राजनीति
पीएफआई पर प्रतिबंध का बिहार भाजपा ने किया स्वागत, सुशील मोदी ने शिवानंद तिवारी को घेरा

केंद्र सरकार ने देशभर में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के आतंकी गतिविधियों में लगातार सक्रिय रहने के सबूत मिलने के बाद प्रतिबंध लगा दिया है। बिहार भाजपा ने केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। बिहार के विभिन्न इलाकों में पिछले दिनों एनआईए द्वारा पीएफआई को लेकर छापेमारी की गई थी।
इधर, केंद्र सरकार द्वारा पीएफआई के प्रतिबंधित किए जाने के बाद भाजपा के नेता सुशील कुमार मोदी ने राजद के नेता शिवानंद तिवारी को घेरा है।
बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए लिखा, पीएफआई पर प्रतिबंध का स्वागत करते हैं। महागठबन्धन के नेता शिवानंद तिवारी ने पीएफआई द्वारा पाकिस्तान जि़ंदाबाद नारे का समर्थन किया था। सिद्धारमैया सरकार ने पीएफआई के 1600 लोगों पर 160 एफआईआर वापस लिया था। बिहार सरकार ने फुलवारी मामले को एनआईए को देने का विरोध कर रही थी।
इधर, विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि पूरी दुनिया जानती है कि मोदी सरकार आतंक को बढ़ावा देने वालों को प्रश्रय नहीं देती। मोदी सरकार ने पीएफआई पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगाकर फिर साबित कर दिया कि यह सरकार सपोलों को पालती नहीं, उसका फन कुचल देती है।
उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार के आतंकी गतिविधियों में लिप्त रहने वाले पीएफआई पर बैन लगाने के निर्णय की जितनी तारीफ की जाए कम है। ऐसे निर्णयों का खुले दिल से स्वागत होना चाहिए।
पीएफआई के सहयोगी संगठनों को संरक्षित, सुरक्षित करने वाले ‘जयचंदो’ पर भी कार्रवाई होनी चाहिए।
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाए जाने पर ट्वीट कर लिखा, बाय बाय पीएफआई।
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पीएफआई को आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के लिए 5 साल के लिए बैन कर दिया है। केंद्र सरकार ने अपने नोटिफिकेशन में कहा है कि वैश्विक आतंकी संगठनों के साथ संबंध और कई आतंकी मामलों में शामिल होने के लिए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर प्रतिबंध लगाया गया है।
राष्ट्रीय समाचार
वक्फ संशोधन मामला : केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया जवाब, बताया कानून में बदलाव क्यों जरूरी

नई दिल्ली, 25 अप्रैल। वक्फ संशोधन कानून को लेकर चल रही बहस के बीच केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना विस्तृत जवाब दाखिल कर दिया। केंद्र सरकार ने साफ किया है कि वक्फ कानून में बदलाव क्यों जरूरी था।
सरकार ने बताया कि 1923 से वक्फ बाय यूजर प्रावधान के तहत रजिस्ट्रेशन जरूरी होने के बावजूद इसका दुरुपयोग कर निजी और सरकारी संपत्तियों को वक्फ घोषित किया जाता रहा, जिसे रोकना जरूरी था।
केंद्र सरकार ने कहा कि वक्फ बाय यूजर की व्यवस्था खत्म होने से मुस्लिम समुदाय का वक्फ करने का अधिकार नहीं छीना गया है, बल्कि कानून के दुरुपयोग पर लगाम लगाई गई है।
सरकार ने यह भी आरोप लगाया कि इस कानून को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता अदालत को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।
जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) को 5 सितंबर 2024 को दी गई जानकारी के अनुसार, 5,975 सरकारी संपत्तियों को वक्फ घोषित किया जा चुका था। सरकार का कहना है कि पुराने कानून के तहत वक्फ बाय यूजर एक “सुरक्षित स्वर्ग” बन गया था, जहां से सरकारी और निजी संपत्तियों को हथियाया जा सकता था।
सरकार ने अदालत से कहा कि यह सेटेड लीगल पोजिशन है कि कोर्ट को संसद द्वारा बनाए गए कानूनों पर बिना विस्तृत सुनवाई के रोक नहीं लगानी चाहिए।
सरकार के अनुसार, 2016 से अब तक वक्फ संपत्ति में 116 गुना की वृद्धि दर्ज की गई है। केंद्र ने स्पष्ट किया कि वक्फ बोर्ड एक मुस्लिम धार्मिक संस्था नहीं है। इसमें किया गया संशोधन संविधान के अनुरूप है। इसमें मौलिक अधिकारों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है।
सरकार ने यह भी बताया कि वक्फ काउंसिल और वक्फ बोर्ड में 22 सदस्यों में से अधिकतम दो गैर-मुस्लिम हो सकते हैं, जो समावेशी प्रतिनिधित्व का संकेत है।
सरकार ने अपने जवाब में यह भी कहा कि पिछले 100 वर्षों से वक्फ बाय यूजर मौखिक नहीं, बल्कि रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के तहत ही होता रहा है। अदालत अब इस मामले की पूरी सुनवाई के बाद निर्णय लेगी।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
बांग्लादेश : पुलिस ने तीन श्रीलंकाई नागरिकों को छुड़ाया, दोस्त ने फिरौती के लिए किया था किडनैप

ढाका, 25 अप्रैल। बांग्लादेश में पुलिस ने फिरौती के लिए किडनैप तीन श्रीलंकाई नागरिकों को छुड़ा लिया है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, तीनों लोग सोशल मीडिया पर मिले एक दोस्त के बुलावे पर बांग्लादेश आए थे।
बांग्लादेश के पुलिस उप महानिरीक्षक (खुलना रेंज) मोहम्मद रजाउल हक ने गुरुवार को स्थानीय पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि पुलिस ने अपहरण मामले में विदेशी नागरिकों को बुलाने वाले व्यक्ति समेत तीन स्थानीय लोगों को गिरफ्तार किया।
किडनैप किए गए तीन श्रीलंकाई नागरिकों में एक महिला भी शामिल थी।
बांग्लादेश के अखबार ‘द डेली स्टार’ की रिपोर्ट के अनुसार, गिरफ्तार किए गए चार बांग्लादेशी काजी इमदाद हुसैन, शाहिदुल शेख, जोनी शेख और एसएम शम्सुल आलम ने स्थानीय फोन नंबर से श्रीलंकाई नागरिकों के परिवारों से संपर्क किया और फिरौती की मांग की।
बांग्लादेश के बागेरहाट जिले के पुलिस अधीक्षक तौहिदुल आरिफ के अनुसार, तीनों श्रीलंकाई नागरिक दक्षिण अम्बारी गांव में इमदाद काजी के घर पर पाए गए।
बांग्लादेशी मीडिया आउटलेट बीडी न्यूज 24 ने एसपी तौहिदुल आरिफ के हवाले से बताया, “हाल ही में इमदाद सोशल मीडिया पर तीन श्रीलंकाई नागरिकों से मिला। इमदाद ने उन्हें व्यापार के अवसरों का हवाला देते हुए बांग्लादेश बुलाया। तीनों श्रीलंकाई नागरिक मंगलवार को बांग्लादेश पहुंचे और वहां पहुंचने के बाद उन्हें बंधक बना लिया गया।”
पुलिस अधिकारी ने बताया, “उनके परिवार वालों ने श्रीलंका से फोन करके हमें बताया कि उनका अपहरण कर लिया गया है। उन्हें बताया गया था कि अगर फिरौती नहीं दी गई, तो उन्हें नहीं छोड़ा जाएगा।”
हाल ही में अमेरिका ने अपने नागरिकों को बांग्लादेश की यात्रा पर फिर से सोचने के लिए यात्रा सलाह जारी की थी। एडवाइजरी में देश में नागरिक अशांति, अपराध और आतंकवाद का हवाला दिया गया।
अमेरिकी विदेश विभाग की यात्रा सलाह में कहा गया कि बांग्लादेश में आतंकवादी हमलों और अन्य हिंसक गतिविधियों का खतरा भी है।
इससे पहले, ब्रिटेन ने भी बांग्लादेश के लिए अपनी यात्रा सलाह को अपडेट किया था और अपने नागरिकों को चटगांव हिल ट्रैक्ट्स जैसे क्षेत्रों में केवल जरूरी यात्रा करने की सलाह दी थी और किसी भी अन्य यात्रा से बचने को कहा था।
ब्रिटेन के विदेश राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय की सलाह में कहा गया, “आतंकवादी हमले बिना चेतावनी के हो सकते हैं और इनमें उन जगहों को भी निशाना बनाया जा सकता है, जहां विदेशी नागरिक जाते हैं, जैसे: भीड़-भाड़ वाले इलाके, धार्मिक स्थल और राजनीतिक रैलियां।”
मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के तहत बांग्लादेश में कानून और व्यवस्था की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। स्थानीय मीडिया ने राजमार्ग पर डकैतियों की संख्या में चिंताजनक बढ़ोतरी की सूचना दी है।
बांग्लादेश हाईवे पुलिस मुख्यालय के अनुसार, अगस्त 2024 में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग सरकार के पतन के बाद से ऐसी डकैतियों में बढ़ोतरी हुई है।
राजनीति
सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को फटकारा, वीर सावरकर पर दिए बयान को बताया गैर-जिम्मेदाराना

नई दिल्ली, 25 अप्रैल। लोकसभा में नेता विपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई। शीर्ष अदालत ने स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर पर दिए गए राहुल गांधी के विवादित बयान पर कहा कि देश के स्वतंत्रता सेनानियों को लेकर गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणियां स्वीकार नहीं की जाएंगी।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को राहत भी दी है। सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ निचली अदालत में चल रही कार्रवाई पर रोक लगा दी है।
न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इतिहास को समझे बिना राहुल गांधी इस तरह के बयान नहीं दे सकते हैं।
कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा, ”यदि भविष्य में इस प्रकार की टिप्पणी फिर से की गई, तो सुप्रीम कोर्ट स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई करेगा।”
कोर्ट ने आगे कहा, ”आप उन लोगों के बारे में कैसे ऐसा कह सकते हैं, जिन्होंने हमें आजादी दिलाई? कल को आप महात्मा गांधी को लेकर भी कुछ कह देंगे, क्योंकि उन्होंने सावरकर के लिए ‘फेथफुल सर्वेंट’ लिखा था?”
सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि महात्मा गांधी ने सावरकर को सम्मान दिया था और राहुल गांधी की दादी, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी उन्हें एक पत्र लिखा था।
जस्टिस दीपांकर दत्ता ने राहुल गांधी को चेतावनी देते हुए कहा कि आप महाराष्ट्र जाकर इस तरह के बयान देते हैं, जहां वीर सावरकर की ‘पूजा’ होती है। आपको ऐसा नहीं करना चाहिए। आप क्यों इस तरह की टिप्पणी कर रहे हैं?
यह मामला 2022 में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान राहुल गांधी के महाराष्ट्र में दिए गए विवादित बयान से जुड़ा है। उन्होंने सावरकर को लेकर विवादित टिप्पणी की थी और कहा था कि वह अंग्रेजों से पेंशन लेते थे।
राहुल गांधी के इस बयान पर वकील नृपेंद्र पांडे ने निचली अदालत में शिकायत दर्ज कराई थी। लखनऊ की निचली अदालत ने राहुल गांधी के खिलाफ पहली नजर में आईपीसी 153(ए) और 505 के तहत केस मानते हुए समन जारी किया था। उस समन को राहुल गांधी ने चुनौती दी थी। उसके बाद राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
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