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Saturday,14-June-2025
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बैंक हड़ताल से 37 हजार करोड़ रुपये के 38 लाख चेकों की निकासी प्रभावित

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सरकारी बैंकों के निजीकरण के खिलाफ चल रही दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी बैंक हड़ताल ने लगभग 37,000 करोड़ रुपये के चेक की निकासी को प्रभावित किया है। अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) के महासचिव सी. एच. वेंकटचलम ने इसकी जानकारी दी है।

वेंकटचलम ने कहा, “भारत में तीन चेक क्लियरिंग सेंटर चेन्नई, दिल्ली और मुंबई में हैं। दो दिनों में (गुरुवार और शुक्रवार) लगभग 37,000 करोड़ रुपये के लगभग 38 लाख चेक रुके हुए थे।”

वेंकटचलम ने ग्रिड के हिसाब से जानकारी देते हुए कहा कि चेन्नई में करीब 10,600 करोड़ रुपये के करीब 10 लाख चेक, मुंबई में करीब 15,400 करोड़ रुपये के करीब 18 लाख चेक और दिल्ली में 11,000 करोड़ रुपये के करीब 11 लाख चेक का भुगतान नहीं किया गया।

उन्होंने कहा, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्मचारियों के अलावा, पुरानी पीढ़ी के निजी बैंकों के कर्मचारी और अधिकारी जैसे फेडरल बैंक, कर्नाटक बैंक, करूर वैश्य बैंक, सीएसबी बैंक, साउथ इंडियन बैंक, धनलक्ष्मी बैंक, रत्नाकर बैंक, जम्मू-कश्मीर बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक भी हड़ताल पर थे।

सिटी बैंक, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, सोनाली बैंक, बैंक ऑफ अमेरिका और अन्य जैसे विदेशी बैंकों के कर्मचारी भी हालांकि बहुत कम संख्या में हड़ताल पर हैं।

उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के कर्मचारियों और अधिकारियों का एक वर्ग भी हड़ताल पर है।

हड़ताल में शामिल नहीं होने के कारण करीब एक लाख बैंक शाखाएं बंद हैं और वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में कुछ अन्य को खुला रखा गया है।

हालांकि, उन शाखाओं में कोई लेनदेन नहीं हुआ क्योंकि अन्य कर्मचारी हड़ताल पर थे।

हड़ताल का आह्वान यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) ने किया था, जो कई बैंक यूनियनों की एक संस्था है।

वेंकटचलम ने कहा कि हड़ताल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के निजीकरण और संसद के मौजूदा सत्र में बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 पेश करने के केंद्र के कदम के खिलाफ है।

विधेयक के पारित होने से सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में उनकी इक्विटी पूंजी को 51 प्रतिशत से कम करने में सक्षम होगी और निजी हाथों को उन पर अधिकार करने की अनुमति देगी।

केंद्र ने पहले कहा था कि वह अपने दो बैंकों का निजीकरण करेगा।

राष्ट्रीय

ओडिशा : पुरी जगन्नाथ मंदिर में देवस्नान पूर्णिमा का भव्य आयोजन, मुख्यमंत्री हुए शामिल

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पुरी, 11 जून। ओडिशा के पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर में बुधवार को देवस्नान पूर्णिमा का पवित्र पर्व भक्ति और भव्यता के साथ मनाया गया। हजारों भक्त भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, देवी सुभद्रा और सुदर्शन के पवित्र स्नान अनुष्ठान को देखने के लिए मंदिर पहुंचे।

इस खास मौके पर ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी और कई विधायकों ने भी मंदिर में दर्शन किए और अनुष्ठानों में हिस्सा लिया।

सुबह 5:32 बजे मंगलार्पण के साथ अनुष्ठान शुरू हुआ। इसके बाद भगवान सुदर्शन, बलभद्र, सुभद्रा और जगन्नाथ की पहांडी (जुलूस) स्नान मंडप तक ले जाई गई।

भगवान सुदर्शन की पहांडी (रथ पर चढ़ने की प्रक्रिया) सुबह 5:45 बजे, बलभद्र की 5:53 बजे, सुभद्रा की 6:06 बजे और भगवान जगन्नाथ की 6:22 बजे शुरू हुई।

सुबह 7:46 बजे जलाभिषेक अनुष्ठान शुरू हुआ, जिसमें सुनकुआ (स्वर्ण कुआं) से लाए गए पवित्र जल के 108 घड़ों से देवताओं का स्नान कराया गया।

यह परंपरा जगन्नाथ संस्कृति का अनमोल हिस्सा है। सुबह 8:42 बजे भगवान जगन्नाथ के स्नान मंडप पहुंचने के साथ पहांडी अनुष्ठान पूरा हुआ।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने पिपिली विधायक आश्रित पटनायक, सत्यबाड़ी विधायक उमा शंकर और ब्रह्मपुर विधायक उपासना महापात्रा के साथ मंदिर में पूजा-अर्चना की।

उन्होंने स्नान मंडप से पहांडी अनुष्ठान देखा और भक्तों का अभिवादन किया। मुख्यमंत्री ने हाथ जोड़कर और दर्शक दीर्घा से हाथ हिलाकर भक्तों का स्वागत किया, जिसे भीड़ ने उत्साह से जवाब दिया।

देवस्नान पूर्णिमा का यह पर्व इसलिए खास है, क्योंकि इस दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा और सुदर्शन को गर्भगृह से बाहर लाकर सार्वजनिक दर्शन के लिए स्नान मंडप पर रखा जाता है। यह साल का एकमात्र मौका होता है, जब भक्त इन अनुष्ठानों को इतने करीब से देख पाते हैं। यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि दृश्यों के लिहाज से भी मंत्रमुग्ध करने वाला होता है। साथ ही, यह विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा की तैयारियों की शुरुआत का भी प्रतीक है।

मंदिर प्रशासन ने इस आयोजन के लिए कड़े सुरक्षा इंतजाम किए थे, ताकि भक्तों को किसी तरह की परेशानी न हो। भक्तों ने इस पवित्र अवसर पर भगवान के दर्शन और अनुष्ठानों को देखकर खुद को धन्य महसूस किया। यह पर्व पुरी की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को और समृद्ध करता है।

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राष्ट्रीय

एक्सिओम 4 मिशन का प्रक्षेपण फिर टला, स्पेसएक्स और इसरो ने बताई वजह

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नई दिल्‍ली, 11 जून। भारतीय अंतरिक्षयात्री शुभांशु शुक्ला को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन ले जाने वाले एक्सिओम-4 मिशन को एक बार फिर स्थगित कर दिया गया है। स्पेसएक्स और इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसकी जानकारी दी है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पोस्ट में बताया, “इसरो पर पहला भारतीय गगनयात्री भेजने के लिए 11 जून 2025 को लॉन्च होने वाले एक्सिओम 04 मिशन को स्थगित कर दिया गया है। फाल्कन 9 लॉन्च वाहन के बूस्टर चरण के प्रदर्शन से पहले लॉन्च पैड पर सात सेकंड का हॉट टेस्ट किया गया। परीक्षण के दौरान प्रोपल्शन बे में एलओएक्स रिसाव का पता चला। इसरो टीम की ओर से एक्सिओम और स्पेसएक्स के विशेषज्ञों के साथ इस विषय पर चर्चा के आधार पर रिसाव को ठीक करने और लॉन्च के लिए मंजूरी देने से पहले आवश्यक सत्यापन परीक्षण करने का निर्णय लिया गया है। इसलिए 1 जून 2025 को होने वाले एक्सिओम 04 के प्रक्षेपण को स्थगित कर दिया गया है।”

यानि रॉकेट फाल्कन 9 में आई खराबी के कारण इसे फिलहाल टाल दिया गया है। स्पेसएक्स ने भी एक्स पोस्ट में इसकी तस्दीक की। बताया कि प्रक्षेपण के लिए इस्तेमाल किए जा रहे फाल्कन 9 रॉकेट में तकनीकी खराबी के कारण अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए मिशन को स्थगित कर दिया गया है। प्रक्षेपण की नई तारीख फिलहाल तय नहीं हुई है।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले इस मिशन को 29 मई के लिए शेड्यूल किया गया था। लेकिन, कुछ तकनीकी खामियों के चलते इसे स्थगित कर दिया गया। फिर इसके लॉन्चिंग के लिए 10 जून की तारीख तय की गई थी।

एक्सिओम-4 मिशन भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक बड़ी उपलब्धि है क्योंकि शुभांशु शुक्ला चार दशकों में अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले पहले भारतीय बनेंगे, जो राकेश शर्मा के नक्शेकदम पर चलने वाले हैं, जिन्होंने 1984 में सोवियत अंतरिक्ष यान में उड़ान भरी थी।

आपको बता दें केंद्र सरकार ने एक्सिओम-4 मिशन में भारत की भागीदारी के लिए 550 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।

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राष्ट्रीय

148वीं रथ यात्रा से पहले अहमदाबाद में निकलेगी भगवान जगन्नाथ की जलयात्रा

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अहमदाबाद, 11 जून। भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा को लेकर अहमदाबाद में तैयारियां जोरों पर हैं। 27 जून को आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन यहां भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकलने वाली है। उससे पहले, बुधवार को ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान की जल यात्रा निकलेगी।

चली आ रही परंपरा के मुताबिक, जलयात्रा के जरिए भगवान जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलराम के साथ ननिहाल यानी सरसपुर जाते हैं और यहां 15 दिन तक रुकते हैं।

जलयात्रा में शामिल भक्तगण साबरमती नदी से 108 कलशों में जल लेकर मंदिर तक आएंगे। फिर उस जल से भगवान जगन्नाथ का अभिषेक किया जाएगा। इस जल यात्रा में संत, महंत, स्थानीय लोग और कुछ राजनीतिक नेता भी शामिल होंगे।

इस जलयात्रा को लेकर महाराज दिलीप दास ने कहा, “148वीं रथ यात्रा भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के पावन अवसर के पूर्व ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन जल यात्रा महोत्सव मनाया जाता है। 108 कलश में साबरमती नदी का जल भरकर भगवान को स्नान कराया जाता है। यह परंपरा बरसों से चली आ रही है। अनेक भक्त, संत, महंत और राजकीय माननीय गणों के बीच इस महोत्सव का आयोजन हो रहा है।”

बता दें कि भगवान के ननिहाल सरसपुर में भी तैयारियां बड़ी धूमधाम से चल रही हैं। भगवान जगन्नाथ का स्वागत करने के लिए भव्य तैयारी की जा रही है। इसके तहत, भगवान पर ड्रोन के जरिए फूलों की वर्षा की जाएगी। बैंडबाजे और ढोल-ताशे से भगवान जगन्नाथ का स्वागत होगा।

भगवान के स्वागत के लिए यहां अंबेडकर हॉल से भगवान रणछोड़ राय मंदिर तक शोभायात्रा निकाली जाएगी। इसमें तकरीबन तीन हजार लोग हिस्सा लेंगे। मंदिर के आसपास सड़कों पर खूबसूरत रंगोली बनाई गई है।

भगवान जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और भाई बलराम की प्रतिमा मंदिर में दर्शन के लिए रखी जाएंगी। भक्त उनके दर्शन करने के लिए दूर-दूर से आएंगे। भगवान सरसपुर में 15 दिनों तक रहेंगे, इस दौरान रणछोड़ राय मंदिर में हर दिन भजन कीर्तन होगा।

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