व्यापार
केंद्र सरकार 6 फरवरी को पेश कर सकती है न्यू इनकम टैक्स बिल
नई दिल्ली, 3 फरवरी। बजट 2025-26 में टैक्स स्लैब में बदलाव किया गया है, जिससे आम आदमी के हाथ में पहले के मुकाबले अधिक धन बचेगा। वहीं, टैक्स प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए अब सरकार 6 फरवरी को नया इनकम टैक्स बिल पेश कर सकती है।
नए इनकम टैक्स बिल का उद्देश्य वर्तमान आयकर अधिनियम में व्यापक सुधार लाना है और संभावित रूप से इससे इनकम टैक्स बिल में वर्तमान में लगभग 6 लाख शब्दों में से 3 लाख शब्द कम हो सकते हैं।
सोमवार को एनडीटीवी प्रॉफिट की एक रिपोर्ट में मामले से जुड़े लोगों के हवाले से बताया गया कि नए इनकम टैक्स ड्राफ्ट बिल में टैक्स बेस बढ़ाने के उपाय किए जा सकते हैं, जो कि नए इनकम टैक्स स्लैब आने के कारण कम हुआ है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट के बाद की प्रेस-कॉन्फ्रेंस में कहा कि नई इनकम टैक्स रिजीम के स्लैब में बदलाव से सीधे तौर पर एक करोड़ से अधिक लोगों को फायदा होगा।
सीतारमण ने कहा कि इनकम टैक्स लिमिट 7 लाख रुपये से लेकर 12 लाख रुपये करने से एक करोड़ से अधिक लोगों के हाथ में अधिक पैसा बचेगा।
बजट 2025-26 में प्रस्तावित नए स्लैब के अनुसार, 12 लाख रुपये तक की आय वाले लोगों को कोई आयकर नहीं देना होगा।
मौजूदा कर दरों और वित्त वर्ष 2025-26 में प्रस्तावित नई दरों के बीच तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि जो लोग 8 लाख रुपये कमा रहे हैं, उनकी जेब में 30,000 रुपये अधिक बचेंगे होंगे, क्योंकि उनकी कर देनदारी शून्य कर दी गई है।
नई व्यवस्था के तहत 12 लाख रुपये (पूंजीगत लाभ जैसी विशेष दर आय के अलावा प्रति माह 1 लाख रुपये की औसत आय) तक की आय पर कोई इनकम टैक्स नहीं देना होगा। 75,000 रुपये की स्टैंडर्ड डिडक्शन के कारण वेतनभोगी करदाताओं के लिए यह सीमा 12.75 लाख रुपये होगी।
व्यापार
आम बजट से भारत की आर्थिक स्थिति होगी मजबूत, विकास को मिलेगा बढ़ावा: रिपोर्ट
नई दिल्ली, 3 फरवरी। आम बजट 2024-25 में उठाए गए कदमों से भारत आर्थिक रूप से मजबूत होगा और मध्यम से लंबी अवधि के विकास को बढ़ावा मिलेगा, यह जानकारी सोमवार को जारी की गई रिपोर्ट में दी गई।
आम बजट 2025-26 काफी संतुलित है। इसमें सरकार ने एक तरफ वित्तीय अनुशासन का ध्यान रखा है। वहीं, दूसरी तरफ आर्थिक गति को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पूंजीगत व्यय पर ध्यान केंद्रित रखते हुए उपभोग को प्रोत्साहित करने और राजकोषीय समेकन की दिशा में तेजी से कदम उठाने का विकल्प चुना है।
केयरएज के प्रबंध निदेशक और समूह के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मेहुल पंड्या ने कहा, “विनियमन के माध्यम से व्यापार करने में आसानी में सुधार लाने के उपाय, एमएसएमई को समर्थन, निवेश और निर्यात, 2047 में विकसित भारत को प्राप्त करने के लिए एक स्पष्ट रणनीति की रूपरेखा तैयार करते हैं।”
व्यक्तिगत आयकर स्लैब को युक्तिसंगत बनाने, टीडीएस और टीसीएस प्रावधानों सहित प्रमुख कर सुधारों का उद्देश्य अनुपालन को सरल बनाना और खर्च करने योग्य आय को बढ़ाना और उपभोक्ताओं के विश्वास को बढ़ावा देना है।
उन्होंने आगे कहा कि 12 लाख रुपये तक इनकम टैक्स नहीं होने से कंज्यूमर सेंटीमेंट और खर्च में बड़ा बदलाव आएगा।
बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा को बढ़ाकर 100 प्रतिशत करना भी सही दिशा में उठाया गया कदम है। विनियामक सुधारों के लिए एक उच्च स्तरीय समिति की स्थापना की घोषणा सिद्धांत-आधारित, लाइट-टच रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के लिए प्रतिबद्धता दर्शाती है।
बजट में पर्यटन, स्वास्थ्य सेवा और विनिर्माण जैसे क्षेत्रों पर जोर दिया गया है, जिससे रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा। वित्त वर्ष 26 के लिए 4.4 प्रतिशत के बजटीय राजकोषीय घाटे के लक्ष्य के साथ राजकोषीय समेकन में निरंतरता से देश को ऋण स्थिरता की ओर बढ़ने में मदद मिलेगी।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि ये उपाय व्यापक आर्थिक माहौल को स्थिर करने, निजी क्षेत्र की भागीदारी और निवेश को बढ़ावा देने के लिए तैयार हैं।
राष्ट्रीय समाचार
आयकर कानून की पुरानी ‘खिचड़ी’ व्यवस्था के सरलीकरण के लिए सरकार ला रही न्यू इनकम टैक्स बिल
नई दिल्ली, 3 फरवरी। देश में 1961 का इनकम टैक्स कानून अभी भी चल रहा है। आम बजट 2025-26 को संसद के पटल पर रखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि अब एक नए इनकम टैक्स लॉ की देश को जरूरत है और इसके लिए सदन में एक बिल इसी सत्र में रखा जाएगा। ऐसे में देश में नए इनकम टैक्स कानून के लिए एक समीक्षा कमेटी बनाई गई थी।
वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण के दौरान यह ऐलान किया था कि अब 12 लाख रुपए तक की आय टैक्स फ्री होगी। इसके साथ ही नए इनकम टैक्स बिल का भी ऐलान किया। जिसको लेकर घोषणा की गई कि इसी बजट सत्र में इस बिल को पेश किया जाएगा। तब वित्त मंत्री ने सदन में कहा था कि यह नया बिल टैक्स सिस्टम को सरल बनाने के लिए लिया गया है।
सरकार की तरफ से 1961 के इसी इनकम टैक्स कानून के तहत नई टैक्स रिजीम लागू की गई थी। सरकार ने 2024-25 के बजट में यह कहा था कि देश में इनकम टैक्स को बदलने की जरूरत है।
अब सूत्रों के अनुसार सरकार की तरफ से कमेटी की सिफारिश पर नए इनकम टैक्स का बिल पूरी तरह से तैयार कर दिया गया है। ऐसे में जब नया इनकम टैक्स कानून पारित होगा तो यह कानून 1961 के इनकम टैक्स कानून की जगह लेगा।
सरकार के सूत्रों की मानें तो यह नया इनकम टैक्स एक्ट 21वीं सदी की जरूरतों के हिसाब से बनाया जा रहा है। इस तकनीक के दौर में टैक्सपेयर को काफी चीजें खुद करना होता है। ऐसे में लोगों के लिए इस इनकम टैक्स में ऐसा बदलाव होगा जो सामान्य मानवीय को अच्छी तरह से समझ में आ सके। यह सिस्टम इतना सरल बनाने की कोशिश है कि लोगों को इसमें कोई परेशानी न हो।
सूत्रों की मानें तो 6 फरवरी को यह बिल संसद के पटल पर रखा जाएगा। इसके साथ ही इस बिल के सरलीकरण को ऐसे समझा जा सकता है कि पुराने आयकर कानून में लगभग 6 लाख के करीब शब्द हैं जो इस नए बिल में 3 लाख के करीब रह जाएंगे और यह करदाताओं को समझने के लिए भी आसान होगा।
सूत्रों की मानें तो नए इनकम टैक्स की भाषा को सरल बनाने पर भी सरकार काम कर रही है। दरअसल अभी जो इनकम टैक्स रूल है उसमें एक कोट में किसी चीज की व्याख्या अलग होती है, दूसरे में अलग। यानी यह कानून पूरी तरह से खिचड़ी की तरह बन गया है। सूत्रों के अनुसार इनकम टैक्स का जो वर्तमान मूल कानून है उसमें हर बार कोई न कोई चीज जोड़ी जाती रही। इस तरह इसमें सैकड़ों बार बदलाव किया गया। ऐसे में अब देश के लिए नए इनकम टैक्स कानून की जरूरत पड़ी।
भारतीय संसद ने आयकर अधिनियम पारित किया था, जो 1 अप्रैल 1962 को लागू हुआ था। तब से इसी कानून में बार-बार संशोधन कर नई चीजें जोड़ी जा रही थीं। जो कई मायनों में बेहद पेचीदा हो गया था। अब इसके सरलीकरण की प्रक्रिया के तहत इस नए कानून को बनाने की जरूरत सरकार को महसूस हुई ताकि लोगों को यह बेहद आसानी से समझ में आए। सूत्रों की मानें तो इसके लिए जो ड्राफ्ट तैयार किया गया है वह काफी सरल और लोगों के लिए समझने के लिए आसान होगा।
वहीं सूत्रों की मानें तो लोगों को इस बात का भी अंदेशा है कि नए इनकम टैक्स रूल्स के लागू हो जाने के बाद कहीं पुरानी टैक्स रिजीम को तो सरकार समाप्त नहीं कर देगी। लेकिन, सूत्रों के अनुसार सरकार की तरफ से ऐसी कोई सोच अभी सामने नहीं आई है। सरकार भी यह मानती है कि 78 प्रतिशत के करीब टैक्सपेयर अभी तक नई टैक्स रिजीम में शिफ्ट कर चुके हैं। फिर भी सूत्र बताते हैं कि सरकार पुरानी टैक्स रिजीम को लेकर कोई ज्यादा छेड़छाड़ करने के मूड में नहीं है।
दूसरी तरफ सूत्रों की मानें तो सरकारी योजनाओं पर सरकार लोगों की निवेश को लेकर निर्भरता भी कम करने का प्रयास कर रही है ताकि लोग अन्य जगहों पर ज्यादा निवेश करें और इससे सामान्य जन को ज्यादा फायदा मिल सके। ऐसे में म्यूचुअल फंड, एसआईपी से लेकर शेयर मार्केट तक के ऑप्शन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। इसके साथ ही टैक्सपेयर को इतना बड़ा रिलीफ देने के पीछे भी सूत्रों के अनुसार सरकार की मंशा यह है कि बाजार में क्रयदारी बढ़े और इससे बाजार की गति में परिवर्तन हो और इसका भी सीधा लाभ अर्थव्यवस्था की सेहत को होगा।
राजनीति
कर छूट की सीमा में बड़ी छलांग : मोदी सरकार ने यूपीए की छोटी-छोटी राहतें देने की शैली को किया खत्म
नई दिल्ली, 1 फरवरी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3.0 सरकार ने 2014 में एनडीए सरकार द्वारा शुरू की गई सैलेरी वर्ग के लोगों को आयकर में राहत देने की व्यवस्था को जारी रखते हुए आयकर छूट की सीमा में बड़ी छलांग लगाई है। यह यूपीए की तरफ से करदाताओं को छोटी-छोटी राहत देने की प्रथा से बिल्कुल अलग नजर आ रही है।
दरअसल, केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा शनिवार को केंद्रीय बजट 2025-26 पेश किया गया और इसमें आयकर दाताओं को राहत देते हुए घोषणा की गई कि 12 लाख रुपये तक की कुल आय तक कोई आयकर देना नहीं होगा। नई कर व्यवस्था के तहत जो लोग अपने आयकर का भुगतान करते हैं, उनके लिए जो राहत दी गई, उसके अनुसार अब प्रति माह 1 लाख रुपये की औसत आय वाले लोगों को कोई कर नहीं देना पड़ेगा। वहीं, वेतनभोगी वर्ग को इसके अलावा 75 हजार रुपए का और अतिरिक्त लाभ कर सीमा की छूट में मिलेगा, मतलब वह 12.75 लाख तक अब कर नहीं देना होगा, यानी नई कर व्यवस्था के तहत आयकर छूट सीमा 7 लाख रुपये प्रति वर्ष से बढ़ाकर 12 रुपये प्रति वर्ष किया गया है।
यूपीए सरकार के तहत, 2005 में आयकर छूट सीमा 1 लाख रुपये थी और 2012 में इस छूट सीमा को दोगुना करके 2 लाख रुपये करने में मनमोहन सिंह सरकार को सात साल लग गए।
वेतनभोगी, मध्यम वर्ग के करदाताओं की लंबे समय से चली आ रही मांग को ध्यान में रखते हुए पीएम मोदी की सरकार ने 2014 में आयकर छूट सीमा को 25 प्रतिशत बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये कर दिया था।
मोदी 2.0 की शुरुआत 2019 में मध्यम वर्ग के करदाताओं के लिए एक और मेगा बोनस के साथ हुई, जिसमें आयकर छूट सीमा 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी गई।
वहीं, मोदी सरकार के प्रयास के तहत वित्त वर्ष 2020-21 में करदाताओं को बिना किसी सामान्य कटौती और छूट के कम कर दरों की पेशकश करने के लिए कम जटिल नई कर व्यवस्था की शुरुआत की गई।
इसके बाद इस व्यवस्था के तहत 2023 में, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने छूट की सीमा 2 लाख रुपये बढ़ा दी, जिससे नई व्यवस्था के तहत आयकर छूट सीमा प्रभावी रूप से 7 लाख रुपये हो गई।
अब इसको ऐसे समझते हैं कि नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद पहली बार वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश करते हुए व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा को 2 लाख रुपए से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपए कर दिया था। इसका मतलब यह था कि जो व्यक्ति 2.5 लाख तक की सालाना आय कमाते थे, उन्हें टैक्स नहीं देना पड़ेगा। वहीं, इसी बजट में वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा 2.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 3 लाख रुपए कर दी गई थी।
इसके अलावा, टैक्स में छूट प्राप्त करने के लिए सेक्शन 80सी की सीमा 1 लाख रुपए से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपए कर दी गई थी। इसके बाद मोदी सरकार का 2020 का बजट ऐतिहासिक था, क्योंकि इसमें सरकार एक नया आयकर स्लैब लेकर आई, इस स्लैब में करदाताओं को यह विकल्प दिया गया कि वे पुराने स्लैब में छूट और डिडक्शन के साथ रहें या नए स्लैब में कम कर दरों के साथ बिना छूट के रहें।
2023 में सरकार ने एक और महत्वपूर्ण बदलाव किया, जिसमें नए आयकर स्लैब के तहत 7 लाख रुपये तक के आय वाले करदाताओं के लिए टैक्स रिबेट की सीमा बढ़ा दी। इससे उन करदाताओं को राहत मिली, जिनकी आय 7 लाख रुपये तक थी। इसके साथ ही, नया टैक्स स्लैब लागू किया गया, जिसमें 50,000 रुपए की मानक कटौती भी लागू की गई।
वित्त वर्ष 2024-25 के लिए मोदी सरकार ने आयकर व्यवस्था में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए, नई कर व्यवस्था के तहत आयकर स्लैब में सुधार किया गया, जिसमें 7 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर कोई टैक्स नहीं लगाया गया, जबकि पहले यह सीमा 5 लाख रुपये थी। इसके अलावा, 10 लाख रुपये तक की आय पर 15 प्रतिशत, 12 लाख रुपये तक की आय पर 20 प्रतिशत और 15 लाख रुपये तक की आय पर 30 प्रतिशत टैक्स की व्यवस्था की।
इसके बाद निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए जो बजट पेश किया, उसमें नई कर व्यवस्था के तहत आयकर छूट सीमा 7 लाख रुपये प्रति वर्ष से बढ़ाकर 12 रुपये प्रति वर्ष करने का ऐलान कर दिया।
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