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Saturday,13-December-2025
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राहुल के पीएम के ‘पुतला दहन’ के बयान पर चिराग ने नीतीश को घेरा

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Chirag-Paswan

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पंजाब में पुतला जलाए जाने को लेकर दिए गए बयान पर लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने राहुल गांधी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक साथ घेरा है। चिराग ने गुरुवार को कहा कि प्रायोजित तरीके से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बदनाम किया जा रहा है।

उन्होंने अपने अधिाकरिक ट्विटर हैंडल पर लिखा, ”बिहार की धरती पर राहुल गांधी जी ने प्रधानमंत्री जी के सम्बंध मे पंजाब में हुई निंदनीय घटना का उल्लेख किया और बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी खामोश हैं। प्रधानमंत्री के साथ स्टेज शेयर करने को बेताब रहते हैं मगर राहुल गांधी के इस घृणित बयान पर अपना मुंह नहीं खोलते हैं।”

उन्होंने आगे लिखा, ”दशहरा के पावन अवसर पर पंजाब सरकार द्वारा प्रायोजित घटना की निंदा लोजपा करती है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का पुतला दहन किया गया था। यह पंजाब की संस्कृति नहीं है और ना ही पंजाब के लोगों ने यह किया है। यकीनन इस घृणित कार्य के पीछे पंजाब सरकार का हाथ है।”

उल्लेखनीय है कि बुधवार को राहुल गांधी ने बिहार में चुनावी सभाओं में कहा था कि इस दशहरा में गुस्से के कारण पंजाब में युवाओं और किसानों ने रावण नहीं प्रधानमंत्री का पुतला दहन किया।

लोजपा अध्यक्ष ने मुंगेर में पुलिस और स्थानीय लोगों की हुई हिंसक झड़प में एक व्यक्ति की मौत पर भी सरकार पर निशाना साधा।

उन्होंने अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा, ”मुंगेर में मां दुर्गा के भक्तों के साथ जो हुआ उसे शर्मनाक घटना कहना कम होगा। ‘महिसासुर’ सरकार के इशारे पर स्थानीय प्रशासन ने कार्रवाई की। गोली बिना आदेश तो नहीं चल सकती। इस महिसासुरी व्यवस्था का वध मां दुर्गा के भक्त 10 तारीख को करेंगे।”

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राजनीति

महाराष्ट्र: अनुशासनहीनता पर भाजपा ने 16 बागी नेताओं को 6 साल के लिए किया निलंबित

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SUSPENDED

वाशिम, 13 दिसंबर: महाराष्ट्र के वाशिम नगर परिषद के चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने संगठनात्मक अनुशासन को लेकर बड़ा कदम उठाया है। पार्टी नेतृत्व के निर्देशों की अनदेखी करते हुए अधिकृत भाजपा उम्मीदवारों के खिलाफ नामांकन दाखिल करने वाले 16 बागी नेताओं और पदाधिकारियों को भाजपा ने छह वर्षों के लिए निलंबित कर दिया है। यह चुनाव 20 दिसंबर को होने जा रहा है।

यह सख्त कार्रवाई भाजपा के जिलाध्यक्ष पुरुषोत्तम चितलांगे ने की है। उन्होंने कहा कि पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव लड़ना अनुशासनहीनता है और ऐसी पार्टी विरोधी गतिविधियों को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। संगठन की मजबूती और पार्टी की एकजुटता बनाए रखने के लिए यह निर्णय लेना जरूरी हो गया था।

निलंबन की कार्रवाई जिला से लेकर शहर स्तर तक के कई पदाधिकारियों पर हुई है। इनमें महिला मोर्चा, युवा मोर्चा और विभिन्न प्रकोष्ठों से जुड़े नेता भी शामिल हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार इन नेताओं को पहले अनुशासन में रहने की हिदायत दी गई थी, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने पार्टी प्रत्याशियों के खिलाफ नामांकन दाखिल किया।

निलंबित किए गए नेताओं में जिला सचिव करुणा कल्ले, महिला मोर्चा की जिला महामंत्री छाया पवार, पूर्व नगरसेवक प्रभाकर काले, पूर्व युवा मोर्चा अध्यक्ष वैभव उलेमाले, राजेश विश्वकर्मा, आशा खटके, गजानन ठेंगडे, पूर्व जिला उपाध्यक्ष धनंजय हेंद्रे, वाशिम शहर उपाध्यक्ष संगीता पिंजरकर, मदन राठी, मुकेश चौधरी, अनंत रंगभाल, उत्तर आघाड़ी प्रकोष्ठ प्रमुख सावंतसिंह ठाकूर, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ सेल के प्रमुख सचिन पेंढारकर, महिला शहर उपाध्यक्ष अनिता इंगोले और गजू लांडगे शामिल हैं।

भाजपा नेतृत्व ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह कार्रवाई अंतिम नहीं है। यदि भविष्य में कोई भी नेता या कार्यकर्ता पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल पाया गया, तो उसके खिलाफ इससे भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पार्टी ने सभी कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वे संगठन के निर्णयों का सम्मान करें और अधिकृत उम्मीदवारों के पक्ष में एकजुट होकर काम करें।

राजनीतिक जानकारों के अनुसार, नगर परिषद चुनाव से ठीक पहले की गई यह कार्रवाई पार्टी संगठन को मजबूत करने और अनुशासन बनाए रखने की दिशा में अहम कदम मानी जा रही है।

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

20 अमेरिकी राज्यों ने एच-1बी वीजा फीस को लेकर ट्रंप पर किया मुकदमा

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TRUMP

वाशिंगटन, 13 दिसंबर: अमेरिका के 20 राज्यों ने ट्रंप प्रशासन के खिलाफ अदालत में मुकदमा दायर किया है। इन राज्यों का कहना है कि एच-1बी वीजा के नए आवेदनों पर 1 लाख अमेरिकी डॉलर की भारी फीस लगाना गैरकानूनी है और इससे जरूरी सार्वजनिक सेवाओं पर बुरा असर पड़ेगा।

यह मुकदमा डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी द्वारा लागू की गई एक नीति को निशाना बनाता है, जिसमें एच-1बी वीज़ा के तहत विदेशी कुशल कर्मचारियों को रखने के लिए नियोक्ताओं पर अचानक बहुत ज़्यादा शुल्क लगा दिया गया। इस वीज़ा का इस्तेमाल अस्पताल, विश्वविद्यालय और सरकारी स्कूल में बड़े पैमाने पर किया जाता है।

कैलिफोर्निया के अटॉर्नी जनरल रॉब बॉन्टा इस मामले का नेतृत्व कर रहे हैं। उनके कार्यालय के हवाले से कहा गया कि प्रशासन के पास इतनी बड़ी फीस लगाने का अधिकार नहीं है। बॉन्टा ने कहा कि दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के नाते कैलिफोर्निया जानता है कि जब दुनिया भर से कुशल लोग यहाँ काम करने आते हैं, तो राज्य आगे बढ़ता है।

बॉन्टा ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा लगाई गई यह 1 लाख डॉलर की एच-1बी फीस न सिर्फ़ बेवजह है, बल्कि अवैध भी है। इससे स्कूलों, अस्पतालों और अन्य जरूरी सेवाएं देने वाले संस्थानों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा और कर्मचारियों की कमी और बढ़ जाएगी।

राष्ट्रपति ट्रंप ने 19 सितंबर, 2025 को जारी एक घोषणा के ज़रिए इस फीस का आदेश दिया था। 21 सितंबर के बाद दायर किए गए एच-1बी आवेदनों पर इसे लागू किया गया। होमलैंड सिक्योरिटी सेक्रेटरी को यह तय करने का अधिकार दिया कि कौन से आवेदन इस फीस के दायरे में आएंगे या छूट के लिए योग्य होंगे।

राज्यों का कहना है कि यह नीति प्रशासनिक प्रक्रिया, कानून, और अमेरिकी संविधान का उल्लंघन करती है, क्योंकि बिना तय प्रक्रिया अपनाए नियम बनाए गए हैं और कांग्रेस की सीमा से बाहर जाकर फैसला लिया गया है। अब तक एच-1बी से जुड़ी फीस सिर्फ़ व्यवस्था चलाने के खर्च तक सीमित रहती थी।

फिलहाल नियोक्ता एच-1बी वीज़ा के लिए अलग-अलग शुल्क मिलाकर लगभग 960 से 7,595 डॉलर तक देते हैं। संघीय कानून के अनुसार उन्हें यह भी प्रमाण देना होता है कि विदेशी कर्मचारी रखने से अमेरिकी कर्मचारियों की सैलरी या काम की स्थिति पर बुरा असर नहीं पड़ेगा।

कांग्रेस अधिकांश निजी क्षेत्र के एच-1बी वीजा की संख्या सालाना 65,000 तक सीमित रखती है, जबकि उच्च डिग्री वालों के लिए 20,000 अतिरिक्त वीजा होते हैं। स्कूल, विश्वविद्यालय और अस्पताल जैसे सरकारी और गैर-लाभकारी संस्थानों को इस सीमा से छूट मिली हुई है।

अटॉर्नी जनरल का कहना है कि नई फीस से शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में कर्मचारियों की कमी और बढ़ जाएगी। यह मुकदमा बोंटा और मैसाचुसेट्स के अटॉर्नी जनरल एंड्रिया जॉय कैंपबेल ने दायर किया था, जिसमें एरिज़ोना, कोलोराडो, कनेक्टिकट, डेलावेयर, हवाई, इलिनोइस, मैरीलैंड, मिशिगन, मिनेसोटा, नेवाडा, नॉर्थ कैरोलिना, न्यू जर्सी, न्यूयॉर्क, ओरेगन, रोड आइलैंड, वर्मोंट, वाशिंगटन और विस्कॉन्सिन के अटॉर्नी जनरल भी शामिल हुए।

एच-1बी वीज़ा कार्यक्रम विदेशी कुशल पेशेवरों के लिए एक अहम रास्ता है। इसके तहत बड़ी संख्या में भारतीय पेशेवर अमेरिका में तकनीक, स्वास्थ्य और शोध के क्षेत्र में काम करते हैं।

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

शीत युद्ध की ऐतिहासिक खेल जीत से रूस-यूक्रेन संघर्ष की तुलना, ट्रंप ने 1980 के ‘मिरेकल ऑन आइस’ को किया याद

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TRUMP

वाशिंगटन, 13 दिसंबर: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को शीत युद्ध के दौर की एक प्रसिद्ध खेल जीत की तुलना आज के वैश्विक संघर्ष से की। उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की चल रही कोशिशों के बारे में बात करते हुए 1980 में सोवियत संघ पर “मिरेकल ऑन आइस” जीत का जिक्र किया।

अमेरिकी हॉकी टीम की सोवियत संघ पर मिली ऐतिहासिक जीत पर व्हाइट हाउस में आयोजित एक कार्यक्रम में ट्रंप ने कहा कि यह जीत केवल खेल तक सीमित नहीं थी, बल्कि इससे बड़े सबक मिलते हैं। उन्होंने कहा कि उस समय अमेरिकी टीम ने बेहद मजबूत सोवियत टीम को हराया था और किसी को भी इसकी उम्मीद नहीं थी। यह कार्यक्रम अमेरिकी ओलंपिक हॉकी टीम को सम्मानित करने के लिए एक बिल साइनिंग सेरेमनी के तौर पर हुआ।

जब ट्रंप से पूछा गया कि आज के संघर्षों के लिए इस जीत से क्या सीख मिलती है, तो ट्रंप ने सीधे यूक्रेन का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि स्थिति कुछ हद तक वैसी ही है और आगे क्या होता है, यह देखा जाएगा।

ट्रंप ने कहा कि उनका प्रशासन युद्ध को खत्म करने के लिए काम कर रहा है, जबकि हर महीने बड़ी संख्या में सैनिक मारे जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि रूस और यूक्रेन में पिछले महीने करीब 25 हजार सैनिकों की मौत हुई और उनका उद्देश्य इन मौतों को रोकना है।

इस मौके पर ट्रंप ने 1980 की हॉकी टीम के लिए यादगार मेडल देने वाले कानून पर साइन किए, जिसे उन्होंने “अमेरिकी खेलों के इतिहास के सबसे महान पलों में से एक” बताया। ट्रंप ने कहा कि इस टीम ने देश को एकजुट किया और लोगों को प्रेरित किया।

टीम के कप्तान माइक एरज़ियोन ने भी कहा कि समय के साथ इस मैच का राजनीतिक और ऐतिहासिक महत्व और स्पष्ट होता गया।

ट्रंप ने इस जीत को अमेरिका की बड़ी वापसी की शुरुआत बताया। वहीं सांसद पीट स्टॉबर ने कहा कि इस टीम ने देश को उस समय मजबूती दी, जब इसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी।

ट्रंप ने यह भी दावा किया कि उन्होंने पहले ही कई युद्ध रुकवाए हैं और अब एक और युद्ध को खत्म करना बाकी है। हालांकि उन्होंने कोई ठोस कूटनीतिक कदम नहीं बताए, लेकिन कहा कि इस दिशा में प्रगति हो रही है।

“मिरेकल ऑन आइस” 1980 के शीतकालीन ओलंपिक में अमेरिकी टीम की सोवियत संघ पर 4–3 की जीत को कहा जाता है, जिसके बाद फिनलैंड को हराकर स्वर्ण पदक जीता गया था। यह मैच उस समय अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शीतयुद्ध के माहौल में हुआ था और अमेरिका के आत्मविश्वास का प्रतीक बन गया।

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