राजनीति
मध्य प्रदेश में उप-चुनाव ‘विकास’ बनाम ‘विश्वासघात’ : भूपेंद्र सिंह

भारतीय जनता पार्टी की मध्य प्रदेश इकाई के चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक और शिवराज सरकार में नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह का कहना है कि राज्य में होने वाले विधानसभा के उप-चुनाव ‘विकास’ बनाम ‘विश्वासघात’ के बीच होने वाले हैं। भाजपा का लक्ष्य विकास और स्थायित्व है तो दूसरी ओर कांग्रेस विश्वासघात और धोखे की राजनीति करती है।
नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने आईएएनएस से खास बातचीत में कहा, कांग्रेस पिछले चुनाव में किसानों की कर्जमाफी और बेरोजगारों को भत्ता देने का वादा करके सत्ता में आई थी और उसने लगभग 100 पेज का वचन पत्र भी जारी किया था, मगर हुआ क्या, यह सबके सामने है। यही कारण रहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके साथियों ने वादा खिलाफी करने वाली कांग्रेस का साथ छोड़ दिया और वे भाजपा में शामिल हो गए।
राज्य में 28 विधानसभा क्षेत्रों में 3 नवंबर को उप चुनाव होने वाले हैं। इस चुनाव में भाजपा को आखिर मतदाता क्यों वोट दें, इस सवाल पर भूपेंद्र सिंह का कहना है कि, प्रदेश की जनता ने कांग्रेस के 15 महीने का शासन देखा है, कांग्रेस चुनाव में जो वादा करके सत्ता में आई थी, उसे सत्ता में आते ही कांग्रेस ने भुला दिया। जनता के साथ कांग्रेस ने धोखा किया, वहीं दूसरी ओर भाजपा विकास की राजनीति करती है और स्थायित्व वाली सरकार देने में सक्षम है। यही दो ऐसे मुद्दे हैं जिन पर जनता का भाजपा को साथ मिलेगा।
भाजपा द्वारा दलबदल कराने वाले नेताओं को उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर कांग्रेस हमलावर है और सवाल उठा रही है कि आखिर दलबदल करने वालों पर भरोसा कैसे किया जाए। इस सवाल पर भूपेंद्र सिंह ने कहा, जिन नेताओं ने दलबदल किया है उन्होंने जनता की खातिर ही कांग्रेस छोड़ी और भाजपा में आए हैं क्योंकि कांग्रेस की सरकार ने जनता के साथ धोखा किया था। कांग्रेस की सरकार ने वचन पूरे नहीं किए, तभी तो उन नेताओं ने पार्टी छोड़ी। वास्तव में उन नेताओं ने तो जनता के लिए त्याग किया है, वे विधायक थे, मंत्री थे, उन्हें किसी चीज की कमी नहीं थी, मगर कांग्रेस ने जनता के साथ धोखेबाजी की तो उन नेताओं ने सत्ता ही त्याग दी।
भूपेंद्र सिंह ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि, यह चुनाव प्रत्याशी आधारित नहीं है बल्कि भाजपा विकास के मुद्दे पर लड़ रही है। यह चुनाव शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में लड़ा जा रहा है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के राजनीतिक प्रभाव को लेकर पूछे गए सवाल पर भूपेंद्र सिंह ने कहा कि, सिंधिया के भाजपा में आने से पार्टी को लाभ मिलेगा। सिंधिया बड़ी ताकत हैं, राज्य के बड़े नेता हैं, कांग्रेस ने उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ा था। ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में तो कांग्रेस सिंधिया पर ही आधारित थी। उनके कांग्रेस छोड़ने से पार्टी लगभग समाप्त होने की स्थिति में आ गई है। इसका भाजपा को लाभ मिलेगा।
किसान कर्ज माफी को लेकर भाजपा और कांग्रेस के अपने-अपने तर्क हैं। सिंह का कहना है कि कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में 10 दिन में किसान कर्जमाफी की बात कही थी, अगर वास्तव में कर्जमाफी हुई हेाती तो लोकसभा के चुनाव में राज्य से कांग्रेस का सफाया नहीं हुआ होता। सब साफ है, कांग्रेस ने जनता के साथ सिर्फ विश्वासघात ही किया है।
महाराष्ट्र
हजरत सैयद बाले शाह पीर दरगाह ध्वस्तीकरण आदेश, चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश, दरगाह प्रबंधन को राहत

मुंबई: भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने मुंबई के मीरा भयंदर स्थित हजरत सैयद बाले शाह पीर दरगाह को संरक्षण प्रदान किया है तथा चार सप्ताह के लिए ध्वस्तीकरण प्रक्रिया पर रोक लगाने का आदेश जारी किया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। महाराष्ट्र सरकार चार सप्ताह के भीतर अदालत में जवाब दाखिल करेगी, जिसके बाद ही दरगाह को गिराने की प्रक्रिया पर निर्णय लिया जाएगा।
राज्य के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बांकोले ने सदन में 20 मई तक धर्मस्थल को ध्वस्त करने का आदेश जारी किया था और सार्वजनिक बयान भी जारी किया था, लेकिन किसी तरह का कोई नोटिस जारी नहीं किया गया। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति एजी मसीह की पीठ ने ध्वस्तीकरण प्रक्रिया पर प्रभावी रोक लगाने का आदेश दिया और दरगाह प्रशासन द्वारा दायर याचिका पर महाराष्ट्र सरकार से जवाब भी मांगा।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि किसी सरकारी नोटिस के अभाव के बावजूद, राज्य विधानसभा में मंत्री के सार्वजनिक बयानों और हाल की पुलिस रिपोर्ट के आधार पर ध्वस्तीकरण का आदेश दिया गया। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि दरगाह 350 साल पुरानी है और फिर भी राज्य सरकार ने इसे अवैध संरचना के रूप में वर्गीकृत किया है। ट्रस्ट ने दावा किया है कि संपत्ति का औपचारिक पंजीकरण भी 2022 में कराने की मांग की गई है और यह मंदिर दशकों से उसी स्थान पर स्थित है। याचिकाकर्ता के अनुसार, बॉम्बे हाईकोर्ट की अवकाश पीठ ने 15 और 16 मई को तत्काल सुनवाई की याचिकाओं को गलती से खारिज कर दिया था। दरगाह प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पुलिस ने 15 मई को एक नोटिस भी जारी किया था। नोटिस में ट्रस्ट के सदस्यों को चेतावनी दी गई थी कि वे विध्वंस प्रक्रिया में बाधा या व्यवधान न डालें। ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया 20 मई के लिए निर्धारित की गई है।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई बिना किसी कानूनी आदेश या उचित प्रक्रिया, जैसे नोटिस या सुनवाई का अवसर दिए बिना की गई, जो उनके अधिकारों का उल्लंघन है। सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई चार सप्ताह के लिए स्थगित कर दी और महाराष्ट्र सरकार को उस समयावधि के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया।
अपराध
झारखंड के शराब घोटाले में आईएएस विनय चौबे से एंटी करप्शन ब्यूरो ने शुरू की पूछताछ

रांची, 20 मई। झारखंड में शराब घोटाले में पीई (प्रिलिमिनरी इन्क्वायरी) दर्ज करने के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो ने आईएएस और तत्कालीन एक्साइज सेक्रेटरी विनय कुमार चौबे से पूछताछ शुरू की है।
मंगलवार को एसीबी की टीम उनके आवास पर पहुंची और इसके बाद उन्हें अपने साथ कार्यालय लेकर पहुंची है।
सूत्रों के अनुसार, उनसे उनके कार्यकाल में झारखंड में छत्तीसगढ़ की तर्ज पर लागू हुई एक्साइज पॉलिसी की कथित गड़बड़ियों के बारे में पूछताछ की जा रही है।
दरअसल, इस मामले की जड़ें छत्तीसगढ़ से जुड़ी हैं, जहां शराब घोटाले में स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड के अफसरों और कई बड़े कारोबारियों की भूमिका सामने आई है।
छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की जांच वहां की आर्थिक अपराध शाखा ने शुरू की थी। इसके बाद ईडी ने भी इस मामले में जांच शुरू की।
ईडी को इस दौरान यह भी जानकारी मिली कि जिस सिंडिकेट ने छत्तीसगढ़ में शराब घोटाला किया, उसी ने झारखंड में भी नई उत्पाद नीति लागू करवाई और यहां भी उसी तर्ज पर घोटाला दोहराया गया।
इसी आधार पर ईडी की छत्तीसगढ़ इकाई ने झारखंड के तत्कालीन एक्साइज सेक्रेटरी विनय चौबे को समन जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया था।
पूछताछ के दौरान चौबे ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा था कि उत्पाद नीति सरकार की सहमति से लागू की गई थी। बाद में झारखंड के एक व्यक्ति ने छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा में प्राथमिकी दर्ज कराते हुए आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ के शराब सिंडिकेट ने ही झारखंड में सुनियोजित घोटाला किया।
इसके बाद ईडी ने इसमें ईसीआईआर दर्ज कर जांच शुरू की और अक्टूबर 2024 में आईएएस विनय चौबे सहित कई लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की थी।
जानकारी के अनुसार, छत्तीसगढ़ आर्थिक अपराध शाखा में एक प्राथमिकी दर्ज होने के बाद झारखंड एसीबी ने राज्य सरकार की अनुमति के बाद पीई दर्ज कर जांच शुरू की है।
राजनीति
नाना पटोले ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखा पत्र, प्रोटोकॉल न मानने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग

नई दिल्ली, 20 मई। महाराष्ट्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नाना पटोले ने मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा है। पत्र में मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई के दौरे को लेकर प्रोटोकॉल का पालन न करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई करने की मांग की है।
नाना पटोले ने लिखा, “आपको यह पत्र लिखते समय अत्यंत पीड़ा हो रही है। बहुजन समाज के गौरव, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई का महाराष्ट्र सरकार एवं राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा अपमान किया गया है। एक महाराष्ट्र पुत्र के रूप में उनका मुंबई में सत्कार करने का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में प्रोटोकॉल के अनुसार राज्य महाराष्ट्र के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और मुंबई पुलिस आयुक्त की उपस्थिति अपेक्षित थी, परंतु दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हुआ। अंततः मुख्य न्यायाधीश ने अपने भाषण में यह टिप्पणी की कि मेरे इस कार्यक्रम में इन अधिकारियों को आने की योग्यता नहीं लगती, तो यह विचार उन्हें स्वयं करना चाहिए। यह वक्तव्य अत्यंत दुखदायक है और यह स्पष्ट संकेत देता है कि महाराष्ट्र सरकार अपने ही सुपुत्र का सम्मान करने में विफल रही है।”
उन्होंने आगे लिखा, “न्यायमूर्ति भूषण गवई डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के विचारों के अनुयायी हैं, इस कारण उनके साथ यह व्यवहार जानबूझकर किया गया ऐसा संदेह संपूर्ण महाराष्ट्र में व्यक्त किया जा रहा है। संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्तियों के सम्मान के लिए एक निर्धारित प्रोटोकॉल होता है। ऐसा प्रतीत होता है कि महाराष्ट्र सरकार ने इस प्रोटोकॉल की अवहेलना की है।”
पटोले ने अंत में विनम्र अपील की। कहा- यह अपमान केवल भूषण गवई का नहीं, बल्कि महात्मा ज्योतिबा फुले, छत्रपति शाहू महाराज और डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर का भी है। इस अपमान के लिए राज्य सरकार और संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए, ऐसी आपसे विनम्र प्रार्थना करता हूं। आपकी कार्रवाई से भविष्य में कोई भी सरकार और अधिकारी किसी संवैधानिक पद पर बैठे शख्स का अपमान करने का साहस नहीं करेंगे, ऐसी अपेक्षा करता हूं।
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