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Tuesday,09-December-2025
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कोलंबो वनडे : श्रीलंका ने जीता मैच, भारत ने जीती सीरीज

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श्रीलंका क्रिकेट टीम ने अपने हरफनमौला प्रदर्शन के दम पर शुक्रवार को यहां के आर. प्रेमदासा स्टेडियम में खेले गए तीसरे और अंतिम वनडे मैच में भारत को तीन विकेट से हरा दिया। इसी के साथ भारत ने तीन मैचों की सीरीज 2-1 से अपने नाम कर ली। भारत ने पहला वनडे सात विकेट से और दूसरा तीन विकेट से जीता था।

टॉस हारने के बाद पहले गेंदबाजी करते हुए मेजबान टीम ने भारत को बारिश के कारण 47 ओवरों तक सीमित किए गए मैच 43.1 ओवरों में 225 रनों पर सीमित दिया और फिर 227 रनों के संशोधित लक्ष्य को 39 ओवरों में सात विकेट पर हासिल कर लिया।

भारत की ओर से राहुल चाहर को तीन विकेट मिले। चेतन सकारिया ने दो विकेट शिकार किए जबकि कृष्णप्पा गौतम और हार्दिक पांड्या ने एक-एक सफलता हासिल की।

श्रीलंका की जीत में अविष्का फर्नाडो (76 रन, 98 गेंद, 4 चौके, 1 छक्का) तथा भानुका राजपक्षे (65 रन, 56 गेंद, 12 चौके) के अलावा अकीला धनंजय और प्रवीन जयविक्रमा का योगदान है, जिन्होंने तीन-तीन विकेट लिए।

इन दोनों की शानदार गेंदबाजी का ही नतीजा है कि भारत इस सीरीज में पहली बार ऑलआउट हुआ। भारत की ओर से पृथ्वी शॉ ने सबसे अधिक 49 रन बनाए जबकि संजू सैमसन के बल्ले से 46 तथा सूर्यकुमार यादव के बल्ले से 40 रन निकले।

इससे पहले, भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी चुनी लेकिन 23 ओवर में मैच पर बारिश का छाया पड़ा और मैच को कुछ देर के लिए रोकना पड़ा। कुछ देर बाद मैच शुरू होने पर मुकाबले को 47-47 ओवर कराने का फैसला किया गया।

टीम इंडिया ने पृथ्वी शॉ के 49 गेंदों पर आठ चौकों की मदद से 43.1 ओवर में 225 रन बनाए लेकिन बारिश के कारण श्रीलंका को 227 रनों का संशोधित लक्ष्य मिला।

लक्ष्य का पीछा करने उतरी श्रीलंका की शुरूआत की कुछ खास नहीं रही और उसने मिनोद भानुका (7) के रूप में अपना पहला विकेट कुल 35 के योग पर गंवाया।

इसके बाद अविष्का फर्नाडो और भानुका राजपक्षा ने पारी को संभाला और दोनों बल्लेबाजों के बीच दूसरे विकेट के लिए 109 रनों की साझेदारी हुई।

हालांकि, राजपक्षा के आउट होने के साथ ही इस साझेदारी का अंत हुआ। राजपक्षा ने 56 गेंदों पर 12 चौकों की मदद से 65 रन बनाए। नए बल्लेबाज के रूप में उतरे धनंजय डी सिल्वा (2) के स्कोर पर तीसरे बल्लेबाज के रूप में आउट हुए।

इसके कुछ देर बाद चरीथ असालंका भी 28 गेंदों पर तीन चौकों की मदद से 24 रन बनाकर पवेलियन लौट गए। नए बल्लेबाज के रूप में उतरे कप्तान दासुन शनाका खाता खोले बिना पहली गेंद पर आउट हुए।

अंतिम समय में भारत ने एक के बाद एक कई विकेट निकालते हुए श्रीलंका को दबाव में लाने की कोशिश की लेकिन कम स्कोर उसकी राह में बाधा बन गया। श्रीलंका ने बिना किसी दिक्कत के तीन विकेट शेष रहते 39 ओवरों में ही जीत हासिल कर ली।

इससे पहले, भारत की शुरूआत कुछ खास नहीं रही और उसने कप्तान शिखर धवन (13) का विकेट जल्द गंवाया। इसके बाद पृथ्वी और इस मैच से डेब्यू करने वाले संजू सैमसन ने दूसरे विकेट के लिए 74 रन जोड़े। हालांकि पृथ्वी अपनी विकेट गंवा बैठे और अर्धशतक बनाने से चूक गए।

इसके कुछ देर बाद सैमसन भी ज्यादा देर क्रीज पर नहीं टिक सके और 46 गेंदों पर पांच चौकों और एक छक्के की मदद से 46 रन बनाकर आउट हुए। फिर मनीष पांडे (11) और हार्दिक पांड्या (19) रन के स्कोर पर पवेलियन लौटे।

सूर्यकुमार यादव ने कुछ देर टिक कर भारतीय पारी को संभालने की कोशिश की लेकिन वह भी 37 गेंदों पर सात चौकों की मदद से 40 रन बनाकर छठे बल्लेबाज के रूप में आउट हुए। इसके बाद भारतीय पारी बिखर गई और अन्य कोई बल्लेबाज कुछ कमाल नहीं दिखा सका।

इसके बाद भारत ने कृष्णप्पा गौतम (2), नीतीश राणा (7), राहुल चाहर (13) और नवदीप सैनी (15) के विकेट गंवाए। श्रीलंका की ओर से दुशमंता चमीरा ने भी दो विकेट लिए तथा चमीका करूणारत्ने और शनाका ने एक-एक विकेट लिया।

अविष्का को मैन ऑफ द मैच और सूर्यकुमार यादव को मैन ऑफ द सीरीज चुना गया। यादव ने इस सीरीज के साथ वनडे डेब्यू किया था।

अब 25 जुलाई से दोनों टीमों को बीच तीन मैचों की टी20 सीरीज खेली जाएगी। इस सीरीज के भी सभी मैच कोलंबो के प्रेमदासा स्टेडियम में खेले जाएंगे।

अंतरराष्ट्रीय

भारत ने अफगानिस्तान को फिर से भेजी मदद, जीवनरक्षक चिकित्सीय सहायता काबुल पहुंची

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काबुल, 28 नवंबर : भारत हमेशा से अफगानिस्तान के लिए मजबूती से खड़ा रहा है। समय-समय पर मदद की खेप भेजता है। भारत ने निरंतर समर्थन को दोहराते हुए, शुक्रवार को अफगानिस्तान को 73 टन जीवनरक्षक दवाइयों, टीकों और आवश्यक पोषक सप्लीमेंट्स की खेप भेजी। यह सहायता अफगान स्वास्थ्य प्रणाली की तत्काल जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से काबुल पहुंचाई गई।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने एक्स पर लिखा, “अफगानिस्तान के स्वास्थ्य प्रयासों को मजबूती देते हुए भारत ने 73 टन जीवनरक्षक दवाइयां, टीके और आवश्यक सप्लीमेंट्स तत्काल चिकित्सा जरूरतों के लिए काबुल पहुंचाए हैं। अफगान लोगों के प्रति भारत का अटूट समर्थन जारी है।”

पिछले सप्ताह नई दिल्ली में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और अफगानिस्तान के उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री अल्हाज नूरुद्दीन अजीजी के बीच मुलाकात हुई थी। बैठक में व्यापार, संपर्क और लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने पर विस्तृत चर्चा हुई।

जयशंकर ने एक्स पर लिखा, “अफगानिस्तान के उद्योग और वाणिज्य मंत्री अल्हाज नूरुद्दीन अज़ीज़ी से मुलाकात कर खुशी हुई। व्यापार, कनेक्टिविटी और लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा की। अफगान जनता के विकास और कल्याण के लिए भारत के समर्थन को दोहराया।”

इससे पहले भी भारत ने अफगानिस्तान के भूकंप प्रभावित परिवारों की मदद के लिए खाद्य सामग्री भेजी थी। बाल्ख, समनगन और बगलान प्रांतों में आए विनाशकारी भूकंप में 20 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों घायल हुए थे।

10 अक्टूबर को भारत ने अतिरिक्त खाद्य सहायता भी भेजी थी। उसी दिन विदेश मंत्री जयशंकर की अफगान समकक्ष मौलवी आमिर खान मुत्ताकी से नई दिल्ली में मुलाकात हुई। बैठक में विकास सहयोग, व्यापार, अफगानिस्तान की क्षेत्रीय अखंडता व स्वतंत्रता, आपसी संपर्क और क्षमता निर्माण जैसे मुद्दों पर वार्ता हुई।

जयशंकर ने मुत्ताकी की भारत यात्रा को “द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम” बताया और अफगानिस्तान को पांच एम्बुलेंस सौंपने की घोषणा भी की।

भारत की यह मानवीय सहायता अफगानिस्तान के लिए हाल के महीनों में की गई कई निरंतर मददों की नवीनतम कड़ी है, जो दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और जन-संपर्क आधारित रिश्तों को मजबूत करती है।

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अंतरराष्ट्रीय

ईरान ने तीसरे देश के जरिए नहीं भेजा अमेरिका को कोई मैसेज, खामेनेई बोले-झगड़े बढ़ा रहा अमेरिका

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तेहरान, 28 नवंबर : हाल ही में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अल सऊद अमेरिका दौरे पर पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी मुलाकात की। ट्रंप से मुलाकात के पहले क्राउन प्रिंस को ईरान की एक चिट्ठी मिली थी। इस चिट्ठी को लेकर अटकलें लगाई जा रही थीं कि इस चिट्ठी में अमेरिका के लिए एक मैसेज था। हालांकि, ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई ने इन सभी दावों को मनगढ़ंत बताया है।

न्यूज एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार खामेनेई ने गुरुवार रात को टीवी पर दिए गए संदेश में मीडिया के इन सभी दावों को खारिज कर दिया। अफवाह थी कि ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने सऊदी क्राउन प्रिंस को उनके यूएस दौरे से पहले जो मैसेज भेजा था, वह वॉशिंगटन के लिए था।

ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई ने कहा, “वे अफवाहें फैला रहे हैं कि ईरानी सरकार ने किसी तीसरे देश के जरिए अमेरिका को मैसेज भेजा है, जो सरासर झूठ है।”

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पेजेशकियन की चिट्ठी में कहा गया कि ईरान टकराव नहीं चाहता है। उसका मकसद क्षेत्रीय सहयोग को गहरा करना है और वह कूटनीति के जरिए न्यूक्लियर विवाद को सुलझाने के लिए तैयार है, बशर्ते उसके अधिकारों की गारंटी हो।

खामेनेई ने अपने भाषण के दौरान इजरायल के हमलों और अपराधों में अमेरिका के समर्थन की कड़ी आलोचना की। ईरानी सुप्रीम ने अमेरिका पर अपनी रणनीति और रिसोर्स के फायदे के लिए झगड़ों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।

दूसरी ओर, ईरानी अधिकारियों ने पहले ही इस बात को साफ कर दिया था कि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस को जो चिट्ठी दी गई, वह सिर्फ द्विपक्षीय मुद्दों को लेकर थी।

तेहरान और वॉशिंगटन ने इसी साल अप्रैल और जून के बीच ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम और अमेरिकी बैन पर बातचीत की थी। दोनों पक्षों के बीच ओमान की मध्यस्थता में पांच राउंड की बातचीत हुई। इसके बाद छठे राउंड की बातचीत की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन उससे पहले ही इजरायल ने ईरान में कई जगहों पर अचानक हमले कर दिए।

इस हमले में ईरान के न्यूक्लियर वैज्ञानिक और सीनियर कमांडर मारे गए। इसके बाद ईरान ने मिसाइल और ड्रोन से जवाबी कार्रवाई की।

22 जून को अमेरिकी सेना ने नतांज, फोर्डो और इस्फहान में ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला किया। ईरान ने अगले दिन कतर में अमेरिकी अल उदीद एयर बेस को निशाना बनाकर जवाबी कार्रवाई की। इसके बाद ईरान और इजरायल के बीच 24 जून से सीजफायर लागू हुआ।

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अंतरराष्ट्रीय

ट्रंप के टैरिफ वॉर से दुनिया को राहत? अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में आज हो सकता है आखिरी फैसला!

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नई दिल्ली, 6 नवंबर : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ के ऐलान के साथ वैश्विक व्यापार जगत में उथल-पुथल मच गई। ट्रंप के टैरिफ को लेकर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी रही, जिसके बाद उम्मीद की जा रही है कि इसपर आखिरी फैसला भी आज आ जाए। वहीं, दूसरी ओर पूरी दुनिया की निगाहें इस पर टिकी हुई हैं।

5 नवंबर को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में आखिरी सुनवाई शुरू हुई, जिसमें अधिकांश जजों ने अमेरिकी राष्ट्रपति के फैसले पर सवाल खड़े किए।

निचली फेडरल कोर्ट ने इससे पहले टैरिफ के मामले में फैसला सुनाया था कि ट्रंप के पास अमेरिका के कई व्यापारिक साझेदारों से आयात पर टैरिफ लगाने और कनाडा, चीन और मैक्सिको के उत्पादों पर फेंटानिल टैरिफ लगाने का कानूनी अधिकार नहीं है। निचले कोर्ट के फैसले के बाद राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

बता दें, टैरिफ को लेकर करीब ढाई घंटे से ज्यादा कोर्ट में बहस चली। कोर्ट ने ट्रंप सरकार के टैरिफ के फैसले पर सवाल उठाए। जस्टिस सोनिया सोतोमयोर ने कहा, “आप कहते हैं कि टैरिफ टैक्स नहीं हैं, लेकिन वास्तव में वे टैक्स ही हैं। वे अमेरिकी नागरिकों से पैसा, राजस्व कमा रहे हैं।”

इस पर सॉलिसिटर जनरल जॉन सॉयर ने कहा, “मैं इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं कह सकता, यह एक नियामक टैरिफ है, टैक्स नहीं। यह सच है कि टैरिफ से राजस्व बढ़ता है और यह केवल आकस्मिक है।”

इसके अलावा जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स ने कहा, “अगर मैं सही नहीं हूं तो मुझे सुधारें, लेकिन यह तर्क किसी भी देश के किसी भी उत्पाद पर, किसी भी मात्रा में, किसी भी अवधि के लिए टैरिफ लगाने की शक्ति के लिए दिया जा रहा है।”

जस्टिस रॉबर्ट्स की इस टिप्पणी के बाद अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल डी. जॉन सॉयर ने तर्क दिया कि आईईईपीए राष्ट्रपति को इमरजेंसी की स्थिति के दौरान ‘आयात को विनियमित करने’ की इजाजत देता है।

अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल के तर्क से जस्टिस एमी कोनी बैरेट सहमत नहीं थीं। उन्होंने सॉयर से कहा, “क्या आप संहिता में ऐसे किसी दूसरे स्थान या इतिहास में किसी दूसरे समय का जिक्र कर सकते हैं, जहां ‘आयात को विनियमित करना’ वाक्यांश का उपयोग टैरिफ लगाने का अधिकार देने के लिए किया गया हो?”

इसके अलावा, जस्टिस बैरेट ने कहा कि अगर कांग्रेस भविष्य में आपातकालीन टैरिफ पर किसी भी सीमा को मंजूरी देना चाहती है, तो उसे राष्ट्रपति के वीटो को पार करने के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी।

जस्टिस बैरेट ने पूछा, “अगर कांग्रेस कहती है, ‘अरे, हमें यह पसंद नहीं है, इससे राष्ट्रपति को आईईईपीए के तहत बहुत ज्यादा अधिकार मिल जाते हैं,’ तो उसे आईईईपीए से उस टैरिफ शक्ति को वापस लेने में बहुत मुश्किल होगी, है ना?”

हालांकि, कोर्ट की तरफ से मामले में अब तक आखिरी फैसला सामने नहीं आया है, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति के टैरिफ वाले फैसले पर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने सवाल खड़े किए हैं।

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