राजनीति
भाजपा ने दिल्ली जल बोर्ड में घोटाले की न्यायिक जांच की मांग की

भाजपा ने दिल्ली जल बोर्ड को अरविंद केजरीवाल सरकार के भ्रष्टाचार का पर्याय बताते हुए इसकी न्यायिक जांच की मांग की है। भाजपा सांसद मनोज तिवारी, दिल्ली भाजपा सचिव हरीश खुराना और दिल्ली भाजपा मीडिया प्रमुख प्रवीण शंकर कपूर ने पत्रकारों से बात करते हुए केजरीवाल सरकार पर जमकर निशाना साधा।
मनोज तिवारी ने कहा कि 1998 में दिल्ली जल बोर्ड की स्थापना का उद्देश्य था कि यह बोर्ड स्वयं अपना मूलभूत ढांचा तैयार करेगा और अपने राजस्व से अपने खर्चे चलायेगा। दिल्ली सरकार इसको केवल बड़ी प्लान हेड योजनाओं के लिये आर्थिक संसाधन उपलब्ध करायेगी। यह खेद का विषय है कि 1999 से 2013 तक कांग्रेस की शीला दीक्षित सरकार ने दिल्ली जल बोर्ड के संसाधनों की लूट मचाई और जल बोर्ड को टैंकर माफिया के सामने गिरवी रख दिया, जिसके परिणाम स्वरूप 2013-14 के अंत में दिल्ली जल बोर्ड पर लगभग 20 हजार करोड़ रूपये की देनदारी खड़ी हो गई।
उन्होंने कहा कि 2015 में सत्ता में आई आम आदमी पार्टी ने 14 लाख घरों को नल से जल देने का सपना दिखाया और फिर 2020 में हर घर को जल देने का सपना दिखाया पर दिल्ली की जल उपलब्धता बढ़ाने के लिये कोई काम नहीं किया। 2013-14 में दिल्ली में 850 एम.जी.डी. पानी उपलब्ध था, राष्ट्रपति शासन के दौरान 2014 में ओखला में 100 एम.जी.डी. पानी का प्लांट लगा, जिसके बाद दिल्ली में 950 एम.जी.डी. पेय जल की उलब्धता बनी।
तिवारी ने कहा कि हर घर को पानी देने का सपना दिखाने वाली केजरीवाल सरकार ने जनता को किस तरह धोखा दिया है, इसका एक प्रमाण है कि आज दिल्ली में 1350 एम.जी.डी. पेय जल की आवश्यकता है, जबकि उपलब्धता मात्र 950 एम.जी.डी. की है। यह खेद पूर्ण है कि लगभग 9 वर्ष के शासन में केजरीवाल ने पेय जल की उपलब्धता बढ़ाने के लिये कोई प्रयास नहीं किये हैं और दिल्ली आज भी टैंकर माफिया की शिकार है।
उन्होंने कहा कि विगत 5 वित्त वर्षों में दिल्ली सरकार ने दिल्ली जल बोर्ड को 12,700 करोड़ रूपये के ऋण एवं अनुदान दिये हैं पर इस पैसे का कोई हिसाब-किताब नहीं है। वित्त विभाग ने जब भी हिसाब मांगा तो केजरीवाल सरकार ने विक्टिम कार्ड खेलना शुरू कर दिया। किसी भी संस्था में हेरफेर का इससे बड़ा प्रमाण क्या हो सकता है कि 6 वित्त वर्ष तक उसके खाते ही न लिखे जायें जैसा कि दिल्ली जल बोर्ड में हो रहा है। 2016-17 के बाद से दिल्ली जल बोर्ड के न तो खाते बने हैं और न ही कोई ऑडिट हुआ है। इस हेरफेर के चलते 31 मार्च, 2018 को दिल्ली जल बोर्ड का घाटा जो 26 हजार करोड़ रूपये था, 31 मार्च, 2023 को उसका अनुमान 70 हजार करोड़ का लगाया गया है।
उन्होंने आगे कहा कि सीएजी ने लगभग 22 पत्र दिल्ली जल बोर्ड को खाते ऑडिट कराने के लिये लिखे हैं, लेकिन केजरीवाल सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंगी। वर्तमान वित्त वर्ष 2023-24 में दिल्ली सरकार के बजट में दिल्ली जल बोर्ड को 6342 करोड़ रूपये आवंटित किये गये हैं और उसमें से 1557 करोड़ रूपये मई, 2023 में दिल्ली जल बोर्ड के खाते में भेज दिये गये और जानकारी अनुसार दिल्ली जल बोर्ड ने 750 करोड़ रूपये ऐसे कामों पर खर्च किये, जिनका कोई प्रावधान नहीं था। दिल्ली सरकार के वित्त विभाग ने जब बजट राशि की अगली किस्त देने के लिये दिल्ली जल बोर्ड से 1557 करोड़ रूपये का हिसाब मांगा तो हिसाब देने की बजाय जल मंत्री आतिशी ने दिल्ली में जल संकट की धमकी देना शुरू कर दिया।
दिल्ली भाजपा के सचिव हरीश खुराना, जिन्होंने 2021 में दिल्ली जल बोर्ड को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका डाली थी और दिल्ली जल बोर्ड के खातों के सीएजी ऑडिट की मांग की थी, ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड आज भारत का सबसे भ्रष्ट सरकारी संस्था है, जिस पर 76 हजार करोड़ रूपये के ऐसे ऋण और अनुदान हैं, जिनका कोई हिसाब-किताब नहीं है।
खुराना ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड ने उनकी याचिका को दबाने का भरसक प्रयास किया, न्यायालय को गुमराह करने का प्रयास किया और इसी के अंतर्गत गत 11 अक्टूबर, 2023 में कोर्ट में एक एफिडेविट दायर कर दिल्ली जल बोर्ड के खाते प्रस्तुत करने के लिये एक वर्ष का समय मांगा है।
खुराना ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड के भ्रष्टाचार का एक बड़ा नमूना है कि उन्होंने एफिडेविट में कहा है कि उनके खातों में प्रति डिवीजन 3 लाख एंट्रियां होती हैं इसलिये समय तो लगेगा।
दिल्ली भाजपा के मीडिया प्रमुख प्रवीण शंकर कपूर ने कहा कि आज दिल्ली वाले स्तब्ध हैं कि केजरीवाल सरकार का कोई ऐसा विभाग नहीं, जिसके कार्यों में भ्रष्टाचार ना हो, आबकारी विभाग हो, लोक निर्माण विभाग हो, राशन विभाग हो, परिवहन विभाग हो, प्राइवेट डिस्कॉम का बिजली बिल घोटाला हो, जल बोर्ड हो, हर ओर हेरफेर ही हेरफेर है।
राष्ट्रीय समाचार
उत्तराखंड में बादल फटने और भूस्खलन के बाद केरल और महाराष्ट्र के 28 पर्यटकों के लापता होने की आशंका

कोच्चि: उत्तराखंड में बादल फटने से हुए भूस्खलन के बाद केरल के मूल निवासी 28 सदस्यीय पर्यटकों का एक समूह लापता हो गया है। परिवार के सदस्यों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
समूह में शामिल एक जोड़े के रिश्तेदार ने मीडिया को बताया कि 28 व्यक्तियों में से 20 केरल के हैं और महाराष्ट्र में बस गए हैं, जबकि शेष आठ केरल के विभिन्न जिलों से हैं।
उन्होंने बताया कि दम्पति के बेटे ने उनसे आखिरी बार एक दिन पहले बात की थी।
उन्होंने कहा, “उन्होंने बताया कि वे उस दिन सुबह लगभग 8.30 बजे उत्तरकाशी से गंगोत्री जा रहे थे। भूस्खलन उसी रास्ते पर हुआ। उनके जाने के बाद से हम उनसे संपर्क नहीं कर पाए हैं।”
उन्होंने बताया कि हरिद्वार स्थित ट्रैवल एजेंसी, जिसने 10 दिवसीय उत्तराखंड दौरे की व्यवस्था की थी, भी समूह के बारे में कोई जानकारी देने में असमर्थ रही।
उन्होंने कहा, “हो सकता है कि अब तक उनके फोन की बैटरी खत्म हो गई हो। उस क्षेत्र में फिलहाल कोई मोबाइल नेटवर्क नहीं है।”
उत्तराखंड के पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील क्षेत्र धराली में मंगलवार दोपहर बादल फटने के बाद आई आपदा में कम से कम चार लोगों की मौत की पुष्टि हो गई है।
अधिकारियों ने बताया कि धराली का लगभग आधा हिस्सा कीचड़, मलबे और पानी के विशाल भूस्खलन में दब गया है। यह गाँव गंगा के उद्गम स्थल गंगोत्री जाने वाले मार्ग का एक प्रमुख पड़ाव है और यहाँ कई होटल और होमस्टे हैं।
महाराष्ट्र
दादर कबूतरखाने पर विरोध प्रदर्शन के बाद मंगल प्रभात लोढ़ा ने की शांति की अपील

मुंबई: दादर कबूतरखाने पर हुए विरोध प्रदर्शन के बाद महाराष्ट्र के मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने जैन समुदाय से शांति और व्यवस्था बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कबूतरखाने के संबंध में निर्णय लिया था और कल मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस संबंध में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया था, लेकिन इसके बावजूद यह विरोध प्रदर्शन खेदजनक है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कबूतरखाने के संबंध में एक बैठक में निर्णय लिया था। इससे होने वाली बीमारी पर भी चर्चा हुई थी और मुख्यमंत्री ने इसके समाधान के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया था। कबूतरों को दाना खिलाने संबंधी सावधानियों और शर्तों पर भी विचार किया गया था और मुख्यमंत्री ने इस संबंध में कोई भी कार्रवाई न करने का आदेश भी दिया था, लेकिन इसके बावजूद आज अचानक हुआ यह विरोध प्रदर्शन उचित नहीं था। मंगल प्रभात लोढ़ा ने जैन समुदाय से इस संबंध में शांति और व्यवस्था बनाए रखने की अपील की है। पुलिस ने बताया कि विरोध प्रदर्शन के बाद स्थिति शांतिपूर्ण है, लेकिन तनाव बना हुआ है। पुलिस ने अब इस मामले में कानूनी कार्रवाई के साथ-साथ प्राथमिकी दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
राष्ट्रीय समाचार
इंडिया पोस्ट ने एडवांस्ड पोस्टल टेक को किया शुरू, रियल-टाइम ट्रेकिंग से लेकर लेनदेन हुआ तेज

नई दिल्ली, 6 अगस्त। इंडिया पोस्ट ने राष्ट्रीय स्तर पर एडवांस्ड पोस्टल टेक्नोलॉजी (एपीटी) सिस्टम को लॉन्च कर दिया है। इससे रियल-टाइम ट्रेकिंग से लेकर लेनदेन की रफ्तार में इजाफा हुआ है। यह जानकारी संचार मंत्रालय द्वारा बुधवार को दी गई।
एपीटी को आईटी 2.0 के तहत किए जा रहे इंडिया पोस्ट के डिजिटल बदलाव के हिस्से के रूप में लॉन्च किया गया है।
मंत्रालय ने कहा कि एपीटी सिस्टम से लेनदेन की रफ्तार, डिजिटल पेमेंट एकीकरण, रियल-टाइम ट्रेकिंग और ग्राहक अनुभव में सुधार देखा गया है।
आगे कहा कि पुराने से नए सिस्टम की तरफ यह परिवर्तन, अधिक तीव्र, स्मार्ट और अधिक ग्राहक-केंद्रित डाक सेवाएं प्रदान करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
सरकार ने बताया कि शहरी, ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्र में 1.64 लाख से ज्यादा डाक घरों के विशाल नेटवर्क के कारण इस एपीटी सिस्टम के रोलआउट के पहले दिन 4 अगस्त को कुछ धीमापन महसूस किया गया, लेकिन टेक्निकल टीम ने इसका समाधान निकाल लिया और अगले दिन इसे सुधार लिया गया।
मंत्रालय के अनुसार, 5 अगस्त को पूरे भारत में इस नए एप्लिकेशन के माध्यम से 20 लाख से ज्यादा वस्तुओं की बुकिंग की गई और 25 लाख से ज्यादा वस्तुओं की डिलीवरी की गई।
भारतीय डाक विभाग ने कहा, “भारतीय डाक निर्बाध सार्वजनिक सेवा सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। विभाग कार्य-निष्पादन पर कड़ी नजर रख रहा है और सुचारू एवं कुशल बदलाव सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक उपाय कर रहा है।”
इससे पहले, यह घोषणा की गई थी कि डाक विभाग डिजिटल परिवर्तन और बेहतर ग्राहक सेवा की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए पूरी दिल्ली में अपना अगली पीढ़ी का एपीटी एप्लिकेशन शुरू करेगा।
वहीं, मंत्रालय ने पिछले सप्ताह कहा था, “4 अगस्त को, राजधानी भर के 353 डाकघर और 61 शाखा डाकघर इस अपडेटेड डिजिटल प्लेटफॉर्म को लॉन्च करेंगे।”
इसके लिए, विभाग ने सुरक्षित और निर्बाध बदलाव सुनिश्चित करने हेतु शनिवार, 2 अगस्त को सेवा बंद रखने की योजना बनाई थी।
डाकघर सिस्टम आवश्यक डेटा माइग्रेशन, सत्यापन और कॉन्फिगरेशन प्रक्रियाओं से गुजर रहा था, इसलिए उस दिन 414 प्रभावित स्थानों पर कोई सार्वजनिक लेनदेन नहीं हुआ।
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