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Monday,21-July-2025
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महाराष्ट्र

बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा, ‘तेजी से गाड़ी चलाना अपराध नहीं, लापरवाही से गाड़ी चलाना है’

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Bombay High Court

बंबई उच्च न्यायालय ने एक ऐसे व्यक्ति के बरी होने को बरकरार रखा है जिसकी कार ने कथित तौर पर एक साइकिल सवार और एक बैल को मार डाला था और कहा था कि तेजी से कार चलाना अपराध नहीं है; अधिनियम केवल तभी दंडनीय है जब यह उतावलापन और लापरवाही हो। “ड्राइविंग का कार्य केवल तभी दंडनीय है जब यह उतावलापन और लापरवाही हो। उतावलेपन का तात्पर्य गति से है जो अनुचित है। जबकि लापरवाही के कार्य में उचित देखभाल न करना और वाहन चलाते समय ध्यान देना शामिल है, ”इस महीने की शुरुआत में जस्टिस एसएम मोदक ने कहा।

हाई कोर्ट कुलदीप पवार को बरी किए जाने को चुनौती देने वाली अपील पर सुनवाई कर रहा था
उच्च न्यायालय कुलदीप पवार को बरी किए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई कर रहा था। अभियोजन पक्ष के अनुसार, 1 नवंबर, 2009 को सुबह 8.30 बजे, बैलगाड़ी के मालिक वसंत देसाई और बालासो माने गांव तसगांव के पास एक सड़क पर साइकिल चला रहे थे। उस समय, पवार अपनी टाटा सूमो में तेज गति से गाड़ी चला रहे थे, और कथित तौर पर बैल और फिर माने में धराशायी हो गए। पुलिस ने पवार पर गैर इरादतन हत्या का आरोप लगाया है, जो हत्या की श्रेणी में नहीं आता है। पवार को 24 अगस्त, 2011 को बरी कर दिया गया था। राज्य ने उनके बरी होने को चुनौती देते हुए एचसी का दरवाजा खटखटाया था। राहगीरों में से एक ने गवाही दी कि माने और बैल से टकराते ही कार तेजी से आई। हालांकि, न्यायमूर्ति मोदक ने कहा कि अन्य उपलब्ध सामग्रियों के आधार पर साक्ष्य की सराहना की जानी चाहिए।

न्यायाधीश ने कहा कि केवल गति दंडनीय नहीं है
न्यायाधीश ने कहा कि केवल गति दंडनीय नहीं है, जब तक कि कार को उतावलेपन और लापरवाही से नहीं चलाया जाता है। हाईकोर्ट ने कहा कि जहां तक बैलगाड़ी के निर्देशों का संबंध है, बैलगाड़ी के मालिक और एक चश्मदीद गवाह ने पूरी तरह से विपरीत बयान दिया। यानी कला दक्षिण से उत्तर की ओर बढ़ रही थी या इसके विपरीत। गाड़ी वाले ने कहा कि वह उत्तर से दक्षिण की ओर जा रहा है। स्थल पंचनामा के अनुसार बैलगाड़ी दक्षिण की ओर लेटी हुई थी और पूर्वी दिशा की ओर मुंह किए हुए थी। हालांकि, पंच गवाह ने कहा कि बैलगाड़ी सड़क के उत्तरी किनारे पर मिली थी। हाईकोर्ट ने कहा कि वह यह निष्कर्ष नहीं निकाल सका कि कार, बैलगाड़ी और साइकिल सवार किस दिशा में जा रहे थे। “दोनों पक्षों (अभियोजन पक्ष और अभियुक्त) की सहायता से, मैं दस्तावेजी साक्ष्य और मौखिक साक्ष्य के अनुसार दिशा को समझने की कोशिश कर रहा हूं। हमने इसे विभिन्न कोणों से समझने की कोशिश की है लेकिन हम किसी विशेष निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके।’

पवार के वकील ने कहा कि जांच अधिकारी चश्मदीद गवाह नहीं है
पवार के वकील आशीष सतपुते ने प्रस्तुत किया कि दुर्घटनास्थल पर चाय की दुकानें थीं; हालाँकि, इनमें से किसी भी स्वतंत्र चश्मदीद गवाह के बयान पुलिस द्वारा दर्ज नहीं किए गए थे। सातपुते ने कहा कि जिस पुलिसकर्मी से अभियोजन पक्ष ने पूछताछ की थी, वह इस घटना का चश्मदीद गवाह नहीं है और उसका सबूत केवल वही है जो उसने घटना के बाद देखा है। अदालत ने महसूस किया कि यह “वास्तव में एक अजीब स्थिति” थी – कि, न तो जांच अधिकारी ने कोई नक्शा/रफ स्केच तैयार किया है, और न ही “ट्रायल कोर्ट ने सबूतों में निर्देशों को सही ढंग से दर्ज करने में दर्द उठाया है”। “यह सच है कि दुर्घटना का परिणाम बैल और साइकिल चालक की मृत्यु है। साक्ष्य के अभाव में, विचारण न्यायालय प्रतिवादी द्वारा उतावलेपन और लापरवाही से गाड़ी चलाने के निष्कर्ष पर नहीं पहुँच सका। यहां तक कि यह अदालत भी उपरोक्त कारणों से उस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पा रही है।’

महाराष्ट्र

2006 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट मामला: बॉम्बे हाईकोर्ट ने सभी 12 आरोपियों को बरी किया, कहा- “प्रॉसिक्यूशन केस साबित करने में पूरी तरह विफल रहा”

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मुंबई, 21 जुलाई 2025 — साल 2006 में हुए मुंबई लोकल ट्रेन धमाकों के मामले में बड़ा फैसला सामने आया है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस केस में दोषी ठहराए गए सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन (प्रॉसिक्यूशन) पक्ष आरोपियों के खिलाफ केस साबित करने में “पूरी तरह नाकाम” रहा।

यह फैसला न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की खंडपीठ ने सुनाया। इससे पहले 2015 में एक विशेष एमसीओका (MCOCA) अदालत ने इनमें से कुछ को फांसी और बाकी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने इन सज़ाओं को पलटते हुए कहा कि जांच में गंभीर खामियां थीं और प्रस्तुत साक्ष्य अपर्याप्त व असंगत थे।

पृष्ठभूमि: देश को हिला देने वाला हमला

11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में शाम के व्यस्त समय के दौरान लगातार सात बम धमाके हुए थे। इन विस्फोटों में 189 लोगों की मौत हुई थी और 800 से अधिक घायल हुए थे। हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था और पुलिस ने व्यापक कार्रवाई करते हुए 12 लोगों को गिरफ्तार किया था।

इन सभी पर आरोप था कि वे प्रतिबंधित संगठन सिमी (SIMI) और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जुड़े थे और उन्होंने प्रेशर कुकर में बम रखकर ट्रेनों में विस्फोट किया।

कोर्ट की टिप्पणियाँ

हाईकोर्ट ने कहा कि एंटी-टेररिज़्म स्क्वाड (ATS) द्वारा की गई जांच में गंभीर खामियां थीं। कोर्ट ने विशेष रूप से इस बात पर चिंता जताई कि अधिकतर केस केवल स्वीकृत बयानों पर आधारित था, जिनकी पुष्टि स्वतंत्र साक्ष्यों से नहीं की जा सकी।

जजों ने यह भी कहा कि FIR दर्ज करने में देरी हुई और MCOCA के तहत आरोपियों के बयानों को लेने की प्रक्रिया में भी अनियमितताएं थीं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि न्याय की प्राप्ति के लिए ईमानदार और निष्पक्ष जांच आवश्यक है।

मानवाधिकार और कानूनी प्रभाव

इस फैसले के बाद देश में गलत आरोप और लंबी न्याय प्रक्रिया को लेकर नई बहस छिड़ गई है। कई मानवाधिकार संगठनों ने फैसले का स्वागत किया है और जांच अधिकारियों की जवाबदेही तय करने की मांग की है।

वहीं महाराष्ट्र सरकार ने फैसले पर चिंता जताई है और सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के विकल्पों पर विचार कर रही है।

कोर्ट के बाहर की प्रतिक्रियाएं

कोर्ट परिसर के बाहर बरी हुए आरोपियों के परिजन भावुक हो गए। कई लोगों ने 17 साल जेल में गुजारे हैं। एक वकील ने कहा, “न्याय में देरी हुई है, लेकिन अंततः न्याय मिला है। यह फैसला दिखाता है कि संवेदनशील मामलों में जल्दबाज़ी से न्याय नहीं हो सकता।”

वहीं, हमले के पीड़ितों के परिजन इस फैसले से दुखी हैं और उनका कहना है कि यह निर्णय उन घावों को फिर से खोल देता है जो कभी भरे ही नहीं थे।

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महाराष्ट्र

महारास्ट्र के कोंकण रीजन के रत्नागिरी जिले में दुखद घटना की खबर सामने आई है,रत्नागिरी के टूरिस्ट प्लेस आरे-वारे बीच पर बड़ा हादसा –ठाणे जिले के मुंब्रा इलाके के चार पर्यटकों की डूबकर मौत

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रत्नागिरी के प्रसिद्ध आरे-वारे समुद्र किनारे आज शनिवार शाम एक भीषण हादसा सामने आया, जहां ठाणे-मुंब्रा से आए चार पर्यटकों की समुद्र में डूबकर मौत हो गई। मृतकों में तीन महिलाएं और एक पुरुष शामिल हैं। हादसा शाम करीब 6:30 बजे हुआ जब ये पर्यटक बीच पर नहाने के दौरान समुद्र की तेज लहरों की चपेट में आ गए।

मृतकों की पहचान इस प्रकार हुई है:

उज़मा शेख (उम्र 18 वर्ष)

उमेरा शेख (उम्र 29 वर्ष)

जैनब काज़ी (उम्र 26 वर्ष)

जुनैद काज़ी (उम्र 30 वर्ष)

प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह सभी रत्नागिरी में अपने रिश्तेदारों से मिलने आए थे और शनिवार को समुद्र तट पर घूमने निकले थे। मौसम विभाग की चेतावनी और स्थानीय मछुआरों की हिदायतों के बावजूद सभी पर्यटक rough sea (खारे और उग्र समुद्र) में उतर गए। बारिश और खराब मौसम के चलते समुद्र में लहरें बहुत उग्र थीं।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, चारों लोग समुद्र में मस्ती कर रहे थे, तभी अचानक एक तेज लहर आई और उन्हें खींच ले गई। स्थानीय ग्रामीण और मछुआरे तुरंत बचाव के लिए समुद्र में कूदे, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। लगभग 30 मिनट के भीतर सभी चार शव बरामद कर लिए गए।

घटना की जानकारी मिलते ही रत्नागिरी पोलीस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक राजेंद्र यादव अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे और पंचनामा व प्राथमिक जांच शुरू की। शवों को रत्नागिरी सिविल हॉस्पिटल में पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है।

आरे-वारे बीच पर पहले से ही ‘नो स्विमिंग’, ‘खतरनाक समुद्र’ जैसे चेतावनी बोर्ड लगे हैं। इसके बावजूद हर वर्ष भारी संख्या में पर्यटक इन चेतावनियों को नजरअंदाज कर समुद्र में उतरते हैं, जिससे हादसे होते हैं। स्थानीय प्रशासन और कोस्ट गार्ड बार-बार मानसून के दौरान समुद्र में न उतरने की अपील करता है

घटना के बाद स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन से मांग की है कि आरे-वारे बीच जैसे संवेदनशील इलाकों में गार्ड तैनात किए जाएं, तथा मानसून में पर्यटन पर प्रतिबंध लगाया जाए।

यह हादसा एक बार फिर चेतावनी देता है कि प्राकृतिक सौंदर्य के आकर्षण में लापरवाही जानलेवा हो सकती है। प्रशासन ने भी आमजन से अपील की है कि मौसम विभाग की चेतावनियों का पालन करें और समुद्री क्षेत्रों में सुरक्षा निर्देशों को अनदेखा न करें।

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महाराष्ट्र

आग्रीपाड़ा में लक्ज़री कार चोरी का मामला सुलझा, दो कुख्यात अपराधी गिरफ्तार

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मुंबई, 19 जुलाई 2025 – आग्रीपाड़ा पुलिस ने एक लक्ज़री कार चोरी के मामले को सुलझाते हुए दो शातिर अपराधियों को गिरफ्तार किया है और एक महंगी स्कोडा कार बरामद की है।

यह घटना 11 जुलाई 2025 की है, जब डॉ. आनंदराव नाईक रोड, आग्रीपाड़ा स्थित सूयश टूर्स एंड ट्रैवेल्स की स्कोडा कार (MH01DW 4778) चोरी हो गई थी। इस मामले में आग्रीपाड़ा पुलिस थाने में FIR क्रमांक 332/2025 के तहत भारतीय दंड संहिता की धारा 379 (चोरी), 317(2), और 3(5) के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया।

तकनीकी निगरानी और गुप्त जानकारी के आधार पर पुलिस ने दो आदतन अपराधियों को गिरफ्तार किया:

  1. मोहिद्दीन उर्फ काका शेख दुरैश, उम्र 19 वर्ष, निवासी नागपाड़ा
  2. वाजिद अंजुम खान, उम्र 24 वर्ष, निवासी चूनाभट्टी

दोनों आरोपियों को क्रमशः 16 और 17 जुलाई को गिरफ्तार कर आग्रीपाड़ा पुलिस स्टेशन लाया गया।

पूछताछ में पता चला कि आरोपी चोरी की गई कार को बेचने की योजना बना रहे थे। पुलिस ने तत्परता से कार्रवाई करते हुए उक्त स्कोडा कार को बरामद कर लिया।

जांच में यह भी सामने आया कि ये दोनों आरोपी अन्य इलाकों में वाहन चोरी की वारदातों में भी लिप्त हैं। अब तक इनकी गिरफ्तारी के चलते कुल छह चोरी की गई गाड़ियाँ बरामद की जा चुकी हैं। इनकी गिरफ्तारी से कई और लंबित वाहन चोरी के मामलों को सुलझाने में मदद मिलने की संभावना है।

यह ऑपरेशन आग्रीपाड़ा पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक और क्राइम डिटेक्शन टीम के नेतृत्व में किया गया।

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