा था। वहीं इन पांचों राज्य जहां चुनाव होने है इनकी समितियों ने कांग्रेस के साथ गठबंधन का विरोध किया है।

बीजेपी को हराने के लिए और कांग्रेस गठबंधन को लेकर सीपीआईएम जब तक कोई अंतिम निर्णय पर नहीं पहुंचती तब तक के लिए ये फैसला लिया गया है। गौरतलब है कि तमाम राज्यों में कांग्रेस का गठबंधन दूसरे अन्य दलों से एक-एक कर टूट रहा है। इसी के मद्देनजर माकपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद सीताराम येचुरी ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि माकपा पोलित ब्यूरो ने कांग्रेस से गठबंधन तोड़ने की कोई चर्चा नहीं की। फिलहाल बीजेपी को हराने के लिए माकपा का सभी दलों के साथ गठबंधन बेहद जरूरी है।

गौरतलब है कि पिछले माह अक्टूबर में माकपा की तीन दिवसीय केंद्रीय समिति की बैठक हुई थी। बैठक के एजेंडे में आगामी चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस के साथ गठबंधन पर पार्टी की क्या नीति रहेगी, ये तय करना भी शामिल था। फिलहाल सूत्रों के अनुसार पोलित ब्यूरो में कांग्रेस के साथ गठबंधन करने को लेकर मतभेद हैं। केरल का गुट बीजेपी के खिलाफ क्षेत्रीय दलों के साथ वामपंथी नेतृत्व वाले धर्मनिरपेक्ष गठबंधन पर जोर दे रहा है।

पश्चिम बंगाल के नेताओं के गुट का कहना है कि देश के सबसे बड़े विपक्षी दल (कांग्रेस) से गठबंधन के बिना कोई भी गठबंधन करना पार्टी के लिए अव्यावहारिक ही साबित होगा। ऐसे में राष्ट्रीय स्तर और क्षेत्रीय स्तर पर अलग-अलग नीति बनाने की जरूरत होगी। फिलहाल इस मुद्दे पर सहमति न बन पाने के बाद अब पार्टी अगले साल में चर्चा कर आगे की रणनीति तय करेगी।

हाल ही में माकपा पत्रिका चिन्था के एक लेख में, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने लिखा था कि कांग्रेस विपक्ष की धुरी नहीं हो सकती। सभी राज्यों में, केरल को छोड़कर, कांग्रेस के नेता भाजपा में शामिल होने के लिए पार्टी छोड़ रहे हैं और इसलिए, दोनों के बीच बहुत कम विशिष्ट अंतर हैं।

इससे पहले अप्रैल 2018 में हैदराबाद में आयोजित पार्टी की 22वीं केंद्रीय समिति की बैठक में बीजेपी और कांग्रेस दोनों को समान तौर पर देश के लिये घातक बताया गया था। पार्टी में सभी धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताकतों के लिए रैली करने की सहमति हुई थी। संसद के अंदर और बाहर कांग्रेस सहित सभी धर्मनिरपेक्ष विपक्षी दलों के साथ एक समझ रखने पर भी सहमति बनी थी। फिर भी इस सब में एक चेतावनी थी कि कांग्रेस पार्टी के साथ कोई राजनीतिक गठबंधन नहीं हो सकता।

सूत्रों के अनुसार बैठक में माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने तर्क भी दिया था कि जिस स्थिति के तहत 2018 में निर्णय लिया गया था, वह नहीं बदली है और बहस को फिर से खोलने का कोई कारण नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि 2019 के आम चुनावों में भाजपा की लगातार दूसरी जीत के बाद दक्षिणपंथ से खतरा और बढ़ गया है और इसलिए 2018 की लाइन पर चलने आवश्यकता है।

राष्ट्रीय समाचार

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बाढ़ प्रभावित राज्यों के लिए तत्काल राहत पैकेज की मांग की

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नई दिल्ली, 3 सितंबर। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बाढ़ प्रभावित राज्य पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के लिए केंद्र सरकार से विशेष राहत पैकेज देने की मांग की है। उन्होंने इस संबंध में सोशल मीडिया पोस्ट किया और साथ में एक वीडियो भी शेयर किया है।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि इन राज्यों में राहत और बचाव कार्यों को तेज किया जाए, ताकि प्रभावित लोगों को सहायता मिल सके।

उन्होंने कहा कि पंजाब में बाढ़ ने भारी नुकसान पहुंचाया है और जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश के साथ ही उत्तराखंड की स्थिति भी गंभीर है।

उन्होंने बताया कि हजारों परिवार अपने घर, संपत्ति और अपनों को बचाने के लिए जूझ रहे हैं। सरकार की जिम्मेदारी है कि वह लोगों की रक्षा करे। उन्होंने केंद्र से इन राज्यों, खासकर किसानों के लिए तत्काल राहत पैकेज की घोषणा करने का आग्रह किया।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लिखा, “पंजाब में बाढ़ ने भयंकर तबाही मचाई है। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड में भी स्थिति बेहद चिंताजनक है। ऐसे मुश्किल समय में आपका ध्यान और केंद्र सरकार की सक्रिय मदद अत्यंत आवश्यक है। हजारों परिवार अपने घर, जीवन और अपनों को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। मैं आग्रह करता हूं कि इन राज्यों के लिए, खासतौर पर किसानों के लिए विशेष राहत पैकेज की तत्काल घोषणा की जाए और राहत एवं बचाव कार्यों को तेज किया जाए।”

देश के कई राज्य मौजूदा समय में बाढ़ से त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। पंजाब में भारी बारिश और नदियों के उफान ने कई इलाकों में तबाही मचाई है। खेतों में धान और सब्जियों की फसलों को भारी नुकसान हुआ है। कई गांव पानी में डूब गए हैं, जिससे लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हैं। सड़कें और बुनियादी ढांचा भी क्षतिग्रस्त हुआ है।

जम्मू-कश्मीर में भारी बारिश और भूस्खलन ने स्थिति को और खराब कर दिया है। कई क्षेत्रों में सड़क संपर्क टूट गया है और नदियों के किनारे बसे गांवों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। स्थानीय प्रशासन राहत कार्यों में जुटा है।

वहीं, हिमाचल प्रदेश में बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं ने भारी नुकसान पहुंचाया है। सड़कें और पुल टूट गए हैं, जिससे आवागमन प्रभावित हुआ है।

इसके अलावा, उत्तराखंड में गंगा और अन्य नदियों का जलस्तर बढ़ने से कई इलाके जलमग्न हो गए हैं। तीर्थस्थल और ग्रामीण क्षेत्रों में बाढ़ और भूस्खलन ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है।

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राष्ट्रीय समाचार

मुंबई: मराठा आरक्षण आंदोलन के पांचवें दिन समाप्त होने के बाद बीएमसी ने आज़ाद मैदान और आसपास के इलाकों में रात भर सफाई अभियान चलाया

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मुंबई: मुंबई के आजाद मैदान में मराठा आरक्षण के मुद्दे पर पांच दिनों तक चले उग्र आंदोलन के बाद, बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने बुधवार सुबह तक प्रदर्शन प्रभावित क्षेत्र और उसके आसपास के नागरिक क्षेत्रों में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए रात भर व्यापक सफाई अभियान चलाया।

कार्यकर्ता मनोज जरांगे-पाटिल के नेतृत्व में हुए इस आंदोलन में पूरे महाराष्ट्र से हज़ारों प्रदर्शनकारी दक्षिण मुंबई पहुँचे, जिससे यातायात और नागरिक कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ। पाँचवें दिन आंदोलन समाप्त होने पर, नगर निगम अधिकारियों ने इस इलाके की सफाई के लिए भारी संख्या में जनशक्ति और संसाधन तैनात किए। अधिकारियों के अनुसार, लगभग 200 सफाई कर्मचारियों ने 2 सितंबर की रात से लेकर 3 सितंबर की सुबह तक मैदान और आस-पास की सड़कों को उनकी मूल स्थिति में लाने के लिए अथक परिश्रम किया।

कुल मिलाकर, 1,000 से ज़्यादा नगर निगम कर्मचारियों को दो पालियों में तैनात किया गया था ताकि धरना स्थल पर चौबीसों घंटे सफ़ाई सुनिश्चित की जा सके। आंदोलन के दौरान बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ को देखते हुए, बीएमसी ने पहले ही 100 मोबाइल शौचालयों सहित अतिरिक्त जन सुविधाओं का इंतज़ाम कर दिया था, जिससे कुल संख्या लगभग 450 हो गई। निगम ने भीड़ और देर रात तक काम करने वाले सफ़ाई कर्मचारियों के लिए पर्याप्त रोशनी उपलब्ध कराने हेतु 40 फ्लडलाइट वाले टावर भी लगाए।

शौचालयों के आसपास स्वच्छता बनाए रखने के लिए सक्शन मशीनें और जेट स्प्रे सिस्टम लगाए गए थे। कचरा संग्रहण में सहायता के लिए प्रदर्शन क्षेत्र में कम से कम 1,500 प्लास्टिक के कचरे के थैले और दर्जनों कूड़ेदान वितरित किए गए। प्रदर्शन समाप्त होने के बाद, सड़कों को पानी से अच्छी तरह धोया गया, जबकि सड़कों की सफाई के लिए कॉम्पैक्टर और स्किड स्टीयर लोडर सहित 16 विभिन्न प्रकार के कचरा प्रबंधन वाहन तैनात किए गए।

स्वास्थ्य संबंधी खतरों को रोकने के लिए, नगर निगम के कर्मचारियों ने मक्खियों और मच्छरों के प्रसार को रोकने के लिए पूरे स्थल पर 100 किलोग्राम कीटाणुनाशक और कीटनाशक पाउडर भी छिड़का। विरोध प्रदर्शन के दौरान पीने के पानी की व्यवस्था बीएमसी की ज़िम्मेदारी का एक बड़ा हिस्सा थी, जिसके तहत आसपास के क्षेत्र में मिनी टैंकरों सहित 26 पानी के टैंकर तैनात किए गए थे।

पाँच दिनों तक चले इस आंदोलन ने मुंबई के दक्षिणी प्रशासनिक केंद्र के कई हिस्सों को ठप कर दिया था, मंत्रालय के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी और परिवहन सेवाओं में बदलाव करना पड़ा था। इस विरोध प्रदर्शन ने मराठा आरक्षण की लगातार माँग को उजागर किया, साथ ही शहर के लिए रसद संबंधी चुनौतियाँ भी पैदा कीं। आंदोलनकारियों के चले जाने के बाद, बीएमसी के तेज़ और बड़े पैमाने पर सफाई प्रयासों ने यह सुनिश्चित किया कि आज़ाद मैदान और उसके आसपास के इलाकों में कुछ ही घंटों में सामान्य जनजीवन बहाल हो जाए।

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दुर्घटना

मुंबई-गोवा राजमार्ग दुर्घटना: रोहा के पास लापरवाही से चलाई जा रही एसटी बस की चपेट में आने से 19 वर्षीय मेडिकल छात्र की मौत

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ACCIDENT

नवी मुंबई: सोमवार को मुंबई-गोवा राजमार्ग पर कथित रूप से लापरवाही से चलाई जा रही एक राज्य परिवहन बस ने एक स्कूटर को टक्कर मार दी, जिससे 19 वर्षीय मेडिकल छात्रा की मौत हो गई और उसका छोटा भाई जीवन के लिए संघर्ष कर रहा है।

मृतक की पहचान देवयानी किशोर गोले के रूप में हुई है, जो नवी मुंबई के पनवेल स्थित एक कॉलेज में बैचलर ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (बीएमएस) की अंतिम वर्ष की छात्रा थी। पुलिस के अनुसार, देवयानी और उसका छोटा भाई गणेशोत्सव मनाने के लिए रोहा के पास देवकान्हे स्थित अपने मामा के घर जा रहे थे, तभी यह हादसा हुआ।

रायगढ़ जिले के रोहा में नम्रता ढाबा के पास यह भीषण दुर्घटना हुई, जब खेड़ डिपो की एक बस ने भाई-बहन के स्कूटर को टक्कर मार दी। बस तेज़ गति और लापरवाही से चलाई जा रही थी। मिडिया के हवाले से कोलाड पुलिस स्टेशन के एक पुलिस अधिकारी ने बताया, “टक्कर इतनी ज़ोरदार थी कि देवयानी की मौके पर ही मौत हो गई। उसके भाई को गंभीर चोटें आईं और उसे तुरंत इलाज के लिए पास के अस्पताल ले जाया गया । 

दुर्घटना के बाद, कोलाड पुलिस ने राज्य परिवहन बस के चालक के खिलाफ मामला दर्ज किया। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की कई धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है, जिनमें धारा 106(1) (लापरवाही से मृत्यु), धारा 281 (तेज़ गति से वाहन चलाना), और धारा 125(ए) और 125(बी) (मानव जीवन को खतरे में डालना) शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 184 के तहत भी आरोप लगाए गए हैं, जो खतरनाक तरीके से वाहन चलाने से संबंधित है।

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