राष्ट्रीय समाचार
कलकत्ता हाईकोर्ट ने सचिवालय के पास कर्मचारियों के आंदोलन की अनुमति के आदेश को रखा बरकरार

कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने शुक्रवार को उसी अदालत की पिछली एकल-न्यायाधीश पीठ को बरकरार रखा, जिसने पश्चिम बंगाल सरकार के कर्मचारियों को राज्य सरकार के कर्मचारियों के संयुक्त मंच के तहत विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति दी थी। केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बराबर महंगाई भत्ता (डीए) और उस पर मिलने वाले बकाया की मांग के समर्थन में राज्य सचिवालय के सामने प्रदर्शन किया।
हालांकि आंदोलन शुक्रवार सुबह से ही शुरू हो चुका है, राज्य सरकार ने उसी सुबह मुख्य न्यायाधीश शिवगणम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ से संपर्क किया, इसमें न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की एकल-न्यायाधीश पीठ द्वारा गुरुवार को विरोध प्रदर्शन की अनुमति देने वाले पहले के आदेश को चुनौती दी गई।
हालांकि, खंडपीठ ने भी प्रदर्शन की अवधि एक दिन कम करके शनिवार शाम 4 बजे तक करते हुए एकल-न्यायाधीश पीठ के आदेश को बरकरार रखा था।
खंडपीठ ने कहा कि चूंकि प्रदर्शन पहले ही शुरू हो चुका है, इसलिए इसे जारी रखने की अनुमति देना बेहतर है, लेकिन केआगामी क्रिसमस त्यौहार को ध्यान में रखते हुए शनिवार शाम चार बजे तक। ।
खंडपीठ ने यह भी निर्देश दिया कि प्रदर्शन स्थल से शांति भंग करने वाला कोई भी भड़काऊ बयान नहीं दिया जा सकता।
संयुक्त मंच के प्रतिनिधियों को खंडपीठ के फैसले से जीत की गंध आ रही है। उनके मुताबिक राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन शुरू से ही उनके शांतिपूर्ण प्रदर्शन में बाधाएं पैदा करने की कोशिश कर रहा था. संयुक्त मंच के संयोजक भास्कर घोष ने कहा, “लेकिन हमें न्यायपालिका पर भरोसा था।”
गुरुवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए अतिरिक्त चार फीसदी डीए की घोषणा की थी, हालाँकि, संयुक्त मंच ने इस वृद्धि को महज एक दिखावा बताया है क्योंकि केंद्र सरकार के कर्मचारियों के साथ अभी भी 36 प्रतिशत का अंतर बना हुआ है।
राजनीति
बिहार की मतदाता सूची के मसौदे पर अब तक किसी राजनीतिक दल ने आपत्ति दर्ज नहीं कराई

नई दिल्ली, 8 अगस्त। भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) बिहार की मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण कर रहा है। नागरिकों को पूरी जानकारी देने के लिए नियमित रूप से प्रेस नोट और विज्ञापन जारी किए जा रहे हैं। इसी क्रम में शुक्रवार को दैनिक बुलेटिन जारी करते हुए चुनाव आयोग ने जानकारी दी कि बिहार की मसौदा मतदाता सूची के संबंध में किसी भी राजनीतिक दल ने पिछले 7 दिन में कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई है।
चुनाव आयोग ने दोहराया कि बिहार की अंतिम मतदाता सूची में किसी भी पात्र मतदाता को न छोड़ा जाए और न ही किसी अपात्र मतदाता को शामिल किया जाए। इस दिशा में 1 अगस्त को प्रकाशित मसौदा मतदाता सूची में किसी भी त्रुटि को सुधारने के लिए अपने दावे और आपत्तियां दर्ज करा सकते हैं।
अहम यह है कि विपक्ष लगातार एसआईआर प्रक्रिया का विरोध कर रहा है। बड़ी संख्या में लोगों को मतदाता सूची से बाहर करके उनके अधिकार छीनने का आरोप लगाया जा रहा है, लेकिन मसौदा मतदाता सूची में नाम हटाने या सुधारों को लेकर किसी भी राजनीतिक दल के बीएलए ने आपत्ति दर्ज नहीं कराई। चुनाव आयोग ने बूथ-वार मसौदा मतदाता सूची 1 अगस्त को प्रकाशित की थी, जो सभी राजनीतिक दलों के साथ साझा भी की गई।
चुनाव आयोग ने यह भी जानकारी दी कि बिहार के सभी 12 मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों ने भी अपने बीएलए की संख्या 1,38,680 से बढ़ाकर 1,60,813 कर दी है।
इस बीच, बिहार लंबी कतारों से बचने के लिए प्रति बूथ मतदाताओं की संख्या 1,200 तक सीमित करने वाला पहला राज्य बन गया। मतदान केंद्रों की संख्या 77,895 से बढ़ाकर 90,712 कर दी गई। इसी तरह, बीएलओ की संख्या भी 77,895 से बढ़ाकर 90,712 कर दी गई। बिहार के मतदाताओं की सहायता के लिए, स्वयंसेवकों की संख्या भी 1 लाख की जा रही है।
राजनीति
जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने को लेकर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज

SUPRIM COURT
नई दिल्ली, 8 अगस्त। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी।
वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बी.आर. गवई के समक्ष यह याचिका प्रस्तुत की, जिन्होंने पुष्टि की थी कि मामले की सुनवाई 8 अगस्त (शुक्रवार) को होगी।
जहूर अहमद भट और कार्यकर्ता खुर्शीद अहमद मलिक की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि राज्य का दर्जा बहाल करने में लगातार हो रही देरी “जम्मू और कश्मीर के नागरिकों के अधिकारों को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है और संघवाद की अवधारणा का भी उल्लंघन कर रही है।”
आवेदकों का तर्क है कि समयबद्ध सीमा के भीतर राज्य का दर्जा बहाल न करना संघवाद का उल्लंघन है, जो संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है।
इसमें कहा गया है कि तत्कालीन सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5-न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सम्मुख सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आश्वासन दिया था कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल करेगी। हालांकि, कोर्ट ने इस बहाली के लिए कोई स्पष्ट समय सीमा नहीं दी थी।
हालांकि, भारत के चुनाव आयोग को पुनर्गठन अधिनियम की धारा 14 के तहत गठित जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव 30 सितंबर, 2024 तक कराने के लिए कदम उठाने का आदेश दिया गया था और कहा गया था कि “राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किया जाएगा।”
पिछली सुनवाई के दौरान, एसजी मेहता ने अदालत को बताया था कि केंद्रीय गृह मंत्रालय कोई विशिष्ट समय-सीमा नहीं बता सकता और राज्य का दर्जा बहाल करने में “कुछ समय” लगेगा।
मई 2024 में, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले को चुनौती देने वाली पुनर्विचार याचिकाओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि “रिकॉर्ड में कोई त्रुटि स्पष्ट नहीं है” और मामले को खुली अदालत में सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया।
राष्ट्रीय समाचार
अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी पर उच्च स्तरीय बैठक, पीएम मोदी करेंगे अध्यक्षता

नई दिल्ली, 8 अगस्त। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को दोपहर 1 बजे एक महत्वपूर्ण उच्च स्तरीय कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता करेंगे। इस बैठक में अमेरिकी टैरिफ से पड़ने वाले प्रभाव को लेकर गंभीर मंत्रणा होगी।
यह कदम अमेरिका की ओर से भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने के फैसले के बाद दोनों देशों के बीच बढ़ते व्यापार तनाव के बीच उठाया गया है।
इस बैठक में अमेरिकी कार्रवाई पर भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया पर चर्चा होने की उम्मीद है।
टैरिफ के ताजा हालात की बात करें तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को इसमें 25 प्रतिशत की अतिरिक्त वृद्धि की घोषणा की है। इस घोषणा में भारत द्वारा रूसी कच्चे तेल के लगातार आयात को इसका मुख्य कारण बताया गया। यह 20 जुलाई से लागू हुए पिछले 25 प्रतिशत टैरिफ के अतिरिक्त है।
अमेरिकी कदम पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, विदेश मंत्रालय ने इस फैसले को ‘अनुचित और अविवेकपूर्ण’ करार दिया था और कहा था कि “भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं और रणनीतिक स्वायत्तता का सम्मान किया जाना चाहिए।”
नए टैरिफ लागू होने के तुरंत बाद एक सार्वजनिक बयान में, प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के किसानों, पशुपालकों और मछुआरों के प्रति अपनी सरकार के अटूट समर्थन को दोहराया।
गुरुवार को दिल्ली में एमएस स्वामीनाथन शताब्दी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में उन्होंने कहा, “किसानों का हित हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत अपने किसानों, पशुपालकों और मछुआरों के हितों से कभी समझौता नहीं करेगा। मुझे पता है कि मुझे व्यक्तिगत रूप से इसके लिए भारी कीमत चुकानी पड़ेगी, लेकिन मैं तैयार हूं। भारत अपने किसानों, मछुआरों और पशुपालकों के हित में तैयार है।”
बता दें कि ट्रंप ने गुरुवार को टैरिफ पर भारत के साथ बातचीत से इनकार कर दिया। जब एक पत्रकार ने उनसे पूछा कि क्या 27 अगस्त से लागू होने वाले 50 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा के बाद उन्हें और बातचीत की उम्मीद है, तो उन्होंने कहा, “नहीं, जब तक हम इसे हल नहीं कर लेते।”
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