अपराध
सीबीआई ने घूसखोरी मामले में गेल निदेशक को गिरफ्तार किया

सीबीआई ने रविवार को गेल के निदेशक (विपणन) ई.एस. रंगनाथन को कथित रूप से रिश्वत लेने के मामले में गिरफ्तार किया।
इस सिलसिले में शनिवार को सीबीआई ने पांच लोगों को गिरफ्तार किया था।
सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “गेल के अधिकारी, ई.एस. रंगनाथन, निदेशक (विपणन) को पेट्रो उत्पादों की खरीद पर छूट के आदेश जारी करने के लिए व्यापारियों से रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। कल पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया था।”
सीबीआई ने शनिवार को कथित रिश्वत मामले में गेल के विपणन निदेशक के आवास और एनसीआर स्थित कई ठिकानों पर छापेमारी की थी।
आरोपियों के परिसरों से तलाशी के दौरान 1.29 करोड़ रुपये नकद, 1.3 करोड़ रुपये के सोने के आभूषण और अन्य कीमती सामान बरामद किया गया।
सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि इस संबंध में शुक्रवार (14 जनवरी) को मामला दर्ज किया गया था। सीबीआई को सूचना मिली थी कि रंगनाथन, निदेशक (विपणन), गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (गेल), पवन गौर और राजेश कुमार के साथ आपराधिक साजिश में भ्रष्ट और अवैध गतिविधियों में लिप्त था।
ये दोनों व्यक्ति कथित तौर पर गेल द्वारा विपणन किए गए पेट्रो रसायन उत्पादों को खरीदने वाली निजी कंपनियों से रिश्वत प्राप्त करके उसके बिचौलिए के रूप में काम कर रहे थे।
सीबीआई के एक सूत्र ने कहा, “हमें बताया गया कि राजेश के निर्देश पर पवन ने रंगनाथन से गेल द्वारा बेचे जा रहे पेट्रोकेमिकल उत्पादों पर खरीदारों को कुछ छूट देने की अनुमति मांगी थी। वे कई बार नोएडा में मिले थे।”
राजेश ने रिश्वत की राशि लेने के लिए अन्य डीलरों से संपर्क किया, जो छूट के संभावित लाभार्थी हो सकते हैं ।
दिसंबर में राजेश ने लाभार्थी पक्षकारों से मांगी गई रिश्वत की राशि एकत्र कर रंगनाथन के लिए पवन को सुपुर्द कर दी।
रंगनाथन के निर्देश पर, गुरुग्राम के एक व्यवसायी एन. रामकृष्णन नायर ने पवन से 40 लाख रुपये एकत्र किए।
राजेश ने दो और संभावित लाभार्थी डीलरों, सौरभ गुप्ता और आदित्य बंसल के साथ भी बातचीत की, और उन्हें गेल के अनुकूल आदेशों के बदले में रिश्वत देने के लिए राजी किया।
सीबीआई अधिकारी ने कहा कि राजेश ने सौरभ गुप्ता से गेल द्वारा छूट आदेश जारी करने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने का अनुरोध किया और यह भी बताया कि रंगनाथन ने 15 लाख रुपये की मांग की थी लेकिन 12 लाख रुपये लेने के लिए सहमत हुए।
पवन ने सौरभ से जल्द से जल्द राशि का भुगतान करने को भी कहा।
सौरभ पहले ही राजेश को 3 लाख रुपये दे चुका था और बाकी रकम हवाला चैनल के जरिए देने का फैसला किया था।
14 जनवरी को आदित्य बंसल ने रंगनाथन के लिए राजेश को रिश्वत भी दी थी।
सीबीआई अधिकारी के अनुसार, “पवन और राजेश के अनुरोध पर रंगनाथन ने नवंबर महीने में गेल के कुछ अधिकृत स्टॉकिस्टों के परिसर में कुछ जांच करायीं हालांकि, उक्त औचक निरीक्षण से पहले रंगनाथन ने अपने कुछ चहेते पार्टियों को आगाह भी किया था। इस प्रकार उन्होंने बहुत बड़ी धोखाधड़ी की और हमने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम का मामला दर्ज किया।
अधिकारी ने कहा कि छापेमारी के दौरान उन्होंने गिरफ्तार लोगों के बयान दर्ज किए हैं।
मामले में आगे की जांच जारी है।
अपराध
महाराष्ट्र : सपा नेता फहद आजमी पर मारपीट का आरोप, पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की

FIR
महाराष्ट्र, 15 अक्टूबर: मुंबई के गोवंडी इलाके में बैगनवाड़ी डंपिंग ग्राउंड पर बने एक ओपन जिम के उद्घाटन समारोह में उस समय तनाव पैदा हो गया, जब समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता फहद आजमी पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया। उस वक्त पार्टी विधायक तथा महाराष्ट्र अध्यक्ष अबू आसिम आजमी भी मौके पर मौजूद थे।
मामला तब शुरू हुआ जब अब्दुल करीम बादशाह खान नामक एक युवक विधायक अबू आजमी के साथ फोटो खिंचवाने गया था। उसी समय वहां पर मौजूद करीम ने आरोप लगाया कि सपा नेता फहद आजमी और उनके साथियों ने उसे धक्का दिया और हमला कर भी किया, जिससे उसे गंभीर चोटें आईं। फिर देखते ही देखते यह घटना दो समूहों के बीच हिंसक झड़प में बदल गई।
इस मामले में मुंबई की शिवाजीनगर पुलिस ने दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की हैं और जांच शुरू कर दी है।
पहली एफआईआर करीम की शिकायत पर दर्ज की गई है, जिसमें समाजवादी पार्टी के नेता फहद आजमी और दो अज्ञात लोगों पर मारपीट करने और जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज किया गया है।
करीम ने तहरीर में बताया कि 13 अक्टूबर की शाम जब वह अबू आजमी के साथ फोटो खिंचवाने आगे बढ़ा, तो फहद आजमी ने उसे धक्का दिया और कान पर थप्पड़ जड़ा था। इसके बाद फहद के साथ मौजूद दो अज्ञात व्यक्तियों ने भी उसकी पिटाई कर दी।
वहीं, दूसरी एफआईआर सपा कार्यकर्ता की शिकायत पर दर्ज कराई गई है, जिसमें करीम और उसके तीन साथियों पर मारपीट और डकैती का आरोप लगाया गया है। शेख ने बताया कि उद्घाटन समारोह के बाद, बुर्का पहने एक महिला ने विधायक को इलाके में हो रही बदमाशी की शिकायत की थी।
पुलिस ने दोनों मामलों में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। यह घटना विधायक की पुलिस सुरक्षा में चूक को लेकर भी गंभीर चिंताएं पैदा करती है, क्योंकि हिंसा उनके काफिले के ठीक बीच में भड़की थी।
अपराध
मुंबई : 48 साल से फरार हत्या के प्रयास का आरोपी गिरफ्तार, 1977 में दर्ज हुआ था मामला

मुंबई, 15 अक्टूबर: मुंबई पुलिस ने हत्या के प्रयास के एक ऐसे आरोपी को गिरफ्तार किया है, जो पिछले 48 सालों से फरार था। कोलाबा पुलिस ने 71 वर्षीय चंद्रशेखर मधुकर कालेकर को लालबाग से गिरफ्तार किया है, जिसके खिलाफ 1977 में मामला दर्ज किया गया था।
पुलिस के अनुसार, 1977 में, जब वह 23 वर्ष का था, कालेकर को अपनी प्रेमिका पर धोखा देने का शक हुआ और उसने कथित तौर पर कोलाबा में उसे चाकू मार दिया। उस समय उसे गिरफ्तार किया गया, लेकिन बाद में कोर्ट से जमानत मिल गई।
हालांकि, जमानत पर रिहा होने के बाद वह किसी भी अदालती तारीख पर हाजिर नहीं हुआ। इसके चलते अदालत ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया था और पुलिस कई सालों से उसकी तलाश कर रही थी, लेकिन चॉल के पुनर्विकास के कारण वह कई बार ठिकाना बदल चुका था, जिससे पुलिस को कोई सफलता नहीं मिली।
छह महीने पहले कोलाबा पुलिस ने इस पुराने मामले को फिर से खोला। टीम ने लालबाग स्थित उसके पुराने घर का दौरा किया, लेकिन वहां कोई नहीं मिला। पुलिस ने मुंबई के कई इलाकों में उसकी खोज की, मतदाता सूची की जांच की, लेकिन उसका नाम कहीं नहीं मिला।
जांच के दौरान, पुलिस ने आरटीओ और अदालती मामलों की जानकारी के लिए आवेदनों की जांच की, जिसमें रत्नागिरी जिले के दापोली पुलिस स्टेशन में उसके खिलाफ दर्ज 2015 के एक आपराधिक मामले का रिकॉर्ड मिला, जिसमें गाड़ी चलाते समय एक व्यक्ति को घायल करने के आरोप में उसकी गिरफ्तारी हुई थी।
दापोली पुलिस स्टेशन से मिली जानकारी के आधार पर, कोलाबा पुलिस की एक टीम उसके घर पहुंची और उसे गिरफ्तार कर लिया। 48 साल बाद पुलिस को अपने दरवाजे पर देखकर 71 वर्षीय कालेकर हैरान रह गया और लगभग उस मामले को भूल चुका था।
पुलिस अधिकारी के अनुसार, पुरानी तस्वीरों से उसे पहचानना मुश्किल था, लेकिन पूछताछ करने पर उसने अपराध स्वीकार कर लिया। आरोपी को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
अपराध
सिंडिकेट बैंक धोखाधड़ी मामला: सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ईडी ने घर खरीदारों को लौटाई संपत्ति

नई दिल्ली, 14 अक्टूबर: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सिंडिकेट बैंक (अब केनरा बैंक) धोखाधड़ी मामले में जब्त की गई ‘रॉयल राजविलास’ परियोजना की संपत्तियों को लौटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह कदम सुप्रीम कोर्ट के 10 अक्टूबर को दिए गए आदेश के बाद उठाया गया है।
यह मामला 2011 से 2016 के बीच सिंडिकेट बैंक से मुख्य आरोपी भरत बंब और अन्य द्वारा की गई 1267.79 करोड़ रुपए की बड़ी धोखाधड़ी से संबंधित है। सीबीआई ने इस संबंध में प्राथमिकी और आरोपपत्र दायर किए थे। ईडी ने इस धोखाधड़ी की आय को ‘रॉयल राजविलास’ परियोजना के अधिग्रहण और विकास में लगाने के आरोप में मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम 2002 के तहत जांच शुरू की थी।
जांच के दौरान, ईडी ने 2 अप्रैल 2019 को एक अनंतिम कुर्की आदेश जारी किया था, जिसके तहत 365 बिना बिके फ्लैट, 17 वाणिज्यिक इकाइयां और 2 प्लॉट कुर्क किए गए थे। इस कुर्की की पुष्टि एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी ने भी की थी।
इसके बाद, याचिकाकर्ता कंपनी को कॉर्पोरेट देनदार के रूप में दिवाला और दिवालियापन संहिता 2016 के तहत कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) में लाया गया। सीआईआरपी के तहत, मुंबई स्थित एनसीएलटी ने 24 फरवरी 2022 को न केवल समाधान योजना को मंजूरी दी, बल्कि ईडी के कुर्की आदेश को भी रद्द कर दिया।
ईडी ने एनसीएटी के इस आदेश को यह कहते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय, जयपुर में चुनौती दी कि एनसीएलटी के पास पीएमएलए के तहत पारित कुर्की आदेश को रद्द करने का अधिकार क्षेत्र नहीं है। यह कानूनी लड़ाई उच्च न्यायालय की एकल पीठ और खंडपीठ दोनों में चली। उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने 28 मार्च 2025 को अपने निर्णय में एकल पीठ के आदेश को रद्द कर दिया।
इसके बाद मामला मेसर्स उदयपुर वर्ल्ड एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड की ओर से दायर एक एसएलपी के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने घर खरीदारों के हितों को सर्वोपरि मानते हुए ईडी को निर्दोष घर खरीदारों को संपत्ति वापस करने का निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने 10 अक्टूबर के अपने आदेश में निदेशालय के इस प्रयास की सराहना करते हुए निपटारा कर दिया। हालांकि, ईडी ने यह स्पष्ट किया है कि पीएमएलए के तहत सिंडिकेट बैंक धोखाधड़ी मामले में उसकी जांच अभी भी जारी है और यदि किसी घर खरीदार द्वारा किए गए भुगतान की राशि भविष्य की जांच में अपराध की आय से जुड़ी पाई जाती है, तो निदेशालय कानून के अनुसार उचित कदम उठाने का हकदार होगा।
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