अपराध
जाति विवाद : क्लीन चिट मिलने पर बोले समीर वानखेड़े, परिवार और बच्चों ने झेला तनाव
एनसीबी मुंबई के पूर्व जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े को कास्ट स्क्रूटनी कमिटी से क्लीन चिट मिल गई है। इस मौके पर समीर वानखेड़े ने कहा कि 11 महीने बाद उन्हें न्याय मिला है, लेकिन इसके बदले में उनके परिवार और बच्चों को तनाव झेलना पड़ा। महाराष्ट्र सरकार में मंत्री रहे नवाब मलिक ने मुंबई एनसीबी के पूर्व जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े पर आरोप लगाए थे कि समीर वानखेड़े मुस्लिम हैं और नौकरी पाने के लिए उन्होंने फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाया है। इस मामले में कास्ट स्क्रूटनी कमिटी ने इन तथ्यों को गलत पाया और समीर वानखेड़े को क्लीन चिट दे दी। कमिटी ने कहा कि समीर वानखेड़े अनुसूचित जाति के अंतर्गत महार जाति से ही ताल्लुक रखते हैं।
मामले की आगे की सुनवाई में शामिल होने नेशनल कमीशन फॉर शेड्यूल कास्ट के दफ्तर में पहुंचे समीर वानखेड़े ने आईएएनएस से खास बातचीत करते हुए कहा कि 11 महीने बाद आखिरकार मुझे न्याय मिला है। इसके लिए उन्होंने नेशनल कमीशन फॉर शेड्यूल कास्ट और केंद्र सरकार का धन्यवाद दिया। समीर वानखेड़े ने कहा कि मेरी 42 साल की जिंदगी में कभी इस तरह के आरोप नहीं लगे।
समीर वानखेड़े का कहना था, कि वो नवाब मलिक पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे, लेकिन जिस तरह के झूठे आरोप मेरे परिवार पर लगाए गए, उससे बच्चों तक ने बेहद तनाव का सामना किया है। समीर वानखेड़े ने बताया कि उन्होंने महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री नवाब मलिक के खिलाफ मुंबई के गोरेगांव पुलिस में मामला भी दर्ज करवाया है, साथ ही मानहानि की धाराओं में भी केस दर्ज किया गया है।
दरअसल, ये पूरा मामला तब सामने आया जब समीर वानखेड़े ने अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान समेत कई लोगों को मुंबई में क्रूज ड्रग्स मामले में पकड़ा था। आर्यन खान को तो इस मामले में क्लीन चिट दे दी गई, लेकिन जांच के दौरान नवाब मलिक ने समीर वानखेड़े पर फिरौती लेने, फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाने समेत कई गंभीर आरोप लगाए थे। इसके अलावा एक शिकायतकर्ता ने भी इसी तरह के आरोप लगाते हुए समीर वानखेड़े का कथित फर्जी जाति प्रमाण पत्र और निकाहनामा जमा किया था।
अपराध
मुंबई: माज़गाँव कोर्ट की स्टेनोग्राफर को 15 लाख रुपये रिश्वत मामले में जमानत मिल गई

मुंबई: अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एजाजुद्दीन सलाउद्दीन काजी से जुड़े कथित रिश्वत मामले में, भ्रष्टाचार मामलों की विशेष अदालत ने शुक्रवार को माजगांव अदालत के स्टेनोग्राफर चंद्रकांत वासुदेव को इस शर्त पर जमानत दे दी कि वह जांच में सहयोग करेंगे।
वासुदेव को 10 नवंबर को जमीन विवाद मामले में अनुकूल फैसला दिलाने के बदले 15 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। अदालत ने 24 नवंबर को उनकी पहली जमानत याचिका खारिज कर दी। दूसरी जमानत याचिका इस आधार पर दायर की गई कि उन्हें आगे हिरासत में रखने की कोई आवश्यकता नहीं है और जांच उन्हें हिरासत में लिए बिना आगे बढ़ सकती है।
अभियोजन पक्ष ने इस याचिका का विरोध करते हुए दावा किया कि उच्च न्यायालय ने न्यायाधीश के विरुद्ध कार्यवाही करने की अनुमति दे दी थी। अभियोजन पक्ष के अनुसार, 9 सितंबर को शिकायतकर्ता का कार्यालय सहयोगी एक याचिका की सुनवाई के लिए सिविल सत्र न्यायालय संख्या 14 में उपस्थित था। उसी दौरान वासुदेव ने न्यायालय के शौचालय में कार्यालय सहयोगी से संपर्क किया और उसे अनुकूल आदेश के लिए “साहब (न्यायाधीश) के लिए कुछ करने” को कहा।
वासुदेव ने कथित तौर पर शिकायतकर्ता से संपर्क किया और एक कैफे में उनसे मुलाकात की, जहां उन्होंने कथित तौर पर अपने लिए 10 लाख रुपये और जज के लिए 15 लाख रुपये की मांग की, जिसे शिकायतकर्ता ने अस्वीकार कर दिया। मामले के विवरण के अनुसार, वासुदेव ने फिर व्हाट्सएप पर शिकायतकर्ता के कार्यालय सहयोगी से संपर्क किया और कहा कि यदि पैसे का भुगतान नहीं किया गया, तो उनके खिलाफ आदेश जारी किया जाएगा। इसके बाद शिकायतकर्ता ने भ्रष्टाचार विरोधी ब्यूरो से संपर्क किया, जिसके बाद एक जाल बिछाया गया।
अभियोजन पक्ष का दावा है कि जाल बिछाने के बाद यह बात रिकॉर्ड में दर्ज है कि वासुदेव ने रिश्वत की रकम की पुष्टि के लिए काज़ी से फोन पर संपर्क किया था। दावा किया गया है कि काज़ी की सहमति के बाद वासुदेव ने रकम स्वीकार कर ली और उसे काज़ी के घर पर पहुंचाने का निर्देश दिया गया। अभियोजन पक्ष के लिए, उक्त बातचीत दोनों के खिलाफ आरोपों को साबित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
अपराध
महाराष्ट्र: बारामती की एक महिला को नौकरी का लालच देकर बीड में तीन पुरुषों ने बलात्कार किया

CRIME
बीड (महाराष्ट्र): पुलिस ने बताया कि पुणे जिले के बारामती की एक महिला को नौकरी दिलाने का लालच देकर महाराष्ट्र के बीड जिले में तीन पुरुषों ने कथित तौर पर बलात्कार किया।
उन्होंने बताया कि कथित घटना छह महीने पहले हुई थी और इस संबंध में कुछ दिन पहले एक महिला सहित चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।
आरोपी महिला ने बीड जिले के अंबाजोगाई स्थित एक कला केंद्र में नौकरी दिलाने के बहाने पीड़िता को बहला-फुसलाकर अपने जाल में फंसाया।
हालांकि, पीड़िता के यहां पहुंचने के बाद, महिला और दो अन्य व्यक्तियों ने उस पर हमला किया और उसे जबरन कस्बे के एक लॉज में ले गए, जहां कथित तौर पर तीन पुरुषों ने उसके साथ बलात्कार किया, अंबाजोगाई पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने पीड़िता की शिकायत का हवाला देते हुए कहा।
उन्होंने यह भी कहा कि उसे वेश्यावृत्ति में धकेलने के भी प्रयास किए गए थे।
पीड़िता हाल ही में अपनी मां से संपर्क करने में कामयाब रही, जो तुरंत अंबाजोगाई पहुंची, अपनी बेटी को बचाया और उसे वापस बारामती ले आई।
अधिकारी ने बताया कि इसके बाद बारामती पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया और आगे की जांच के लिए मंगलवार को इसे अंबाजोगाई ग्रामीण पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित कर दिया गया।
पुलिस ने आगे बताया कि मामले की आगे की जांच जारी है।
अपराध
दिल्ली क्राइम ब्रांच ने 5 साल से फरार रोहित बलारा को किया गिरफ्तार, पैरोल पर आने के बाद से था फरार

नई दिल्ली, 16 दिसंबर: दिल्ली क्राइम ब्रांच ने पैरोल पर 5 साल से फरार रोहित बलारा को द्वारका से गिरफ्तार किया है। आरोपी को नेब सराय थाना क्षेत्र में 8 वर्षीय नाबालिग लड़के के साथ यौन शोषण के मामले में दोषी ठहराया जा चुका है और वह 2021 से फरार था।
पुलिस के अनुसार, रोहित बलारा को कोविड-19 महामारी के दौरान वर्ष 2021 में 90 दिनों की इमरजेंसी पैरोल दी गई थी, लेकिन पैरोल अवधि समाप्त होने के बाद उसने आत्मसमर्पण नहीं किया और फरार हो गया। जेल प्रशासन की तरफ से बार-बार नोटिस जारी किए जाने के बावजूद उसने आत्मसमर्पण नहीं किया और लगातार फरार चल रहा था।
उन्होंने बताया कि पुलिस ने इसकी गिरफ्तारी के लिए कई बार इसके घर और अन्य स्थानों पर तलाशी ली, लेकिन वो वहां नहीं मिला। पुलिस के आने की सूचना उसे पहले ही मिल जाती थी और वो फरार हो जाता था।
मामले की गंभीरता को देखते हुए मामला क्राइम ब्रांच को दिया गया। इस टीम का नेतृत्व इंस्पेक्टर गौतम मलिक ने किया। टीम ने मुखबिर की सूचना और एडवांस्ड मोबाइल सर्विलांस के माध्यम से फरार आरोपी बलारा को द्वारका से गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आरोपी की गिरफ्तारी के लिए टीम लगातार छापेमारी कर रही थी। बलारा पुलिस से बचने के लिए लगातार अपने ठिकाने भी बदल रहा था। आखिरकार टीम को पुख्ता सूचना मिली कि रोहित बलारा द्वारका में छिपा हुआ है। सूचना मिलने पर टीम ने इलाके को घेरकर उसे गिरफ्तार कर लिया।
बता दें कि रोहित बलारा नेब सराय का ही निवासी है और उसने स्थानीय सरकारी स्कूल से सातवीं तक पढ़ाई की है। वर्ष 2019 में लंबी जांच और ट्रायल के बाद उसे दोषी ठहराते हुए साढ़े तीन साल की सजा सुनाई गई थी। गिरफ्तारी के साथ ही वर्षों से फरार आरोपी को भगाने में कई लोग शामिल थे।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि ऐसे लोगों की पहचान की जा रही है, जल्द ही उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। रोहित बलारा से पूछताछ भी की जा रही है, जिससे सभी लोगों का नाम जल्द से जल्द सामने आ सके।
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