जीवन शैली
मुंबई तटीय सड़क परियोजना से प्रभावित मछुआरों को मुआवजे के रूप में बीएमसी देगी ₹136 करोड़

बीएमसी ने मुंबई में राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी तटीय सड़क परियोजना के कारण बेदखली का सामना करने वाले मछुआरों को मुआवजा देने का फैसला किया है। नागरिक निकाय ने 1,343 मछुआरों की पहचान की है और उनके लिए 136 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। नगर निगम के अधिकारियों ने कहा कि परिवारों को तीन चरणों में राहत मिलेगी। प्रथम चरण के लिए – अक्टूबर 2018 से मई 2022 तक – मुआवजे की राशि 30 मई तक 8% ब्याज के साथ जारी की जाएगी। दूसरे चरण के लिए राहत राशि अक्टूबर 2022 से अक्टूबर 2023 तक और तीसरे चरण के लिए अक्टूबर 2023 से 2024 की पहली तिमाही तक होगी। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) की एक रिपोर्ट के अनुसार, BMC को भुगतान करना चाहिए तटीय सड़क के काम के अंत तक मुआवजे की राशि।
नागरिक अधिकारियों ने कहा कि वे 2018 से चल रही परियोजना के लिए मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हैं और छोटे मछुआरों को प्रभावित किया है जो तट पर काम करते हैं (हाथ से चुनने वाले) और शुद्ध मछुआरे। काम और मुआवज़ा 2030 तक चलेगा, जिससे प्रभावित परिवार अपनी आजीविका के तरीकों को बदल सकेंगे। 10.58 किमी की तटीय सड़क परियोजना की योजना प्रियदर्शिनी पार्क से वर्ली सीलिंक तक बनाई गई है, ताकि दशकों से शहर में लगातार भीड़भाड़ से राहत मिल सके। हालांकि, परियोजना को पॉश इलाकों के निवासियों से लेकर मछुआरों की बस्तियों तक के कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ा है। वर्ली के मछुआरा समुदाय ने कहा है कि परियोजना बीच में है और उनकी आजीविका को एक बड़ा झटका लगा है। उनके नुकसान का आकलन करने के लिए टीआईएसएस ने एक विस्तृत अध्ययन किया और बीएमसी को अपनी सिफारिशें सौंपी। TISS की रिपोर्ट के आधार पर ही मछुआरों को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया था – मछुआरे जो समुद्र में जाते हैं और वे जो तट पर छोटी मछलियाँ, गोले और चट्टानें इकट्ठा करते हैं।
बीएमसी के अनुमान के अनुसार, परियोजना 34% ईंधन और 70% समय बचाने में मदद करेगी। मुंबई की सड़कों पर वाहनों की औसत गति लगभग 20-21 किमी प्रति घंटा है। तटीय सड़क पर, यह लगभग 75 किमी प्रति घंटे होने का अनुमान है। पूरी परियोजना को तीन पैकेजों में विभाजित किया गया है और इसमें 111 हेक्टेयर का समुद्री सुधार शामिल है।
जीवन शैली
रीना दत्ता से गौरी स्प्रैट तक, आमिर खान के रिश्तों और शादियों पर एक नज़र

उम्र सिर्फ़ एक संख्या है और यह बात आमिर खान ने साबित कर दी है। 60 साल की उम्र में सुपरस्टार ने घोषणा की है कि वह गौरी स्प्रैट नाम की एक महिला के साथ रिलेशनशिप में हैं जो उनके प्रोडक्शन हाउस में काम करती है। कुछ महीने पहले, ऐसी खबरें आई थीं कि वह बैंगलोर की एक लड़की के साथ गंभीर रिलेशनशिप में हैं और यह लड़की गौरी ही निकली।
खैर, आमिर को फिर से प्यार हो गया है, तो आइए उनके रिश्तों (अफवाहों सहित) और शादियों की सूची पर नजर डालते हैं…
रीना दत्ता
आमिर खान की पहली शादी रीना दत्ता से हुई थी। दोनों ने 1986 में शादी की और 2005 में तलाक ले लिया। दिलचस्प बात यह है कि रीना ने उनकी पहली फिल्म कयामत से कयामत तक में एक छोटी सी भूमिका निभाई थी। पूर्व जोड़े के दो बच्चे हैं, जुनैद और इरा।
प्रीति जिंटा
आमिर और रीना के तलाक के बाद, उनके दिल चाहता है की को-स्टार प्रीति जिंटा के साथ डेटिंग करने की अफवाहें ज़ोरदार थीं। वास्तव में, कुछ रिपोर्टों में कहा गया था कि उन्होंने गुप्त रूप से शादी कर ली है। लेकिन निश्चित रूप से, वे अफवाहें झूठी निकलीं। अब, आमिर और प्रीति ने लाहौर 1947 फिल्म में साथ काम किया है। फिल्म का निर्माण आमिर ने किया है और प्रीति इसमें मुख्य भूमिका निभा रही हैं।
किरण राव
2005 में आमिर ने किरण राव से शादी की। यहां तक कि वह भी अभिनेता के साथ उनके प्रोडक्शन हाउस में काम कर रही थीं। दोनों का एक बेटा है, जिसका नाम आज़ाद है। 2021 में अभिनेता ने किरण से तलाक ले लिया।
फातिमा सना शेख
रीना से तलाक के बाद आमिर का नाम प्रीति से जुड़ा और किरण से तलाक के बाद आमिर के बारे में यह अफवाह उड़ी कि वह दंगल में उनकी बेटी का किरदार निभाने वाली फातिमा सना शेख के साथ रिलेशनशिप में हैं। यहां तक कि यह भी कहा गया कि दोनों शादी कर लेंगे। हालांकि, एक बार फिर यह खबरें झूठी निकलीं।
गौरी स्प्रैट
अब अपने जन्मदिन के मौके पर मीडिया के सामने अपने रिश्ते की घोषणा करते हुए आमिर ने खुलासा किया कि वह शादी करेंगे या नहीं। उन्होंने कहा, “देखिए, हम पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। और मेरी दो बार शादी हो चुकी है। पर अब 60 साल की उम्र में शादी शायद मुझे शोभा नहीं देगी। लेकिन देखते हैं।” गौरी की एक छह साल की बेटी है और यह जोड़ा पिछले 25 सालों से एक-दूसरे को जानता है और 18 महीने से रिलेशनशिप में है।
तो, चलिए इंतजार करें और देखें कि शादी की घंटियाँ बजेंगी या नहीं।
जीवन शैली
हल्के में न लें, वायु प्रदूषण गले को कर रहा खराब

नई दिल्ली, 20 दिसंबर। दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण अति गंभीर श्रेणी में पहुंच गया है। महीने भर से सिलसिला जारी है हालांकि बीच में कुछ हद तक स्थिति नियंत्रण में थी लेकिन एक बार फिर एक्यूआई ने लोगों की पेशानी पर बल डाल दिया है। प्रदूषण से कान, नाक और गले पर भी बुरा असर पड़ता है। हाल ही में इसे लेकर दिल्ली में एक सर्वे कराया गया, जिसमें चौंकाने वाले तथ्य निकल कर सामने आए।
3हेल्थकेयर प्रदाता प्रिस्टीन केयर द्वारा कराए सर्वेक्षण में दिल्ली, मेरठ, फरीदाबाद, नोएडा, गाजियाबाद, रोहतक, चंडीगढ़, कानपुर आदि शहरों के 56,176 व्यक्तियों को शामिल किया गया। इनमें से लगभग आधे (41 प्रतिशत) ने उच्च प्रदूषण की अवधि के दौरान आंखों से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं में उल्लेखनीय वृद्धि देखी, जबकि 55 प्रतिशत ने अपने कान, नाक या गले को प्रभावित करने वाली समस्याओं की बात बताई। इनमें से 38 प्रतिशत ने प्रदूषण की वजह से आंखों में जलन और सूजन की शिकायत की है। इसके प्रभावित लोगों में आंखें में लालिमा और खुजली जैसे आम लक्षण दिखाई दिए।
लोगों ने प्रदूषण बढ़ने के दौरान इन बीमारियों में वृद्धि का उल्लेख किया। इसमें गले में खराश, नाक में जलन और कान में तकलीफ जैसी ईएनटी समस्याएं भी शामिल थीं। इन स्वास्थ्य समस्याओं ने दीर्घकालिक चिंताएं पैदा की।
इस सर्वेक्षण में यह बात सामने आई कि ईएनटी समस्याओं से जूझ रहे 68 प्रतिशत लोग स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों से परामर्श नहीं करते।
प्रिस्टिन केयर के ईएनटी सर्जन डॉ. धीरेंद्र सिंह ने बताया, ”खतरनाक वायु गुणवत्ता सभी के स्वास्थ्य के लिए चिंताजनक है। बच्चे विशेष रूप से इसके प्रति संवेदनशील हैं। ऐसी हवा के संपर्क में आने से नाक और कान में संवेदनशील श्लेष्म झिल्ली में जलन हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप समय के साथ पुरानी स्थितियां हो सकती हैं। इन सबसे बचने के लिए बाहरी संपर्क को कम करना, मास्क पहनना और हाइड्रेटेड रहना आवश्यक है। इसके साथ ही आंखों के स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।”
वही प्रिस्टिन केयर के सह-संस्थापक डॉ वैभव कपूर ने कहा, “यह जानकर आश्चर्य होता है कि लोग प्रदूषण और स्वास्थ्य पर इसके हानिकारक प्रभाव को कितने हल्के में लेते हैं। आंख और ईएनटी से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं में वृद्धि के उपायों की तत्काल आवश्यकता पर जोर देती है। बढ़ते प्रदूषण के स्तर के साथ, व्यक्तियों को अपने स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सक्रिय कदम उठाने की आवश्यकता है।”
इन चुनौतियों के बावजूद सर्वेक्षण ने जनता के बीच इससे निपटने के उपायों को अपनाने में कमी नजर आई। केवल 35 प्रतिशत ने सुरक्षात्मक आईवियर या धूप का चश्मा पहनने की सूचना दी, और लगभग 40 प्रतिशत ने उच्च प्रदूषण वाले दिनों में ईएनटी से संबंधित मुद्दों के लिए कोई विशेष सावधानी नहीं बरतने की बात स्वीकार की। फिर भी, आधे से अधिक लोगों ने आंखों और ईएनटी स्वास्थ्य पर प्रदूषण के दीर्घकालिक प्रभावों के बारे में चिंता व्यक्त की।
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हल्के में न लें, वायु प्रदूषण गले को कर रहा खराब

नई दिल्ली, 20 दिसंबर। दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण अति गंभीर श्रेणी में पहुंच गया है। महीने भर से सिलसिला जारी है हालांकि बीच में कुछ हद तक स्थिति नियंत्रण में थी लेकिन एक बार फिर एक्यूआई ने लोगों की पेशानी पर बल डाल दिया है। प्रदूषण से कान, नाक और गले पर भी बुरा असर पड़ता है। हाल ही में इसे लेकर दिल्ली में एक सर्वे कराया गया, जिसमें चौंकाने वाले तथ्य निकल कर सामने आए।
हेल्थकेयर प्रदाता प्रिस्टीन केयर द्वारा कराए सर्वेक्षण में दिल्ली, मेरठ, फरीदाबाद, नोएडा, गाजियाबाद, रोहतक, चंडीगढ़, कानपुर आदि शहरों के 56,176 व्यक्तियों को शामिल किया गया। इनमें से लगभग आधे (41 प्रतिशत) ने उच्च प्रदूषण की अवधि के दौरान आंखों से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं में उल्लेखनीय वृद्धि देखी, जबकि 55 प्रतिशत ने अपने कान, नाक या गले को प्रभावित करने वाली समस्याओं की बात बताई। इनमें से 38 प्रतिशत ने प्रदूषण की वजह से आंखों में जलन और सूजन की शिकायत की है। इसके प्रभावित लोगों में आंखें में लालिमा और खुजली जैसे आम लक्षण दिखाई दिए।
लोगों ने प्रदूषण बढ़ने के दौरान इन बीमारियों में वृद्धि का उल्लेख किया। इसमें गले में खराश, नाक में जलन और कान में तकलीफ जैसी ईएनटी समस्याएं भी शामिल थीं। इन स्वास्थ्य समस्याओं ने दीर्घकालिक चिंताएं पैदा की।
इस सर्वेक्षण में यह बात सामने आई कि ईएनटी समस्याओं से जूझ रहे 68 प्रतिशत लोग स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों से परामर्श नहीं करते।
प्रिस्टिन केयर के ईएनटी सर्जन डॉ. धीरेंद्र सिंह ने बताया, ”खतरनाक वायु गुणवत्ता सभी के स्वास्थ्य के लिए चिंताजनक है। बच्चे विशेष रूप से इसके प्रति संवेदनशील हैं। ऐसी हवा के संपर्क में आने से नाक और कान में संवेदनशील श्लेष्म झिल्ली में जलन हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप समय के साथ पुरानी स्थितियां हो सकती हैं। इन सबसे बचने के लिए बाहरी संपर्क को कम करना, मास्क पहनना और हाइड्रेटेड रहना आवश्यक है। इसके साथ ही आंखों के स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।”
वही प्रिस्टिन केयर के सह-संस्थापक डॉ वैभव कपूर ने कहा, “यह जानकर आश्चर्य होता है कि लोग प्रदूषण और स्वास्थ्य पर इसके हानिकारक प्रभाव को कितने हल्के में लेते हैं। आंख और ईएनटी से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं में वृद्धि के उपायों की तत्काल आवश्यकता पर जोर देती है। बढ़ते प्रदूषण के स्तर के साथ, व्यक्तियों को अपने स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सक्रिय कदम उठाने की आवश्यकता है।”
इन चुनौतियों के बावजूद सर्वेक्षण ने जनता के बीच इससे निपटने के उपायों को अपनाने में कमी नजर आई। केवल 35 प्रतिशत ने सुरक्षात्मक आईवियर या धूप का चश्मा पहनने की सूचना दी, और लगभग 40 प्रतिशत ने उच्च प्रदूषण वाले दिनों में ईएनटी से संबंधित मुद्दों के लिए कोई विशेष सावधानी नहीं बरतने की बात स्वीकार की। फिर भी, आधे से अधिक लोगों ने आंखों और ईएनटी स्वास्थ्य पर प्रदूषण के दीर्घकालिक प्रभावों के बारे में चिंता व्यक्त की।
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