खेल
अश्विन ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की
ब्रिस्बेन, 18 दिसंबर। भारतीय ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा की है। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच ब्रिस्बेन में टेस्ट सीरीज़ के ड्रा रहे तीसरे मैच के बाद अश्विन ने यह फ़ैसला लिया। एडिलेड में खेला गया डे-नाईट टेस्ट मैच उनका आख़िरी टेस्ट मैच था।
अश्विन टेस्ट क्रिकेट में अनिल कुंबले के बाद भारत के दूसरे सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज़ के तौर पर संन्यास ले रहे हैं। उन्होंने भारत के लिए कुल 106 टेस्ट मैच खेले, जिसमें उन्होंने 24 की औसत से 537 विकेट लिए।
अश्विन ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफ़ी के दौरान भारत के पहले तीन टेस्ट मैचों में से सिर्फ़ एक ही टेस्ट (डे-नाइट टेस्ट) खेला, जिसमें उन्होंने 53 रन देकर एक विकेट लिया था। इससे पहले अश्विन भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच हुई टेस्ट सीरीज़ का हिस्सा थे, जहां भारत को 0-3 से क़रीब शिक़स्त झेलनी पड़ी थी। उस सीरीज़ में अश्विन का प्रदर्शन काफ़ी ख़राब रहा था। उन्होंने तीन टेस्ट मैचों में 41.2 की औसत से सिर्फ़ नौ विकेट लिए थे।
अश्विन विदेशी दौरों पर भारतीय टेस्ट एकादश का नियमित हिस्सा नहीं रहते हैं और भारत की अगली घरेलू सीरीज़ अगले साल नवंबर में है। उसके पहले भारत को इंग्लैंड गर्मियों के दौरान जाना है।
अश्विन के नाम छह टेस्ट शतक और 14 अर्धशतकों के साथ 3503 टेस्ट रन भी हैं और वह 300 विकेट व 3000 रन का डबल करने वाले दुनिया के सिर्फ़ 11वें ऑलराउंडर हैं। उनके नाम मुथैया मुरलीधरन के बराबर सर्वाधिक 11 प्लेयर ऑफ़ द सीरीज़ अवॉर्ड हैं।
अगर वनडे क्रिकेट की बात की जाए तो उनके नाम 116 मैचों में 33 की औसत और 4.93 की इकॉनमी से 156 विकेट हैं, जिसमें उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 4/25 रहा है। उन्होंने वनडे में एक अर्धशतक की मदद से 707 रन बनाए हैं जबकि टी20 में उन्होंने 65 मैचों में 6.90 की इकॉनमी और 23 की औसत से 72 विकेट लिए हैं, जिसमें उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 4/8 का रहा है।
राष्ट्रीय
पश्चिम बंगाल में एसआईआर पर घमासान, टीएमसी सांसदों का प्रतिनिधिमंडल पहुंचा चुनाव आयोग

नई दिल्ली, 28 नवंबर : तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल में जारी एसआईआर प्रक्रिया के विरोध में चुनाव आयोग का रुख किया। टीएमसी के 10 सांसदों का प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को चुनाव आयोग के दफ्तर पहुंचा और इस प्रक्रिया पर आपत्ति जताई।
टीम की अगुवाई राज्यसभा में तृणमूल संसदीय दल के नेता डेरेक ओ’ ब्रायन ने की। उनके साथ लोकसभा में डिप्टी लीडर शताब्दी रॉय, कल्याण बनर्जी, महुआ मोइत्रा, प्रतिमा मंडल, सजदा अहमद, डोला सेन, ममता ठाकुर, साकेत गोखले और प्रकाश चिक बराइक भी मौजूद थे।
प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग को एक लिखित शिकायत सौंपी। उनका आरोप है कि बंगाल में एसआईआर के नाम पर बीजेपी और चुनाव आयोग मिलकर लाखों मतदाताओं के नाम काटने की साजिश कर रहे हैं। खास तौर पर अल्पसंख्यक बहुल इलाकों और तृणमूल समर्थक क्षेत्रों में बड़ी संख्या में नाम हटाए जा रहे हैं।
केंद्र सरकार का कहना है कि चुनाव आयोग की देखरेख में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत फर्जी मतदाताओं को चिन्हित करके उन्हें मतदान के अधिकार से वंचित किया जा रहा है। संविधान के मुताबिक 18 वर्ष से अधिक उम्र के भारत के ही नागरिक को मतदान का अधिकार है।
केंद्र सरकार का दावा है कि भारत में बड़ी संख्या में कई अन्य देशों के भी नागरिक रह रहे हैं, जिन्होंने यहां पर खुद को भारतीय नागरिक के रूप में दिखाने के लिए फर्जी दस्तावेज बनवा लिए हैं। ऐसे मतदाताओं को ही चिन्हित करने के लिए चुनाव आयोग की देखरेख में एसआईआर प्रक्रिया शुरू की गई है। अब तक कई ऐसे लोगों को चिन्हित कर उन्हें उनके देश भेजा जा चुका है।
केंद्र सरकार के मुताबिक, अवैध मतदाताओं में सबसे ज्यादा बांग्लादेश के लोग शामिल हैं, जो भारत में जीविका के लिए पहले तो अवैध तरीके से दाखिल हुए और फिर फर्जी दस्तावेज बनवाकर यहीं बस गए।
विपक्षी दलों का कहना है कि सत्तारूढ़ दल भाजपा वोट काटने के मकसद से एसआईआर करा रही है ताकि मौजूदा राजनीतिक स्थिति को अपने पक्ष में किया जा सके। हालांकि भाजपा लगातार विपक्ष के इन दावों को सिरे से खारिज कर रही है।
राष्ट्रीय
मुंबई लोकल ट्रेन अपडेट: माहिम के पास अतिक्रमण की घटना के कारण पश्चिम रेलवे सेवाएं बाधित; यात्रियों ने 30-40 मिनट की देरी का आरोप लगाया

मुंबई: माहिम स्टेशन के पास सुबह करीब 10:35 बजे अतिक्रमण की घटना की खबर मिलने के बाद शुक्रवार को पश्चिमी लाइन पर उपनगरीय ट्रेन सेवाएं करीब आधे घंटे तक बाधित रहीं।
अधिकारियों के अनुसार, यह घटना अप फास्ट लाइन पर हुई। हालाँकि यह घटना एक ही ट्रैक तक सीमित थी, लेकिन इसके व्यापक प्रभाव से आस-पास की लाइनों पर भी परिचालन धीमा हो गया। प्रभावित ट्रेन लगभग 25 मिनट तक रुकी रही, जिसके कारण मार्ग पर कई अन्य ट्रेनें भी फंस गईं।
रेलवे कर्मियों ने सुबह करीब 11 बजे तक ट्रैक साफ कर दिया, जिसके बाद बांद्रा और माहिम के बीच अप फास्ट लाइन पर सेवाएं धीरे-धीरे बहाल हो गईं।
पश्चिम रेलवे ने दोहराया कि रेलवे अधिनियम, 1989 की धारा 147 के तहत अतिक्रमण एक दंडनीय अपराध है, जिसके लिए 1,000 रुपये तक का जुर्माना, छह महीने तक की कैद या दोनों हो सकते हैं। ज़्यादातर मामलों में, न्यूनतम 500 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है।
अधिकारियों ने यात्रियों से आग्रह किया है कि वे किसी भी परिस्थिति में अतिक्रमण से बचें तथा अपनी सुरक्षा के लिए फुट ओवरब्रिज, लिफ्ट और निर्दिष्ट क्रॉसिंग सुविधाओं का उपयोग करें।
यह घटना महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा मुंबई के उपनगरीय रेलवे नेटवर्क के लिए एक बड़े उन्नयन का अनावरण करने के कुछ ही दिनों बाद हुई है, जिसमें उन्होंने घोषणा की थी कि स्वचालित दरवाजों वाली नई पूरी तरह से वातानुकूलित लोकल ट्रेनें जल्द ही शुरू की जाएंगी, जिसमें द्वितीय श्रेणी के टिकट किराए में कोई वृद्धि नहीं की जाएगी।
आईआईएमयूएन यूथ कनेक्ट कार्यक्रम में बोलते हुए, फडणवीस ने कहा कि मुंबई की लोकल ट्रेनें, जो हर दिन लगभग 90 लाख यात्रियों को ले जाती हैं, शहर की जीवन रेखा बनी हुई हैं। उन्होंने भीड़भाड़ और सुरक्षा को लेकर मौजूदा चिंताओं को स्वीकार करते हुए कहा कि आने वाले बेड़े का उद्देश्य एक सुरक्षित और अधिक आरामदायक यात्रा अनुभव प्रदान करना है।
मुख्यमंत्री के अनुसार, रेलवे 268 नई एसी लोकल ट्रेनें खरीदेगा जो धीरे-धीरे पुरानी, बिना दरवाज़े वाली रेकों की जगह लेंगी। उन्नत ट्रेनें डिज़ाइन और कार्यक्षमता में मेट्रो सिस्टम जैसी होंगी, जिनमें आधुनिक इंटीरियर और स्वचालित दरवाज़े होंगे ताकि यात्रियों के चलती ट्रेन से गिरने का जोखिम कम से कम हो।
यह घोषणा मुंब्रा में हुई एक जानलेवा घटना के बाद बढ़ी हुई जन चिंता की पृष्ठभूमि में की गई है, जहाँ कई यात्री एक भीड़भाड़ वाले नॉन-एसी कोच से गिर गए थे। फडणवीस ने कहा कि स्वचालित दरवाजों की शुरुआत सुरक्षा बढ़ाने की दिशा में एक व्यापक प्रयास का हिस्सा है, और उन्होंने यह भी कहा कि नई नॉन-एसी लोकल ट्रेनों को भी स्वतः बंद होने वाले दरवाजों के साथ डिज़ाइन किया जा रहा है।
राजनीति
मध्य प्रदेश में खाद की लाइन में लगी महिला की मौत, प्रायोजित हत्या : कमलनाथ

भोपाल, 28 नवंबर : मध्य प्रदेश के गुना जिले में खाद की लाइन में लगी एक आदिवासी महिला की ठंड लगने से हुई कथित मौत के मामले में कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोला है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने महिला की मौत को सरकार की लापरवाही से प्रायोजित हत्या करार दिया है।
दरअसल, गुना जिले के बमोरी के बगेरा डबल लॉक खाद वितरण केंद्र पर यूरिया लेने के लिए कतार में लगी भूरी बाई नामक महिला की रात में मौत हो गई। आदिवासी महिला की मौत पर सियासत तेज हो गई है।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि मध्यप्रदेश में खाद के लिए भटकती एक आदिवासी महिला किसान भूरी बाई की मौत कोई साधारण हादसा नहीं, बल्कि सरकार की लापरवाही से हुई प्रायोजित हत्या है। भूरी बाई तीन दिनों तक लगातार खाद की लाइन में लगी। कभी मशीन खराब मिलती, कभी अधिकारी गायब रहते, कभी सिस्टम बंद बताया जाता।
उन्होंने कहा कि भूख, ठंड और थकान से उनकी हालत लगातार बिगड़ती रही, लेकिन न सरकार ने एम्बुलेंस की व्यवस्था की, न समय पर उपचार मिला। जब उनके परिवार वाले रात में उन्हें अस्पताल ले जा पाए, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। यह मृत्यु नहीं, बल्कि एक ऐसी व्यवस्था का नतीजा है जिसे सरकार ने खुद बनाया और किसानों पर थोप दिया है। कड़कड़ाती ठंड में किसान जमीन पर लेटकर रातें गुजारने को मजबूर हैं। असली किसान लाइन में ठिठुर रहा है और सत्ता सिर्फ बयानबाजी में व्यस्त है।
कमलनाथ ने प्रशासन के रवैये की आलोचना करते हुए कहा कि सबसे दर्दनाक सच्चाई यह है कि प्रशासन तभी जागता है जब कोई किसान मर जाता है। भूरी बाई की मौत के बाद अचानक सिस्टम चल पड़ा। रात में मशीनें ठीक हो गईं, और सुबह साढ़े छह बजे तक खाद वितरण शुरू कर दिया गया। यह साबित करता है कि किसानों की मौतें इस सरकार के लिए चेतावनी का अलार्म बन चुकी हैं। सरकार वही काम करती है जो उसे पहले करना चाहिए था, लेकिन तब करती है जब किसी की जान चली जाती है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री ने सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा, “असलियत यह है कि खाद की कमी वास्तविक कमी नहीं है। कमी सिर्फ नीयत की है। प्रदेश में खाद मौजूद है, लेकिन उसे किसानों तक पहुंचने से पहले रोक दिया जाता है। माफिया, दलाल और कुछ अधिकारी मिलकर खाद को मुनाफे का साधन बना चुके हैं। गोदामों में बोरी छिपाकर रखी जाती है और बाजार में कालाबाजारी से बेची जाती है। इस पूरे खेल में किसान सिर्फ पीड़ित नहीं, बल्कि एक बलि का बकरा बन गया है।”
किसानों की मौत की चर्चा करते हुए कमलनाथ ने कहा, “यह संकट सिर्फ खाद का संकट नहीं है, यह मानवीय संवेदनाओं का संकट है। मध्य प्रदेश में किसान बार-बार मर रहे हैं, कभी कर्ज से, कभी खाद की लाइन में, कभी सरकारी उपेक्षा के कारण। लेकिन सरकार की संवेदनशीलता शून्य बनी हुई है।
उन्होंने कहा कि भूरी बाई सिर्फ खाद लेने नहीं गई थीं, वे अपना जीवन, अपनी इज्जत और किसान का अधिकार मांगने गई थीं। लेकिन सरकार ने उन्हें लाइन में खड़ा रखकर उनकी जान ले ली। यह केवल एक प्रशासनिक विफलता नहीं, बल्कि एक तंत्र द्वारा की गई हत्या है। और जब सरकार किसानों की मौत पर भी मौन रहे, तो वही मौन उसकी सहमति साबित करता है।
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