अपराध
अदालत ने देशमुख को स्वत: जमानत देने से किया इनकार
मुंबई की एक अदालत ने भ्रष्टाचार के एक मामले में महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को स्वत: जमानत (डिफॉल्ट बेल) देने से इनकार करते हुए कहा है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो का आरोपपत्र सभी आवश्यकताओं को पूरा करता है। विशेष सीबीआई अदालत ने सोमवार को कहा कि निर्धारित अवधि के भीतर आरोपपत्र दाखिल नहीं करने के लिए जमानत याचिकाओं पर विचार करते समय अदालतें बहुत तकनीकी नहीं हो सकतीं। अदालत का विस्तृत आदेश मंगलवार को उपलब्ध कराया गया।
न्यायाधीश एस एच ग्वालानी ने भ्रष्टाचार के मामले में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता देशमुख और दो अन्य आरोपियों – राकांपा नेता के पूर्व निजी सचिव संजीव पलांडे और पूर्व निजी सहायक कुंदन शिंदे की स्वत: जमानत याचिका खारिज कर दी थी। तीनों ने इस आधार पर स्वत: जमानत मांगी थी कि सीबीआई ने 60 दिनों की निर्धारित अवधि के भीतर अपना आरोपपत्र दाखिल नहीं किया था और जब आरोपपत्र दाखिल किया गया तो वह अधूरा था। याचिकाओं में यह भी दावा किया गया कि सीबीआई ने आरोपपत्र के साथ प्रासंगिक दस्तावेज जमा नहीं किए थे और वे अनिवार्य समय अवधि के बाद जमा किए गए थे।
सीबीआई ने दलीलों का विरोध किया था और तर्क दिया था कि उसने निर्धारित समय अवधि में आरोपपत्र दायर किया था। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 173 के तहत आरोपी की गिरफ्तारी के 60 दिनों के भीतर आरोपपत्र दायर किया जाना चाहिए। ऐसा ना किए जाने पर आरोपी व्यक्ति स्वत: जमानत का अनुरोध कर सकता है। अदालत ने कहा कि सीबीआई द्वारा दो जून को दायर आरोपपत्र में कानून की सभी आवश्यकताओं का अनुपालन किया गया था और इसलिए यह एक उचित रिपोर्ट थी, जिसे सीआरपीसी की धारा 167 के तहत निर्दिष्ट अवधि के भीतर दायर किया गया था।
न्यायाधीश ने कहा कि रिपोर्ट के साथ दस्तावेज और गवाहों के बयान दाखिल नहीं करने से यह अधूरा आरोपपत्र नहीं बन जाता। अदालत ने कहा कि चूंकि सीआरपीसी की धारा 173 के तहत अपेक्षित रिपोर्ट समय के भीतर दायर की गई थी, इसलिए स्वत: जमानत लेने का अधिकार कभी भी आवेदकों (आरोपी) के पक्ष में अर्जित नहीं हुआ। मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने मार्च 2021 में आरोप लगाया था कि राज्य के तत्कालीन गृह मंत्री देशमुख ने पुलिस अधिकारियों को शहर में रेस्तरां और बार से प्रति माह 100 करोड़ रुपये एकत्रित करने का लक्ष्य दिया था। उच्च न्यायालय ने पिछले साल अप्रैल में एक वकील द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआई को प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया था।
सीबीआई ने अपनी जांच के आधार पर देशमुख और उनके सहयोगियों के खिलाफ भ्रष्टाचार और आधिकारिक शक्ति के दुरुपयोग के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की थी। ईडी ने देशमुख को नवंबर 2021 में गिरफ्तार किया था और वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। उन्हें इस साल अप्रैल में सीबीआई द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में भी वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।
अपराध
दिल्ली: संगम विहार थाने की महिला उप-निरीक्षक रिश्वत लेते गिरफ्तार

crime
नई दिल्ली, 5 दिसंबर: दिल्ली पुलिस की भ्रष्टाचार विरोधी नीति ‘जीरो टॉलरेंस’ के तहत बड़ी कार्रवाई हुई है। विजिलेंस यूनिट ने संगम विहार थाना में तैनात महिला उप-निरीक्षक नमिता को 15 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। यह अभियान दिल्ली पुलिस आयुक्त सतीश गोल्चा द्वारा शुरू किए गए भ्रष्टाचार-रोधी अभियान का हिस्सा है।
दिल्ली पुलिस की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, 4 दिसंबर को संगम विहार की एक महिला ने विजिलेंस यूनिट से शिकायत की कि उप-निरीक्षक नमिता, जो उसके दर्ज मामले की जांच अधिकारी थीं, ने केस को कमजोर करने की धमकी देते हुए 2 लाख रुपए की रिश्वत की मांग की थी। शिकायत मिलने के बाद विजिलेंस यूनिट ने तुरंत कार्रवाई की योजना बनाई। इसके बाद, उसी दिन शाम को सतर्कता इकाई द्वारा संगम विहार थाने में एक ट्रैप ऑपरेशन आयोजित किया गया।
तय समय पर शिकायतकर्ता एसआई नमिता के दफ्तर पहुंची, जहां नमिता ने कथित रूप से रिश्वत की पहली किस्त के रूप में 15 हजार रुपए की मांग की और उसे अपनी टेबल पर रखी एक फाइल में रखने को कहा। जैसे ही शिकायतकर्ता ने पैसे फाइल में रखे, विजिलेंस टीम ने दफ्तर में प्रवेश किया और एसआई नमिता को रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। मौके से 15 हजार रुपए की राशि भी बरामद कर ली गई।
घटना के बाद विजिलेंस पुलिस स्टेशन में एफआईआर संख्या 23/25, धारा 7, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत दर्ज की गई है। आरोपी एसआई को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
विजिलेंस यूनिट ने कहा कि इस मामले की आगे की जांच जारी है। साथ ही नागरिकों से अपील की गई है कि वे किसी भी पुलिसकर्मी द्वारा रिश्वत मांगने की स्थिति में तुरंत शिकायत दर्ज कराएं। ऐसी शिकायतें विजिलेंस हेल्पलाइन नंबर 1064 पर भी की जा सकती हैं।
अपराध
लखनऊ : एसटीएफ ने 80 लाख के ड्रग्स के साथ दो तस्करों को किया गिरफ्तार, कई राज्यों में करते थे सप्लाई

लखनऊ, 3 दिसंबर: उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए 80 लाख रुपए के ड्रग्स के साथ दो तस्करों को गिरफ्तार किया है। दोनों तस्कर अंतर्राज्यीय नेटवर्क से जुड़े हुए थे।
मुखबिर से सूचना मिलने पर स्पेशल टास्क फोर्स ने लखनऊ के गोसाईगंज इलाके में सुल्तानपुर रोड पर स्थित गब्बर ढाबे के पास से एक टाटा सफारी कार में सवार दो तस्करों को पकड़ा। कार की तलाशी लेने पर उसमें 523 ग्राम एमडीएमए (मिथाइलेंडीऑक्सी-मेथाम्फेटामाइन) बरामद किया गया, जो एक प्रतिबंधित मादक पदार्थ है।
एसटीएफ के डिप्टी एसपी धर्मेश कुमार शाही ने बताया कि उनकी टीम लंबे समय से नशे के तस्करी नेटवर्क पर नजर रखे हुए थी। उन्हें जानकारी मिली थी कि दो तस्कर भारी मात्रा में ड्रग्स लेकर गुजरने वाले हैं। इस पर एसटीएफ ने त्वरित कार्रवाई करते हुए गब्बर ढाबा के पास घेराबंदी की और दोनों तस्करों को गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तार तस्करों की पहचान मोहम्मद मुजीब और मुकेश सिंह के रूप में हुई है। मुजीब लखनऊ के खंदारी बाजार का निवासी है, जबकि मुकेश भदोही के रविदासनगर का रहने वाला है। पूछताछ में इन दोनों ने बताया कि वे एक अंतर्राज्यीय ड्रग तस्करी गिरोह से जुड़े हुए हैं, जो उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मुंबई और बिहार तक एमडीएमए की सप्लाई करता था।
मुजीब ने यह भी खुलासा किया कि वह अपने घर पर रसायन मिलाकर एमडीएमए तैयार करता था और उसे यह प्रक्रिया वाराणसी निवासी अभय सिंह ने सिखाई थी। अभय सिंह पहले मुंबई में एमडीएमए के साथ गिरफ्तार हो चुका है और हाल ही में जेल से रिहा हुआ है।
एसटीएफ ने बताया कि पकड़े गए तस्करों ने इस बात का भी खुलासा किया कि वे विभिन्न जिलों और राज्यों में एमडीएमए की सप्लाई कर रहे थे। इस मामले में गोसाईगंज थाने में एनडीपीएस एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
धर्मेश कुमार शाही ने बताया कि दोनों आरोपियों से पूछताछ की जा रही है। इनके गिरोह में कितने लोग शामिल हैं और एमडीएमए किसे सप्लाई करने जा रहे थे, इन सवालों का जवाब भी पता किया जा रहा है।
अपराध
मुंबई: रिटायर्ड पुलिसकर्मी ने सोसायटी की लिफ्ट में की नाबालिग से छेड़छाड़, गिरफ्तार

CRIME
मुंबई, 3 दिसंबर: मुंबई के कस्तूरबा मार्ग पुलिस ने 67 वर्षीय रिटायर्ड पुलिस अधिकारी को उसी सोसायटी में रहने वाली नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न के आरोप में मंगलवार देर रात गिरफ्तार कर लिया। लड़की की मां की शिकायत पर पुलिस ने कार्रवाई की।
आरोपी और पीड़िता दोनों एक ही इमारत में रहते हैं।
पुलिस के अनुसार, घटना मंगलवार शाम लड़की लिफ्ट के पास खड़ी थी, तभी आरोपी वहां पहुंचा। उसने लड़की को लिफ्ट के अंदर खींच लिया और उसके साथ छेड़छाड़ की। डर के कारण बच्ची चुप रही, लेकिन घर पहुंचते ही उसने रोते-बिलखते हुए मां को सारी बात बताई।
परिवार तुरंत बच्ची को लेकर कस्तूरबा मार्ग थाने पहुंचा और लिखित शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के साथ-साथ पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया। मेडिकल जांच के बाद आरोपी को उसके फ्लैट से गिरफ्तार कर लिया गया।
आरोपी को कोर्ट में पेश किया गया। सबूतों और मामले की गंभीरता को देखते हुए मजिस्ट्रेट ने उसे 12 दिसंबर तक पुलिस कस्टडी में भेज दिया। पुलिस पूछताछ में यह भी पता लगा रही है कि आरोपी ने पहले कभी ऐसी कोई हरकत तो नहीं की।
पुलिस ने बताया कि पीड़िता के साथ पूरी संवेदनशीलता से पेश आया जा रहा है। दोषी को कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जाएगी।
लोगों में गुस्सा है और मांग की जा रही है कि ऐसे मामलों में तुरंत और सख्त कार्रवाई हो। फिलहाल जांच जारी है। बच्ची का बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराया जाएगा और आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
अधिकारियों का कहना है कि बच्ची के साथ पूरा सहानुभूति के साथ व्यवहार किया जा रहा है और दोषी को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। चाहे वह कभी पुलिस की वर्दी में रहा हो, आज कानून सबके लिए बराबर है।
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