अपराध
लखनऊ में एक बैंक से 146 करोड़ चोरी का प्रयास असफल

लखनऊ में उत्तरप्रदेश कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड से 146 करोड़ रुपए चोरी के प्रयास को बैंक कर्मियों ने निष्फल कर दिया। साइबर हैकर्स बैंक के एक पूर्व कर्मचारी की मिलीभगत से चोरी का प्रयास कर रहे थे।
बैंक के एमडी ने मामले में उत्तरप्रदेश पुलिस के साइबर सेल में केस दर्ज कराया है और बैंक के 10 कर्मियों को निलंबित कर दिया है। इनमें बैंक की हजरतगंज शाखा के मैनेजर, कैशियर व गार्ड शामिल है।
बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बैंक की सुरक्षा व्यवस्था का संभाल रही सिक्योरिटी एजेंसी को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है।
बैंक के दो सेवानिवृत्त अधिकारियों आरएस दूबे और जीएस चौहान को हिरासत में लिया गया है व आईटी विभाग से आडिट की भी मांग की गई है।
मामले की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि हैकर्स ने बैंक की हजरतगंज शाखा की सुरक्षा व्यवस्था में घुसपैठ कर चोरी की कोशिश की।
चोरी का यह मामला तब सामने आया जब बैंक अधिकारियों ने अचानक देखा कि बैंक के खाते से अन्य बैंकों के सात खातों में 146 करोड़ रुपया ऑनलाइन डेबिट हो गया। इस पर अधिकारियों ने तत्काल फंड को ब्लॉक करते हुए साइबर अपराधियों के बैंक से ठगी के प्रयास के प्रयास को निष्फल कर दिया।
फंड को ब्लॉक करने के बाद अधिकरियों ने बैंक के उच्चाधिकारियों से संपर्क किया और फंड को फ्रीज करते हुए उसके लेन-देन को निरस्त कर दिया।
सूत्रों का कहना है कि मामले में बैंक के एक पूर्व कर्मचारी की भूमिका जांच के घेरे में है। कहा जा रहा है कि यह कर्मचारी एक अज्ञात व्यक्ति के साथ बैंक की शाखा में आया था और बैंक के सिस्टम से छेड़छाड़ की थी।
करोड़ों रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर करने के लिए यूपीसीबी के दो कर्मचारियों की आईडी का इस्तेमाल किया गया। पुलिस तीन कर्मचारियों से भी पूछताछ कर रही है।
साइबर सेल के पुलिस अधीक्षक त्रिवेणी सिंह ने कहा कि ऑडिट विशेषज्ञ लेन-देन में इस्तेमाल होने वाले कंप्यूटरों की फॉरेंसिक ऑडिट करेंगे।
सिंह ने कहा कि बैंक के सभी सिस्टम पासवर्ड से सुरक्षित थे। ऐसे में मामले में प्रतीत होता है कि बैंक के ही किसी कर्मचारी ने इसकी जानकारी लीक की। इसलिए कर्मचारियों की भूमिका जांच के दायरे में है।
मामले में जिन लोगों को निलंबित किया गया है, उनमें महाप्रबंधक (जीएम) अशोक कुमार, जीएम (वित्त) केडी पाठक, डिप्टी जीएम राजनाथ सिंह, सहायक जीएम विवेक सिंह, ध्रुव राज सिंह, प्रबंधक मेवालाल, सहायक प्रबंधक अजय कुमार, सहायक प्रबंधक (आरटीजीएस सेल) अजय, कैशियर विकास कुमार पांडे और गार्ड विजय बहादुर मौर्य शामिल हैं।
यूपीसीबी के महाप्रबंधक वी.के. मिश्रा के मुताबिक अज्ञात आरोपी ने बैंक की ऑनलाइन सुरक्षा व्यवस्था में सेंध लगाकर 15 अक्टूबर को बैंक के आधिकारिक खाते से 72 करोड़ रुपये निकाल लिए।
हालांकि बैंक अधिकारियों ने समय पर निकासी का पता लगा लिया और खाते को फ्रीज करके पैसे बचा लिए।
इससे पहले कि हैकर्स दूसरा लेनदेन पूरा कर पाते, उसी खाते से 74 करोड़ रुपये निकालने की एक और कोशिश को रोक दिया गया।
मिश्रा ने कहा कि बैंक का पैसा सुरक्षित है। आरोपी एक पैसा भी नहीं निकाल पाए।
उन्होंने कहा कि बैंक अधिकारियों ने अज्ञात लोगों के खिलाफ साइबर अपराध प्रकोष्ठ में प्राथमिकी दर्ज कराई।
मिश्रा ने कहा कि हमारे संज्ञान में आया है कि जिस दिन वारदात को अंजाम देने का प्रयास किया गया शनिवार सुबह करीब 8.30 बजे सेवानिवृत्त बैंक प्रबंधक अपने सहयोगी के साथ बैंक की हजरतगंज शाखा का दौरा किया था। कुछ संदिग्ध आचरण प्रतीत होने पर गार्ड शैलेंद्र कुमार ने उनका पीछा भी किया था। उल्लेखनीय है कि उस दिन बैंक कर्मचारी मौजूद नहीं था।
साइबर क्राइम सेल के डीआईजी एन. कोलानाची ने कहा कि आश्चर्यजनक बात यह है कि अपराधियों को बैंक के खाते के पासवर्ड के बारे में पता था। हमारी टीम यह जानने की कोशिश कर रही है कि सिस्टम हैक किया गया था या पासवर्ड से समझौता किया गया था। 2-3 दिनों में स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।
अपराध
मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे पर बड़ा हादसा: 15-20 गाड़ियों की टक्कर में एक की मौत, कई घायल; भीषण ट्रैफिक जाम की सूचना

पुणे, 26 जुलाई: शनिवार को मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे पर एक सुरंग के प्रवेश द्वार पर एक चौंकाने वाली घटना घटी। यह दुर्घटना श्री दत्ता स्नैक्स के पास हुई, जो हाईवे पर लोनावाला-खंडाला घाट के बाद स्थित है। सोशल मीडिया पर चौंकाने वाली तस्वीरें सामने आई हैं, जहाँ हाईवे पर ब्रेक फेल होने के बाद एक कंटेनर के दुर्घटनाग्रस्त होने से लगभग 16 वाहन आपस में टकरा गए।
खबर है कि इस हादसे में करीब 16 लोग घायल हुए हैं। शुरुआती खबरों के मुताबिक , एक कंटेनर ट्रक के ब्रेक फेल होने के बाद करीब 18 से 20 गाड़ियाँ आपस में टकरा गईं। बताया जा रहा है कि तेज़ रफ़्तार ट्रक ने फ़ूड मॉल के पास एक गाड़ी को टक्कर मार दी, जिससे दोनों गाड़ियों के बीच भीषण टक्कर हो गई।
क्या हुआ?
1. यह दुर्घटना भारत के सबसे व्यस्त एक्सप्रेसवे में से एक पर हुई।
2. कंटेनर ट्रक ने नियंत्रण खो दिया और एक वाहन को टक्कर मार दी, जिससे चेन क्रैश हो गया।
3. इस टक्कर से कई वाहन बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए, कम से कम तीन वाहन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए।
4. कई लोग घायल हुए, कुछ गंभीर रूप से घायल हुए।
एक्सप्रेसवे कई घंटों तक जाम रहा। वाहन 5 किलोमीटर तक लंबी कतारों में फंसे रहे। पुलिस और आपातकालीन टीमें घायलों की मदद और मलबा हटाने के लिए तुरंत मौके पर पहुँचीं। जाम कम करने के लिए यातायात को दूसरे रास्तों पर मोड़ना पड़ा।
इस घटना ने सड़क सुरक्षा को लेकर नई चिंताएँ पैदा कर दी हैं, खासकर घाट वाले इलाकों में, जहाँ सड़क सुरक्षा को जोखिम भरा माना जाता है। इसके लिए सख्त गति जाँच, बेहतर निगरानी और वाहनों, खासकर भारी ट्रकों, के नियमित रखरखाव की आवश्यकता है।
मामले के संबंध में जांच शुरू कर दी गई है और पुलिस सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रही है तथा इस बड़ी दुर्घटना का सही कारण जानने के लिए गवाहों से पूछताछ कर रही है।
अपराध
मुंबई: 11 महीने बाद भी कलिना में निर्दोष व्यक्ति के घर ड्रग्स रखने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं

मुंबई: कलिना में चार पुलिसकर्मियों से संबंधित मादक पदार्थ रखने की घटना में लगभग 11 महीने बाद भी कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं हुई है।
वकोला पुलिस ने न तो चारों आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोई कार्रवाई की है, न ही आरोपपत्र दाखिल किया है और न ही प्रत्यक्षदर्शियों के बयान ठीक से दर्ज किए हैं। उन्होंने मामले में एनडीपीएस (नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंसेज) की अतिरिक्त धाराएँ भी नहीं जोड़ी हैं, बल्कि केवल जमानती धाराएँ ही लगाई हैं। नतीजतन, आरोपियों को अग्रिम ज़मानत मिल गई।
मामले के बारे में
30 अगस्त, 2024 को, चार पुलिसकर्मियों ने सांताक्रूज़ पूर्व के कलिना स्थित एक पशुधन फार्म में काम करने वाले 31 वर्षीय निर्दोष डायलन एस्टबेरो की जेब में कथित तौर पर ड्रग्स रख दिए। यह पूरी घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई, जिससे चारों पुलिसकर्मियों की पोल खुल गई।
घटना 30 अगस्त, 2024 की है, जब खार पुलिस स्टेशन से सादे कपड़ों में पीएसआई विश्वनाथ ओम्बले और तीन कांस्टेबल – इमरान शेख, सागर कांबले और योगेंद्र शिंदे (जिन्हें दबंग शिंदे भी कहा जाता है) – सांताक्रूज़ पूर्व के कलिना में शाहबाज़ खान के पशु फार्म पर पहुँचे, जहाँ डायलन एस्टबेरो काम कर रहा था। उन्होंने कथित तौर पर डायलन की तलाशी ली और एक बनावटी तलाशी के दौरान उसकी जेब में 20 ग्राम मेफेड्रोन रख दिया, और बाद में उस पर ड्रग रखने का आरोप लगाया।
पूरी घटना सीसीटीवी में कैद हो गई, जिसकी बाद में शाहबाज़ खान ने समीक्षा की और उसे सार्वजनिक रूप से साझा किया। फुटेज जारी होने के बाद, डायलन को खार पुलिस ने रिहा कर दिया। इस वीडियो के बाद लोगों में आक्रोश फैल गया और तत्कालीन उपायुक्त राज तिलक रौशन ने 31 अगस्त को चारों अधिकारियों को निलंबित कर दिया। घटना के लगभग साढ़े तीन महीने बाद, भारतीय न्याय संहिता की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया।
अपराध
ईडी ने 3,000 करोड़ रुपए के यस बैंक लोन धोखाधड़ी मामले में अनिल अंबानी से जुड़ी संस्थाओं पर छापे मारे

नई दिल्ली, 24 जुलाई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को 3,000 करोड़ रुपए के यस बैंक लोन धोखाधड़ी मामले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस समूह से संबंधित 35 से ज्यादा परिसरों, 50 कंपनियों और 25 से अधिक लोगों के कई ठिकानों पर छापे मारे हैं।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के बाद, ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस समूह द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध की जांच शुरू कर दी।
सूत्रों के अनुसार, इस मामले में नेशनल हाउसिंग बैंक, सेबी, नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (एनएफआरए), बैंक ऑफ बड़ौदा जैसी अन्य एजेंसियों और संस्थानों ने भी ईडी के साथ जानकारी साझा की।
ईडी की प्रारंभिक जांच में बैंकों, शेयरधारकों, निवेशकों और अन्य सार्वजनिक संस्थानों के साथ धोखाधड़ी करके जनता के पैसों को इधर-उधर करने/निपटाने की एक सुनियोजित और सोची-समझी योजना का खुलासा हुआ है। साथ ही, यस बैंक लिमिटेड के प्रमोटर सहित बैंक अधिकारियों को रिश्वत देने का अपराध भी जांच के दायरे में है।
प्रारंभिक जांच में यस बैंक से (2017 से 2019 तक) लगभग 3,000 करोड़ रुपए के अवैध लोन डायवर्जन का पता चला है। ईडी ने पाया है कि लोन स्वीकृत होने से ठीक पहले, यस बैंक के प्रमोटरों को पैसा दिया गया था। एजेंसी रिश्वतखोरी और लोन के इस गठजोड़ की भी जांच कर रही है।
नियामक ने अनिल अंबानी से जुड़ी कंपनियों को यस बैंक द्वारा दिए गए लोन में कई नियमों का करते हुए उल्लंघन पाया है, जैसे कि क्रेडिट अप्रूवल मैमोरेंडम (सीएएम) पिछली तारीख के थे, बैंक की लोन नीति का उल्लंघन करते हुए बिना किसी उचित जांच/लोन विश्लेषण के निवेश प्रस्तावित किए गए थे।
लोन शर्तों का उल्लंघन करते हुए, इन लोन को आगे कई समूह कंपनियों और मुखौटा कंपनियों में डायवर्ट किया गया।
जानकारी के मुताबिक, सेबी ने आरएचएफएल मामले में अपने निष्कर्ष ईडी के साथ साझा किए हैं। आरएचएफएल द्वारा कॉर्पोरेट लोन में नाटकीय वृद्धि भी ईडी की जांच के घेरे में है। आरएचएफएल के कॉर्पोरेट लोन वित्त वर्ष 2017-18 में 3,742.60 करोड़ रुपए से एक ही साल में बढ़कर वित्त वर्ष 2018-19 में 8,670.80 करोड़ रुपए हो गए थे।
सूत्रों के अनुसार, जांच फिलहाल चल रही है। ईडी यस बैंक के अधिकारियों, समूह की कंपनियों और अनिल अंबानी की कंपनियों से जुड़ी वित्तीय अनियमितताओं के बीच संबंधों का पता लगाने की कोशिश कर रहा है।
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