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Wednesday,10-December-2025
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तय कोटे के तहत चीनी निर्यात की समय-सीमा 3 महीने बढ़ी : मंत्रालय

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सरकार ने चीनी मिलों की मांग पर अधिकतम स्वीकार्य निर्यात परिमाण (एमएईक्यू) कोटे के तहत निर्धारित 60 लाख टन चीनी निर्यात करने की समय-सीमा तीन महीने के लिए बढ़ाकर दिसंबर तक कर दी है। यह जानकारी सोमवार को खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस को दी। अधिकारी ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते कई मिलों को चीनी निर्यात करने में कठिनाई का सामना करना पड़ा था, इसलिए उनकी ओर से निर्यात की समय सीमा बढ़ाने की मांग की गई थी।

चालू शुगर सीजन 2019-20 (अक्टूबर-सितंबर) में सरकार द्वारा एमएईक्यू के तहत निर्धारित निर्यात कोटा 60 लाख टन में से 57 लाख टन के करीब निर्यात के सौदे हो चुके हैं। खाद्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव सुबोध कुमार सिंह ने आईएएनएस को बताया कि चीनी मिलों को तय कोटे की चीनी निर्यात करने के लिए और तीन महीने का समय दिया गया है।

चालू शुगर सीजन 2019-20 दो दिन बाद 30 सितंबर को समाप्त हो रहा है और लेकिन अगले सीजन 2020-21 (अक्टूबर-सितंबर) में निर्यात नीति की अब तक घोषणा नहीं हुई है। चीनी उद्योग की ओर से 2019-20 की निर्यात नीति को आगे जारी रखने की मांग की गई है। इस बाबत पूछे जाने पर खाद्य मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि यह अभी विचाराधीन है।

चालू शुगर सीजन 2019-20 में एमएईक्यू के तहत तय 60 लाख टन चीनी के निर्यात का कोटा पर सरकार की ओर से चीनी मिलों को 10,448 रुपये प्रति टन की दर से सब्सिडी दी जा रही है, जिस पर कुल खर्च 6,268 करोड़ रुपये आएगा।

उद्योग संगठन नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज (एनएफसीएसएफ) के अनुसार, चालू सीजन 2019-20 में देश में चीनी का उत्पादन 273 लाख टन है, जबकि पिछले साल का बकाया स्टॉक 145 लाख टन था। इस प्रकार चीनी कुल आपूर्ति 2019-20 में 418 टन रही, जबकि घरेलू खपत 250 लाख टन और निर्यात 60 लाख टन होने का अनुमान है। इस प्रकार, अगले सीजन के लिए 108 लाख टन चीनी का बचा हुआ स्टॉक रह जाएगा।

व्यापार

अमेरिकी फेड पॉलिसी के नतीजों से पहले सोना-चांदी की कीमतें स्थिर बनी हुईं

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मुंबई, 9 दिसंबर: अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दर पर फैसले से पहले निवेशकों के सतर्क रुझान के चलते मंगलवार के कारोबारी दिन सोना और चांदी की कीमतें स्थिर रहीं।

शुरुआती कारोबार के दौरान मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर सोने की फरवरी वायदा कीमतें 1,29,978 रुपए प्रति 10 ग्राम पर स्थिर बनी हुई थीं।

मार्केट एक्सपर्ट्स ने कहा, “घरेलू बाजार में एमसीएक्स पर सोने की फरवरी वायदा कीमतें 1,29,952 रुपए के आसपास कारोबार कर रही थीं, जो वैश्विक तेजी के रुझान को ट्रैक कर रही थीं और रुपए की कमजोरी का समर्थन प्राप्त कर रही थीं।”

उन्होंने आगे कहा, “1,29,200 रुपए का क्षेत्र एक महत्वपूर्ण शॉर्ट-टर्म सपोर्ट के रूप में काम करना जारी रखता है। जब तक यह लेवल बना रहता है, 1,30,000 रुपए से 1,31,000 रुपए के रेजिस्टेंस जोन की ओर रास्ता खुला रहता है।”

हालांकि, चांदी की कीमतों में कुछ बढ़त दर्ज की गई। एमसीएक्स पर चांदी की मार्च वायदा कीमतें 0.50 प्रतिशत की बढ़त के बाद 1,82,705 रुपए प्रति किलोग्राम पर बनी हुई थीं।

ग्लोबल मार्केट में अब फोकस फेडरल रिजर्व पर बना हुआ है, जो कि बुधवार को अपने नीतिगत निर्णय की घोषणा करेगा।

यह मीटिंग ऐसे समय में हो रही है जब यूएस जॉब मार्केट में कूलिंग के संकेत दिख रहे हैं, जबकि मुद्रास्फीति केंद्रीय बैंक के 2 प्रतिशत लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है।

हाल के आंकड़ों बताते हैं कि पर्सनल कंजप्शन एक्सपेंडीचर (पीसीई) प्राइस इंडेक्स इस वर्ष सितंबर में 0.3 प्रतिशत बढ़ा, जो अगस्त में हुई वृद्धि के बराबर है। इंडेक्स सालाना आधार पर 2.8 प्रतिशत बढ़ा जो कि अगस्त की 2.7 प्रतिशत बढ़त से अधिक रही।

इस बीच, पिछले सप्ताह जारी किए गए यूएस प्राइवेट पेरोल डेटा से पता चला कि नवंबर में प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में 32,000 की गिरावट आई है, जो कि 2 से अधिक वर्षों की एक तेज गिरावट को दिखाता है।

कोमेरिका के अर्थशास्त्रियों को फेडरल ओपन मार्केट कमेटी के फेडरल फंड रेट को 25 बेसिस पॉइंट से घटाने की उम्मीद है, जिससे यह 3.50 प्रतिशत से 3.75 प्रतिशत के बीच आ जाएगी।

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व्यापार

भारत ने चालू वित्त वर्ष में अपनी अब तक की सबसे अधिक गैर-जीवाश्म क्षमता वृद्धि 31.25 गीगावाट दर्ज की

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नई दिल्ली, 8 दिसंबर: भारत क्लीन एनर्जी को लेकर महत्वपूर्ण विस्तार कर रहा है। हाल ही में केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने एक इवेंट में जानकारी देते हुए कहा कि देश ने चालू वित्त वर्ष में अपनी अब तक की सबसे अधिक गैर-जीवाश्म क्षमता वृद्धि 31.25 गीगावाट दर्ज की है, जिसमें 24.28 गीगावाट सौर क्षमता शामिल है।

केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी के अनुसार, 2022 में 1 टेरावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता तक पहुंचने में लगभग 70 वर्षों का समय लगने के बाद विश्व ने 2024 तक 2 टेरावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता हासिल कर ली है, जो दिखाता है मात्र दो वर्षों में 1 अतिरिक्त टेरावाट क्षमता जोड़ी गई है। वहीं, भारत रिन्यूएबल एनर्जी में इस तीव्र वैश्विक उछाल का एक प्रमुख चालक है।

पिछले 11 वर्षों में देश की सौर क्षमता 2.8 गीगावाट से बढ़कर लगभग 130 गीगावाट हो गई है, जो 4500 प्रतिशत से भी अधिक की वृद्धि है। अकेले 2022 और 2024 के बीच भारत ने वैश्विक सौर ऊर्जा वृद्धि में 46 गीगावाट का योगदान दिया, जो तीसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता बन गया।

ओडिशा के पुरी में हाल ही में आयोजित ग्लोबल एनर्जी लीडर्स समिट 2025 में केंद्रीय मंत्री ने ओडिशा के लिए पीएम सूर्य घर के अंतर्गत 1.5 लाख रूफटॉप सोलर यूटिलिटी-लेड एग्रीगेशन मॉडल की घोषणा की, जिसे राज्यभर में 7–8 लाख लोगों को लाभान्वित और सशक्त करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि ओडिशा पहले से ही क्लीन एनर्जी को अपनाने में मजबूत प्रदर्शन दिखा रहा है। 3.1 गीगावाट से अधिक स्थापित रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता के साथ, क्लीन एनर्जी अब राज्य की कुल स्थापित पावर क्षमता का 34 प्रतिशत से अधिक है।

इसके अलावा, प्रधानमंत्री सूर्य गृह योजना के तहत 1.6 लाख परिवारों ने रूफटॉप सोलर के लिए आवेदन किया है, 23,000 से अधिक स्थापनाएं पूरी हो चुकी हैं और 19,200 से अधिक परिवारों को सीधे उनके बैंक खातों में 147 करोड़ रुपए से अधिक की सब्सिडी प्राप्त हुई है।

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व्यापार

भारत में बढ़ती आय के चलते घर खरीदना बन रहा अफोर्डेबल : रिपोर्ट

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नई दिल्ली, 3 दिसंबर: भारत में तेजी से बढ़ती आय के कारण घर खरीदना पिछले 1.5 दशक के मुकाबले काफी अफोर्डेबल हो गया है। इस दौरान देश का प्राइस-टू-इनकम रेश्यो 2025 में 45.3 हो गया है, जो कि 2010 में 88.5 पर था। यह जानकारी बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई।

कोलियर्स इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान देश में औसत आय में चार गुना की वृद्धि हुई है और यह करीब 10 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ रही है और हालांकि, समीक्षा अवधि में घरों की कीमत में 5-7 प्रतिशत का ही इजाफा हुआ है, जो दिखाता है कि घर पहले के मुकाबले काफी किफायती हो गए हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह सुधार आवासीय क्षेत्र में नीतिगत परिवर्तनों, आर्थिक झटकों और नए नियमों के कारण कई उतार-चढ़ावों के बावजूद आया है।

पिछले दो दशकों में, बाजार ने पीएमएवाई, विमुद्रीकरण, रेरा, एनबीएफसी संकट, एसडब्ल्यूएएमआईएच फंडिंग सपोर्ट और जीएसटी कार्यान्वयन जैसे प्रमुख घटनाक्रमों का सामना किया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, देश में घरों की बिक्री भी मजबूत बनी हुई है। कोरोना महामारी के बाद घरों की वार्षिक बिक्री बढ़कर 3-4 लाख यूनिट्स हो गई है। इसकी वजह बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर, अफोर्डेबिलिटी में इजाफा होना, अच्छी मौद्रिक नीति और आय का बढ़ना है।

विशेषज्ञों का कहना है कि बिक्री की मजबूत गति को आय में लगातार वृद्धि का समर्थन प्राप्त है, जो संपत्ति की कीमतों में वृद्धि से कहीं अधिक है।

कोलियर्स इंडिया के सीईओ और एमडी बादल याज्ञनिक के अनुसार, अनुकूल ब्याज दरों और उच्च आय स्तरों के कारण आवास की मांग मजबूत बनी हुई है।

याज्ञनिक ने आगे कहा, “हालांकि कच्चे माल की लागत ने हाल के वर्षों में आवास की कीमतों को बढ़ा दिया है, लेकिन आय में तेज वृद्धि ने खरीदारों को गति बनाए रखने में मदद की है।”

आठ प्रमुख टियर-I शहरों में, 2010 के बाद से अफोर्डेबिलिटी के स्तर में तेजी से सुधार हुआ है।

अहमदाबाद और हैदराबाद जैसे शहर सबसे किफायती आवासीय बाजारों में से एक बनकर उभरे हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रमुख निर्माण सामग्रियों पर जीएसटी दरों के कम होने से विशेष रूप से किफायती और मध्यम आय वर्ग के आवास क्षेत्रों में सेंटीमेंट में और सुधार होने की उम्मीद है।

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