राजनीति
आजाद ने कहा, पार्टी छोड़ने के लिए उन्हें किया गया मजबूर, मोदी की तारीफ की
कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देने के बाद पार्टी व राहुल के भविष्य पर चिंता जाहिर करते हुए गुलाम नबी आजाद के कहा कि, घर वालों नें घर छोड़ने के लिए मजबूर किया, वहीं पार्टी के लिए मैं बस दुआ ही कर सकता हूं लेकिन मेरी दुआ से कुछ ठीक होने वाला नहीं है। पार्टी के लिए दवा चाहिए और उसके लिए जो डॉक्टर है वह कंपाउंडर है। जबकि सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर चाहिए।
गुलाम नबी आजाद ने सोनिया गांधी को शुक्रवार को 5 पन्नों का त्यागपत्र भेजा और पार्टी छोड़ दी। अपने पत्र में उन्होंने राहुल गांधी व पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए। पार्टी से इस्तीफा देने के बाद गुलाम नबी आजाद ने पार्टी छोड़े जाने पर कहा कि, घर वालों ने ही घर छोड़ने को मजबूर कर दिया। जब घरवालों को लगे ये आदमी नहीं चाहिए और आदमी को लगे कि हमको पराया समझने लगे हैं तो व्यक्ति घर छोड़ कर चला जाता है।
हालांकि भाजपा के साथ मिलीभगत का आरोप लगाए जाने पर गुलाम नबी आजाद नें कहा, नरेंद्र मोदी या बीजेपी से वो मिले हैं जो मोदी जी का सपना पूरा कर रहे हैं, मोदी जी ने कहा था ‘कांग्रेस मुक्त भारत’, जिन लोगों नें कांग्रेस मुक्त भारत बनाने में उनकी सहायता की, वो मोदी जी से मिले हुए हैं। लोकसभा में स्पीच देने के बाद, जो लोग उनसे गले मिलते हैं वो मिले है, मैं नहीं।
हाल ही में कांग्रेस नेता जयराम रमेश के मोदी-फाइड और डीएनए वाले बयान पर आजाद ने कहा कि, उनका क्या डीएनए है? किसी को नहीं मालूम, किस स्टेट से हैं? किसी को नहीं मालूम, किस डिस्ट्रिक्ट से हैं? यह नहीं मालूम। पहले वो अपना डीएनए चेक कराएं। वह तो कुछ साल पहले फ्रीलांसर थे? वह किस सरकार में काम कर रहे थे? किस-किस पार्टी में उनका क्या डीएनए रहा? जो हाउस में बैठ कर बीजेपी को स्लिप भेजते रहे।
हाउस में बीजेपी और उनके बीच में 100 स्लिपों का आदान-प्रदान होता था, अब वह चेक करेंगे हमारा डीएनए क्या है? सिर्फ चापलूसी करके या ट्वीट करने के लिए पद मिले हैं वो हमारे ऊपर आरोप लगाए तो हमें बहुत दुख होता है।
राज्यसभा में गुलाम नबी आजाद के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निकले आंसू पर जवाब देते हुए उन्होंने कहा, नरेंद्र मोदी मेरे लिए नहीं रोये थे, वह एक घटना का जिक्र कर रहे थे। मैं उन्हें क्रूर समझता था लेकिन उन्होंने इंसानियत दिखाई। हम एक दूसरे के लिए नहीं बल्कि हम उस घटना को लेकर रोए थे।
उन्होंने आगे कहा, मोदी तो बहाना है, इनकी आंखों में खटकते हैं। जिस दिन से हमने जी-23 का एक पत्र लिखा था। यह कहते थे कि हमको कोई पत्र लिखना नहीं चाहिए। जब हमने उनकी कार्यप्रणाली को लेकर चुनौती दी, तो उनकी आंखों में खटक रहे थे। उसके बाद कई बैठकें हुईं, हमसे एक सुझाव नहीं लिया गया।
हमने एक बैठक में कहा था, हमें कोई पद नहीं चाहिए, चुनाव को लेकर कैम्पेन कमिटी बनाइए, लेकिन ये कमिटी तब बनाते हैं जब चुनाव खत्म हो जाता है। हम जी-23 वाले कैम्पेन खुद करना चाहते थे, हम पार्टी से कोई सुविधा नहीं लेना चाहते थे, हमने मुफ्त काम करने के लिए कहा तो क्या यह कांग्रेस को बनाने के लिए मैंने कहा था या मोदी को बनाने के लिए?
होने वाले कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव और संगठन को लेकर गुलाम नबी आजाद ने कहा कि, कांग्रेस पार्टी का बैंक लुट गया है, बैंक में कुछ नहीं है। अब जनरल मैनेजर बदलने से क्या? वो खिड़की दरवाजे अलमारियों का मैनेजर होगा। कांग्रेस की भी यही हालत है। कांग्रेस में कुछ नहीं है, सब दूसरी पार्टी में भाग गए, यह हमसे कहते हैं कि पार्टी के बड़े जा रहे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया, सुष्मिता देव, आर.पी.एन. सिंह .. राहुल गांधी गुजरात से नए लड़के लेकर आए, वो भी चले गए। क्यों भाग गए? यह सब तो राहुल की टीम थे।
नई पार्टी बनाने को लेकर उन्होंने कहा, हमें पूरे देश से संदेश आते हैं कि राष्ट्रीय पार्टी बनाओ, मैंने उसपर अभी कोई ध्यान नहीं दिया है। लेकिन मांग है कि पार्टी बनाई जाए और यह वह लोग बोल रहे हैं जो भाजपा, रिजनल पार्टी में नहीं जाना चाहते। हमने कांग्रेस पार्टी छोड़ी है लेकिन विचाधारा नहीं छोड़ी है। कांग्रेस पार्टी हर दिन सिकुड़ती जा रही है। कांग्रेस से लोग इतना फस्र्टटेड हैं कि छोटे विकल्प में भी जाना चाहते हैं।
राष्ट्रीय पार्टी बनाने में अभी वक्त है उसके लिए बहुत चीजों की जरूरत होती है। जम्मू-कश्मीर का हम तुरंत दौरा शुरू करेंगे।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
श्रीलंका में चक्रवात से तबाह हुए पुलों और सड़कों को दोबारा बना रही है भारतीय सेना

नई दिल्ली, 12 दिसंबर: विनाशकारी चक्रवात दितवाह से प्रभावित श्रीलंका की जनता को त्वरित मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए भारत ऑपरेशन ‘सागर बंधु’ चला रहा है। इसी अभियान के तहत भारतीय सेना की एक 48 सदस्यीय इंजीनियर टास्क फोर्स को श्रीलंका में तैनात किया गया है।
भारतीय सेना की यह विशेष टीम युद्धस्तर पर राहत एवं बचाव से जुड़े काम कर रही है। राहत कार्यों के लिए की गई यह पहल भारत की पड़ोसी प्रथम नीति के अनुरूप है। भारतीय सेना के मुताबिक टास्क फोर्स की प्राथमिक जिम्मेदारी चक्रवात से क्षतिग्रस्त सड़कों और पुलों की मरम्मत एवं पुनर्निर्माण है।
गौरतलब है कि चक्रवात, तेज बारिश और बाढ़ के कारण कई इलाकों में सड़क संपर्क टूट गया है। अब यहां टूटी हुई सड़कों की मरम्मत की जा रही है ताकि राहत सामग्री और आवश्यक सेवाओं की आवाजाही सुचारू रूप से हो सके। भारतीय सेना की इस टीम में विशेष रूप से ब्रिजिंग एक्सपर्ट, सर्वेयर, वॉटरमैनशिप विशेषज्ञ, भारी इंजीनियरिंग उपकरणों, ड्रोन और अनमैन्ड सिस्टम संचालन में दक्ष कर्मी शामिल हैं। सभी विशेषज्ञ मिलकर सटीक, तेज और प्रभावी इंजीनियरिंग सहायता उपलब्ध करा रहे हैं। इस सहायता में बुरी तरह क्षतिग्रस्त सड़कों का पुनर्निर्माण, टूटे हुए पुलों को जोड़ना और अन्य ढांचागत सुविधाएं बहाल करना शामिल है।
भारतीय सेना की इंजीनियर टास्क फोर्स के पास यहां श्रीलंका में फिलहाल चार सेट बेली ब्रिज उपलब्ध हैं। इन्हें भारतीय वायुसेना के सी-17 विमान से श्रीलंका पहुंचाया गया है। इनके माध्यम से कटे हुए इलाकों में त्वरित संपर्क बहाली की जाएगी। इसके अतिरिक्त टास्क फोर्स के पास पन्यूमैटिक नावें, आउटबोर्ड मोटर, हेवी पेलोड ड्रोन, रिमोट-कंट्रोल्ड बोट आदि अत्याधुनिक उपकरण भी उपलब्ध हैं।
सेना का कहना है कि इन्हीं संसाधनों के दम पर टीम राहत व बचाव कार्य, अस्थायी आश्रय, सड़कों और पुल जैसी महत्वपूर्ण संरचनाओं के निर्माण में सक्षम है। श्रीलंकाई अधिकारियों द्वारा बताए गए आवश्यक स्थानों के आधार पर, भारतीय इंजीनियर टास्क फोर्स ने श्रीलंका सेना और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर कई पुल स्थलों का रेकी का काम किया है। इन पुलों को तत्काल मरम्मत की आवश्यकता है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कई पुलों पर कार्य प्रारंभ भी कर दिया गया है। यहां मॉड्यूलर बेली ब्रिज स्थापित किया जा रहा है, जिसे आवश्यकताओं के अनुसार विभिन्न कॉन्फिगरेशन में लगाया जा सकता है। इसके तैयार होते ही इस क्षेत्र की कनेक्टिविटी बहाल हो जाएगी।
सेना के अनुसार ऑपरेशन ‘सागर बंधु’ सिर्फ राहत कार्य नहीं, बल्कि भारत की पड़ोसी देशों के प्रति प्रतिबद्धता, त्वरित सहायता और मानवीय सहयोग की भावना का प्रतीक है। भारतीय सेना की यह इंजीनियर टास्क फोर्स श्रीलंका के संकटग्रस्त क्षेत्रों में आशा और सहायता दोनों का महत्त्वपूर्ण स्तंभ बनकर काम कर रही है।
राजनीति
संसद पर आतंकी हमले की 24वीं बरसी: राज्यसभा में शहीदों को नमन

LOCKSABHA
नई दिल्ली, 12 दिसंबर: भारतीय संसद भवन पर 13 दिसंबर को घातक आतंकी हमला हुआ था। हालांकि आतंकवादियों के इस हमले को नाकाम कर दिया गया था। इस हमले को विफल करने में सुरक्षाबलों व संसद के कई कर्मचारियों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए।
शहीद हुए इन सभी लोगों की स्मृति में शुक्रवार को राज्यसभा ने गहरा सम्मान व्यक्त किया। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सभापति सी.पी. राधाकृष्णन ने इस दुखद दिवस का उल्लेख करते हुए पूरे सदन के साथ शहीदों को नमन किया। राज्यसभा में इन शहीदों के लिए मौन रखा गया।
राज्यसभा के सभापति ने कहा कि कल 13 दिसंबर वह काला दिन है जब लोकतंत्र के सर्वोच्च संस्थान यानी भारतीय संसद भवन पर आतंकियों ने हमला किया था। सभापति राधाकृष्णन ने कहा, “13 दिसंबर 2001 का दिन भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का अत्यंत वेदनापूर्ण दिन है। उस संसद भवन में कई सांसद और कर्मचारी मौजूद थे, लेकिन हमारे वीर सुरक्षा कर्मियों ने अपने अद्वितीय साहस, तत्परता और बलिदान से आतंकियों की योजना को विफल कर लोकतंत्र की मर्यादा की रक्षा की।”
उन्होंने आगे कहा कि कई बहादुर जवान ऐसे थे जिन्होंने आतंकियों और इस ‘लोकतंत्र के मंदिर’ के बीच अपनी जान की परवाह किए बिना अडिग खड़े होकर गोलियां झेलीं। उनकी निस्वार्थ कर्तव्यनिष्ठा आज भी हम सभी को प्रेरित करती है। सभापति ने उन सभी सुरक्षा कर्मियों के बलिदान को याद किया जिन्होंने हमले को रोकते हुए प्राण न्योछावर किए।
सभापति ने कहा कि इन सभी वीरों ने भारतीय लोकतंत्र की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। सभापति के अनुरोध पर राज्यसभा के सभी सदस्य अपने-अपने स्थान पर खड़े हो गए। सदन में दो मिनट का मौन रखा गया, जिससे सदन गंभीर माहौल में शहीदों की स्मृति को नमन कर सके।
गौरतलब है कि 13 दिसंबर 2001 की सुबह लगभग 11 बजकर 30 मिनट पर पांच आतंकियों ने एक नकली स्टिकर लगी कार से संसद परिसर में प्रवेश किया। हमलावरों ने यहां स्वचालित हथियारों से अंधाधुंध फायरिंग की। सुरक्षा कर्मियों ने तुरंत मोर्चा संभालकर संसद भवन के मुख्य द्वार की ओर बढ़ रहे आतंकियों को रोक दिया।
सुरक्षाबलों की कार्रवाई में सभी पांच आतंकवादी मारे गए। सुरक्षा कर्मियों की इस त्वरित कार्रवाई के कारण उस समय संसद भवन में मौजूद सैकड़ों सांसदों, कर्मचारियों और मीडिया प्रतिनिधियों की जान बच सकी। राज्यसभा सांसदों का कहना है कि उन शहीदों के प्रति हमारी कृतज्ञता शब्दों में व्यक्त नहीं की जा सकती। यह हमारा कर्तव्य है कि हम उनके बलिदान की भावना को जीवित रखते हुए अपने लोकतांत्रिक आदर्शों की रक्षा करें और उन्हें और मजबूत बनाएं। सदन के विभिन्न सदस्यों ने इस घटना की गंभीरता को याद करते हुए कहा कि संसद पर हमला केवल एक इमारत पर हमला नहीं था, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र की आत्मा पर हमला था।
उन्होंने शहीदों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की और कहा कि देश उनकी बहादुरी को कभी नहीं भूल सकता।
राजनीति
इंडिगो पर डीजीसीए का बड़ा एक्शन, निरीक्षकों को निकाला और सीईओ को दोबारा समन किया

नई दिल्ली, 12 दिसंबर: देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो पर नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने बड़ा एक्शन लिया है और उन चार फ्लाइट निरीक्षकों को निकाल दिया है, जो कि इंडिगो की सुरक्षा और ऑपरेशनल मानकों के लिए जिम्मेदार थे।
डीजीसीए ने यह कदम एयरलाइन की ओर से इस महीने की शुरुआत में हजारों फ्लाइट्स रद्द करने के कारण उठाया है।
इसके अलावा विमानन नियामक ने इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स को दोबारा समन भेजा है और उन्हें शुक्रवार को अधिकारियों के समक्ष फिर से पेश होने के लिए कहा गया है।
सूत्रों के अनुसार, निरीक्षण और निगरानी ड्यूटी में लापरवाही पाए जाने के बाद डीजीसीए ने निरीक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की है।
नियामक ने अब इंडिगो के गुरुग्राम कार्यालय में दो विशेष निगरानी दल तैनात किए हैं ताकि एयरलाइन के संचालन पर कड़ी नजर रखी जा सके।
यह दल प्रतिदिन शाम 6 बजे तक डीजीसीए को रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। एक दल इंडिगो के बेड़े की क्षमता, पायलटों की उपलब्धता, चालक दल के उपयोग के घंटे, प्रशिक्षण कार्यक्रम, ड्यूटी विभाजन पैटर्न, अनियोजित अवकाश, स्टैंडबाय क्रू और चालक दल की कमी के कारण प्रभावित उड़ानों की संख्या की निगरानी कर रहा है।
यह एयरलाइन की औसत उड़ान अवधि और नेटवर्क की भी समीक्षा कर रहा है ताकि परिचालन में होने वाली बाधा के पूरे पैमाने को समझा जा सके।
दूसरी टीम यात्रियों पर संकट के प्रभाव पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इसमें एयरलाइन और ट्रैवल एजेंट दोनों से रिफंड की स्थिति, नागरिक उड्डयन आवश्यकताओं (सीएआर) के तहत दी जाने वाली क्षतिपूर्ति, समय पर उड़ान भरना, सामान की वापसी और समग्र रद्दीकरण की स्थिति की जांच करना शामिल है।
इंडिगो को अपने परिचालन में 10 प्रतिशत की कटौती करने का आदेश दिया गया है ताकि उड़ानों का शेड्यूल स्थिर हो सके और आगे की व्यवधानों को नियंत्रित किया जा सके।
एयरलाइन आमतौर पर प्रतिदिन लगभग 2,200 उड़ानें संचालित करती है, जिसका अर्थ है कि अब एयरलाइन प्रतिदिन 200 से अधिक उड़ानें कम भरेगी।
नागर विमानन मंत्री राम मोहन नायडू ने कहा कि इंडिगो द्वारा क्रू रोस्टर, उड़ान समय और संचार के कुप्रबंधन के कारण यात्रियों को “गंभीर असुविधा” का सामना करना पड़ा है।
इंडिगो के सीईओ एल्बर्स के साथ बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एयरलाइन को किराए की सीमा और प्रभावित यात्रियों की सहायता के उपायों सहित मंत्रालय के सभी निर्देशों का पालन करना होगा।
डीजीसी की जांच जारी है और इंडिगो के सीईओ को आगे स्पष्टीकरण के लिए तलब किया गया है। एयरलाइन ने 3 से 5 दिसंबर के बीच अत्यधिक देरी का सामना करने वाले यात्रियों के लिए मुआवजे की घोषणा की है।
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