राजनीति
जीत के करीब पहुंचे बाइडेन, प्रतिद्वंदी को रोकने कोर्ट गए ट्रंप

डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडेन को जीतने के लिए जितने चुनावी वोटों की जरूरत है, वे उसके करीब पहुंच गए हैं। इसके साथ ही उन्होंने घोषणा कर दी है कि वह ‘अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शासन’ करने के लिए तैयार हैं। वहीं वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने प्रतिद्वंदी को रोकने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
बाइडेन ने कहा, “हम यह घोषित करने के लिए यहां नहीं हैं कि हम जीत गए हैं, बल्कि मैं यहां यह बताने के लिए आया हूं कि मुझे विश्वास है कि जब गिनती खत्म हो जाएगी, तो हम विजेता होंगे।”
बुधवार की रात तक बाइडेन को 264 इलेक्टोरल वोट मिले थे, जो कि राष्ट्रपति बनने के लिए जरूरी 270 में से केवल 6 कम थे, वहीं ट्रंप को केवल 214 इलेक्टोरल वोट मिले थे। ट्रंप के जीतने का केवल एक ही तरीका है कि वे बचे हुए 60 वोटों में से 54 पर कब्जा कर पाएं।
इसके अलावा बाइडेन ने बुधवार दोपहर तक 70.3 मिलियन यानि कि 7 करोड़ से ज्यादा मतपत्र पाकर राष्ट्रपति पद के सबसे अधिक लोकप्रिय उम्म्मीदवार होने का एक रिकॉर्ड बनाया, जबकि गिनती जारी थी। वहीं ट्रंप को 67.5 मिलियन यानि कि 6.7 करोड़ वोट मिले थे।
अमेरिका में विजेता को लोकप्रिय वोटों से नहीं, बल्कि इलेक्टोरल कॉलेज या निर्वाचक मंडल के मतों की संख्या से निर्धारित किया जाता है। इसमें राज्यों के आकार के अनुसार वोट वितरित किए जाते हैं।
पोस्टल बैलेटों की गिनती जारी रखने के खिलाफ ट्रंप के अदालती मामले झेल रहे बाइडेन ने कहा, “हर वोट को गिना जाना चाहिए। कोई भी हमारे लोकतंत्र को हमसे दूर नहीं कर सकता है। हम लोग आत्मसमर्पण नहीं करेंगे।”
वहीं अब तक शांतिपूर्ण रहे माहौल में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। न्यूयॉर्क में हजारों प्रदर्शनकारियों ने मार्च किया।
वहीं बुधवार की सुबह तक कई प्रमुख राज्यों में आगे रहने वाले ट्रंप की बढ़त शाम तक कम हो गई। ट्रंप व्हाइट हाउस में रहे और ट्वीट किया, “कल रात मैं कई प्रमुख राज्यों में आगे था। फिर एक-एक करके हम जादुई रूप से गायब होने लगे, यह बहुत अजीब बात है। मतपेटियां गिनी जाने लगीं। पेंसिल्वेनिया, विस्कॉन्सिन और मिशिगन में सभी जगह बाइडेन को वोट मिल रहे हैं। हमारे देश के लिए यह बहुत बुरा है।”
ट्रंप ने पेन्सिलवेनिया, मिशिगन और जॉर्जिया में मुकदमे दायर किए हैं। कुछ राज्यों और उनकी अदालतों ने मंगलवार को मतदान के समापन के बाद मिले मतपत्रों की गिनती करने की अनुमति दी है जबकि ट्रंप ऐसा नहीं चाहते हैं। पेंसिल्वेनिया राज्य के सर्वोच्च न्यायालय के एक आदेश के अनुसार, निर्वाचन दिवस तक मतपत्रों की प्रक्रिया जारी रख सकता है और शुक्रवार तक उन्हें प्राप्त कर सकता है। ट्रंप ने बुधवार सुबह कहा कि वह अपने मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाएंगे। ऐसी ही स्थिति अन्य प्रमुख राज्यों में भी है।
राष्ट्रीय समाचार
छत्तीसगढ़ : सुरक्षाबलों ने 26 नक्सलियों को किया ढेर, एक जवान शहीद

नारायणपुर, 21 मई। छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी मिली है। यहां कोंडागांव के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों ने बुधवार को मुठभेड़ में 26 नक्सलियों को मार गिराया है। इस मुठभेड़ में एक जवान शहीद भी हुआ है।
नक्सलियों के पास से सुरक्षाबलों ने बड़ी मात्रा में गोला बारूद और हथियार बरामद किए है। इसकी जानकारी खुद राज्य के गृह मंत्री विजय शर्मा ने दी।
उन्होंने मीडिया से बात करते हुए बताया कि सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता मिली है, 26 से अधिक नक्सलियों को मार गिराया गया है। इस मुठभेड़ में कई बड़े नक्सली भी मारे गए हैं। विजय शर्मा ने बताया कि इस मुठभेड़ में एक जवान भी शहीद हुआ है, जबकि एक जवान घायल हुआ है। सर्च ऑपरेशन इलाके में जारी है।
इस मुठभेड़ में एक करोड़ के इनामी नक्सली नम्बाला केशवराव उर्फ वसवा राजू को भी ढेर कर दिया गया है। वह छत्तीसगढ़ के नारायणपुर और बीजापुर इलाके का कुख्यात नक्सली रहा है। उसके ऊपर 1 करोड़ का इनाम है। हालांकि अभी उसकी मौत की औपचारिक घोषणा नहीं हुई है। मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों की संख्या और बढ़ सकती है।
वहीं छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम अरुण साव ने मिडिया से बात करते हुए कहा कि राज्य में हमारी डबल इंजन की सरकार बनने के बाद नक्सलियों के उन्मूलन पर लगातार काम कर रही है। सुरक्षाबल के जवान दुर्गम इलाके में जाकर नक्सलियों का सफाया कर रहे हैं और नारायणपुर में 24 से ज्यादा नक्सली मारे गए हैं। निश्चित तौर बस्तर मार्च 2026 तक पूरी तरह से नक्सल मुक्त हो जाएगा।
इससे पहले सुरक्षा बलों ने कर्रेगुट्टा पहाड़ी क्षेत्र में चलाए गए संयुक्त अभियान में 31 नक्सलियों को मार गिराया था। इसके साथ ही भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद भी बरामद किए गए थे।
सीआरपीएफ के डीजी ने जानकारी दी थी कि नक्सल विरोधी अभियान की शुरुआत 2014 में हुई थी, लेकिन 2019 के बाद से इस अभियान ने अधिक गति पकड़ी है। जवानों के लिए देश भर में संयुक्त प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है, जिससे उनकी रणनीतिक और सामरिक क्षमताओं में वृद्धि हुई है।
उन्होंने बताया था कि जहां 2014 में 35 जिले नक्सली गतिविधियों के केंद्र हुआ करते थे, वहीं 2025 तक यह संख्या घटकर मात्र 6 जिलों तक सीमित रह गई है। सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के समन्वित प्रयासों के चलते नक्सली हिंसा में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है की गई है।
राजनीति
मुद्दे से ध्यान हटाने के लिए सरकार ने किया सांसदों का प्रतिनिधिमंडल भेजने का प्रयोग : संजय राउत

मुंबई, 21 मई। शिवसेना (यूबीटी) नेता और राज्यसभा सांसद संजय राऊत ने विदेशों में भारतीय सांसदों के प्रतिनिधिमंडल को भेजने पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार इस तरह का प्रयोग मुख्य मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए करती रहती है। सबसे पहले हमें पड़ोसी देश में जाना चाहिए।
सांसद संजय राउत ने मिडिया से बातचीत के दौरान कहा कि चीन ने खुलकर पाकिस्तान का साथ दिया है। ऐसे में चीन जाकर पाकिस्तान को बेनकाब करना चाहिए। पड़ोसी देश आपको पूछता नहीं है। आप यूरोप, यूएस और अफ्रीकी देशों में जा रहे हैं, जिनका भारत और पाकिस्तान युद्ध से कोई लेना-देना नहीं है।
उन्होंने कहा कि यह डेलिगेशन छोटे छोटे देशों में भेजे जा रहे हैं। इससे हमारी विदेश नीति से क्या संबंध है, खासकर भारत और पाकिस्तान के संदर्भ में। पड़ोसी देश के साथ आपके रिश्ते अच्छे नहीं हैं, इसलिए आप वहां नहीं जाना चाहते हैं।
संजय राउत ने कहा कि केंद्र सरकार यह कैसे तय कर सकती है कि किस पार्टी से कौन सा सांसद प्रतिनिधिमंडल में जाएगा। आपने आनन-फानन में नाम तय कर लिया है। ममता बनर्जी की टीएमसी से आपने यूसुफ पठान का नाम तय कर दिया, ममता ने साफ मना कर दिया कि यह नहीं चलेगा। उन्होंने अभिषेक बनर्जी का नाम दिया। अभिषेक इन मामलों में अधिक अनुभवी हैं।
पार्टी के फैसले से खुश रहने के सवाल पर संजय राउत ने कहा कि मैं पार्टी का फैसला हमेशा से मानता रहा हूं, लेकिन इस डेलिगेशन वाले मसले से कुछ हासिल होने वाला नहीं है।
बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और पाकिस्तान को बेनकाब करने के लिए भारत सरकार ने दुनिया के प्रमुख देशों में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने का फैसला किया है। इसको लेकर हालांकि राजनीति शुरू हो चुकी है। खासकर विभिन्न पार्टियों के सांसदों के नाम को लेकर विपक्षी दलों ने आपत्ति जताई है।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में कोविड: स्वास्थ्य विभाग सतर्क, मुंबई में कुल सक्रिय मरीजों की संख्या 10 के पार

मुंबई, 21 मई। महाराष्ट्र में कोविड ने दस्तक दे दी है। प्रदेश की राजधानी मुंबई में ही मंगलवार को कुल सक्रिय मरीजों की संख्या 15 बताई गई। स्वास्थ्य विभाग ने 20 मई को इसकी जानकारी दी साथ ही लोगों से अपील की कि वो किसी भी स्थिति में घबराएं नहीं।
इसके मुताबिक ऐहतियातन वर्तमान में महाराष्ट्र में कोविड के लिए आईएलआई (इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी) और एसएआरआई (गंभीर तीव्र श्वसन संक्रमण) को लेकर सर्वे चल रहा है।
टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए संक्रमितों का उपचार किया जा रहा है। विभाग के मुताबिक फिलहाल मामले ज्यादा भयावह नहीं हैं, मरीजों में लक्षण बेहद सामान्य या हल्के हैं।
इसके साथ ही जनता से अपील की गई है कि वो डरे नहीं, घबराएं नहीं। किसी भी तरह के लक्षण दिखें तो तुरंत पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट के माध्यम से कोविड परीक्षण कराएं। उपचार की सुविधा उपलब्ध है।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, जनवरी से अब तक कोरोनावायरस के लिए 6,066 स्वैब नमूनों की जांच की गई है, जिनमें से 106 मरीजों के नतीजे पॉजिटिव आए। इनमें से 101 मुंबई से और शेष 1 पुणे, 1 ठाणे और 3 कोल्हापुर से थे। मुंबई में कुल सक्रिय मरीजों की संख्या 101 पाई गई। राज्य में 52 मरीज हल्के लक्षणों के कारण उपचार करा रहे हैं, जबकि 16 मरीज अस्पतालों में उपचार करा रहे हैं।
वहीं, जनवरी से अब तक कोविड-19 से मरने वालों की संख्या 2 रही है। दोनों ही को-मॉर्बिड केस थे। जिनमें से एक मरीज को हाइपोकैल्सीमिया दौरे के साथ नेफ्रोटिक सिंड्रोम था और दूसरे को कैंसर था।
दिशानिर्देशों का पूर्णत: पालन किया जा रहा है और मरीजों को 7 दिनों के बाद छुट्टी दे दी जाती है। मरीजों की संख्या में छिटपुट वृद्धि केवल महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों और कुछ अन्य देशों में भी देखी जा रही है।
महाराष्ट्र में कोविड जीनोम सीक्वेंसिंग टेस्ट बी. जे. मेडिकल कॉलेज पुणे और एनआईवी पुणे में किया जाता है।
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