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भारती एक्सा जनरल इंश्योरेंस को महाराष्ट्र एवं कर्नाटक की सरकारों से मिला फसल बीमा का अनुदेश

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अग्रणी नॉन लाइफ इंश्योरर-भारती एक्सा जनरल इंश्योरेंस को महाराष्ट्र एवं कर्नाटक की सरकार से 800 करोड़ रुपये का फसल बीमा करने का अनुदेश मिला है, जिसके तहत यह प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के अंतर्गत किसानों की फसल का बीमा करेगा। कंपनी को दोनों राज्यों की सरकारों से तीन साल के लिए महाराष्ट्र के छह जिलों और कर्नाटक के तीन जिलों में पीएमएफबीवाई के क्रियान्वयन के अधिकार मिले हैं।

महाराष्ट्र में अहमदनगर, नासिक, चंद्रापुर, सोलापुर, जलगांव और सतारा तथा कर्नाटक में धरवाड़, मैसूरु और कोडागु के किसान 31 जुलाई तक अपने-अपने बैंकों या कंपनी के अधिकृत प्रतिनिधियों के माध्यम से अपनी खरीफ फसल का बीमा करा सकेंगे।

भारती एक्सा जनरल इंश्योरेंस के चीफ एक्जिक्यूटिव ऑफिसर एवं मैनेजिंग डायरेक्टर संजीव श्रीनिवासन ने कहा, “हमें खुशी है कि हमें महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ जिलों में पीएमएफबीवाई के तहत किसानों को उनकी फसल का बीमा उपलब्ध कराने के लिए चुना गया है। इससे उन्हें प्राकृतिक संकटों व अनिश्चितताओं से अपनी फसल की रक्षा करने में मदद मिलेगी। एक जिम्मेदारी बीमाकर्ता के रूप में हमारा उद्देश्य प्राकृतिक आपदा के चलते फसल नष्ट हो जाने पर किसानों को बीमा कवरेज एवं वित्तीय सहयोग प्रदान करना है। दोनों राज्यों में किसानों के लिए फसल बीमा के क्रियान्वयन के अलावा हम पीएमएफबीवाई के बारे में उपयोगी जानकारी साझा करने के लिए इनोवेटिव टेक्नॉलॉजी एवं डिजिटल क्षमताओं का उपयोग करेंगे तथा इन जिलों में क्लेम का तीव्रता व सुगमता से निपटान करेंगे।”

पीएमएफबीवाई किसानों को फसल की बुआई से लेकर कटाई, खराब फसल, कटाई के बाद फसल नष्ट होने सहित पूरे फसल चक्र में फसल को होने वाले नुकसान के लिए बीमा कवर प्रदान करता है।

भारती एक्सा जनरल इंश्योरेंस के सीनियर वाईस प्रेसिडेंट एवं हेड (कृषि व ग्रामीण बिजनेस एवं क्लेम्स) आलोक शुक्ला ने कहा, “पीएमएफबीवाई का उद्देश्य किसानों को अप्रत्याशित आपदाओं के कारण फसल को होने वाले नुकसान/क्षति से वित्तीय सुरक्षा देकर कृषि के सतत उत्पादन में मदद करना है। कृषि उत्पादन में अनिश्चितता के कारण किसानों पर आर्थिक दबाव रहता है। फसल बीमा उन्हें विपरीत मौसम के कारण होने वाले आर्थिक नुकसान से सुरक्षा प्रदान करता है। फसल बीमा किसानों की आय सुरक्षित करता है तथा खासकर आपदा के समय उन्हें मदद देता है ताकि वो खेती जारी रख सकें।”

फसल बीमा महाराष्ट्र एवं कर्नाटक के इन जिलों में किसानों को क्षेत्रफल के आधार पर विभिन्न बाहरी तत्वों जैसे बाढ़, सूखा, अकाल, भूस्खलन, चक्रवात, तूफान, कीटों व बीमारियों तथा स्थानीय आपदाओं आदि से फसल को होने वाले नुकसान के लिए सुरक्षा कवर प्रदान करेगा। यह फसल की बुआई से लेकर फसल की कटाई एवं फसल कटाई के बाद तक फसल चक्र के हर चरण में बीमा कवर प्रस्तुत करेगा।

श्रीनिवासन ने कहा कि इन जिलों में शेयरक्रॉपर्स से लेकर टीनेंट किसानों तक हर किसान उल्लिखित फसलों के लिए फसल बीमा का कवरेज ले सकेंगे। वो इस योजना की विस्तृत जानकारी महाराष्ट्र एवं कर्नाटक में कृषि कार्यालयों, बैंक, कॉमन सर्विस सेंटर्स एवं कंपनी के रजिस्टर्ड ऑफिस से प्राप्त कर सकेंगे तथा पीएमएफबीवाई के तहत इंश्योरेंस कवर प्राप्त कर सकेंगे।

श्रीनिवासन ने कहा, “हम इन जिलों में मास मीडिया, जैसे रेडियो, टेलीविजन, होडिर्ंग एवं स्थानीय घोषणाएं करके जागरुकता अभियान चलाएंगे और किसान समुदाय को इस योजना की उपयोगिता व फायदों पर शिक्षित करेंगे।”

भारती एक्सा जनरल इंश्योरेंस सरकार द्वारा स्पॉन्सर्ड फसल बीमा योजना में पिछले कई सालों से हिस्सा ले रहा है और यह बिहार, कर्नाटक, गुजरात, झारखंड एवं महाराष्ट्र में 28.44 लाख किसानों को बीमा प्रदान कर चुका है। वित्तवर्ष 2019-20 में कंपनी ने गुजरात, झारखंड एवं महाराष्ट्र में 8.83 लाख किसानों का बीमा किया। इस योजना के तहत कंपनी 3.8 लाख से ज्यादा किसानों को फसल बीमा के तहत लाभ दे चुकी है।

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जीएसटी डे : बीते 5 वर्षों में वस्तु एंव सेवा कर संग्रह बढ़कर दोगुना हुआ, सक्रिय करदाता 1.51 करोड़ के पार

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नई दिल्ली, 30 जून। 1 जुलाई 2025 को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के आठ वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। जीएसटी को एक सशक्त और अधिक एकीकृत अर्थव्यवस्था की नींव रखने में महत्वपूर्ण मानते हुए वर्ष 2017 में शुरू किया गया था।

जीएसटी के साथ कर अनुपालन सरल होने के साथ कारोबारियों की लागत में कमी आई और माल को बिना किसी परेशानी के देश के एक राज्य से दूसरे में ले जाने की अनुमति मिली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जीएसटी का परिचय ‘नए भारत के एक मार्गदर्शक कानून’ के रूप में दिया था। बीते आठ वर्षों में जीएसटी को जबरदस्त सफलता मिली और जीएसटी कलेक्शन को लेकर लगातार वृद्धि दर्ज की गई।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जीएसटी कलेक्शन को लेकर बीते 5 वर्षों में लगभग दोगुना वृद्धि दर्ज की गई है, जो कि वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 11.37 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-2025 में 22.08 लाख करोड़ रुपए हो गया। जीएसटी कलेक्शन में यह तेजी अनुपालन और आर्थिक गतिविधि में निरंतर वृद्धि को दर्शाती है।

आधिकारिक डेटा के अनुसार, जीएसटी कलेक्शन के साथ-साथ सक्रिय जीएसटी करदाताओं की संख्या में भी जबरदस्त उछाल दर्ज किया गया है, जो कि 30 अप्रैल 2025 तक बढ़कर 1,51,80,087 हो गए हैं।

जीएसटी के वर्तमान स्ट्रक्चर में दरों के चार मुख्य स्लैब 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत हैं। ये दरें देशभर में अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं पर लागू होती हैं। हालांकि, मुख्य स्लैब के अलावा, तीन विशेष दरें भी तय की गई हैं। जीएसटी की दर सोना, चांदी, हीरा और आभूषण पर 3 प्रतिशत, कटे एवं पॉलिश किए गए हीरे पर 1.5 प्रतिशत और कच्चे हीरे पर 0.25 प्रतिशत लगती है।

जीएसटी को एक राष्ट्र, एक कर के उद्देश्य से पेश किया गया था। जीएसटी आने के साथ ही विभिन्न अप्रत्यक्ष करों की एक विस्तृत श्रृंखला को एक कर दिया गया। जीएसटी ने उत्पाद शुल्क, सेवा कर और वैट जैसे करों की जगह ले ली। इससे देश में कर प्रणाली में एकरूपता आई।

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भारत के परिवहन, लॉजिस्टिक्स सेक्टर में डील वैल्यू 2025 की पहली छमाही में 85 प्रतिशत बढ़ी

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नई दिल्ली, 27 जून। भारत के परिवहन और लॉजिस्टिक्स सेक्टर ने 2025 की पहली छमाही में शानदार वृद्धि हासिल की, जिसमें कुल डील वैल्यू बढ़कर 609.7 मिलियन डॉलर हो गई, जो कि 2024 की पहली छमाही से 85 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि को दर्शाता है।

ग्रांट थॉर्नटन भारत रिपोर्ट के अनुसार, डील वॉल्यूम में 16 से 25 तक की शानदार वृद्धि हुई, जो निवेशकों के मजबूत विश्वास और सेक्टर के परिवर्तन में निरंतर रुचि को दर्शाता है।

भारत का लॉजिस्टिक्स सेक्टर स्थिर मांग, विकसित होते कॉस्ट स्ट्रक्चर और सस्टेनेबिलिटी पर बढ़ते जोर के साथ एक गतिशील चरण से गुजर रहा है।

निष्कर्षों से पता चला कि माल ढुलाई और सर्विसिंग की बढ़ती लागत मार्जिन पर भार डाल रही है, बावजूद इसके इन्वेंट्री मूवमेंट मजबूत बना हुआ है।

यह सेक्टर डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और कम उत्सर्जन वाली सुविधाओं में महत्वपूर्ण निवेश के साथ-साथ लागत कम करने और टर्नअराउंड समय में सुधार करने के उद्देश्य से पॉलिसी टेलविंड के साथ सस्टेनेबिलिटी में भी प्रगति कर रहा है।

2025 की दूसरी तिमाही के लिए विलय और अधिग्रहण (एमएंडए) मूल्यों में उछाल डेल्हीवरी द्वारा ईकॉम एक्सप्रेस के अधिग्रहण जैसे ऐतिहासिक डील की वजह से देखा गया।

रिपोर्ट में बताया गया है कि प्राइवेट इक्विटी निवेशकों ने स्मार्टशिफ्ट (पोर्टर), रूटमैटिक और सेल्सियस लॉजिस्टिक्स जैसी डिजिटल-फर्स्ट लॉजिस्टिक्स कंपनियों का समर्थन करना जारी रखा, जो कि लास्ट-माइल और इंट्रा-सिटी डिलीवरी में दक्षता लाने वाले स्केलेबल, एसेट-लाइट मॉडल में विश्वास को दर्शाता है।

इस बीच, मुख्य रूप से चीन में बंदरगाह की भीड़ और कंटेनर की कमी के कारण प्रमुख ट्रांस-पैसिफिक और इंट्रा-एशिया मार्गों पर माल ढुलाई दरों में 28 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है।

पूर्वी एशिया में कंटेनरों की भरमार के कारण दक्षिण एशिया में उपलब्धता कम हो गई है, जिससे भारतीय निर्यातकों को गारंटीकृत स्लॉट के लिए प्रीमियम का भुगतान करना पड़ रहा है।

रिपोर्ट में जोर दिया गया है कि लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री जलवायु परिवर्तन से निपटने में सबसे आगे है, जिसमें सस्टेनेबिलिटी तेजी से नियामक आवश्यकता से व्यवसायिक अनिवार्यता में बदल रही है।

कॉर्पोरेट रणनीतियों में ईएसजी-से जुड़े लॉजिस्टिक्स को इंटीग्रेट करने से निवेशकों, उपभोक्ताओं और नियामकों के साथ सस्टेनेबिलिटी की साख बढ़ेगी। अगले पांच से सात वर्षों में, भारत के हेवी-ड्यूटी ट्रक बेड़े का एक-तिहाई हिस्सा एलएनजी में परिवर्तित होने की उम्मीद है और कई निजी कंपनियों ने पहले ही स्वच्छ विकल्प अपनाना शुरू कर दिया है।

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दोपहिया वाहनों पर टोल लगने की रिपोर्ट का नितिन गडकरी ने किया खंडन, कहा- ऐसा कोई निर्णय प्रस्तावित नहीं

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नई दिल्ली, 26 जून। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को दोपहिया वाहनों पर टोल लगने की रिपोर्ट्स का खंडन करते हुए कहा कि ऐसा कोई निर्णय प्रस्तावित नहीं है।

केंद्रीय मंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “कुछ मीडिया हाऊसेस द्वारा दोपहिया वाहनों पर टोल टैक्स लगाए जाने की भ्रामक खबर फैलाई जा रही हैं। ऐसा कोई निर्णय प्रस्तावित नहीं हैं। दोपहिया वाहन के टोल पर पूरी तरह से छूट जारी रहेगी। बिना सच्चाई जाने भ्रामक खबरें फैलाकर सनसनी निर्माण करना स्वस्थ पत्रकारिता के लक्षण नहीं है। मैं इसकी निंदा करता हूं।”

दरअसल, मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि राष्ट्रीय राजमार्ग के सभी टोल पर दोपहिया वाहनों को भी टैक्स देना होगा और यह नियम 15 जुलाई से लागू होगा।

रिपोर्ट में आगे कहा गया था कि टोल चुकाने के लिए दोपहिया वाहनों को भी गाड़ियों की तरह फास्टैग लेना होगा और जो वाहन इस नियम का उल्लंघन करेगा, उसे 2 हजार रुपए का जुर्माना देना होगा।

इससे पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 18 जून को वार्षिक फास्टैग का ऐलान किया था। सरकार की ओर से यह घोषणा निजी वाहन चालकों पर टोल के बोझ को कम करने के लिए की गई है।

इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने कहा, “एक ऐतिहासिक पहल के तहत, 15 अगस्त 2025 से 3,000 रुपए की कीमत वाला फास्टैग आधारित वार्षिक पास शुरू किया जा रहा है। यह पास सक्रिय होने की तिथि से एक वर्ष तक या 200 यात्राओं तक, जो भी पहले हो, वैध रहेगा।”

इस वार्षिक पास से निजी वाहन चालकों को बार-बार फास्टैग रिचार्ज से करने से छुटकारा मिल जाएगा और वे आसानी से बिना किसी रुकावट से यात्रा कर पाएंगे।

केंद्रीय मंत्री ने अनुसार, यह वार्षिक पास केवल गैर-व्यावसायिक निजी वाहनों (कार, जीप, वैन आदि) के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है और यह देशभर के राष्ट्रीय राजमार्गों पर निर्बाध यात्रा को संभव बनाएगा। वार्षिक पास को रिन्यू करने लिए जल्द ही राजमार्ग यात्रा ऐप और एनएचएआई / एमओआरटीएच की वेबसाइट्स पर एक अलग लिंक उपलब्ध करवाया जाएगा, जिससे प्रक्रिया सरल और सुगम होगी।

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